
Five Eyes: एक आतंकवादी की मौत ने भारत और कनाडा के रिश्तों में ऐसी तल्खियां ला दी हैं कि दोनों देशों को अपने अपने देश से राजनायिक तक निष्कासित करने की नौबत आ गई. खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की तीन महीने पहले 18 जून को कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. तीन महीने पहले किसी ने सोचा नहीं था कि तीन महीने बाद इसी निज्जर के कत्ल का मामला कनाडा की पार्लियामेंट में गूंजेगा. पर निज्जर की हत्या का मामला ना सिर्फ कनाडाई पार्लियामेंट में उठा बल्कि खुद कनाडा के प्राइम मिनिस्टर जस्टिन ट्रूडो ने इस मुद्दे को उठाया.
अब यहां तक तो ठीक था, लेकिन इसके बाद जस्टिन ट्रूडो और उनकी विदेश मंत्री ने जो कुछ कहा, वो किसी ने नहीं सोचा था. कनाडा के प्राइम मिनिस्टर और फॉरेन मिनिस्टर ने निज्जर की हत्या के लिए सीधे सीधे भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ को जिम्मेदार ठहरा दिया. ना सिर्फ जिम्मेदार ठहराया, बल्कि रॉ के हाथों निज्जर की हत्या का हवाला देते हुए कनाडा में मौजूद भारतीय दूतावास के एक सीनियर राजनायिक को अपने देश से निष्कासित भी कर दिया. जवाब में भारत सरकार ने कनाडा के इन आरोपों को बेतुका बताते हुए नई दिल्ली में मौजूद कनाडाई दूतावास के एक सीनियर राजनायिक को निष्कासित कर दिया. पर ये मामला अभी यहीं खत्म नहीं हुआ है. ना ही दोनों देशों के बीच जारी तनाव खत्म हुआ है.
पांच देशों की एक खुफिया एजेंसी
दरअसल, कनाडा ने भारतीय खुफिया एजेंसी पर इल्जाम लगाते हुए ये कहा है कि वो ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि तीन महीने की तफ्तीश के बाद उनके हाथ ऐसे कुछ सबूत लगे हैं. हालांकि ये सबूत कनाडा ने भारत को नहीं दिए, ना ही दिखाए. इसलिए बिना सबूत देखे ये कहा नहीं जा सकता कि सच्चाई क्या है? कनाडा दुनिया के उन पांच देशों में से एक है, जिनकी खुफिया एजेंसियों का अपना एक और ऑर्गेनाइजेशन है. जिसका नाम फाइव आइज है. ये फाइव आइज कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्टेलिया और न्यूजीलैंड देशों की खुफिया एजेंसियों का एक समूह है.
पांच देशों के लिए काम करती है Five Eyes
फाइव आइज के गठन का मकसद ही यही है कि अगर कभी इन पांच देशों के अंदर ऐसा कुछ भी गलत हो, तो ये पांचों देश अपनी-अपनी खुफिया एजेंसियों के जरिए एक दूसरे की मदद करेंगे, उन्हें जरूरी सूचना और सबूत देंगे. अब यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या कनाडा निज्जर के कत्ल से जुड़े सबूत फाइव आइज के साथ साझा करेगा? यानी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर उसने जो इल्जाम लगाया है, उससे जुड़े ज़रूरी सबूत वो अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्टेलिया और न्यूजीलैंड के साथ शेयर करेगा?
Five Eyes में काम करते हैं CIA और MI6 के एजेंट
जाहिर है फाइव आइज की टीम में खास कर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के पास मजबूत खुफिया एजेंसियां हैं. जैसे सीआईए और एमआई-6. अब अगर बात फाइव आइज तक जाती है, तो जाहिर है निज्जर के कत्ल से जुडे सबूतों का सच भी सामने आ जाएगा. हालांकि अभी तक निज्जर की हत्या से जुडे सबूतों को लेकर फाइव आइज के दखल की कोई बात सामने नहीं आई है. इसकी एक वजह ये भी है कि खास कर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्टेलिया के साथ भारत के मजबूत रिश्ते हैं.
क्या Five Eyes की पूरी कहानी
तो निज्जर मामले में फाइव आइज की क्या भूमिका होगी, कैसी होगी, ये तो अभी साफ नहीं है. लेकिन चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर ये फाइव आइज है क्या बला? इसका जन्म कैसे हुआ, क्यों हुआ? एक देश की खुफिया एजेंसी दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों के साथ मिल कर कैसे जरूरी सूचनाएं या सबूतों को शेयर कर सकती है? चलिए फाइव आइज की पूरी कहानी समझते हैं.
पाकिस्तान में न्यूज़ीलैंड की टीम को लेकर मिला था इनपुट
जैसा कि नाम से ही साफ है फाइव आइज मतलब पांच आंखें. यानी पांच देशों की पांच आंखें. लेकिन इससे पहले कि इन पांच देशों की खुफिया आंखों के इस संगठन की नींव रखने से लेकर इसके काम करने के पूरे तौर तरीके को समझें, आइए इसे जानने की शुरुआत एक वाकये से करते हैं. आपको याद होगा साल 2021 में न्यूजीलैंड की टीम पाकिस्तान में कुछ वनडे और टी-20 मैचों की सीरीज खेलने आई थी. पाकिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों की वजह से ज्यादातर देश वहां क्रिकेट खेलने के लिए से भी परहेज करते हैं. मगर पिछले साल न्यूजीलैंड ने वहां सीरीज खेलने के लिए हामी भरी थी. 33 मेंबर्स की टीम पाकिस्तान पहुंच भी गई थी. लेकिन 17 सितंबर को रावलपिंडी में पाकिस्तान के साथ अपना पहला वन डे मैच खेलने से पहले ही न्यूजीलैंड की टीम ने अपना प्रोग्राम कैंसल कर दिया और होटल से ही वापस अपने देश न्यूजीलैंड लौट गई थी.
बिना मैच खेले वापस लौट गई थी न्यूज़ीलैंड क्रिकेट टीम
जाहिर है तब न्यूजीलैंड के इस फैसले पर काफी बवाल मचा था और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इसे लेकर सवाल खड़े किए थे और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने सीधे न्यूजीलैंड के पीएम से भी बात की थी. लेकिन तब न्यूजीलैंड की पीएम ने इसी फाइव आइज से मिले एक खुफिया इनपुट का हवाला देकर अपनी टीम को मैच खेलने की इजाजत देने से मना कर दिया था. तब न्यूजीलैंड ने कहा था कि उन्हें फाइव आइज से ये जानकारी मिली है कि होटल से निकलने पर न्यूजीलैंड टीम पर आतंकी हमला हो सकता है. हालांकि पाकिस्तान की तमाम एजेंसियों ने तब ऐसी किसी बात से इनकार किया था. लेकिन न्यूजीलैंड टस से मस नहीं हुई और तब होटल से टीम को सीधे रावलपिंडी एयरपोर्ट और वहां से अबुधाबी होते हुए न्यूजीलैंड के लिए रवाना कर दिया गया था. साफ है फाइव आइज के ये सदस्य देश, इस संगठन के इनपुट पर काफी हद तक आंख मूंद कर यकीन करते हैं और इससे मिलने वाली किसी भी जानकारी को कभी हल्के में नहीं लेते.
ऐसे हुई थी Five Eyes की स्थापना
अब बात फाइव आइज के जन्म और कर्म की. जानकारी के मुताबिक फाइव आइज की शुरुआत अब से 82 साल पहले 1941 में हुई थी. तब दुनिया दूसरे विश्व युद्ध की आग में झुलस रही और अलग-अलग देश अपने-अपने तरीके से दूसरे देशों की जासूसी किया करते थे. लेकिन उन्हीं दिनों में ब्रिटेन और अमेरिका ने पहली बार खुफिया इनपुट साझा करने की शुरुआत की और ये तय किया कि उन्हें सोवियत संघ से जुड़ी जो भी जानकारियां मिलेंगी, वो आपस में एक-दूसरे का साथ उसका आदान प्रदान करेंगे. आगे चल कर उन्होंने इस काम में कनाडा को भी अपने साथ ले लिया और फिर कुछ सालों के बाद ऑस्टेलिया और न्यूजीलैंड भी इसमें शामिल हो गए.
साल 1941 से काम कर रही है Five Eyes
हालांकि बाद में फाइव आइज को सिक्स आइज, फिर नाइन आइज में और फिर फोर्टिन आइज में भी बदलने की बातें होती रहीं, जिनमें एक-एक कर फ्रांस, डेनमार्क, नीदरलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, इटली, स्पेन, स्वीडन जैसे देशों को भी शामिल करने पर चर्चाएं हुई. यहां तक कि एक मौके पर नॉर्थ कोरिया और भारत को भी इस जासूसी संगठन का मेंबर बनाने की बात उठी थी, लेकिन ये सारी बातें कभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और 1941 से लेकर अब तक फाइव आइज अपने तरीके से लगातार काम कर रही है.
अब बात करते हैं फाइव आइज के कुछ अहम ऑपरेशंस और उसके नतीजों की-
चार्ली चैपलिन केस
मशहूर कॉमेडियन चार्ली चैपलिन का नाम तो आपने जरूर सुना होगा. उनकी फिल्में भी देखी होंगी. एक वक्त पर दुनिया में उनकी तूती बोलती थी. लेकिन बाद में चार्ली चैपलिन पर अपने फिल्मों के जरिए कम्यूनिज्म को बढावा देने का इल्जाम लगा और ब्रिटेन ये मान कर चलने लगा कि वो सोवियत संघ के एजेंडे पर काम कर रहे हैं. इसके बाद एमआई 6 और एफबीआई जैसी एजेंसियों ने उनकी जासूसी शुरू की और एक दूसरे से इनपुट शेयर किए.
नेल्सन मंडेला केस
आगे चल कर एमआई 6 ने विख्यात दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला की भी जासूसी की. नेल्सन मंडेला चूंकि रंगभेद विरोधी आंदोलन चला रहे थे, ब्रिटेन को उनसे ज्यादा शिकायत थी और तब ब्रिटेन और अमेरिकी एजेंसियों ने ना सिर्फ उनकी जासूसी की, बल्कि 1962 में उन्हें गिरफ्तार कर लोकल एजेंसियों के हवाले कर दिया था.
अयातुल्ला खुमैनी केस
इसी तरह फाइव आइज ने आगे चल कर ईरान के बड़े नेता और धार्मिक गुरु अयातुल्ला खुमैनी की भी जासूसी की. क्योंकि खुमैनी अमेरिका के हितों के आड़े आ रहे थे. कहते हैं कि फाइव आइज ने जर्मनी की चांसलर रही एजेंला मर्केल और यहां तक कि ब्रिटेन की राजकुमारी डायना का भी पीछा किया था कि कहीं वो राज परिवार के सीक्रेट का किसी गैर के सामने खुलासा ना कर दें.
9/11 टेरर अटैक के बाद फिर सक्रिय हुई Five Eyes
लेकिन धीरे-धीरे गुजरते वक्त के साथ फाइव आइज की सक्रियता भी कम होने लगी और इन पांचों देशों की खुफिया एजेंसियों के बीच इनपुट शेयरिंग में भी कमी आई. लेकिन फिर जैसे ही अमेरिका पर 9/11 का टेरर अटैक हुआ, अमेरिका को फिर से फाइव आइज की जरूरत महसूस होने लगी और उसने एक बार फिर से अगुवाई करते हुए फाइव आइज को जिंदा किया और मीटिंग्स के साथ-साथ इनपुट शेयरिंग के नए दौर की शुरुआत हुई.