कहते हैं घर की लड़ाई जब तक घर में रहती है, तो सबकुछ ठीक रहता है, लेकिन बात वहीं बिगड़ जाती है, जब मियां-बीवी की लड़ाई चारदिवारी से निकल कर जमाने के सामने आ जाए. यूपी की महिला विधायक के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. पति को उन पर शक क्या था, उन्होंने बीवी के घर ही रात के अंधेरे छापेमारी कर दी.
यूपी के चंदौसी की विधायक लक्ष्मी गौतम के घर रात के अंधेरे में छापेमारी हुई, लेकिन ये छापेमारी ना तो पुलिस ने की है और ना ही किसी सरकारी महकमे ने, बल्कि यहां तो विधायक के घर में दबिश दी है, खुद उनके पतिदेव ने. और छापेमारी के बाद हद तब हो गई जब विधायक ने अपनी पत्नी पर सरेआम अवैध संबंध रखने के आरोप लगा डाले.
दरअसल, यूपी के भीमनगर जिले की विधायक लक्ष्मी गौतम और उनके शिक्षक पति दिलीप वार्ष्णेय के बीच ये रार तब शुरू हुआ, जब पति ने सत्ता की चाबी अपने हाथ रखने के इरादे से अनुसूचित जाति से आने वाली अपनी हाउस वाइफ बीवी को ही विधान सभा चुनाव का टिकट दिला दिया. सूबे में समाजवादी पार्टी की लहर चल रही थी और इसी लहर में लक्ष्मी गौतम का भी बेड़ा पार हो गया. अब तक चूल्हा चौका संभाल रही लक्ष्मी घर से निकल कर जा पहुंची, सीधे सत्ता के उन गलियारों में, जहां तक पहुंचना कई अच्छे-अच्छों के लिए ताउम्र ख्वाब ही रह जाता है.
लेकिन गृहलक्ष्मी के कदम एक बार घर से बाहर क्या पड़े कि वो कदम दर कदम अपने ही पतिदेव से दूर होती गईं और धीरे-धीरे हालत ये हुई कि लक्ष्मी चंदौसी में अपने पति का घर छोड़ कर करीब 45 किलोमीटर दूर मुरादाबाद में आ बसीं, लेकिन पति तो फिर पति ठहरे. इतनी आसानी से पीछा कहां छोड़नेवाले थे. लिहाज़ा, मौका मिलते ही आ धमके सीधे अपनी पत्नी के घर अपने मान-सम्मान और स्वाभिमान का हिसाब करने. लेकिन यहां तकदीर ने उनके लिए कुछ और सप्राइज पैकेज का इंतजाम कर रखा था.
पति के इरादों को भांप कर बीवी जी घर के अंदर जा घुसी और दरवाजा बंद कर लिया. अब बात जैसे पुरुषार्थ को ललकारने वाली हो गई. पतिदेव शायद कुछ कर भी जाते, लेकिन बीवी के वर्दीवाले गनमैन ने उनका रास्ता रोक लिया. और तब बीवी की बेइज्जती ने इन पतिदेव को कुछ ऐसे झगझोरा कि अंदर ही अंदर सुलग रहा अपमान का लावा, आंखों से आंसुओं की शक्ल में बाहर निकल आया.
लेकिन अभी इस कहानी का क्लाइमेक्स बाकी है. आखिर क्या होगा तब, जब पुलिस और खुद विधायक महोदया अपना मुंह खोलेंगी. बात बढ़ी तो फिर बढ़ती ही चली गई, पहले रिश्तों की बात चली, फिर मर्यादाओं की और तब पद की गरिमा की. हद तो तब हो गई जब मियां ने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही विधायक बीवी का कच्चा चिट्ठा खोलना शुरू कर दिया. लेकिन कहानी में तब नया मोड़ आया, जब बीवी ने मुंह खोला.
शाम से शुरू हो कर देर रात तक चले इस ड्रामे में अभी काफी कुछ बाकी था. स्कूल में मास्टरी करने वाले इन जनाब को खबर मिली थी कि उनकी विधायक बीवी अपने आशिक के साथ उन्हीं के खरीदे हुए मकान में मौज कर रही हैं. ये भला उनसे कैसे बर्दाश्त होता सो, इस बार छापेमारी के लिए वो अकेले नहीं बल्कि रिश्तेदारों के साथ पहुंचे थे.
लेकिन विधायक के गनमैन को भला उन रिश्तेदारों से क्या लेना, जिनसे रिश्ता पहले ही नीम करैला हो चुका था. बस, इसीलिए मास्टर साहब के बड़े भाई ने जैसे ही मौका देख कर घर के अंदर घुसने की कोशिश की, विधायक महोदया के गनमैन ने जेठ जी के गर्दन पर हाथ रख कर उन्हें ऐसा धक्का दिया कि बुजुर्ग जेठ जी भाभी जी की दहलीज से सीधे खुले मैदान में जा पहुंचे. अब उनकी हालत दूध से निकाली गई मक्खी की तरह हो गई थी.
लेकिन इस धक्के ने जैसे आग में घी का काम किया. बात पति-पत्नी के बीच वो के आने से शुरू हुई थी, लेकिन जब बीवी ने बड़े भाई का ही लिहाज नहीं किया, तो भला पतिदेव बीवी का लिहाज कहां तक करते? सो, इस बार उन्होंने अपनी विधायक पत्नी पर सबसे तीखा हमला बोला. बताने लगे कि किस तरह अपने नाजायज रिश्तों से पहले तो उसने विधायक पद की गरिमा मिट्टी में मिला दी और फिर विधायक बनने के बाद बस दोनों हाथों से पैसा लूटने लगी.
भ्रष्टाचार की बात खत्म हुई तो पतिदेव को फिर से बीवी के रंगरलियों की याद आने लगी. इस बार बताया कि किस तरह उनकी बीवी ने कब-कब और कहां-कहां अपने ब्वॉयफ्रैंड के साथ गुलछर्रे उड़ाए. लेकिन अब शायद घर के बाहर चल रही पतिदेव की इस अनऑफिशियल प्रेस कांफ्रेंस के नतीजे का विधायक को अहसास हो चला था. लिहाजा, पहले तो उन्होंने मामला टालने की कोशिश की और फिर आराम से बैठ कर बात करने की. अब जो हालात बन चुके थे, उसमें बचने का इकलौता रास्ता पलटवार का ही था. लिहाजा, कहने लगी कि पतिदेव शक करते हैं और उन्हें तो डर है कि कहीं वो उनकी जान ही ना ले लें.
लेकिन अभी इस कहानी में पुलिस का रोल तो बाकी था. जब इलाके के दरोगा साहब को खबर मिली कि विधायक के घर पर पतिदेव का छापा पड़ गया, तो हालात की नजाकत को भांप कर जनाब फौरन मौका-ए-वारदात पर पहुंचे. लेकिन यहां तो पहले ही मीडिया छापेमारी के कवरेज में लगी थी और दरोगा साहब ने जब ये सबकुछ देखा तो यहां से किनारा कसने में ही अपनी भलाई समझी. लेकिन मीडिया भला कहां माननेवाली थी, सो उन्होंने दरोगा साहब से सवाल जवाब शुरू कर दिया और अचानक हुई सवालों की इस बौछार के बीच जब दरोगा साहब को कुछ नहीं सूझा, तो उन्होंने ये कह कर पीछा छुड़ाने की कोशिश की, कि वो तो बस गश्त पर पहुंचे थे.
अब बात घर की चारदिवारी से बाहर निकल चुकी थी सो, समाजवादी पार्टी के लोकल नेताजी ने भी अपने ही विधायक के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया. बहरहाल, पतिदेव की छापेमारी का असर दोनों के रिश्तों पर क्या होगा, ये तो अभी नहीं पता, लेकिन अभी इतना जरूर कह सकते हैं कि जब पति-पत्नी के रिश्तों में ऐसी पेंच फंसती है, तो जगहंसाई जरूर होती है.