दिल्ली में एक कार के पहिए तले एक लड़की पूरे 12 किलोमीटर तक पथरीली सड़क पर घिसटती रही. मुंबई में एक महिला BMW कार की बोनट पर 2 किलोमीटर तक घसीटी जाती रही. अभी हफ्ता भर पहले 1 जुलाई को देश को रोड एक्सिडेंट के लिए एक नया कानून मिला है. सड़क सुरक्षा को लेकर इस नए भारतीय न्याय संहिता के नए कानून में कहा गया है कि यदि किसी गाड़ी से कोई एक्सिडेंट हो जाता है और एक्सिडेंट के फौरन बाद गाड़ी का ड्राइवर सिर्फ पुलिस या अथॉरिटी को इस एक्सिडेंट की जानकारी भर दे देता है तो कानून उसके साथ नर्म रुख अपनाएगा.
एक्सिडेंट के बाद ड्राइवर किसी को कुछ बताए बिना फरार हो जाता है तो उसे कम से कम 10 साल कैद की सजा होगी. भारतीय न्याय संहिता ने रोड सेफ्टी को लेकर एक अच्छा कानून बनाया है. लेकिन अफसोस इस नए कानून में वो एक नई बात जोड़ना भूल गए. यदि कोई ड्राइवर अपनी गाड़ी के बोनट पर किसी को कई किलोमीटर तक घसीट कर ले जाए या फिर कोई ड्राइवर अपनी कार के पहियों तले किसी को मीलों घसीटता रहे. फिर जब उसे यकीन हो जाए कि सामने वाला मर चुका है या मर चुकी है और फिर वो पुलिस या किसी अथॉरिटी को इन्फॉर्म करे तो ऐसी सूरत में उसे क्या सजा होगी.
क्या महज 10 साल बाद ऐसे लोग रिहा हो जाएंगे? जो दिल्ली में हुआ, जो पुणे में हुआ, जो चेन्नई में हुआ और अब जो मुंबई में हुआ. उसे देखते हुए ये सवाल उठना लाजमी है. जिस देश में रोड एक्सिडेंट में हर साल पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा मौत होती हो. जिस देश में हर साढ़े तीन मिनट में एक शख्स सड़क मर जाता हो. हर 1 घंटे में 19 लोग पहियों के नीचे आकर दम तोड़ देते हो. हर साल लगभग एक लाख सत्तर हजार लोगों की मौत होती हो. ऐसे में इन डरावने आंकड़ों को देखते हुए ये सवाल और भी गंभीर हो जाता है. क्योंकि ऐसा ही एक हादसा मुंबई के पॉश इलाके में हुआ है.
45 साल की कावेरी नखवा वर्ली के कोलीवाड़ा में रहती थीं. वो एक मछुआरा थीं. अपने पति प्रदीप नखवा के साथ वो हर सुबह मुंबई के ससून डॉक से मछलियां खरीदती और फिर उसे लोकल मार्केट में बेचा करती. 7 जुलाई की सुबह कावेरी और उनके पति प्रदीप स्कूटी पर ससून डॉक से लौट रहे थे. तब सुबह के ठीक 5 बजकर 25 मिनट हुए थे. स्कूटी तब वर्ली के डॉक्टर एनी बेसेंट रोड से गुजर रही थी. तभी अचानक पीछे से एक तेज रफ्तार BMW कार आती है और स्कूटी को टक्कर मार देती है. टक्कर इतनी तेज थी कि स्कूटी चला रहे प्रदीप और पीछे बैठी उनकी पत्नी कावेरी दोनों हवा में उछल गए.
इसके बाद BMW की बोनट पर गिर पड़ते हैं. किसी तरह प्रदीप खुद को बोनट से अलग करता है. नीचे गिर पड़ता है. जबकि कावेरी बोनट पर फंस जाती है. कार ड्राइवर जानता है कि उसने एक स्कूटी को टक्कर मारी. वो देख रहा होता है कि उसकी कार के बोनट पर एक महिला फंसी हुई है. लेकिन इसके बावजूद वो BMW को भगाता रहता है. करीब 2 किलोमीटर दूर जाने के बाद कावेरी बोनट से नीचे गिरती है. तब भी कार ड्राइवर ने उतर कर ये देखने की कोशिश नहीं की, कि वो जिंदा है भी कि नहीं. इसके बाद BMW बांद्रा-वर्ली सी लिंक कि तरफ भाग जाती है. कावेरी पर कुछ लोगों की नजर पड़ती है.
पुलिस को खबर दी जाती है. पुलिस कावेरी को अस्पताल लेकर पहुंचती है. लेकिन तब तक वो दम तोड़ चुकी थी. उधर 2 किलोमीटर पहले कावेरी का पति प्रदीप किसी तरह खुद को BMW के बोनट से तो अलग कर चुका था. लेकिन वो भी जख्मी था. उसे भी अस्पताल ले जाया गया. प्रदीप खतरे से बाहर हैं. लेकिन जैसे ही उनको अपनी पत्नी की मौत की खबर मिली. उसने सिर्फ इतना ही कहा अगर ड्राइवर ने जरा सी इंसानियत दिखा दी होती. कार रोक देता. तो मेरी बीवी आज जिंदा होती. ये तो रही हादसे की बात. अब सवाल ये कि उस BMW के अंदर कौन था? कार को चला रहा वो ड्राइवर कौन था?
वो कार किसकी थी? उस कार के मालिक का नाम राजेश शाह है. वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बहुत करीबी माने जाते हैं. यहां तक की मुंबई के जिस ठाणे और पालघर से शिंदे आते हैं राजेश शाह कभी उसी पालघर के शिवसेना प्रमुख रहे हैं. शाह की खासियत ये है कि शिवसेना के दो फाड़ हो गए. ये उद्धव गुट को छोड़कर शिंदे कैंप में आ गए. लेकिन फिर भी शिवसेना के दोनो धड़ों से इनकी अच्छी बनती है. राजनीति के अलावा राजेश शाह एक बड़े स्क्रैप डीलर हैं. यानि कबाड़ के कारोबारी. कहा तो ये भी जाता है कि पार्टी की फंडिंग में भी इनका बड़ा रोल है. इन्हीं का एक बेटा है, मिहिर शाह.
बात 6 जुलाई शनिवार की रात की है. मिहिर शाह अपने दोस्तों के साथ जूहू के वॉयस ग्लोबल तापस बार में पार्टी करने गया था. तब वो बार तक अपने एक दोस्त के मर्सिडीज़ में गया था. बार में सबने शराब और बीयर पी. 18 हजार 730 का बिल आया. बिल मिहिर के एक दोस्त ने पे किया था. बिल पे करने के बाद रात 1 बजकर 40 मिनट पर सभी बार से बाहर निकलते हैं. मिहिर भी अपने दोस्त की मर्सिडीज़ से रवाना हो जाता है. कुछ देर बाद मिहिर का ड्राइवर BMW कार के साथ उसके पास पहुंचता है. वो अब मर्सिडीज़ से उतर कर अपनी BMW कार में बैठ जाता है. कार ड्राइवर राजेंद्र सिंह बिदावत चला रहा था.
मिहिर शाह ने बिदावत से साउथ मुंबई में मरीन ड्राइव की तरफ चलने को कहा. इसके बाद वो मरीन ड्राइव में घूमता रहा. अब लगभग सुबह होने वाली थी. वो वापसी घर की तरफ जा रहा था. तभी उसने ड्राइवर बिदावत से कहा कि अब कार वो चलाएगा. इसके बाद ड्राइवर की सीट पर अब मिहिर था. सुबह-सुबह का वक्त, सड़क लगभग खाली. लिहाजा मिहिर ड्राइविंग सीट पर बैठते ही अब BMW को बेहद तेजी से भगाने लगा. तभी वर्ली के ऐनी बेसेंट रोड पर बेहद तेज रफ्तार के चलते उसने पीछे से उस स्कूटी को टक्कर मार दी, जिस पर कावेरी और प्रदीप बैठे थे. हादसे के बाद मिहिर ड्राइवर बिदावत को उतार देता है.
फिर थोड़ा आगे जाकर वो खुद भी गाड़ी को सड़क किनारे रोक कर एक ऑटो से वहां से फरार हो जाता है. फरार होने से पहले दोनों ने कार के शीश पर लगे शिवसेना के स्टीकर को भी खरोंचने की कोशिश करते हैं. हादसे की जानकारी पुलिस के पास पहले से ही थी. कावेरी अस्पताल में दम तोड़ चुकी थी. बाकी का काम सीसीटीवी कैमरे ने पूरा कर दिया. लावारिस खड़ी कार भी मिल गई. इंजन और चेचिस नंबर से मालिका का नाम, पता, ठिकाना भी मिल गया. पुलिस मिहिर के घर पहुंची, लेकिन वहां नहीं मिला. उसका पिता जरूर मिला. पूछताछ में ड्राइवर राजेंद्र सिंह बिदावत के नाम का भी खुलासा हो गया.
ऐसे हर एक्सिडेंट में रईसजादों को जो बचाने की कोशिश होती है वो भी शुरु हो गई. गुनहगार ड्राइवर को और बेटे को बचाने की तमाम कोशिश की गई. लेकिन जगह-जगह लगे कैमरे ने ड्राइविंग सीट पर बैठे शख्स की पोल खोल दी. लिहाजा सच्चाई छुपाने, सबूतों से खिलवाड़ करने, झूठ बोलने और पुलिस को गुमराह करने के इल्जाम में मुंबई पुलिस ने पहले राजेश शाह और उसके ड्राइवर राजेंद्र सिंह बिदावत को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन असली गुनहगार अब तक हाथ नहीं लगा है. शक है कि कहीं मुंबई ही नहीं. बल्कि देश छोड़ कर ना भाग जाए. इसलिए उसके खिलाफ मुंबई पुलिस ने लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया है.
इस हादसे के बाद सियासत भी शुरु हो गई है. चूंकि मिहिर शाह और उसके बाप का संबंध दोनों ही शिवसेना से रहा है, इसलिए दोनों ही तरफ से सफाई भी आई और दावे भी किए गए. अब वापस रोड एक्सिडेंट्स को लेकर अपने नए कानून पर आते हैं. यदि मिहिर शाह अपनी कार की बोनट पर दो किलोमीटर तक कावेरी को घसीटता हुआ ले जाने के बाद कार रोककर उसकी लाश को कार से अलग करके पुलिस को फोन कर ये बताता कि उसकी कार से एक हादसा हो गया है, तो ऐसी सूरत मे कानून क्या उसकी सजा कम कर देती. क्या सजा कम की जानी चाहिए और क्या ऐसे लोगों पर सिर्फ लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला ही दर्ज होना चाहिए? पहियों के नीचे तो पता नहीं पर नजरों के सामने बोनट पर कोई अगर यूं किसी को घसीट कर दो किलोमीटर तक ले जाए.
फिर उसे मुर्दा फेंक दे. तो क्या ऐसे लोगों पर रोड एक्सिडेंट के बजाय सीधे कत्ल का मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए? वैसे भी अपने देश में हर साल सड़क पर औसतन जिन एक लाख सत्तर हजार लोगों की मौत होती है, उनमें से लगभग 40 फीसदी लोगों की मौत इन्हीं मोटरगाड़ियों की पहियों तले होती है. पर अब तो बोनट भी कातिल बन चुका है. फिलहाल कोर्ट ने कातिल बेटे के पिता राजेश शाह को जमानत दे दी है, लेकिन पुलिस मिहिर की तलाश कर रही है.