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छोटा शकील ने ही कराया था अबू सलेम पर हमला

मुंबई के तालोजा जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर गोली चली तो जेल के अंदर, लेकिन ट्रिगर दबाने का इशारा हुआ सरहद पार से.

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अबू सलेम
अबू सलेम

मुंबई के तालोजा जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर गोली चली तो जेल के अंदर, लेकिन ट्रिगर दबाने का इशारा हुआ सरहद पार से. सलेम पर हुए जानलेवा हमले की तफ्तीश के बाद ये साफ रहो गया है कि अबू सलेम के नाम की सुपारी देनेवाला कोई और नहीं, बल्कि डी-कंपनी का सिपहसालार छोटा शकील था. ये खुलासा किसी और ने नही बल्कि खुद उस शूटर ने किया है जिसने सलेम पर गोली चलाई थी.

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27 जून की रात सवा 8 बजे मुंबई की तालोजा जेल की बैरक नंबर 4 में अबू सलेम पर देवेंद्र जगताप ने जानलेवा हमला किया था. पुलिस सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र जगताप उर्फ जेडी ने अपना गुनाह कबूल लिया है कि उसने डी कंपनी के सबसे बड़े सिपहसालार छोटा शकील के ही इशारे पर अबू सलेम पर जानलेवा हमला किया था.

मुंबई पुलिस को दिए अपने बयान में जेडी ने माना कि भरत नेपाली के कत्ल के बाद उसे पैसे की कमी खलने लगी और तब उसने अपने दोस्त मनोज की मार्फत मुंबई में छोटा शकील के गुर्गे राजू से बात की. राजू ने मनोज के जरिए जेडी को अप्रैल 2013 में एक मोबाइल और एक सिमकार्ड मुहैया कराया. और साथ ही ये ताकीद भी दी के उसे एक तय वक्त पर छोटा शकील का फोन आएगा. देवेंद्र ने ये मोबाइल और सिमकार्ड यार्ड के अंदर मौजूद स्पीकर में छिपा कर रख दिया और अप्रैल के तीसरे हफ्ते में उस तय वक्त पर जब जेडी के मोबाइल के फोन पर घंटी बजी तो दूसरी तरफ छोटा शकील मौजूद था. उस रोज जेडी ने पहली बार छोटा शकील से बात की थी. बकौल जेडी पहली बार छोटा शकील ने जेडी का हालचाल पूछा था और जेडी ने उसे अपनी दिक्कतों के बारे में बताया. इस पर छोटा शकील ने उससे कहा कि वो फिक्र ना करे वो सब संभाल लेगा. इसके बाद दोनों ने बात करने के लिए एक दिन और वक्त तय कर लिया और उसके बाद दोनों में कुल 7 या 8 बार बातचीत हुई.

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इतना ही नहीं जेडी जब भी पेशी पर जाता तो छोटा शकील के इशारे पर उसे हर बार 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक दे दिए जाते. फिर एक रोज छोटा शकील ने बातचील के दौरान देवेंद्र जगताप को कहा कि सलेम ने डी कंपनी से गद्दारी की है और वो उसे मारवाना चाहता है. इसके बाद उसने सलेम को मारने की सुपारी जेडी को दी. शकील ने देवेंद्र से वायदा किया था कि वो उसे इस काम को अंजाम देने के लिए हथियार भी मुहैया करवाएगा. इसके कुछ दिन बाद 2 मई को फिर जेल में जेडी के मोबाइल की घंटी बजती है लेकिन इस बार फोन छोटा शकील का नहीं बल्कि जेडी के दोस्त मनोज का आया था. मनोज ने फोन पर जेडी को बताया कि अबू सलेम को जान से मारने के लिए एक पिस्तौल और 4 राउंड का बंदोबस्त हो चुका है.

पिस्तौल और गोलियों का इंतजाम हो चुका था. अब बस उसे किसी तरह जेल तक पहुंचाना था. पर ये काम इतना आसान नहीं था. लेकिन छोटा शकील के गुर्गों ने इसकी भी प्लानिंग कर रखी थी. और आखिरकार प्लानिंग के तहत जेल के अंदर बंदूक और गोलियां पहुंच ही गईं.

इसके बाद 3 मई को मनोज वकील के साथ जेडी से मिलने के लिए जेल आया और तब उसने मीटिंग रूम के बगवाली दीवार के ऊपर से एक बॉक्स अंदर फेंका. इस बॉक्स के अंदर पिस्तौल और गोलियों को रखा गया था. ये बॉक्स दो दिन तक जेडी ने अपने बैरक में छिपा कर रखे थे. दो दिन के बाद जेडी ने पिस्तौल और गोलियां जेल के मेनगेट के बगलवाले स्पीकर मे छुपाकर रख दिए. इसके बाद शकील जब भी जेडी से बात करता तो वो उसे अबू सलेम को मारने के लिए दबाव डालता. तंग आकर जेडी ने मई के आखिरी हफ्ते में छोटा शकील के दिए मोबाइल को तोड़ दिया.

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फिर जेडी ने 27 जून को तय किया कि वो उस रोज अबू सलेम का काम-तमाम कर देगा. उस दिन जेडी की पेशी भी थी. प्लान के मुताबिक जेडी ने कोर्ट जाने से पहले ही पिस्तौल निकाल कर अपनी बैरक में रख दी. शाम 7.45 बजे जेडी को वापस जेल लाया गया. उसके बाद वो पिस्तौल कमर में छिपा कर यार्ड नंबर 4 में गया. सालेम उसके रुम में दरवाजे के पास बैठा था और फिर 5 से 10 मिनट के बाद मौका मिलते ही जेडी ने सलेम पर दो गोलियां चला दीं. इसमें से एक गोली सलेम के हाथ पर लगी लेकिन दो गोलियां चलने के बाद पिस्तौल लॉक हो गई और तब तक पुलिस ने जेडी को पकड़ लिया था.

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