आख़िर कैसे हुए गया के महाबोधि मंदिर में सीरियल धमाके? मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरों ने ना सिर्फ ये सारा मंज़र देखा, बल्कि इन्हें कैद भी कर लिया.
कैमरा नंबर एक (वक़्त सुबह के 5 बजकर 40 मिनट)
इस वक़्त मंदिर परिसर में एक सफ़ाईकर्मी अपने काम में लगा था. आम तौर पर सुबह से ही इस ऐतिहासिक जगह पर भक्तों का आना-जाना शुरू हो जाता है और इससे पहले ही साफ़-सफ़ाई रोज़ की बात है. लेकिन तभी इस सफ़ाईकर्मी के पीछे बनी दीवार के उस पार जो कुछ होता है, वो सिर्फ़ इस शख्स को ही नहीं, बल्कि आस-पास के तमाम लोगों को दहला देता है.
एक ज़ोरदार धमाके के साथ दीवार के उस पार से धूल और धुएं का एक गुबार उठता है. और पूरे मंदिर में अफरातफरी मच जाती है. ये धमाका इतना ज़ोरदार है कि सफ़ाईकर्मी सहमकर अपनी जगह से दूर जा खड़ा होता है और ये समझने की कोशिश करता है कि आख़िर ये माजरा क्या है? लेकिन इतना होने के बावजूद वो दीवार के उस पार जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता और भागकर अपनी जान बचाता है. ये गया के महाबोधि मंदिर में रविवार को हुए दस धमाकों में से छठा धमाका है, जो मुख्य मंदिर और गेट के बीच हुआ और सीसीटीवी कैमरे में क़ैद हो गया.
कैमरा नंबर दो (वक़्त सुबह के 5.40 मिनट)
मंदिर में इक्के-दुक्के भक्तों का आना शुरू हो गया. मंदिर के गेट से लोगों की आवाजाही जारी थी. और तभी पिछले धमाके की तरह ही एक बार फिर दीवार के उस पार हुए एक दूसरा ब्लास्ट सभी को थर्रा दिया. इस बार यहां धूल और धुएं के अलावा बम के टुकड़े और आस-पास के पेड़-पौधों के हिस्से भी हवा में बिखर गए. इस हमले में मंदिर में पूजा करने पहुंचे एक लड़का और लड़की बाल-बाल बच गए.
मुख्य मंदिर और गेट के बीच हुआ ये धमाका महाबोधि मंदिर में रविवार की सुबह हुए दस धमाकों में सातवां था. और तब रह-रह कर हो रहे सीरियल ब्लास्ट ने लोगों को बुरी तरह डरा दिया.
कैमरा नंबर तीन (वक़्त सुबह के 5.42 मिनट)
इस कैमरे में ठीक दो मिनट बाद धमाके में ज़ख्मी हुए एक बौद्ध भिक्षु की तस्वीर क़ैद है. हमले में ज़ख्मी इस भिक्षु को एक भक्त सहारा देकर महफ़ूज ठिकाने की तरफ़ ले जाने की कोशिश करता है और मंदिर के तमाम लोग ऐसी किसी जगह की तलाश में हैं, जहां वो अपनी जान बचा पाएं. इसी दौरान ज़ख्मी भिक्षु का हाल पूछने दूसरे भिक्षु भी आगे आते हैं.
कैमरा नंबर चार (वक़्त सुबह के 5.42 मिनट)
लगातार हो रहे धमाकों ने मंदिर में आए तमाम लोगों को दहशत में ला दिया. इस कैमरे में मंदिर के भगदड़ की तस्वीरें कैद हैं. कुछ लोग सीढ़ियों की तरफ़ से जहां बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तस्वीर में तमाम लोग बेसाख्ता भाग रहे हैं. कोई बच्चे को गोद में लिए यहां से निकलने की कोशिश में है, तो कोई अपने लोगों को यहां से निकालने में लगा है.
कहां है आतंकवादी की तस्वीर?
कैमरों में दर्ज तारीख़ अपने वक्त से 24 घंटे पीछे ज़रूर चल रही है, लेकिन प्रशासन की मानें तो मंदिर में 15 सीसीटीवी कैमरों में से 14 धमाके के दौरान काम कर रहे थे. अब सवाल ये है कि इन कैमरों में से किसमें धमाकों से पहले आतंकवादियों के आने की तस्वीरें कैद हुई और किसमें नहीं, ये फिलहाल कोई नहीं जानता. लेकिन चंद कैमरों में धमाके के ये तस्वीरें इस बात की गवाह हैं कि कहीं किसी कैमरे में आतंकवादियों का चेहरा भी ज़रूर आया होगा.
भगवान भरोसे थी सुरक्षा
एक रहस्यमयी शख्स मंदिर में घूम-घूम कर बमों का जाल बिछा रहा था और मंदिर के सुरक्षाकर्मी चैन की नींद सो रहे थे. एक चश्मदीद ने बताया कि उसने संदिग्ध आतंकवादी को मंदिर में घूमते हुए देखा. उसने बताया कि वह आतंकी तितली की तरह घूम-घूम कर पूरे मंदिर में चक्कर लगा रहा था और यहां कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था.
दरअसल, दूसरे दिनों की तरह इस रोज़ भी यह चश्मदीद (रामअवतार प्रसाद, बदला हुआ नाम) मंदिर में सिर झुकाने सुबह पौने पांच बजे ही यहां पहुंच गए थे. जब वे मंदिर की परिक्रमा कर रहे थे, तो एक 20-25 साल का नौजवान बेहद हड़बड़ाहट में दो बैगों के साथ मंदिर में जगह-जगह घूम रहा था. एक काले रंग का बैग उसके कंधे पर था, जबकि एक उसके हाथ में. और चूंकि इतनी सुबह मंदिर में किसी भी भक्त के दो-दो बैगों के साथ इतनी जल्दबाज़ी में होना एक अजीब बात थी, रामअवतार को उसकी हरकत खटक रही थी. रामअवतार ने बताया कि वह एक सांवले रंग का आदमी था.
रामअवतार ने तब इस शख्स के बारे में सुरक्षाकर्मियों को बताने का फ़ैसला किया, मगर अफ़सोस पूरे मंदिर में उन्हें ऐसा एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं मिला, जिससे वो इस रहस्यमयी इंसान की शिकायत कर पाते. हार कर उन्होंने मंदिर में झाड़ू लगा रहे एक सफ़ाईकर्मी को उसके बारे में बताया और परिक्रमा करने के इरादे से आगे चले गए. लेकिन इसके चंद मिनटों के बाद जो कुछ हुआ, उसके बारे में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था. मंदिर में सीरियल धमाकों की शुरुआत हो चुकी थी. चश्मदीद रामअवतार प्रसाद ने बताया कि जब वह बाहर आया, तो पहला ब्लास्ट हो गया.
जानलेवा सरकारी काहिली
एक अंतर्राष्ट्रीय अहमियत वाले ऐतिहासिक धरोहर में सुरक्षा इंतज़ामों की ये हालत तब थी, जब इस मंदिर में धमाके की आशंका के बारे में आईबी और दिल्ली पुलिस समेत सुरक्षा एजेंसियों ने बिहार सरकार को महीनों पहले आगाह कर दिया था. मौके पर हालत ये थी कि इतना सबकुछ होने के बावजूद मंदिर में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी निजी सुरक्षाकर्मियों के हवाले थी और ऐसे में वहां दुनियाभर से आनेवाले भक्तों की हिफ़ाज़त की कोई गारंटी नहीं थी. आख़िर सुरक्षा को लेकर इस लचर रवैये की वजह क्या थी? यही सवाल जब गया के डीएम मुरुगन से पूछा गया, तो उन्होंने दो टूक कहा, 'जो होना था वो हुआ.'
वैसे जब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही इतने गंभीर मसले पर ज़िम्मेदारी की गेंद नौकरशाहों के पाले में डालने में लगे हों तो नौकरशाहों का ये रवैया कोई बहुत हैरान करनेवाला नहीं है. नीतीश कुमार से जब इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा कि डीजी बताएंगे.
कब होगी कार्रवाई?
बहरहाल, हिफ़ाज़त में बरती गई इस ज़बरदस्त काहिली के लिए कब किसकी जवाबदेही तय होगी, ये तो वक्त आने पर पता चलेगा, लेकिन फिलहाल इन पूरे हालात के मद्देनज़र इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि अगर मंदिर में सुरक्षा इंतज़ाम चाक-चौबंद होते, तो शायद इन धमाकों को टाला जा सकता था.
बुद्ध की नगरी में किसने किया धमाका?
फिर से सीरियल ब्लास्ट और फिर से वही आईएम यानी इंडियन मुजाहिदीन. देश की तमाम सुरक्षा एजेंसियां आईएम के मॉड्यूल को तोड़ने के चाहे लाख दावें करें, हर धमाके के साथ आईएम का नाम जुड़ ही जाता है. अब बोधगया में हुए सीरियल ब्लास्ट में भी शक इसी आईएम की तरफ़ है. आख़िर इन धमाकों में ऐसा क्या है, जो पुलिस का शक आईएम की तरफ है? इस बारे में जांच जारी है और देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सुराग तलाशने में जुटी है.
धमाकों के पीछे छुपे चेहरे को तलाशने के लिए जांच एजेंसी अनवर हुसैन नाम के एक शख्स से पूछताछ करने वाली है. अनवर को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था. आरोप है कि वो आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन का सदस्य है और रियाज भटकल का बेहद करीबी माना जाता है. आरोप ये भी है कि अनवर ने ही पुणे धमाकों के लिए आरडीएक्स की सप्लाई की थी.
अनवर से पूछताछ की बुनियाद में छुपा है इंडियन मुजाहिद्दीन पर शक. खबर है कि सुरक्षा एजेंसियों को यकीन हो चला है कि बोधगया धमाकों के पीछे इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ है. रविवार को कुल 13 बम लगाए गए थे, जिनमें 10 फूटे और तीन जिंदा मिल गए. बताया गया है कि जिंदा बम और मंदिर के चप्पे-चप्पे की तलाशी से जांच एजेंसियों को धमाके से कुछ अहम सुराग मिले हैं.
अबतक की जांच में एजेंसियों के एक सिलेंडर मिला है जिसपर बड़े अक्षरों में बुद्धा लिखा है. इसके अलावा एनाआईए को एक उर्दू में लिखी चिट्ठी मिलने की भी खबर है. शुरुआती फोरेंसिक जांच ने आरडीएक्स के इस्तेमाल को खारिज कर दिया है. हर बम में करीब 150 ग्राम अमोनियम नाइट्रेट, सल्फर, पोटाशियम और कीलों का इस्तेमाल किया गया था. इसके अलावा धमाके की जगह से टाइमर के तौर पर इस्तेमाल हुई घड़ी भी मिली है.
धमाके की जगह से एक विनोद मिस्त्री नाम के शख्स का आईकार्ड भी पुलिस ने बरामद किया है जिससे पूछताछ की जा रही है. बताया जा रहा है कि विनोद मिस्त्री हिस्ट्री शीटर रहा है. मंदिर से मिले सुराग और संदिग्धों से पूछताछ के बूते ही जांच एजेंसियां धमाकों के गुनहगारों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हैं.
धमाकों को ना रोक पाने की जानलेवा काहिली के बाद एक बार फिर से तफ्तीश की रस्म अदायगी शुरू हो गई है. एक तरफ़ जांच एजेंसियां मौके से बम के छर्रे बीन रही हैं, तो दूसरी तरफ़ सियासी तौर पर फेस सेविंग की कवायद जारी है, लेकिन इन सबका नतीजा कब निकलेगा, कोई नहीं जानता.
नीतीश कुमार कह चुके हैं कि धमाकों को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता. बिहार में सुशासन के स्वयंभू सम्राट ने 32 घंटे बाद शांति के दुश्मनों के सामने हथियार डाल दिए. इसके बाद यूं तो उम्मीद का कोई भी दरवाज़ा खुला नहीं बच जाता है लेकिन कुछ क़ानून, कुछ राजनीति, कुछ शर्म और कुछ सियासत, कुछ-कुछ करना पड़ रहा है जांच के नाम पर. एनआईए इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी रियाज भटकल के सहयोगी अनवर हुसैन से पूछताछ कर रही है. उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था.
पहली जानकारी तो ये है कि बम में इस्तेमाल हुए पदार्थ का कुल-खानदान पता चल गया है. जो कि रसायन विज्ञान का कोई साधारण विद्यार्थी भी अपने कॉलेज की प्रयोगशाला में आसानी से कर लेता. दूसरे जांच के कोलंबस को टाइमर में इस्तेमाल हुई घड़ी भी मिल गई है. नंबर तीन, जिस विनोद मिस्त्री का आईकार्ड मंदिर परिसर में मिला था और जिसे हिरासत में ले लिया गया था उसका आपराधिक रिकॉर्ड रहा है.
(साथ में दिल्ली से शमशेर सिंह)