scorecardresearch
 

सख्त कानून, कड़ी सजा और फिर भी 'छपाक'... कम क्यों नहीं हो रहे एसिड अटैक के मामले?

पहले एसिड अटैक को लेकर अलग से कोई कानून नहीं था. यानी ऐसे हमलों पर आईपीसी की धारा 326 के तहत गंभीर रूप से जख्मी करने का केस ही दर्ज होता था. लेकिन बाद में कानून में 326 ए और बी की धाराएं जोड़ी गईं. जिसके तहत तेजाबी हमला करने के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया और गुनहगार को कम से कम दस साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा देना तय किया गया.

Advertisement
X
सख्त कानून के बावजूद एसिड अटैक की वारदातें सामने आती रहती हैं
सख्त कानून के बावजूद एसिड अटैक की वारदातें सामने आती रहती हैं

किसी का कत्ल हो जाए तो वो सिर्फ एक बार मरता है. मगर किसी की आबरू लूट ली जाए या फिर तेजाब फेंककर किसी का चेहरा बिगाड़ दिया जाए तो ऐसा इंसान हर रोज मरता है. पूरी जिंदगी मरता रहता है. दिल्ली में 17 साल की एक नाबालिग लड़की के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जब वह अपनी छोटी बहन के साथ स्कूल जा रही थी. बाइकसवार दो लड़कों ने सरेआम सड़क पर उस लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया और फिर उस लड़की की जिंदगी ही बदल गई. 

Advertisement

14 दिसंबर 2022, मोहन गार्डन इलाका, दिल्ली
दिल्ली की वारदात का जो सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, उसमें रौंगटे खड़े करनेवाली तस्वीरें कैद हैं. वो तस्वीरें हैं दिल्ली के मोहन गार्डन इलाके की. बुधवार की सुबह के साढ़े सात बजे थे. पास ही रहनेवाली दो बहनें रोज की तरह स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी. लेकिन अभी दोनों ने चंद कदमों का फासला ही तय किया था कि बाइक पर आए दो नकाबपोश लड़कों ने दोनों बहनों में से एक 17 साल लड़की के चेहरे पर अचानक एसिड अटैक कर दिया. 

एसिड अटैक से झुलसा लड़की का चेहरा
जी हां, एसिड अटैक. एसिड यानी तेजाब के छींटे पड़ते ही लड़की का चेहरा बुरी तरह से झुलसने लगा. वो मदद के लिए चीखने-चिल्लाने लगी. लेकिन इससे पहले कि लोग उसकी मदद के लिए मौके पर पहुंचते, वो बुरी तरह जख्मी हो चुकी थी और हमला करने वाले दोनों नकाबपोश शैतान मौके से फरार हो चुके थे. राजधानी की ये हालत तब है, जब दिल्ली के बारे में ये कहा जाता है कि यहां की पुलिस 365 दिन और चौबीसों घंटे हाई अलर्ट पर रहती है. 

Advertisement

कानून को मुंह चिढ़ाती वारदात
सुप्रीम कोर्ट ने खुलेआम तेजाब की बिक्री पर रोक लगा रखी है. 18 साल से कम उम्र के किसी भी शख्स को यानी नाबालिगों को तेजाब की बिक्री की सख्त मनाही है. और तो और तेजाब बेचते वक्त दुकानदार के लिए हर खरीदार का नाम, पता और पहचान पत्र हासिल करना जरूरी है. ऊपर से एसिड अटैक के बढ़ते मामलों और इसके अंजाम को देखते हुए ऐसा करनेवाले गुनहगारों को कम से कम 10 साल से लेकर ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास यानी ताउम्र कैद की सजा दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन फिर भी ऐसी वारदात मानों तमाम नियम कानूनों को मुंह चिढ़ाती हैं.

छोटी बहन ने दी घरवालों को जानकारी
वैसे तेजाब को लेकर मौजूदा कायदे कानून और इसकी कमियों पर आगे और बात करेंगे, लेकिन पहले आइए दिल्ली की इस ताजा अफसोसनाक वारदात को एक बार ठीक से समझ लेते हैं. एसिड अटैक के बाद पीड़ित लड़की दर्द के मारे चिल्लाने लगी. आस-पास के लोग इकट्ठा हो गए और छोटी बहन ने तुरंत घर लौट कर अपने माता-पिता को पूरी बात बताई, मगर तब तक हमलावर फरार हो चुके थे. 

पुलिस को दी गई इत्तिला
इधर, इस वारदात के बाद घरवालों ने तुरंत पुलिस को फोन करने की भी कोशिश की, लेकिन वो हर बार गलती से सौ नंबर पर कॉल करते रहे और फोन नहीं लगा. लेकिन बाद में उनके किसी रिश्तेदार ने उन्हें बताया कि अब सौ नंबर की जगह पुलिस की मदद के लिए नए नंबर यानी 112 पर कॉल करना जरूरी है. जिसके बाद उन्होंने करीब 9 बजे पीसीआर को इस वारदात की खबर दी और तब पुलिस मौका-ए-वारदात पर पर पहुंची.

Advertisement

आंखों में भी गया तेजाब
घरवाले फौरन अपनी बेटी को लेकर सफदरजंग अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू कर दिया. तेजाब से लड़की के चेहरा तो झुलस ही चुका था, लेकिन कुछ हिस्सा लड़की की आंखों में भी जा चुका था. ऐसे में इस एसिड अटैक के इस घाव से वो कब तक और कितना उबर पाएगी, फिलहाल ये एक बडा सवाल है.

तीनों आरोपी हिरासत में
हालांकि इस वारदात की खबर मिलने के बाद पुलिस ने फौरन मामले की जांच शुरू कर दी. इतेफाक से मौका-ए-वारदात से पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज भी मिल गया, जिसमें दोनों हमलावर लड़के, लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंकते हुए कैद हो गए. वैसे तो सीसीटीवी की ये तस्वीरें बहुत साफ नहीं हैं, लेकिन पुलिस को इन तस्वीरों से ही हमलावरों के बारे में लीड मिलने की उम्मीद थी और ऐसा ही हुआ. चंद घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस ने इस सिलसिले में घरवालों से पूछताछ करने के साथ-साथ तेज़ाबी हमला करने के आरोप में तीन लड़कों को हिरासत में लिया.

अब सवाल ये है कि आखिर इस लड़की पर तेजाब से हमला क्यों हुआ? क्या कोई लड़का इस लड़की को परेशान करता था? उसे छेड़ता था या उसका पीछा करता था? हालांकि लड़की के घरवालों की मानें तो लड़की ने उन्हें कभी ऐसी कोई बात नहीं बताई थी. ऐसे में सवाल ये है कि क्या बगैर किसी रंजिश के भी कोई ऐसा एसिड अटैक कर सकता है?

Advertisement

एसिड अटैक को लेकर सवाल
कहीं ऐसा तो नहीं कि लड़की बेशक छेड़छाड़ का शिकार हो रही हो, लेकिन उसने घरवालों से इसका जिक्र ना किया हो? इस वारदात को देख कर इतना तो साफ है कि लड़के हमला करने के लिए पहले ही मौके पर उसका इंतजार कर रहे थे. यानी उन्होंने हमले से पहले लड़कियों के रूट की रेकी भी की थी
या फिर कहीं ये हमला मिस्टेकन आइडेंटिटी जैसी कोई वारदात तो नहीं है, जिसमें हमलावर लड़के शिकार तो किसी और लड़की को बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने पहचानने की गलती के चलते इस लड़की पर तेजाब फेंक दिया.

पहले नहीं था एसिड अटैक को लेकर अलग कानून
फिलहाल... इस मामले से जुड़े सवाल कई हैं, जिनका जवाब पुलिस को ढूंढना है. अब सवाल एसिड अटैक यानी तेजाब से होने वाले हमलों से निपटने के लिए मौजूद कानून के संबंध में. तो आपको बताएं कि पहले एसिड अटैक को लेकर अलग से कोई कानून नहीं था. यानी ऐसे हमलों पर आईपीसी की धारा 326 के तहत गंभीर रूप से जख्मी करने का केस ही दर्ज होता था.

अब एसिड अटैक को लेकर है ये सख्त कानून
लेकिन बाद में कानून में 326 ए और बी की धाराएं जोड़ी गईं. जिसके तहत तेजाबी हमला करने के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया और गुनहगार को कम से कम दस साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा देना तय किया गया. इसके अलावा उससे जुर्माना वसूल कर पीड़िता की मदद करने का नियम भी बनाया गया. इसी तरह आईपीसी की धारा 326 बी के तहत अगर किसी को तेजाब से हमला करने की कोशिश करने का गुनहगार पाया जाता है, तो भी उसके खिलाफ गैरजमानती मुकदमा दर्ज कर उस पर कार्रवाई किेए जाने का प्रावधान है. हमले की कोशिश करने पर भी कम से कम पांच साल की सजा और जुर्माने का नियम है. यानी इस लिहाज से देखा जाए, तो कानून काफी सख्त है, लेकिन शायद लोग इतनी आसानी से सुधरनेवाले नहीं.

Advertisement

सख्ती के बावजूद कम नहीं हुए एसिड अटैक
अब आइए आंकडों के जरिए एसिड अटैक के मामलों को समझने की कोशिश करते हैं. आइए ये देखते हैं कि देश में हर गुजरते साल के साथ एसिड अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. कम हो रहे हैं या फिर जस के तस हैं. तो जवाब है कि तमाम सख्ती और कायदे कानून के बावजूद एसिड अटैक के मामले कम नहीं हो रहे हैं. देश में साल 2014 में 203, 2015 में 222, 2016 में 283, 2017 में 252 और 2018 में 228 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए. इसी तरह साल 2019 में कुल 249 मामले सामने आए, जबकि 2020 में 182 ऐसे केस रजिस्टर किए गए थे. यानी एसिड अटैक के मामलों में कोई कमी नहीं आई.

पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा एसिड अटैक
इसी तरह अगर राज्यवार आंकडों की बात करें तो एसिड अटैक के मामलों में पश्चिम बंगाल का नंबर पूरे देश में सबसे ऊपर है. यानी ऐसे मामलों में बंगाल सबसे ज्यादा बदनाम है. साल 2021 के आंकडों के मुताबिक देश में 30 वारदातों के साथ पश्चिम बंगाल नंबर एक पर, 18 मामलों के उत्तर प्रदेश नंबर 2 पर, 8 मामलों के साथ दिल्ली नंबर 3 पर, सात मामलों के साथ असम नंबर 4 पर और 6-6 मामलों के साथ गुजरात और हरियाणा पांचवें नंबर पर हैं. और ये आंकडे कहीं ना कहीं इन राज्यों की लचर कानून व्यवस्था की तरफ इशारा करते हैं. 

Advertisement

तेजाब को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बनाए थे नियम
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब से कोई 9 साल पहले तेजाब की खरीद बिक्री को लेकर कुछ नियम बनाए थे. लेकिन सच्चाई यही है कि इनमें से ज्यादातर नियम कागजों पर ही हैं. यानी पुलिस और दूसरी एजेंसियां इन नियमों की रखवाली के मामले में ढीली हैं. और इन नियमों के पालन में लोगों का रवैया भी काहिली भरा है. 

तेजाब खरीदने बेचने का नियम
नियम के मुताबिक, 18 साल से कम उम के किसी भी इंसान को तेजाब की बिक्री नहीं की जा सकती. दुकानदार के लि तेजाब बेचने के लिए ग्राहक का रिकॉर्ड रखना जरूरी है. तेजाब बेचते वक्त खरीददार के आई कार्ड की कॉपी रखना जरूरी है. इसमें उसके घर का पता भी होना चाहिए. ग्राहक से तेजाब खरीदने की वजह पूछना भी जरूरी है. उसे रजिस्टर पर दर्ज करना है. दुकानदार के पास तेजाब का कितना स्टॉक मौजूद है, इस बात की जानकारी भी प्रशासन के पास होनी चाहिए.

इसके अलावा जिन अस्पतालों, एडुकेशनल आर्गेनाइजेशन और लैबरोटरीज में तेजाब का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनके लिए इसके इस्तेमाल का लेखा जोखा रखना भी जरूरी है. मगर अफसोस, ज्यादातर नियम कानून कागजों पर ही है. कसंटेटेड तेजाब धडल्ले से बिक रहा है और वारदातें जारी हैं.

Advertisement

(साथ में मनीष झा का इनपुट)

 

Advertisement
Advertisement