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Crime Katha: शादीशुदा माशूका, दीवाना आशिक और 10 साल की मर्डर मिस्ट्री... एक फर्जीवाड़े ने यूं खोला था कातिल का राज़

जुर्म की तारीख में कई ऐसे मामले दर्ज हैं, जिनमें मुल्जिम बेहद शातिर थे. वो वारदात को अंजाम देने के बाद लंबे समय तक कानून और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते रहे. वो समझते थे कि अब कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. मगर कई साल बीत जाने के बाद भी वो कानून से बच नहीं सके.

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अर्चना सांगले का कातिल दस साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा था
अर्चना सांगले का कातिल दस साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा था

कहते हैं मुजरिम चाहें कितना भी शातिर हो, एक ना एक दिन वो कानून के शिकंजे में आ ही जाता है. इस तरह के कई मामले जुर्म की तारीख में दर्ज हैं, जिनमें मुजरिम बेहद शातिर थे, वो वारदात को अंजाम देने के बाद लंबे समय तक कानून और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते रहे. वो समझते थे कि अब कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. मगर कई साल बीत जाने के बाद भी ऐसे शातिर अपराधी कानून से बच नहीं सके और उन्हें अपनी गुनाह की सजा मिली. क्राइम कथा में इस कहानी एक ऐसे ही शातिर अपराधी और मर्डर मिस्ट्री की. जिसने कई साल तक पुलिस को धोखा दिया था.

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पुणे में रहती थी अर्चना सांगले

इस कहानी का आगाज़ होता है महाराष्ट्र के पुणे शहर से. जहां रहने वाली अर्चना सांगले नाम की लड़की बेहद मिलनसार और खूबसूरत थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद उसने भी बड़े-बड़े सपने देखे थे. वो एक आलीशान जिंदगी जीना चाहती थी. उसके सपनों में भी एक राजकुमार को पाने की चाहत थी. पढ़ाई लिखाई पूरी हो जाने के बाद घरवाले उसके लिए लड़का तलाशने लगे और जल्द ही घरवालों की तलाश पूरी हो गई. एक नौकरीपेशा नौजवान से अर्चना की शादी कर दी गई. इस रिश्ते में बंधने के बाद अर्चना और उसका पति दोनों खुश थे. मगर ये खुशी ज्यादा दिनों तक बरकरार नहीं रही.

पति से बिगड़ने लगा था रिश्ता

वक्त बीतने लगा और इसी दौरान अर्चना का पति उसे तंग करने लगा. शादी के कुछ दिनों बाद ही दोनों के बीच अनबन होने लगी. दिन ब दिन उन दोनों के रिश्ते खराब होते जा रहे थे. सुबह शाम बस छोटी छोटी बातों पर दोनों का झगड़ा होने लगा था. अर्चना ने कई बार अपने परिजनों को इस बारे में शिकायत की थी. हर बार घरवाले उसे समझा बुझा देते थे. अर्चना शांत हो जाती थी. मगर उसका दिल अपने पति से भर चुका था. वो दोनों एक ही छत के नीचे तो रहते थे लेकिन मन ही मन अर्चना उससे नफरत करने लगी थी.

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पति से अलग रहने लगी थी अर्चना

पहले तो बिगड़े रिश्ते के बावजूद अर्चना सांगले पति के नाम का मंगलसूत्र पहनकर लोगों को यही दिखाने की कोशिश करती थी कि उसकी जिंदगी में सबकुछ ठीक चल रहा है. लेकिन एक दिन जब पानी सिर से ऊपर चला गया तो उसने अपने पति से अलग होने का फैसला कर लिया. अब वो पति से अलग रहने लगी थी. साथ ही काम की तलाश कर रही थी. 

ऐसे अर्चना की जिंदगी में आया था संतोष

यही वो दौर था जब अर्चना की मुलाकात एक एनजीओ चलाने वाले शख्स से हुई. जिसका नाम था संतोष कातोरे. संतोष सूर्यप्रकाश फाउंडेशन नाम की एक संस्था चलाता था, जो सामाजिक कार्य करती थी. पति से परेशान हो चुकी अर्चना बहुत जल्द ही संतोष के करीब आ चुकी थी. संतोष भी उसे पसंद करता था. नतीजा ये हुआ कि दोनों की दोस्ती बहुत जल्द प्यार में बदल गई. दोनों साथ में काम भी कर रहे थे. लिहाजा दोनों का वक्त साथ ही बीतता था.

15 दिसंबर 2005 - साथ रहने लगे थे अर्चना और संतोष

अर्चना और संतोष की मोहब्बत परवान चढ़ चुकी थी. दोनों ने साथ जीने मरने की कसमें भी खा ली थी. इसी दौरान अर्चना और संतोष ने अपने नाम पर पुणे के पॉश और महंगे इलाकों में से एक बानेर में एक फ्लैट खरीद लिया था और दोनों साथ रहने लगे. दोनों बहुत खुश थे. यही लगता था कि संतोष उसे बेहद प्यार करता था. उसकी मोहब्बत पाकर अर्चना भी अपने पुराने दुखों को भुला चुकी थी. उसकी जिंदगी पटरी पर आ चुकी थी. मगर उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा होने वाला था, जो उन्होंने सोचा भी नहीं था.

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4 नवंबर 2006 - लापता हो गई थी अर्चना

दोनों को बानेर इलाके में रहते हुए करीब एक साल हो चुका था. मगर 4 नवंबर 2006 को अचानक अर्चना कहीं लापता हो गई. संतोष कातोरे और अर्चना का परिवार उसे तलाश कर रहा था. मगर उसका कुछ पता नहीं चला. अर्चना के घरवालों को किसी अनहोनी की आशंका सता रही थी. उन्हें शक था कि कहीं उसके पति ने तो उसके साथ कुछ नहीं कर दिया. अब मामला पुलिस तक जा पहुंचा था.

मछिंद्रगढ़ किले में मिली थी लाश

इसी दौरान पुलिस को खबर मिली कि मछिंद्रगढ़ किले में एक महिला की लाश पड़ी है. सूचना मिलने के बाद पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और महिला की लाश को कब्जे में ले लिया. पुलिस को सबसे पहले उस लास की शिनाख्त करनी थी. लिहाजा पुलिस ने मछिंद्रगढ़ किले के आस-पास के इलाकों में और नजदीकी थानों में पता किया कि वहां कोई ऐसी महिला लापता या गुमशुदा तो नहीं.

लाश की शिनाख्त

इधर, अर्चना के पिता की तहरीर पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी थी. उसके पति को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई. लेकिन पुलिस ने पाया कि अर्चना के लापता हो जाने में उसका कोई हाथ नहीं था. इस दौरान मामले की जांच में जुटी पुलिस को किले में महिला की लाश मिलने का पता चला. पुलिस ने बिना देर किए अर्चना के घरवालों को वहां ले जाकर लाश की शिनाख्त कराई. घरवालों ने फौरन अपनी बेटी को पहचान लिया था. 

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गला घोंटकर किया गया था मर्डर

अब साफ हो चुका था कि वो लाश अर्चना सांगले की है. पुलिस ने शिनाख्त हो जाने के बाद लाश का पंचनामा किया और उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. अब पुलिस यह जानना चाहती थी कि अर्चना की मौत की वजह क्या है? पोस्टमार्टम के अगले दिन जब रिपोर्ट पुलिस को मिली तो पता चला कि अर्चना सांगले का कत्ल गला घोंट कर किया गया था. 

26 मई 2007 - संतोष की गिरफ्तारी और रिहाई

अर्चना की मौत से घरवाले टूट चुके थे. इसके बाद अर्चना के पिता ने संतोष कातोरे पर शक जताया और पुलिस से शिकायत भी की. जिसके बाद पुलिस 26 मई 2007 को संतोष को हिरासत में ले लिया. उससे लंबी पूछताछ की. वो खुद को बेकुसूर बताता रहा. पुलिस भी उसके खिलाफ कोई ऐसा सबूत या सुराग हासिल नहीं कर सकी, जिससे उसे आरोपी ठहराया जाए. लिहाजा पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे रिहा कर दिया था.

किसने किया था अर्चना का कत्ल?

अब पुणे पुलिस के सामने सवाल था कि आखिर अर्चना का कातिल कौन है? और उसने अर्चना का कत्ल क्यों किया? कत्ल का मकसद क्या था? क्या अर्चना की किसी दुश्मनी थी? इन जैसे तमाम सवालों का जवाब तलाश करने के लिए पुलिस लगातार कातिल की तलाश करती रही. मगर पुलिस के हाथ खाली ही रहे. अर्चना के घरवाले भी उम्मीद खोते जा रहे थे. वो भी पुलिस के चक्कर काट-काटकर थक चुके थे. वक्त बीतता जा रहा था. साल बीत रहे थे. 

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6 फरवरी 2012

यही वो दिन जब इस केस में पुलिस के लिए एक बड़ा सुराग तैयार हो रहा था. दरअसल, पुणे के पॉश इलाके में जो फ्लैट अर्चना ने संतोष के साथ मिलकर खरीदा था. उसकी रजिस्ट्री भी दोनों के नाम थी. इस वजह से संतोष अकेले इस फ्लैट को बेच नहीं सकता था. लिहाजा, उसने 6 फरवरी 2012 को अर्चना के नाम पर दूसरी महिला के फर्जी कागजात बनवाए और वो फ्लैट अपने नाम करवा लिया था. 

फर्जी दस्तावेजों से फ्लैट कराया था नाम

अर्चना की मौत के करीब 6 साल बाद संतोष कातोरे ने फर्जीवाड़ा करके फ्लैट अपने नाम करा लिया था. अब वो खुद ही उस फ्लैट को बेच सकता था. इसके लिए उसे किसी और की ज़रूरत नहीं थी. 6 सालों में फ्लैट की कीमत भी खासी बढ़ चुकी थी. लेकिन इस मामले में फर्जीवाड़े शिकायत पुलिस तक जा पहुंची. पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद फर्जी दस्तावेजों के मामले की छानबीन शुरु कर दी. 

फर्जीवाड़े की जांच में पुलिस को मिला था सुराग

अब पुलिस इस बात की जांच पड़ताल कर रही थी कि संतोष ने कैसे फर्जी कागज़ों पर वो फ्लैट अपने नाम करवाया था. पुलिस ने इस मामले में पूछताछ के लिए संतोष कातोरे को तलब कर लिया. उससे पूछताछ की गई. जब पुलिस उससे सवाल जवाब कर रही थी. तभी संतोष कातोरे की कहानी से पुलिस को एक ऐसा सुराग मिला, जिससे उस पर शक हो गया.

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पुलिस की सख्ती के सामने टूटा संतोष 

अब पुलिस ने एक बार फिर अर्चना के मर्डर की फाइल खोल दी. संतोष कातोरे से अब फिर से पूछताछ की गई. पुलिस ने एक बार फिर अर्चना की मौत के बारे में उससे सवाल जवाब किए. जिन्हें सुनकर उसके पसीने छूटने लगे. पहले तो वो पुलिस को बरगलाने की कोशिश करता रहा. यहां वहां की कहानी सुनाता रहा. लेकिन पुलिस की सख्ती ने उसे तोड़कर रख दिया. अब वो सच उगलने लगा और पुलिस सुन रही थी.  

फ्लैट को लेकर होता था झगड़ा

वो 17 जनवरी 2017 का दिन था. जब संतोष कातोरे पुलिस के सामने अर्चना सांगले मर्डर केस का खुलासा कर रहा था. उसने पुलिस को बताया कि उन दोनों ने मिलकर साल 2005 में वो फ्लैट खरीदा था. जिसमें एक बड़ी रकम अर्चना ने दी थी. मगर बाद में संतोष मुनाफे की खातिर उस फ्लैट को बेचना चाहता था. लेकिन अर्चना उसे ऐसा नहीं करने देती थी. इसी बात को लेकर उन दोनों के बीच झगड़ा होने लगा था. बात हद से ज्यादा गुजर गई थी. 

गला दबाकर किया था अर्चना का कत्ल

लिहाजा, परेशान होकर संतोष ने अर्चना को ही रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली. उसने एक प्लान बनाया और उसी के मुताबिक संतोष 4 नवंबर 2006 को अर्चना के साथ कोल्हापुर के एक मंदिर में दर्शन करने गया था. वहां से लौटते वक्त उसने एक सुनसान जगह पर अर्चना का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और फिर उसकी लाश को वहीं पास में मछिंद्रगढ़ किले में फेंक दिया था. वो वारदात को अंजाम देकर वापस घर लौट आया था. ताकि किसी को शक ना हो. 

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10 साल बाद कातिल की गिरफ्तारी

मगर फ्लैट को नाम करवाने के चक्कर में उसने जो फर्जीवाड़ा किया वहीं उसके लिए परेशानी का सबब बन गया. और इस मामले की पूछताछ के बाद वो फंसता चला गया. नतीजा ये हुआ कि पुलिस ने 17 जनवरी 2017 को संतोष को गिरफ्तार कर लिया. इस तरह से कत्ल करने के पूरे दस साल बाद वो कानून के शिकंजे में आया.  

सेक्स रैकेट भी चलाता था संतोष कातोरे

पुलिस ने जब संतोष कातोरे की छानबीन की तो एक और चौंकाने वाले खुलासा हुआ. पुलिस को पता चला कि समाजसेवा के नाम पर संस्था चलाने वाला संतोष कातोरे केवल अर्चना की हत्या का मुल्जिम ही नहीं था, बल्कि वो देह व्यापार और सेक्स रैकेट भी चलाता था. उसके खिलाफ पहले भी इस संबंध में पुलिस के पास मामले दर्ज थे. तभी से संतोष कातोरे जेल में बंद है.

 

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