कांग्रेसी नेता और कारोबारी धीरज साहू के घर मिली अकूत संपत्ति इनदिनों सुर्खियों में हैं. आयकर विभाग ने उनके कई ठिकानों पर छापेमारी करके अरबों की नकदी बरामद की है. बताया जा रहा है कि पांच दिन तक चली छापेमारी के दौरान कुल 351 करोड़ रुपए जब्त किए गए है. छापेमारी की कार्रवाई ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में स्थित साहू ग्रुप की कंपनियों में हुई है. इस दौरान ओडिशा स्थित बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रुपए मिले थे. इन पैसों को 176 बैग में भरकर रखा गया था. यहां से बरामद किए गए पैसों की गिनती के लिए 80 अफसरों की 9 टीमें लगाई गई थीं, जिन्होंने 24 घंटे की शिफ्ट में काम किया है.
जानकारी के मुताबिक, उड़ीसा के बलांगीर के सुदापाड़ा में शराब कंपनी के कार्यालय में एक लोहे के लॉकर को काटकर भारी नकदी बरामद की गई. इसमें एक पैकेट में अलग से पांच लाख रुपए रखे मिले. इस पैकेट के ऊपर 'इंस्पेक्टर तिवारी' लिखा हुआ था. इसको देखकर आयकर अधिकारी भी हैरान रह गए. सबके जेहन में एक ही सवाल कौंध रहा था कि आखिर ये 'इंस्पेक्टर तिवारी' कौन है, जिसके लिए अलग से पैसे रखे हैं. फिलहाल आयकर अधिकारी 'इंस्पेक्टर तिवारी' की सच्चाई पता करने की कोशिश में हैं. आशंका जताई जा रही है कि यह शख्स पुलिस, उत्पाद शुल्क या आबकारी विभाग से जुड़ा कोई इंस्पेक्टर हो सकता है. हो सकता है कि काली कमाई को छिपाने के लिए उसे हर महीने पांच लाख रुपए दिए जाते हों. 'इंस्पेक्टर तिवारी' के रहस्य ने इस छापेमारी में नया ट्विस्ट ला दिया है.
आयकर छापेमारी में बरामद अबतक की सबसे बड़ी रकम
ओडिशा से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य संबलपुर के बड़ा बाजार स्थित मेसर्स बलदेव साहू एंड संस की शराब भट्ठी के दफ्तर से भी नोटों से भरे कई बैग जब्त किए गए. माना जा रहा है कि किसी भी एक मामले में आयकर विभाग की छापेमारी में बरामद यह सबसे बड़ी रकम है. बरामद नकदी में ज्यादातर 500 रुपए के हैं. 100 और 200 रुपए मूल्य के नोटों की भी काफी संख्या है. सूत्रों के दावे पर यकीन करें तो यह बरामदगी 500 करोड़ रुपए तक की हो सकती है. इससे पहले आयकर विभाग ने बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड और बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तरों से 10 से ज्यादा अलमारियों में रखे गए नोटों के बंडल बरामद किए.
कौन हैं धीरज साहू, जिनके लॉकर से मिले अरबों रुपए
धीरज प्रसाद साहू का जन्म 23 नवंबर 1955 को रांची में हुआ था. इनका परिवार शुरू से ही कांग्रेस से जुड़ा रहा है. इनके पिता का नाम राय साहब बलदेव साहू है और मां का नाम सुशीला देवी है. किसी जमाने में चुनाव प्रचार के दौरान देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इनके यहां रुकती थीं. देश के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी धीरज साहू के घर आ चुके हैं. शिव प्रसाद साहू (धीरज साहू के भाई) के जमाने में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के टिकट से लेकर मंत्री पद तक के लिए इस परिवार से सिफारिश कराई जाती थी. लोहरदगा और आसपास के जिलों में कांग्रेस की चुनावी राजनीति और वित्तीय पोषण में साहू परिवार की अहम भूमिका हमेशा से रही है.
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इंदिरा गांधी के करीबी पिता, देश को दान किया सोना
कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र होने की वजह से उनके पुश्तैनी मकान को लोहरदगा का 'व्हाइट हाउस' भी कहा जाता है. इनके यहां फिल्म स्टार और क्रिकेटर भी आते रहते हैं. रांची से सांसद रहे शिव प्रसाद साहू को इंदिरा गांधी का काफी करीबी माना जाता था. देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी लोहरदगा मे इनके घर आ चुके हैं. राजेंद्र बाबू आजादी के पहले और आजादी के बाद उनके घर आए थे. ऐसा कहा जाता है कि साल 1947 में देश की आजादी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इनके पिता ने 47 लाख रुपए और 47 किलो सोना दान में दिया था. इनका परिवार मुख्य रुप से शराब के कारोबार से जुड़ा हुआ है.
राजनीति और व्यापार, दोनों में सक्रिय साहू परिवार
कारोबारी धीरज साहू तीसरी बार राज्यसभा सांसद बने हैं. उन्होंने चतरा सीट से दो बार किस्मत आजमाई लेकिन सफल नहीं रहे. उनके एक भाई गोपाल साहू ने साल 2019 में हजारीबाग से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वो भी हार गए थे. उनके एक भाई का नाम उदय साहू है. वो भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. धीरज साहू का एक बेटा हर्षित साहू है. भतीजा संजय साहू शिव प्रसाद साहू के बेटे हैं. इनकी भी पारिवारिक कारोबार मे बड़ी भूमिका है. रांची का सफायर इंटरनेशनल स्कूल और हास्पिटल इनके भतीजे ही चलाते हैं. इस तरह साहू परिवार राजनीति और व्यापार दोनों में ही सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इस मामले में उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.