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ये है दिल्ली की गैंगवार, पुलिस के दावे की निकली हवा

हमेशा से ये कहा जाता रहा कि दिल्ली में कोई गैंग कभी पनप ही नहीं सकता. यहां मुंबई की तरह गैंगवार कभी हो ही नहीं सकती. दिल्ली पुलिस भी लगातार इस बात से इनकार करती रही है कि दिल्ली में आर्गेनाइज्ड क्राइम का कोई सिंडिकेट भी है. लेकिन पिछले चौबीस घंटे में दिल्ली से गैंगवार की दो ऐसी कहानी और तस्वीर सामने आई हैं, जो ना सिर्फ़ दिल्ली के खूंखार अपराधियों की हक़ीक़त बयान करती हैं, बल्कि पुलिस के दावों पर भी सवाल उठाती है.

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इस गैंगवार ने दिल्ली पुलिस के दावे की हवा निकाल दी है
इस गैंगवार ने दिल्ली पुलिस के दावे की हवा निकाल दी है

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हमेशा से ये कहा जाता रहा कि दिल्ली में कोई गैंग कभी पनप ही नहीं सकता. यहां मुंबई की तरह गैंगवार कभी हो ही नहीं सकती. दिल्ली पुलिस भी लगातार इस बात से इनकार करती रही है कि दिल्ली में आर्गेनाइज्ड क्राइम का कोई सिंडिकेट भी है. लेकिन पिछले चौबीस घंटे में दिल्ली से गैंगवार की दो ऐसी कहानी और तस्वीर सामने आई हैं, जो ना सिर्फ़ दिल्ली के खूंखार अपराधियों की हक़ीक़त बयान करती हैं, बल्कि पुलिस के दावों पर भी सवाल उठाती है. खास बात ये है कि गैंगवार की सारी वारदातें बाकायदा कैमरे में कैद हुई हैं.

यह दिल्ली की गैंगवार है. यहां क़त्ल एक होता है, मगर गोलियां बीस चलती हैं. एक शख्स आधी रात को तेज़ी से गलियों में दौड़ रहा है. वो भागते-भागते एक घर में दाखिल हो जाता है. फिर चंद सेकेंड्स के अंदर एक बाइक पर तीन नौजवान उसके पीछे आते हैं और वो भी उसी घर में घुस जाते हैं. सबके हाथों में हथियार हैं. जबकि दूसरी बाइक पर पहुंचा एक और शख्स बाहर अपने साथियों का इंतज़ार करने लगता है. तभी ऊपर से यानी घर की पहली मंज़िल से एक शख्स नीचे आ गिरता है. असल में ये वही नौजवान है, जो अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था और इसके बाद जो कुछ होता है, वो दिल दहला देने वाला है. उस नौजवान को बाहर खड़ा वो शख्स और उसके साथी गोलियों से भून डालते हैं.

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इस कहानी में कई और पेचो-खम हैं. लेकिन आइए उन्हें समझने से पहले आपको एक और वारदात के बारे में बताते हैं. दिल्ली की इस वारदात में भी एक शख्स नंगे पांव गलियों में बदहवास भाग रहा है. ठीक पहले वाले शख्स की तरह ये भी एक घर में घुसने की कोशिश करता है. लेकिन इससे पहले कि वो अपनी कोशिश में कामयाब होता, उसका पीछा कर रहे दो लड़के उस पर गोलियां बरसाने लगते हैं. वैसे तो वो पहली गोली लगते ही नीचे गिर जाता है. लेकिन उसे कत्ल करने आए लोगों फिर भी उस पर गोलियां बरसाते जाते हैं. जब तक कि वो मर नहीं गया.

ये दिल्ली की गैंगवार है. यहां क़त्ल एक होता है, मगर गोलियां बीस चलती हैं. दिल्ली में एक-दूसरे से टकराते और लाशों पर लाशें बिछाते इन गैंग्स और गैंगवार की बिहाइंड स्टोरी यानी अंदर की कहानी समझने से पहले आइए इन दोनों वारदातों को सिलसिलेवार तरीक़े से समझने की कोशिश करते हैं.

पहली तस्वीरें नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के ब्रह्मपुरी इलाक़े की हैं. जहां 23 अक्टूबर 2017 की रात 9 बजे सीसीटीवी फुटेज में भागता हुआ दिख रहा शख्स है वाजिद. वाजिद फाइनेंस का काम करता था, लेकिन वो इसी इलाक़े में ऑपरेट करने वाले एक गैंगस्टर नासिर का क़रीबी है और नासिर की तरह ही वाजिद पर भी जुर्म के कई मामले दर्ज थे. लेकिन वो दिन वाजिद पर कुछ ज़्यादा ही भारी पड़ गया. उसे कुछ लोगों ने धोखे से घर के बाहर बुलाया और उस पर हमला करने की तैयारी करने लगे. मौत सामने देख कर वो सिर पे पांव रख कर भागने लगा.

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वाजिद बदहवास भागता हुआ पूरी रफ़्तार से एक घर में घुस जाता है, लेकिन तभी उसके पीछे-पीछे बिजली की तेज़ी से एक बाइक आकर इस घर के सामने रुकती है, जिस पर तीन लोग सवार थे. इसी बाइक के पीछे-पीछे एक चौथा शख्स भी दूसरी बाइक पर आता है. जो वहीं बाहर खड़ा हो जाता है.

ज़ाहिर है ये सारे के सारे लोग पैदल भाग रहे उसी एक शख्स का पीछा कर रहे हैं. घर के अंदर की तस्वीरें तो हम आपको नहीं दिखा सकते, लेकिन इधर बाइक पर आया चौथा लड़का घर के बाहर खड़े-खड़े अपने साथियों का इंतज़ार करने लगता है. इस बीच वो भी अपनी कमर से हथियार निकाल लेता है. इनकी आवाज़, रफ़्तार और हाथों में हथियार देखकर अब गली में मौजूद तकरीबन सभी लोगों को अनहोनी की आहट होने लगती है.

गली मौजूद लोग भागने लगते हैं. लेकिन चंद सेकेंड्स के अंदर यहां जो कुछ होता है, उसे देखकर किसी के भी रौंगटे खड़े हो सकते हैं. पैरों तले से ज़मीन खिसक सकती है. इसी बीच एक और अजीब सा मंज़र सीसीटीवी कैमरे में क़ैद होता है. भाग कर घर के अंदर घुसा वो शख्स पीठ के बल पहली मंज़िल से अचानक नीचे आ गिरता है. अव्वल तो वो पीठ के बल गिरा है, दूसरा उसका पैर घर के बाहर बनी नाली के चबूतरे से टकराता है और उसे संभलने का मौका ही नहीं मिलता.

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इधर, पहले से हाथ में हथियार लिए उसका इंतज़ार कर रहे इस लड़के को जैसे मुंहमांगी मुराद मिल जाती है. वो ऊपर से गिरने वाले शख्स को संभलने का मौका ही नहीं देता और उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर देता है. एक, दो, तीन, चार, पांच, छह... आप गिनते-गिनते थक जाएंगे, लेकिन गोली चलाने वाला ना तो एक पल के झिझकता है और ना ही उसके हाथ कांपते हैं. बल्कि एक ही पल में वो नीचे गिरे शख्स पर अपने हथियार से पूरी की पूरी छह गोलियां उतार देता है. इतनी गोलियां लगने के बाद उसके हाथ पैर ढीले पड़ जाते हैं. जान कब चली जाती है, इसका तो पता नहीं चलता. लेकिन ऐसा ज़रूर लगता है कि कई गोलियां तो लाश को ही लगती हैं.

लेकिन अभी दहशत, ख़ौफ़ और नफ़रत बाकी है. कुछ ही देर में इस हमलावर के बाकी साथी अंदर से निकल आते हैं. अब नीचे गिरा शख्स पूरी तरह बेजान है. काम पूरा हो चुका है. लेकिन जाते-जाते बाकी के हमलावर भी अपना गुस्सा उतारते हैं. और ठीक पहले क़ातिल की तरह तीन में से दो लड़के अपने-अपने हाथों में लिए हथियारों से अपने शिकार को छलनी करने लगते हैं. इस तरह इस शख्स को तकरीबन 18 से 20 गोलियां मारी जाती हैं.

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अब भागने का वक्त है क्योंकि यहां ज्यादा देर रुकने पर पकड़े जाने का डर है. लेकिन जाते-जाते चार में एक क़ातिल नीचे ज़मीन पर बैठ कर लाश की जेबें टटोलने लगता है. वो शायद कुछ ढूंढ रहा है. फिर फ़ौरन मरने वाले की जेब से कोई चीज़ निकाल कर चारों एक-एक कर मोटरसाइकिल पर बैठ कर फ़रार हो जाते हैं.

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