अहमदाबाद के नारानपुर रेलवे फाटक के पास पुलिस को एक लड़का और लड़की लहूलुहान मिलते हैं. लड़का बताता है कि शराब के नशे में धुत्त चार लड़कों ने रात के अंधेरे में उसकी गर्लफ्रेंड के साथ गैंगरेप की कोशिश की और जब उन्होंने विरोध किया तो बदमाशों ने दोनों को जख्मी कर दिया. लेकिन अभी पुलिस छानबीन कर ही रही होती है कि अचानक एक सुसाइड नोट की बदौलत पूरा मामला सिर के बल खड़ा हो जाता है.
अहमदाबाद के पुलिस कंट्रोल रूम के पास एक फोन आता है. फोन करने वाला कहता है कि सौराष्ट्र-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर नारानपुरा क्रॉसिंग के नजदीक एक लड़का और लड़की की लाश पड़ी है. खबर मिलते ही पुलिस फौरन मौके पर रवाना हो जाती है. थोड़ी ही देर में नारानपुरा थाने की पुलिस मौका-ए-वारदात पर होती है. यहां टेलीफोन पर दी गई जानकारी के मुताबिक एक लड़का और लड़की रेलवे ट्रैक के नजदीक लहूलुहान हालत में पड़े हुए मिल जाते हैं, लेकिन बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद दोनों जिंदा थे. लिहाजा पुलिस बिना कोई वक्त गंवाएं फ़ौरन दोनों को उठा कर अस्पताल ले जाती है, लेकिन अहमदाबाद के सिविल हॉस्पीटल में रात को ही इलाज के दौरान लड़की की मौत हो जाती है, जबकि लड़के की हालत अब भी गंभीर है.
इसी दौरान पुलिस को ये पता चलता है कि दोनों ही रेलवे ट्रैक के बगल में पड़े होने के बावजूद किसी ट्रेन की चपेट में आने से जख्मी नहीं हुए, बल्कि उन्हें किसी ने चाकुओं से गोद कर लहूलुहान कर दिया था. हमलावरों ने लड़की के पेट में जहां करीब पांच से छह बार चाकुओं से हमला किया था और लड़के को एक बार चाकू मारा गया था. हालांकि इस केस में पुलिस को तब पहली बार थोड़ी हैरानी हुई, जब उसने इस वारदात के बारे में टेलीफोन पर जानकारी देनेवाले शख्स से दोबारा बात करने की कोशिश की, क्योंकि तब कर कॉल करनेवाले शख्स का मोबाइल फोन रहस्यमयी तरीके से बंद हो चुका था.
अब पूरे वाकये को समझने के लिए पुलिस वारदात का शिकार हुए नौजवान से पूछताछ शुरू करती है और इसके साथ ही वो एक चौंकानेवाली कहानी सुनाता है. मूल रूप से महाराष्ट्र के रायगढ़ का रहनेवाला 26 साल का नौजवान बीरबल प्रसाद बताता है कि वो अपनी प्रेमिका के साथ वारदात के वक्त नारानपुरा रेलवे क्रॉसिंग के नज़दीक घूमने के लिए गया था, लेकिन अचानक झाड़ियों से शराब के नशे में धुत्त चार नौजवान उनके सामने आ गए और उन्होंने उसकी प्रेमिका के साथ बदसुलूकी शुरू कर दी. उसके साथ गैंगरेप करने की कोशिश की, जिसका विरोध करने पर चारों ने दोनों पर हमला चाकुओं से हमला कर दिया, लेकिन जब इस हमले से उसकी प्रेमिका की हालत ज़्यादा बिगड़ गई तो चारों ही उन दोनों को मौके पर छोड़ कर वहां से फ़रार हो गए.
पूरी घटना रौंगटे खड़े करनेवाली थी. एक ऐसा वाक्या जिसे सुनते ही किसी के भी जेहन में दिल्ली के 16 दिसंबर वाले गैंगरेप की याद ताजा हो जाती, लेकिन यहां पुलिस को कई बातें लगातार खटक रही थीं. उनमें से एक तो लाख कोशिश के बावजूद इस घटना की खबर देनेवाले शख्स से पुलिस की बात नहीं हो पाने की थी और दूसरा एक घने रिहायशी इलाके के बीच से गुजरनेवाले इस रेलवे ट्रैक के बीच इतनी बड़ी वारदात का होने के बावजूद इसके बारे में कानों-कान किसी को खबर तक नहीं मिली. जख्मी होने की वजह से पुलिस वारदात का शिकार हुए लड़के से ज़्यादा पूछताछ तो नहीं कर सकती थी, लेकिन जब पुलिस ने उसकी कपड़ों और सामान की जांच की, तो उसके बैग से मिले एक कागज के पुर्जे ने अचानक ने ही जैसे सारी कहानी साफ कर दी, क्योंकि ये पुर्जा कुछ और नहीं बल्कि एक सुसाइड नोट था. लेकिन अगर ये डबल सुसाइड की कोशिश थी, तो वो लड़के कौन थे, जिन्होंने इन दोनों के साथ ज़्यादती करने की कोशिश की? तो क्या गैंगरेप की कोशिश और चाकूबाज़ी की वो कहानी बनावटी थी? आखिर क्यों?
घायल लड़के के बैग से मिला सुसाइड नोट पूरी कहानी को पलट चुका था. इसी बीच पुलिस को एक और चौंकानेवाली बात पता चली. उसने देखा कि लड़के के पेट में चाकू का एक गहरा वार तो मौजूद है, लेकिन ना तो उसके जैकेट पर चाकू लगा है, ना ही शर्ट पर और ना बनियान पर. अब सवाल ये था कि आखिर कोई हमलावर किसी के कपड़ों को ख़राब किए बगैर उसके पेट में चाकू कैसे मार सकता है?
जब इन दोनों में से एक यानी लड़के के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला, तो सारी कहानी तकरीबन साफ हो गई. लड़के के बैग से मिले इस सुसाइड नोट में लिखा था कि वो जो काम करने जा रहा है, वो शर्मनाक और घिनौना है, लेकिन चूंकि उसे लड़के के घरवालों ने बहुत जलील किया है. इसलिए वो ऐसा करने को मजबूर है. इस सुसाइड नोट से अब ये बात तकरीबन साफ लग रही थी कि शायद लड़के ने ही अपनी प्रेमिका पर चाकुओं से हमला करने के बाद खुद को भी चाकू मार कर जान लेने की कोशिश की और जब इस कोशिश में वो नाकाम हो गया, तो उसने खुद को क़ानून की नज़रों से बचाने के लिए बिल्कुल दिल्ली के 16 दिसंबर के जैसी एक कहानी बना ली.
पुलिस को लड़के पर शक तो पहले ही हो चुका था, लेकिन सुसाइड नोट का मिलना, चाकुओं के वार की पेंच, कहानी में मौजूद कई झोल. ये तमाम चीज़ें पुलिस के शक को यकीन में तब्दील कर रही थी पर तभी सामने आए एक और सुबूत ने पुलिस को पूरी तरह संतुष्ट कर दिया. ये सुबूत था, वो मोबाइल फ़ोन जो पुलिस को फ़ोन करने के बाद से ही स्वीच्ड ऑफ़ हो गया था. पुलिस ने जब छानबीन की, तो ये मोबाइल फ़ोन खुदकुशी की कोशिश करनेवाले बीरबल प्रसाद का ही निकला और उसके पास से ही बरामद हो गया. यानी अपनी प्रेमिका पर और खुद पर चाकुओं से वार करने के बाद खुद बीरबल ने ही पुलिस को फ़ोन कर अपने बारे में बताया था और उलझाने की कोशिश की थी.