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CCTV में कैद कातिलों की खौफनाक करतूत देख रह जाएंगे सन्न

रात का वक्त था. सब अपने अपने घरों में थे. लेकिन चार लोग दिल्ली की एक सड़क पर बड़ी बेसब्री से किसी का इंतज़ार कर रहे थे. दरअसल उन्हें एक मर्डर करना था. इंतजाम पूरा था. चाकू भी था. तमंचा भी था और हथौड़ी भी. फुल प्रूफ प्लान था. मकतूल आएगा और कातिल टूट पड़ेंगे. जब तक लोग नींद से जागेंगे. काम हो चुका होगा. न कोई सबूत होगा और न कोई गवाह. और हुआ भी ऐसा ही. लेकिन एक चूक हो गई. कातिलों की नजर उस पर नहीं पड़ी, जो सब कुछ देख रहा था.

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सरकारी मुलाज़िम बृजभूषण पर कातिलाना हमला
सरकारी मुलाज़िम बृजभूषण पर कातिलाना हमला

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रात का वक्त था. सब अपने अपने घरों में थे. लेकिन चार लोग दिल्ली की एक सड़क पर बड़ी बेसब्री से किसी का इंतज़ार कर रहे थे. दरअसल उन्हें एक मर्डर करना था. इंतजाम पूरा था. चाकू भी था. तमंचा भी था और हथौड़ी भी. फुल प्रूफ प्लान था. मकतूल आएगा और कातिल टूट पड़ेंगे. जब तक लोग नींद से जागेंगे. काम हो चुका होगा. न कोई सबूत होगा और न कोई गवाह. और हुआ भी ऐसा ही. लेकिन एक चूक हो गई. कातिलों की नजर उस पर नहीं पड़ी, जो सब कुछ देख रहा था.

जैसा कातिलों ने सोचा था. ठीक वैसा ही हुआ. किसी ने नहीं देखा सिवाए सीसीटीवी कैमरे के, जो सबकी गवाही देगा. वक़्त की भी. तारीख की भी. कातिलों की भी. मकतूल की भी. इसकी नज़रों ने जो कैद किया उसके मुताबिक इसी महीने की 20 तारीख थी. रात के तब ठीक साढ़े 10 का वक़्त था. एक सैंट्रो कार को कुछ इस तरह बीच रास्ते में खड़ा किया गया कि बिना रुके कोई निकल नहीं सकता. शायद निकलने वाला भी नहीं था. सिवाए दिल्ली टूरिज़्म विभाग में मुलाज़िम बृजभूषण के.

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उनके आने का वक्त था. कातिल पूरे इत्मिनान में कार से निकलकर बाहर का माहौल भांपते हुए अपनी अपनी पोज़ीशन ले रहे थे. तीन बाहर और एक कार के अंदर. कातिल मौत बनकर सामने खड़े थे कि तभी इस सीसीटीवी कैमरे में पहले कार की हेडलाइट की रोशनी और फिर बृजभूषण की वैगन-आर ठीक उसी जगह पर आ खड़ी हुई जहां कातिल चाहते थे. बस क़ातिलों को इसी पल का इंतज़ार था. बृजभूषण की गाड़ी रुकी नहीं कि बाहर खड़े तीनों हमलावर कार पर टूट पड़े.

कार में बैठे इस चौथे कातिल ने भी तमंचा निकाल लिया. सभी क़ातिल बेखौफ थे मगर इस बात से अंजान कि उनके सिर के ऊपर इस इमारत में लगा सीसीटीवी कैमरा हर पल को कैद कर रहा है. अब तफ्सील से देखते जाइये कि कैसे ये हमलावर निहत्थे बृजभूषण पर मौत बनकर बरसे. सबसे पहले इस हमलावर ने गाड़ी रुकते ही कार की ड्राइविंग सीट की तरफ मोर्चा संभाला और बिना रुके हथौड़ा निकालकर पहले शीशा तोड़ा और फिर एक के बाद एक बृजभूषण पर 9 बार हथौड़ा चलाया.

कार के पीछे की तरफ मौजूद टोपी पहने इस बदमाश ने अपने मोजे में छिपाया हुआ चाकू निकाला. फौरन गाड़ी की पिछली सीट पर जा बैठा और दरवाज़ा बंद करते ही ये बृजभूषण पर लगातार चाकू से हमला करने लगा. वहीं तीसरे हमलावर ने कार के दूसरी तरफ से घुसकर बृजभूषण को पकड़ लिया. जिस वक्त बृजभूषण पर तीन तरफ से मौत टूटी. ठीक उसी वक़्त सैंट्रो कार में बैठा चौथा हमलावर भी लगातार तमंचे से गोली चलाकर एक झटके में ही इस काम को तमाम करने की फिराक में था.

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इस नीयत से इसने कई बार तमंचा निकाला जरूर, लेकिन चूकी बृजभूषण किसी बदमाश के काबू में नहीं आ रहे थे. इस अफरा-तफरी में कहीं निशाना चूक कर उसके साथियों को ही न लग जाए. वो गोली नहीं चला पाया. हालांकि आखिर में उसे गोली चलाने का मौका मिल ही गया. एक के बाद एक इसने दो गोलियां बृजभूषण को मारीं. चाकू हथोड़े और तमंचे का इस्तेमाल करने के बाद भी बृजभूषण कातिलों से लड़ते रहे. ऐसे मे पकड़े जाने के अंदेशे से हमलावर डर गए. और भागने की जल्दबाज़ी करने लगे.

मोहल्ले की इस इमारत में लगे सीसीटीवी में सब कैद हो रहा था कि कैसे बृजभूषण की कार में घुसे तीनों कातिल पकड़े जाने के खौफ में कार से निकलकर भागने लगे और सैट्रों कार में बैठे चौथे हमलावर ने गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ाया. मगर करीब सवा मिनट तक हमले पर हमला झेलने के बाद भी बृजभूषण ने होश नहीं खोया. ड्राइविंग साइड से निकलकर वो जान बचाने के लिए गाड़ी के बाईं तरफ भागे. बृजभूषण की हिम्मत से हार चुके इन हमलावरों ने जाते जाते कार के दरवाज़े से बृजभूषण के बाहर निकले हुए पैर को कुचलना शुरू कर दिया.

वो उन्हें कार से निकालने की कोशिश कर रहा था. ऐसा नहीं कर पाया तो उनके चेहरे पर तमंचे से वार करने लगा. सीसीटीवी में कैद ये तस्वीरें बात रही हैं कि कैसे हथियारों से लैस 4 बदमाश एक ज़ख्मी इंसान के सामने भी लाचार हैं. मारना तो दूर हमलावर बृजभूषण को बेसुध भी नहीं कर पा रहे थे. आखिरकार कातिलों को इसी हालत में मौका-ए वारदात को छोड़कर भागना पड़ा. करीब ढ़ाई मिनट तक ताबड़तोड़ जानलेवा हमला झेलने के बाद भी बृजभूषण अपनी कार से बाहर निकले. गाड़ी के पिछले हिस्से तक पहुंचते पहुंचते गिर पड़े.

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