9 मार्च 2014 को आजतक ने मुहिम चलाई थी. ऐसे लोगों को इंसाफ दिलाने की जिन्हें आतंकवादी बता कर बरसों जेल में रखा गया और सुप्रीम कोर्ट से वो बाइज्जत बरी हो गए. इन्हीं में से एक था मोहम्मद आमिर. आमिर ने अपनी जिंदगी के 14 साल जेल में बिताए थे. वो भी बिना किसी गुनाह के. पुरानी दिल्ली के रहने वाले आमिर को 1998 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था.
दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ ऐसी साजिश रची कि उसकी जिंदगी ही खराब कर डाली. उस वक्त पुलिस ने आमिर पर 22 धमाकों में शामिल होने का इलजाम लगाया था. लेकिन कहते हैं कि झूठ के पांव नहीं होते. लिहाजा मामला कोर्ट में कमजोर पड़ने लगा. पुलिस की करतूत सामने आने लगी.
जिसके चलते आमिर एक के बाद एक मामले से बरी होता गया. हालांकि इस दौरान आमिर के पकड़े जाने के तीन साल बाद ही उसके पिता की सदमे से मौत हो गई. उसका परिवार पूरी तरह बिखर चुका था.
पुलिस ने आमिर पर 1996-97 में दिल्ली, यूपी और हरियाणा में अलग-अलग तारीख और वक्त पर हुए 22 धमाकों में शामिल होने के इलज़ाम लगाए गए थे. तब वो 18 साल का था. 14 लंबे साल जेल में काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आमिर को बेगुनाह बताते हुए 2014 में उसे आज़ाद कर दिया.
मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचा. पुलिस की साजिश का सच तथ्यों के साथ आयोग के सामने था. आयोग ने इस मामले पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर और प्रमुख सचिव को तलब कर लिया. पूरे मामले की छानबीन और जांच के बाद आयोग ने आमिर को पांच लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का फरमान सुनाया.
इस ख़बर को देश के नंबर वन चैनल आजतक ने अपनी मुहिम के तहत प्रमुखता से देश के सामने रखा. जिसके चलते अब दिल्ली पुलिस ने आमिर को 5 लाख का मुआवजा दिया है. 4 साल पहले आजतक ने आमिर की कहानी देश के सामने रखी थी. आमिर देश के कानून, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और आजतक का आभार जताया है. पांच लाख रुपए आमिर के खाते में पहुंच चुके हैं. मगर क्या जेल में बिताए आमिर के वो 14 साल कोई लौटा सकता है?