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फिर दहशत के साये में है इराक

इराक फिर दहशत के साये में है में है.इराक एक बार फिर खतरे में है. क्योंकि दुनिया की सबसे खूंख़ार आतंकवादी संगठन ने क़त्लोगारत से एक ऐसी इबारत लिखनी शुरू कर दी है कि अगर वो अपने मंसूबे में कामयाब हो गए तो समझ लीजिए कि दुनिया का नक्शा ही बदल जाएगा.

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इराक फिर दहशत के साये में है में है. इराक एक बार फिर खतरे में है. क्योंकि दुनिया की सबसे खूंख़ार आतंकवादी संगठन ने क़त्लोगारत से एक ऐसी इबारत लिखनी शुरू कर दी है कि अगर वो अपने मंसूबे में कामयाब हो गए तो समझ लीजिए कि दुनिया का नक्शा ही बदल जाएगा.

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जेहादियों की टुकड़ी तेजी से आगे बढ़ती जा रही है.और आलम ये है कि कई शहरों पर अपने कब्जे में करने के बाद वो लोग अब राजधानी बगदाद से.. बस चंद किलोमीटर के फासले पर पहुंच गए हैं..आलम ये है कि इराक की इस खूंखार हलचल ने दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क को भी बेचैन कर दिया है.

खुद को इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक़ एंड द लूवेंट बुलाने वाले सुन्नी विद्रोहियों ने इराक में कयामत ढानी शुरू कर दी है. इराक के छह शहरों को कब्जे में करने के बाद सुन्नी विद्रोही अब इराक के सबसे पवित्र शहर समारा के सबसे नजदीक जा पहुंचे हैं. समारा से महज 55 किलोमीटर दूर सुन्नी विद्रोहियों ने रविवार की रात डेरा डाला है.और जैसे जैसे उनका काफिला आगे बढ़ रहा है.तबाही और मौत के मंजर पीछे छूटते जा रहे हैं.

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शियाओं और कुर्द लड़ाकों से मिलने वाली मदद ने इराकी फौजों को हौसला तो दिया है.लिहाजा इराकी फौजों ने सलाहद्दीन और दियाला के नजदीक जिहादी सेना को रोकने की कोशिश शुरू कर दी है.

इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ इशारा कर दिया है कि उनके पास इन लड़ाकों से निबटने का विकल्प पूरी तरह से खुला है और वो कभी भी हवाई सैन्य कार्रवाई करने के लिए अपनी सेना को निर्देश दे सकते हैं.

यहां तक कि अरब की खाड़ी में विमान वाहक जहाज़ यूएसएस एचडब्लू बुश तैनात भी कर दिया गया है. और इसके साथ दो और युद्धपोत तैनात किए गए हैं.

लेकिन अमेरिका ने ये भी साफ किया है कि अमेरिकी सेना को इराक़ की धरती पर नहीं उतारा जाएगा.

उधर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी का कहना है कि अगर अमेरिका इराक़ में कार्रवाई करता है तो वह भी मदद करने को आगे आ सकते हैं.

ये बात काबिले गौर है कि तल अफर में खासतौर पर तौर पर सुन्नी और शिया आबादी है. साथ ही उसमें कुछ तुर्क भी हैं.

आलम ये है कि इराक के सैकड़ों मील दूर भारत में परेशानी महसूस की जा रही है. भारत सरकार ने इराक में मौजूद भारतियों को वहां से तुरंत निकलने की हिदायतें दी हैं और वहां के दूतावास को इसके लिए खासतौर पर इंतजाम करने को कहा है.दो रोज पहले आलम ये था कि विद्रोहियों की सेना एक शहर के बाहर सेना से मुकाबला कर रही थी.लेकिन देखते ही देखते दो दिनों के भीतर सुन्नी विद्रोहियों ने वहां के कई शहरों को अपने कब्जे में कर लिया है.

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इराक ज़ुल्म और जंग की वजह से दुनिया के सबसे चर्चित मुल्कों में शुमार हो चुका है. वह इराक की, जिसके स्वयंभू राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने अपने जीते-जी कभी अपनी निगाहें नीची नहीं की. और तो और उसने दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क यानी अमेरिका से लोहा लेकर तबाह हो जाने से भी गुरेज नहीं किया. लेकिन अब इसी सद्दाम हुसैन के इराक की जो नई तस्वीर दुनिया के सामने है, उसने अच्छे-अच्छों को चौंका दिया है. दुनिया के कई मुल्कों को अब इराक की हालत पर तरस आने लगा है.

कौन है वो बला? जिसकी वजह से इराकियों की रूह फना हो रही है?
आख़िर क्या है वो शय? कौन है वो बला? जिसने एक मुल्क के तौर पर इराक के वजूद पर ही खतरा पैदा कर दिया है? जिसके ख़ौफ़ से इराकी फौज घुटने टेकने पर मजबूर हो गई है? जिसके बूटों की आवाज़ से जिदार इराकियों की रूह फना हो रही है? और जिसके आने की आहट से फौजी अपने सीने से वर्दी उतार कर भागने लगे हैं? तो जनाब, आइए इस शख्स से भी आपका तार्रुफ़ कराए देते हैं. ये शख्स कोई और नहीं, बल्कि ये है दुनिया के सबसे अमीर आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ दि इराक एंड द लेवेंट यानी आईएसआईएस का सिरमौर अबू बकर अल बगदादी. दूसरे लफ्ज़ों में कहें तो वो शख्स है, जो अब इराक के साथ-साथ तमाम नॉर्थ अफ्रीकी देशों के लिए ख़ौफ़ का वहशत का सबसे बड़ा नाम बन चुका है.

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आईएसआईएस के आतंकवादियों ने इराक को क्यों घेरा?
लेकिन अब सवाल ये उठता है कि आख़िर आईएसआईएस के आतंकवादियों ने इराक को इस तरह क्यों घेरा है? आख़िर क्यों आईएसआईएस के खाड़कू इराकी फौज को गाजर-मूली की तरह काटते हुए आगे बढ़ रहे हैं? और पिछले चंद दिनों में कैसे इस संगठन के आतंकवादियों ने तीन इराकी शहर फलूजा, तिरकित और मोसुल को कब्जे में कब्जे में ले लिया है? तो इन सवालों के जवाब भी कम चौंकानेवाले नहीं हैं. दरअसल, आईएसआईएस वो आतंकवादी संगठन है, जो इराक समेत कई मुल्कों में इस्लाम के नाम पर अपना राज कायम करना चाहता है और कोशिश में उसने अब इराक के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. हालत ये है कि इस देश में मचे इस घमासान की बदौलत जहां 5 लाख लोग अपने ही मुल्क में बेघर होकर शरणार्थी की ज़िंदगी जी रहे हैं, वहीं सैकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं.

काले कपड़ों में लिपटे ये आतंकवादी जहां भी जाते हैं, काले झंडे लगा देते हैं. और इसके बाद इराक के शहरियों के सामने दो ही रास्ते बचते हैं. या तो इन काले झंडों की गुलामी कुबूल कर लेना या फिर आतंकवादियों की मुखालिफत कर जान से हाथ धो बैठना. हालात ये है कि आतंकवादियों की गोलियों का निशाना बन कर इराक में जहां अनगिनत बेगुनाह अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं, वहीं सरकार त्राहिमाम कर रही है.

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मौजूदा रिपोर्टों के मुताबिक तमाम अत्याधुनिक हथियारों से लैस आईएसआईएस के आतंकवादियों ने सबसे पहले इराकी शहर फलूजा पर कब्जा किया और तब तिरकित पर. यहां तक तो फिर भी गनीमत थी. लेकिन अब हद ये है कि आतंकवादियों ने बगदाद के बाद इराक के सबसे बड़े शहर और बगदाद से फ़क़त 400 किलोमीटर दूर मोसुल को भी अपने कब्जे में कर लिया है. रॉकेट लांचरों से हमला करते, टैंकों से रौंदते और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते इस संगठन के आतंकवादी अब अब इराक में फैलने लगे हैं. इससे इराक की सड़कों पर मचे मौत के तांडव के बीच लाशें तो बिछ ही रही हैं, एक मुल्क के तौर पर इराक लगातार कमज़ोर पड़ने लगा है.

आख़िर कौन है ये अबू बकर
दुनिया के सबसे अमीर आतंकवादी संगठन का सरगना, दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादियों का आका और अलकायदा के चीफ़ अल जवाहरी के बाद दुनिया का ये मोस्ट वांटेड आतंकवादी अबू बकर अल बगदादी इराक में अपने ख़ौफ़ की सलतनत कायम करना चाहता है. तो आख़िर कौन है ये अबू बकर.. और क्या है उसकी शख्सियत?

इब्राहिम अव्वाद इब्राहिम अली बद्री.
उर्फ़ अबू बकर अल बगदादी.
उर्फ़ इनविजिबल शेख.
उर्फ़ डॉ इब्राहिम.

नाम एक, शख्स एक, पहचान भी एक. लेकिन तस्वीरें फक़त दो.
अलकायदा के चीफ़ अल जवाहरी के बाद दुनिया के इस मोस्ट वांटेड आतंकवादी की जो सबसे बड़ी पहचान है, वो यही कि उसे पोशीदा रहना ही पसंद है.

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लेकिन नकाब के पीछे रह कर भी इस शख्स ने अब तक जो क़त्ल-ओ-गारत मचाई है, उसके बारे में सुन कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं. जी हां, यही वो शख्स है, जिस पर इराक में बरपे मौजूदा कहर के मास्टरमाइंड होने का इल्ज़ाम है. दूसरे लफ्ज़ों में कहें तो ये अबू बकर अल बगदादी ही है, जिसकी रहनुमाई में आईएसआईएस के आतंकवादी इराक को नेस्तोनाबूद करने में जुटे हैं.

और यही वजह है कि यूएस स्टेट डिपार्टमैंट में इस शख्स का ज़िंदा या मुर्दा पता देनेवाले को कुल 10 मिलियन यूएस डॉलर के इनाम का ऐलान किया है. ये रकम अल जवाहरी के सिर पर रखी गए अमेरिकी इनाम यानी 25 मिलियन यूएस डॉलर के बाद दूसरी सबसे बड़ी रकम है. वैसे तो अबु बकर अल बगदादी के कोहराम के किस्से काफ़ी लंबे हैं, लेकिन इस बार उसने जिस तरह आधे इराक को बंधक बना लिया है, वो उसका अब तक का सबसे बड़ा दांव है.

सबसे बड़ी लूट
ये अबु बकर अल बगदादी ही है, जिसकी अगुवाई में आईएसआईएस के आतंकवादियों ने ना सिर्फ़ इराक के दूसरे बड़े शहर मोसुल को अपने कब्जे में कर लिया, बल्कि इसी सिलसिले में मोसुल के सेंट्रल बैंक को लूट कर इस दुनिया की सबड़े बड़ी बैंक लूट का इतिहास भी अपने नाम कर लिया. क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि इस लूट में बगदादी और उसके गुर्गों ने कितनी रकम बटोरी? तो सुनिए. ये रकम थी 500 बिलियन इराकी दीनार यानी तकरीबन 25 सौ करोड़ रुपए की.

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ओसमा बिन लादेन का मुरीद रहा है बगदादी
16 मई 2010 को आईएसआईएस के मुखिया के तौर पर दुनिया के इस सबसे अमीर आतंकवादी संगठन की कमान संभालनेवाला बगदादी पहले से अलकायदा के कमांडर ओसमा बिन लादेन का मुरीद रहा है. लोगों को याद है कि किस तरह लादेन की मौत के बाद उसने ना सिर्फ़ इसका बदला लेने की बात कही थी, बल्कि इराक समेत तमाम लेवेंट मुल्कों यानी साइप्रस, इजरायल, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, फिलिस्तीन और टर्की को मिलाकर एक इस्लामिक मुल्क बनाने का ऐलान किया था. लेकिन उसकी ये मंशा एक रोज़ इराक पर इस कदर कहर बन कर टूटेगी, ये खुद इराक को भी पता नहीं था. लेकिन इराक पर कब्जा करने के इरादे से कत्ले-आम मचा रहा बगदादी अपनी टारगेट में ना सिर्फ़ बहुत आगे निकल चुका है, बल्कि इराक के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए एक सरदर्द साबित होने लगा है.

इनविजिबल शेख पड़ चुका है नाम
इसे अमेरिका का ख़ौफ़ कहें या फिर लीक से हट कर रहने का तरीका, ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी के साथ सालों साल काम करने के बावजूद अल बगदादी ने अब तक अपना ना तो अपना कोई वीडियो जारी किया है और ना ही कभी खुल कर कैमरे के सामने ही आया है. यहां तक की खुद उसके संगठन के कई बड़े कमांडरों ने भी अपने इस आका को कभी आमने-सामने नहीं देखा है और तभी इसका नाम इनविजिबल शेख पड़ चुका है.

इराक एक बार फिर जंग के मुहाने पर खड़ा है. इस्लामी स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट के आतंकवादी ने.. इराकी सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है. ऐसे में.. आज इराक का सबसे बड़ा हिमायती अमेरिका ये साफ कर चुका है कि अगर ज़रुरत पड़ी.. तो वो जंग के मैदान में कूद सकता है.

तो क्या फिर से जंग के मुहाने पर है इराक?
तो क्या फिर से इराक में शुरू होगा फ़ौजी घमासान?
तो क्या फिर से अमेरिकी फ़ौज होगी इराक में दाखिल?
या फिर आईएसआईएस हो जायेगा अपने इरादे में कामयाब?

एक-एक कर तीन इराकी शहरों पर दुनिया के सबसे अमीर आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के कब्जे के साथ ही ये सवाल एक बार फिर से फ़िजा में तैरने लगे हैं. गरज ये कि एक तरफ़ जहां आईएसआईएस पूरे इराक पर अपनी पकड़ लगातार मज़बूत कर रहा है, वहीं अमेरिका समेत संयुक्त राष्ट्र संघ और कई मित्र देशों ने वहां के नए हालात पर अपने फिक्र का इज़हार किया है.

पूरी दुनिया के सामने अब दो ही रास्ते हैं
दरअसल, इस्लामी स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट नाम के इस आतंकवादी संगठन ने इराक समेत दूसरे कई देशों को मिलाकर जो नए इस्लामिक मुल्क का सपना बुना है, वो लाखों बेगुनाहों के ख़ून-खराबे से होकर गुज़रता है और अब इराक के तीन शहरों पर कब्जे के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में पूरी दुनिया के सामने अब दो ही रास्ते हैं. अव्वल तो चुपचाप आईएसआईएस को मनमानी करते हुए देखना या फिर दूसरा आईएसआईएस को रोकने के लिए इराक में ही उनकी घेरेबंदी करना. और अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जो संकेत दिए हैं, वो दूसरे विकल्प की तरफ़ ही इशारा करते हैं. दरअसल, ओबामा ने आईएसआईएस से भिड़ने के विकल्पों पर विचार करने की बात कही है. और उनकी इस टिप्पणी में इराक के आनेवाले दिनों की तकदीर छुपी है.

हालत ये है कि ओबामा के बयान के बाद व्हाईट हाउस के प्रवक्ता ने भी उनकी बातों को आगे बढ़ाया है. एक तरफ़ जहां व्हाईट हाउस ने कहा है कि अमेरिकी सरकार इराक में विद्रोहियों पर हवाई हमले कर सकती है, वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का कहना है कि यूएन आतंकवाद के खिलाफ़ इराक की लड़ाई में वहां की सरकार और जनता के साथ है. ऐसे में टकराव के हालात से इनकार नहीं किया जा सकता.

सबसे ज़्यादा नुकसान आम लोगों को
इराक में हालत लगातार बद से बदतर हो रहे हैं. फलूजा, तिकरित और मोसुल पर कब्जे के बाद अब आतंकवादियों ने इराक की राजधानी बगदाद की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है. और दुर्भाग्य से ये वो इलाके हैं, जहां रहनेवाली सबसे बड़ी आबादी से ये आतंकवादी नफ़रत करते हैं. ऊपर से इन आतंकवादियों के मुकाबले के लिए इराकी फौज ने खुद अपने ही मुल्क में हवाई हमले करने को मजबूर है. और इन सबमें सबसे ज़्यादा नुकसान आम लोगों का ही हो रहा है.

तेल के शहर किरकुक पर कब्जा
उधर, हालत ये है कि इराक़ के उत्तर में एक और धड़े यानी कुर्द फ़ौजों ने पहले ही तेल के शहर किरकुक पर कब्जा कर लिया है. उनका दावा है कि सरकारी फ़ौजें वहां से भाग गई हैं. जबकि आईएसआईएस का दायरा लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि अगर इस तरह तेल उत्पादन के ठिकानों पर विद्रोहियों का कब्जा बढ़ता रहा तो आनेवाने दिनों ने ना सिर्फ़ कच्चे तेल की क़ीमतों में आग लग जाएगी, बल्कि इसकी आंच इराक से दूर दुनिया के तमाम दूसरे देशों तक भी ज़रूर पहुंचेगी.

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