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चौथी बार मारा गया ISIS का सरगना बगदादी!

बीते दिनों आईएसआईएस सरगना अबु बकर अल बगदादी के हवाई हमले में मारे जाने की खबर आई. इस बार यह बात किसी देश के मीडिया ने नहीं, बल्कि इस आतंकी संगठन से जुड़ी न्यूज एजेंसी ने कही.

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9 जून को आई थी बगदादी की मौत की खबर
9 जून को आई थी बगदादी की मौत की खबर

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बीते दिनों आईएसआईएस सरगना अबु बकर अल बगदादी के हवाई हमले में मारे जाने की खबर आई. इस बार यह बात किसी देश के मीडिया ने नहीं, बल्कि इस आतंकी संगठन से जुड़ी न्यूज एजेंसी ने कही. ईरान और तुर्की का मीडिया भी ऐसा ही दावा कर रहा था. लेकिन, इराकी मीडिया का कहना है कि हमले में बगदादी घायल हुआ है ना कि मारा गया है. अब सवाल ये है कि दुनिया का सबसे खौफनाक आतंकवादी क्या सचमुच मारा गया है या फिर ये उसकी मौत का एक छलावा है?

9 जून को आई थी बगदादी की मौत की खबर
9 जून की शाम को अमेरिका की अगुआई वाली गठजोड़ सेना को खबर मिलती है कि आईएसआईएस का सरगना अबू बकर अल बगदादी कुछ दूसरे बड़े कमांडरों के साथ कारों के एक काफिले में छुप कर सीरिया से रक्का जा रहा है. रक्का में आईएस की एक अहम मीटिंग होने वाली थी. खबर मिलते ही गठजोड़ सेना फौरन अलर्ट हो जाती है. सैटेलाइट की मदद से रक्का की तस्वीरें हासिल की जाती हैं और फिर मुखबिर की खबर की तस्दीक होते ही ठीक उस जगह पर आसमान से बम गिराया जाता है, जहां से बगदादी की कारों का काफिला गुजरने की बात कही गई थी.

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इराक और सीरिया की सीमा के पास हुआ हमला
हमले के तीन दिन बाद अचानक खबर आती है कि 9 जून के हवाई हमले में आईएसआईएस का सबसे बड़ा सरगना यानी बगदादी मारा गया. ये खबर कहीं और से नहीं, बल्कि आईएसआईएस से ही जुड़ी न्यूज एजेंसी अल-अमाक के हवाले से आती है. एजेंसी ने दावा किया कि हवाई हमले के बाद रविवार को जख्मी बगदादी ने दम तोड़ दिया. हालांकि, इराकी समाचार चैनल अल सुमारिया टीवी ने इराक के निनवेह प्रांत के स्थानीय सूत्रों के हवाले से कहा है की बगदादी और उसके कुछ साथी गुरुवार को गठबंधन की बमबारी में घायल हो गए हैं, जिस जगह हमला हुआ वो इराक और सीरिया की सीमा के करीब और निनवेह से 65 किलोमीटर पश्चिम में है.

आईएसआईएस की न्यूज एजेंसी किया था बगदादी की मौत का दावा
इस्लामी हुकूमत कायम करने के नाम पर दुनिया भर में मौत और दहशत का तांडव मचाने वाले इस दौर के सबसे खौफनाक आतंकवादी और आईएसआईएस के चीफ अबु बकर अल बगदादी की दो साल में ये चौथी मौत है. अब सवाल ये है कि ऐसे में खुद आईएसआईएस की न्यूज एजेंसी अपने सरगना के मारे जाने का दावा क्यों कर रही है? जबकि इराक समेत खुद अमेरिकी की अगुआई वाली गठजोड़ सेना तक इस मुद्दे पर पूरी तरह खामोश है. यहां तक कि अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया भी बगदादी की मौत को लेकर चुप्पी साधे है.

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बगदादी की पहली मौत (6 सितंबर 2014)
यही वो तारीख थी जब बगदादी की पहली मौत हुई थी. ये वो वक्त था जब एक ब्रिटिश पत्रकार का गला काटने की तस्वीरें कैमरे पर रिकार्ड कर बगदादी ने पूरी दुनिया को दिखाया था. तब पहली बार आईएसआईएस का ज़ालिम चेहरा ज़माने ने देखा था. इसी के बाद एक हवाई हमले में बगदादी के पहले घायल होने और फिर मरे जाने की खबर आई, लेकिन इस खबर के सामने आने के करीब महीने भर बाद 13 नवंबर 2014 को बगदादी का ऑडियो सामने आ गया और उसने खुद की मौत को झुठला दिया.

बगदादी की दूसरी मौत (27 अप्रैल 2015)
पहली मौत के करीब छह महीने बाद बगदादी की दूसरी मौत की खबर सीरिया के गोलन हाइट्स इलाके से आई. इस बार भी बगदादी के पहले गठजोड़ सेना के हवाई हमले में घायल होने की खबर आई. फिर रेडियो ईरान ने दावा किया कि घायल होने के करीब महीने भर बाद 27 अप्रैल को सीरिया के गोलन हाइट्स इलाके में एक इजरायली अस्पताल में बगदादी की मौत हो गई. रेडियो ईरान के अलावा दो इराकी न्यूज़ एजेंसियों अलग़ाद प्रेस औऱ अल-युम अल-तामेन का भी यही दावा था, लेकिन करीब तीन महीने बाद जुलाई 2015 में बगदादी के ज़िंदा होने का सबूत फिर से सामने आ गया.

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बगदादी की तीसरी मौत (12 अक्टूबर 2015)
खबर आई कि अमेरिका की अगुवाई में आईएसआईएस के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली सेना के हवाई हमले में बगदादी बुरी तरह जख्मी हो गया. दावा किया गया कि हमले के वक्त बगदादी अपने कुछ साथियों के साथ इराक और सीरिया बॉर्डर के नजदीक एक गुमनाम ठिकाने पर जा रहा था. पहली बार ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने इस खबर की तस्दीक की थी. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आईएसआईएस के एक काफिले पर हुए इस हवाई हमले में बगदादी जहां जख्मी हुआ था, वहीं उसके तीन साथी मारे गए थे, लेकिन महीने भर के अंदर बगदादी की इस तीसरी मौत की खबर भी झूठी निकली.

कौन है बगदादी
बगदादी आतंकी संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) का चीफ है. वो अबु मुसाब अल-जरकावी की मौत के बाद संगठन का चीफ बना. 29 जून, 2014 को बगदादी ने इराक और सीरिया के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर इस्लामिक स्टेट का एलान करते हुए खुद को मुसलमानों का खलीफा बताया था. इसकी पहचान संगठन में बैटल फील्ड कमांडर और टेक्नीशियन के रूप में है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि युवा आतंकी बगदादी से खासे प्रभावित हैं. कहा जाता है कि बगदादी इस्लामिक स्टडीज में पीएचडी है. वह चार साल इराक के बुक्का में यूएस प्रिजन कैम्प में भी रह चुका है.

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