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'मारो इसे छोड़ना मत, मारकर ही निकलना' 6 लोगों ने ऐसे किया था पड़ोसी का कत्ल, अब मिली उम्रकैद की सजा

क्राइम कथा में आपको बताने जा रहे हैं दिल्ली के एक ऐसे परिवार की खौफनाक कहानी, जिसके सभी पुरुष सदस्यों ने मिलकर ऐसी दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया कि लोगों का कलेजा बैठ गया था.

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कत्ल के वक्त यानी साल 2013 में इब्राहिम की उम्र 35 साल थी
कत्ल के वक्त यानी साल 2013 में इब्राहिम की उम्र 35 साल थी

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके लिए किसी दूसरे इंसान की कोई कीमत ही नहीं होती. उनके अंदर ना तो जज़्बात होते हैं और ना ही इंसानियत. ऐसे लोग अगर किसी से दुश्मनी मान लें तो वो अपना भला बुरा भी नहीं सोचते बस जुर्म करने पर उतारू रहते हैं. आज क्राइम कथा में आपको बताने जा रहे हैं दिल्ली के एक ऐसे ही परिवार की खौफनाक कहानी, जिसके सभी पुरुष सदस्यों ने मिलकर ऐसी दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया कि लोगों का कलेजा बैठ गया था. अदालत ने अब 9 साल बाद उन सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है.

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साल 2013, न्यू मॉर्डन शाहदरा, दिल्ली
35 साल का इब्राहिम अपने परिवार के साथ गली नंबर 10 के प्लॉट संख्या बी-105 में रहता था. साल 2009 में उसने ज़ारा के साथ घरवालों की रजामंदी से लव मैरिज की थी. अब उसका ढाई साल का एक बेटा था. बाकी भरापूरा परिवार था. वे कुल मिलाकर 8 भाई बहन थे. जिसमें 4 भाई और 4 बहनें शामिल हैं. इब्राहिम ने वहीं घर के पास गली के नुक्कड़ पर एक दुकान बना रखी थी. वहीं से उसका काम-धाम चलता था. बाकी उसके भाई अलग काम करते थे.

गली का दबंग परिवार
इब्राहिम के पड़ोस में एक दूसरा परिवार रहता था. जिसके मुखिया का नाम था इजराइल पहलवान. ये परिवार जब से उस इलाके में रहने आया था, तभी से दबंगई करने लगे थे. इजराइल पहलवान के 4 बेटे थे. जावेद, आबिद, आरिफ और तारिफ. उसकी कई बेटियां भी थी. इजराइल का परिवार आए दिन इब्राहिम या दूसरे पड़ोसियों से छोटी-छोटी बातों पर उलझता रहता था. कभी पार्किंग को लेकर तो रास्ते को लेकर. इब्राहिम और इजराइल के घर के बीच महज एक दीवार थी. इलाके में इजराइल पहलवान का आतंक इस कदर था कि साल 2004-2005 के बीच गली नंबर 10 में ही इजराइल पहलवान और उसके बेटों ने मिलकर एक खाने का होटल चलाने वाले शख्स को मामूली विवाद के बाद जमकर पीटा था. वो शख्स इतना डर गया था कि दुकान छोड़कर ही चला गया था. 

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21 अप्रैल 2013
ये वो दिन था जब गली के दबंग इजराइल पहलवान के बेटे आबिद की सगाई हो रही थी. सुबह से ही उसके घर में लोगों का आना जाना लगा हुआ था. उनके घर में रात का समारोह था. लिहाजा गली में ही इजराइल ने टेंट लगवा दिया. मगर टेंट लगवाते समय उन्होंने इब्राहिम के घर का दरवाजा पूरी तरह से बंद कर दिया. ये देखकर इब्राहिम किसी तरह से बाहर आया और इजराइल से टेंट को उसके दरवाजे से हटाने के लिए कहा ताकि घर में आने-जाने में दिक्कत ना हो. इस पर इजराइल ने ना नुकुर करने के बाद टेंट को दरवाजे से थोड़ा हटवाकर लगवा दिया. बात वहीं खत्म हो गई.

22 अप्रैल 2013
इजराइल पहलवान के घर में चल रहा सगाई समारोह देर रात खत्म हो चुका था. रात के 12 बज चुके थे. तारीख बदल चुकी थी. उन दिनों आईपीएल के मैच चल रहे थे. उस दिन भी मैच था. इब्राहिम अपनी दुकान पर उस वक्त टीवी पर आईपीएल मैच देख रहा था. उसके साथ उसका छोटा भाई ताहिर, चाचा उमर नौमान और जिगरी दोस्त योगेंद्र कसाना भी वहीं बैठकर मैच देख रहे थे. चारों पूरी तरह से मैच देखने में मशगूल थे. 

इब्राहिम को टारगेट बनाकर हमला
तभी करीब सवा 12 बजे इजराइल पहलवान अपने बेटों और दामाद गुफरान के साथ इब्राहिम की दुकान पर जा पहुंचे. वो सभी हथियारों से लैस थे. इजराइल के पास लाठी थी. जावेद और आबिद के हाथों में तेजधार चाकू थे. तारिफ और गुफरान ने हाथों में विकेट थाम रखे थे. जबकि आरिफ के पास पिस्टल थी. इससे पहले कि इब्राहिम और वहां मौजूद उसका भाई, चाचा और दोस्त कुछ समझ पाते, इजराइल के हथियारबंद परिवार ने उन पर हमला कर दिया. उनका टारगेट इब्राहिम ही था.

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जान बचाकर भागे भाई और चाचा
इस दौरान जब इब्राहिम के चाचा नौमान उमर उसे बचाने के लिए बीच में आए तो इजराइल के बेटे आरिफ ने उन पर गोली चला दी. वो गोली से तो बाल-बाल बच गए लेकिन दुकान से बाहर जाकर गिर गए. इसके बाद उन्होंने वहां से भागकर जान बचाई. फिर भाई ताहिर ने इब्राहिम का बचाव करने की कोशिश की, तो तारिफ और गुफरान ने उसे पीटना शुरू कर दिया. वो भी किसी तरह से जान बचाकर वहां से भागा.

दोनों तरफ से घिर चुका था इब्राहिम
इब्राहिम ने अपनी दुकान का आधा हिस्सा एक प्रिटिंग मशीन वाले को दे रखा था. वो भागकर अंदर मशीन के पास छुप गया. जबकि उसका दोस्त योगेंद्र कसाना अकेले ही उन आधा दर्जन हमलावरों को रोकने की कोशिश कर रहा था. इस बीच इजराइल पहलवान के साथ आबिद और जावेद ने अंदर जाकर इब्राहिम को दोनों तरफ से घेर लिया जबकि योगेंद्र बाहर उन तीन लोगों से उलझा हुआ था. 

तीन लोगों ने किया था इब्राहिम पर वार
इधर, इजराइल जोर जोर से चिल्ला रहा था "मारो इसे छोड़ना मत, मारकर ही निकलना, जिंदा ना बचने पाए." ऐसा लग रहा था कि वो सभी कॉमन इंटेंशन के साथ आए थे, वो बस किसी भी हाल में इब्राहिम का खात्मा कर देना चाहते थे और हुआ भी ऐसा ही. इब्राहिम मशीन के आड़ में छुपकर नीचे बैठा था. तभी आबिद ने इब्राहिम के सीने पर वार किया और चाकू ठीक उसके दिल की जगह पर घोंप दिया. इसी के साथ पीछे से जावेद ने भी वार किया और चाकू उसकी कमर के निचले हिस्से में घुसा दिया. आबिद ने सीने में चाकू घोंपकर घुमा दिया था. ताकि उसके बचने की कोई गुंजाइश ना रहे. तभी इजराइल ने भी लाठी से उसका सिर पर वार किया.

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15 मिनट तक चला मौत का खेल
इब्राहिम लहूलुहान होकर फर्श पर गिर पड़ा. उसके जिस्म से खून की धारा बह निकली थी. उसके कपड़े खून से लाल चुके थे. योगेंद्र घायल हो चुका था. फिर सभी हमलावरों ने फर्श पर पड़े इब्राहिम पर लाठी, विकेट से भी वार किए. ये सब 15 मिनट तक चलता रहा. इब्राहिम की बहनें और भाई भी मदद के लिए जोर-जोर से शोर मचा रहे थे. इब्राहिम को बचाने की गुहार लगा रहे थे. लिहाजा दुकान के बाहर भीड़ जमा होने लगी थी. लोगों को देखकर हमलावर वहां से फरार हो गए.

मौका-ए-वारदात पर ही हो चुकी थी इब्राहिम की मौत
इस दौरान इब्राहिम की पत्नी ज़ारा, भाई बाबर और घायल दोस्त योगेंद्र कसाना ने 100 नंबर पर कॉल कर दी थी. घटना के महज 5 मिनट बाद करीब 12 बजकर 35 मिनट पर एक के बाद एक 3 पीसीआर मौके पर पहुंच चुकी थी. इब्राहिम के भाई ने पुलिसवालों के साथ मिलकर उसे वैन में डाला और फौरन जीटीबी हॉस्पिटल जा पहुंचे. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने उसे वहां मृत लाया गया घोषित कर दिया. उस वक्त योगेंद्र कसाना और इब्राहिम के जीजा डॉक्टर आफाक अंसारी भी मौके पर मौजूद थे.

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मास्टरमाइंड इजराइल की गिरफ्तारी
इब्राहिम की मौत की खबर से उसके परिवार में मातम पसर गया था. उसकी पत्नी ज़ारा पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया था. ढाई साल के मासूम बच्चे के सिर से पिता का साया उठ चुका था. उसी वक्त पुलिस ने इजराइल पहलवान को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के वक्त इजराइल के कपड़ों पर खून लगा हुआ था लेकिन उसके चारों बेटे और दामाद फरार हो चुके थे. घर की महिलाएं भी वहां नहीं थीं. पुलिस ने मौका-ए-वारदात से लाठी और दो विकेट भी बरामद कर लिए थे. जिन पर इब्राहिम का खून भी लगा हुआ था. इस वारदात के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल था. हर कोई इस वारदात के मास्टरमाइंड इजराइल पहलवान को कोस रहा था. 

22 अप्रैल 2013 
उसी दिन पुलिस ने इब्राहिम का पोस्टमॉर्टम कराया था. इसके बाद लाश को परिजनों के हवाले कर दिया गया. परिवार ने भी उसी दिन इब्राहिम की लाश को वैलकम क्रबिस्तान में दफना दिया था. घटना के बाद गली नंबर 10 में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था. पुलिस को आशंका थी कि कोई गुस्से में आरोपी परिवार के घर पर हमला ना कर दे. पुलिस ने उसी रात घटना के चश्मदीद योगेंद्र कसाना, चाचा नौमान उमर और भाई ताहिर के बयान दर्ज किए और जिसकी बिनाह पर मानसरोवर पार्क थाने में नामजद एफआईआर दर्ज की.

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24 अप्रैल 2013
कत्ल की इस सनसनीखेज वारदात के ठीक दो दिन बाद पुलिस ने हत्यारोपी इजराइल के बेटे तारिफ और दामाद गुफरान को मानसरोवर पार्क के पास से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद दोनों को अदालत में पेश किया गया और फिर जेल भेज दिया गया.

21 जून 2013
उस दिन दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन की पुलिस चौकी जामिया नगर (अब थाना है) के इलाके से आरोपी जावेद किसी दूसरे मामले में पकड़ा गया. जब पुलिस ने पकड़े जाने पर जावेद की छानबीन की तो पता चला कि वो इब्राहिम मर्डर केस में आरोपी है. उसी दिन पुलिस ने जावेद की निशानदेही पर वो चाकू भी बरामद कर लिया जो उसने इब्राहिम के कत्ल में इस्तेमाल किया था.

मुख्य गवाह योगेंद्र कसाना पर हमला
इब्राहिम मर्डर केस में याचिकाकर्ता और मुख्य गवाह बन चुके योगेंद्र कसाना उसी दिन इब्राहिम के परिवार और दुकान का हाल चाल पूछने न्यू मॉर्डन शाहदरा की गली नंबर 10 में गए थे. योगेंद्र जब मौका-ए-वारदात यानी इब्राहिम की दुकान पर मौजूद थे, तभी बाइक पर सवार होकर दो लोग वहां पहुंचे और योगेंद्र पर गोली चला दी. कसाना ने हमलावर को गोली चलाते वक्त देख लिया था, लिहाजा वो हलके से झुके और बच गए. हमलावरों ने हेलमेट पहने थे और बाइक पर नंबर प्लेट भी नहीं थी. इस मामले में भी पुलिस को शिकायत दर्ज कराई गई थी. लेकिन हमलावर पुलिस की पहुंच से बाहर थे.

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याचिकाकर्ता और मुख्य गवाह योगेंद्र कसाना और पैरोकार डॉ. आफाक अंसारी

1 जुलाई 2013
यही वो तारीख थी, जब इस हत्याकांड के आरोपी आरिफ और आबिद ने अदालत में आत्मसर्मपण कर दिया था. फिर पुलिस ने उन दोनों की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल की गई वो मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली. जिससे ये लोग कत्ल की रात फरार हुए थे.

3 जुलाई 2013 
पुलिस लगातार आरिफ और आबिद से पूछताछ कर रही थी. इसी का नतीजा था कि पुलिस ने उनकी निशानदेही पर आरिफ की पिस्टल की मैगजीन बरामद की. यही वो पिस्टल थी, जिससे वारदात के दिन इब्राहिम के चाचा नौमान उमर पर हमला किया गया था.

5 जुलाई 2013
अब पुलिस को दूसरे आला-ए-कत्ल यानी चाकू की तलाश थी. जो पुलिस ने पकड़ में आए हत्यारोपियों की निशानदेही पर यूपी के हापुड़ के पास एक जगह से बरामद किया. ये वही चाकू था, जिसे आबिद ने इब्राहिम के सीने में घोंपकर घुमा दिया था.

वापस लौटी आरोपी परिवार की महिलाएं
इब्राहिम की हत्या के चार महीने बीत चुके थे. आरोपी परिवार की महिलाएं जो अभी तक कहीं और थीं, वो सब एक दिन वापस लौट आईं. उनके आ जाने के बाद एक बार फिर वहां का माहौल तनावपूर्ण हो गया था. लेकिन कुछ नहीं हुआ. इब्राहिम का परिवार सदमें से ऊबर नहीं पा रहा था.

पीड़ित पक्ष की महिलाओं पर मारपीट का आरोप
जिस दिन आरोपी परिवार की महिलाएं लौटकर आईं, उसी दिन उन्होंने 100 नंबर पर पुलिस को कॉल की और कहा कि उनके साथ मारपीट की गई है. थोड़ी देर बाद पुलिस मौके पर आ गई. आरोपी पक्ष की महिलाओं ने पीड़ित पक्ष की महिलाओं और छोटे भाईयों के खिलाफ मारपीट करने का इल्जाम लगाया. पुलिस को पूरे मामले की जानकारी थी. लेकिन शिकायत मिली थी तो मानसरोवर पार्क थाने में शिकायत दर्ज कर ली गई.

21 अप्रैल 2014
ये वो दिन था, जब इस मामले की सुनवाई अदालत में होनी थी. पीड़ित परिवार की और से मृतक इब्राहिम के जीजा डॉक्टर आफाक अंसारी, भाई ताहिर, तैयब, डॉक्टर बदरुजमां कड़कड़डूमा कोर्ट पहुंचे थे. पुलिस आरोपियों को भी जेल लेकर कोर्ट आई थी. लेकिन किसी कारणवश उस दिन मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. पीड़ित के पक्ष के लोग कोर्ट परिसर के बाहर खड़े थे. आरोपी पक्ष की तरफ से इजराइल की पत्नी अफसरी बेगम, आरिफ की पत्नी महराना, मौसा जहूर अहमद लीलू और अन्य रिश्तेदार मौजूद थे. 

पीड़ित पक्ष पर हमला
सुबह करीब पौन ग्यारह बजे पुलिस आरोपी आरिफ, आबिद और जावेद को हिरासत में लेकर वहां से जा रही थी. तीनों के हाथ पुलिसवालों ने पकड़े हुए थे. तभी तीनों आरोपी पीड़ित पक्ष के चारों लोगों पर टूट पड़े. उन लोगों ने वहां से भागकर अपनी जान बचाई. हैरानी की बात ये थी कि ये सब आरोपियों ने पुलिस अभिरक्षा के दौरान ही किया था.  

दो बार की 100 नंबर पर कॉल
उसी दिन यानी 21 अप्रैल को ही इजराइल की बेटी और भांजी ने दिन में 100 नंबर पर पुलिस को कॉल करके मारपीट की शिकायत की. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो कॉल करने वाली महिलाओं ने घर का दरवाजा नहीं खोला. उस रात दो बार ऐसा हुआ. लेकिन महिलाओं ने खुद पुलिस बुलाने के बाद भी अपने घर का दरवाजा नहीं खोला. कुछ देर इंतजार कर पुलिसवाले वहां से चले गए.

पीड़ित पक्ष पर रेप का आरोप
इस घटना के करीब 10 दिन बाद मानसरोवर पार्क थाने के एसएचओ को एक खत मिला. ये खत आरोपी पक्ष की महिलाओं की तरफ से पुलिस को भेजा गया था. जिसमें पीड़ित पक्ष के डॉ. आफाक, ताहिर, तैयब और बाबर पर रेप का इल्जाम लगाया गया था. मामला गंभीर था. लिहाजा पुलिस ने जांच शुरू कर दी. ये पत्र मिलने के बाद पुलिस ने पीड़ित पक्ष के लोगों को थाने बुलाया और इस संबंध में बात की. असल में पुलिस ने इस संबंध में पीड़ित पक्ष के खिलाफ एक और मामला दर्ज कर लिया था.

झूठा निकला रेप का आरोप 
इसके बाद पीड़ित परिवार के लोगों ने परेशान होकर डीसीपी से मिलकर सारी घटना बताई और इस मामले में निष्पक्ष जांच किए जाने की मांग की. डीसीपी ने एसएचओ को इस मामले में हर एंगल से जांच करने के लिए कहा. पुलिस ने बारीकी से मामले की जांच की. शिकायत करने वाली महिलाओं को जब पुलिस ने मेडिकल कराने के लिए कहा तो उन्होंने साफ मना कर दिया. पुलिस के कई बार कहने पर भी वो टेस्ट के लिए नहीं मानी. आस-पास के लोगों ने भी इस बात की तस्दीक कर दी कि गली नंबर 10 में ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी. पुलिस की जांच में रेप का आरोप झूठा निकला. 

साल 2015, पैरोकार आफाक पर जानलेवा हमला
जब से इब्राहिम हत्याकांड का मामला अदालत में पहुंचा था, तभी से इब्राहिम के जीजा डॉ. आफाक अंसारी और दोस्त योगेंद्र कसाना इस मामले की पैरवी कर रहे थे. यह बात आरोपी पक्ष भी जानता था. डॉ. आफाक का क्लिनिक ओल्ड गोविंदपुरी के राधेश्याम पार्क के पास गली नंबर 5 के नजदीक था. उस दिन रात के करीब पौने बारह बजे वो अपनी बाइक से घर लौट रहे थे. तभी पुराना खंडहर के पास बाईं और से एक बाइक पर 2 अज्ञात लोग हेलमेट लगाए उनके बगल में आ गए और पीछे बैठे शख्स ने पिस्तौल निकालकर डॉ. अंसारी पर गोली चला दी. गोली चलाने के बाद हमलावर पिस्तौल लहराते हुए वहां से निकल गए. डॉ. आफाक को शरीर के निचले हिस्से में जलन महसूस हो रही थी. लेकिन उन्होंने बाइक नहीं रोकी और कुछ दूर जाकर वे पुलिस नाके पर रुके. पुलिस वालों को सारी घटना बताई. इसी बीच पुलिसवालों ने देखा कि उनके शरीर से खून बह रहा था. पुलिस वाले फौरन उन्हें जीटीबी अस्पताल ले गए.

शरीर में धंसी गोली
अस्पताल में जाकर पता चला कि गोली उनके कूल्हे के नीचे जाकर धंस गई थी. डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि अगर उस गोली को निकालने की कोशिश की गई तो डॉ. आफाक के शरीर का निचला भाग पैरालाइज़ हो सकता है. डॉ. अफाक खुद इस बात को जानते थे. लिहाजा गोली को वहीं रहने दिया गया. डॉ. अफाक को कुछ दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई. लेकिन उन्हें अपना काफी ख्याल रखना था. इस हमले के बावजूद भी डॉ. आफाक नहीं डरे और इब्राहिम मर्डर केस की पैरोकारी करते रहे. इस हमले के बाद से ही परिवार के लोग उनकी सुरक्षा को लेकर काफी चितिंत थे.

पीएमओ समेत पुलिस अधिकारियों से सुरक्षा की मांग
उन पर हुए हमले के मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया था. लेकिन हमलावरों का कोई सुराग नहीं मिला. जब डॉ. आफाक थोड़ा सही हुए तो उन्होंने इब्राहिम मर्डर केस के हवाले से एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने उन पर हुए हमले और पूरे घटनाक्रम का हवाला देते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से सुरक्षा दिए जाने की मांग की थी. ये पत्र डॉ. आफाक ने पीएमओ, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, डीसीपी, एसीपी और मानवाधिकार आयोग को लिखा था. 

साल 2016
पत्र लिखे जाने के बाद साल 2016 में डॉ. आफाक ने खुद जाकर तत्कालीन डीसीपी नुपुर प्रसाद से मिलकर आपबीती सुनाई और सुरक्षा की गुहार लगाई. इस डीसीपी ने डॉ. अफाक के संभावित खतरे का आंकलान कराए जाने की बात कही. 

साल 2017
डीसीपी के आदेश पर संबंधित अधिकारी इस मामले का आंकलन करने लगे कि डॉ. आफाक को सुरक्षा दी जानी चाहिए या नहीं. इसी प्रक्रिया के चलते करबी एक साल बाद आखिरकार दिल्ली पुलिस ने डॉ. आफाक को एक हथियारबंद सुरक्षाकर्मी मुहैया करा दिया था. तभी से अब तक डॉ. आफाक के साथ एक सुरक्षाकर्मी तैनात है.

18 सितंबर 2017, रेप केस डिस्चार्ज
अब लौटते हैं वापस उस रेप के आरोप पर जिसे अदालत ने डिस्चार्ज कर दिया था. दरअसल, इस मामले में रेप की शिकायत करने वाली दोनों लड़कियां नाबालिग थी. लिहाजा यह मामला पॉक्सो कोर्ट में चल रहा था. पुलिस की जांच पूरी हो जाने के बाद कोर्ट ने इस मामले को करीब 3 साल बाद डिस्चार्ज कर दिया था.

फरवरी 2016, इजराइल को मिली थी जमानत
इससे पहले आरोपी पक्ष के इजराइल पहलवान समेत सभी पुरुष जेल थे. वो लगातार जमानत अर्जी लगाते रहे लेकिन अदालत से उन लोगों को राहत नहीं मिल रही थी. मगर फरवरी 2016 में इजराइल के वकील ने कोर्ट में उसकी उम्र और बीमारी का हवाला दिया. परिवार के पालन पोषण की बात भी कही. इसी ग्राउंड पर अदालत ने उसकी जमानत मंजूर कर ली. इब्राहिम मर्डर केस में 6 आरोपी थे. जिनमें से पहले आरोपी को जमानत मिली थी. 

इजराइल की साजिश
अब इब्राहिम मर्डर केस का आरोपी इजराइल पहलवान जेल से बाहर आ चुका था. वो अपने घर लौट आया था. लेकिन आने के बाद से ही वो लगातारा इब्राहिम के परिवार वालों के खिलाफ साजिशें रच रहा था. रेप का झूठा आरोप भी उसकी साजिश का ही हिस्सा था.

साल 2018, दूसरे आरोपी की जमानत
यही वो साल था, जब इब्राहिम के एक ओर हत्यारोपी आबिद को मानवीय आधार पर जमानत मिल गई थी. उसने अदालत से कहा था कि प्रथम आरोपी यानी उसके पिता इजराइल पहलवान की तबीयत खराब है. उसकी देखभाल के लिए किसी की ज़रूरत है. इसी आधार पर शहादरा की सेशन अदालत ने उसे जमानत दे दी थी.

साल 2020
यही वो साल था, जब फरवरी के महीने में कोरोना भारत में दस्तक दे रहा था. मामले तेजी से बढ़ने लगे थे. देश लॉक डाउन की गिरफ्त में आ चुका था. लिहाजा, दिल्ली की जेलों में बंद कैदियों की संख्या कम करनी थी. कोरोना संक्रमण को देखते हुए हाई कोर्ट ने कई अंडरट्रायल कैदियों को रिहा कर दिया था. जिनमें इब्राहिम के दो हत्यारोपी गुफरान और तारिफ को भी जमानत मिल गई थी. तारिफ को गुफरान के कुछ दिन बाद छोड़ा गया था. जबकि आरिफ और जावेद को अदालत ने बेल नहीं दी.

20 सितंबर 2022
अभी भी इब्राहिम के परिवार को इंसाफ मिलना बाकी था. यह मुकदमा शाहदरा की सेशल कोर्ट में चल रहा था. इसी बीच पूरे मामले की सुनवाई करने वाले जज नवीन गुप्ता तबादला सीबीआई की विशेष अदालत में हो गया. मगर हाई कोर्ट के एक फरमान की वजह से इस मामले की सुनवाई फिर भी उन्होंने ही की. 20 सितंबर को सभी आरोपी और पीड़ित पक्ष के लोग सीबीआई की विशेष अदालत में मौजूद थे. जज नवीन गुप्ता ने 4 महीने लंबी बहन को सुनने के बाद इब्राहिम हत्याकांड के लिए इजराइल पहलवान, उसके चारों बेटों और दामाद को आईपीसी की धारा 302, 427, 449, 148, 149 और 34 के तहत दोषी करार दे दिया. यह फैसला 164 पेज का था. ये फैसला सुनाते ही जज ने जमानत पर छोड़े गए सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने का फरमान सुना दिया. पुलिस ने फौरन सभी को गिरफ्तार कर दिया.

19 नवंबर 2022
उस दिन इब्राहिम हत्याकांड के दोषियों की सजा का ऐलान होना था. अब सजा पर फैसला शाहदरा सेशन कोर्ट में जज नवीन गुप्ता की जगह आए नए जज अरविंद बंसल को करना था. जज ने सभी दोषियों और पीड़ित पक्ष की मौजूदगी में 19 नवंबर को फैसला सुनाया. अदालत ने इब्राहिम के सभी हत्यारों को उम्र कैद की सजा सुना दी. ये मामला अपने आप में एक मिसाल बन गया. क्योंकि इसमें एक परिवार के सभी मर्द एक साथ कत्ल के मामले में जेल पहुंच गए.

पीड़ित पक्ष को मिला इंसाफ
सेशन कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित पक्ष यानी इब्राहिम के परिवारवालों ने राहत की सांस ली. इस मामले में भले ही फैसला देर से आया हो लेकिन इब्राहिम के परिवार को इंसाफ मिल गया. ये एक ऐसा मामला था कि आरोपी पक्ष जेल में होने के बावजूद लगातार पीड़ित परिवार के खिलाफ साजिश रचता रहा. लेकिन हर बार पुलिस की निष्पक्ष जांच और दमदार पैरवी के चलते पीड़ित पक्ष को आखिरकार इंसाफ मिल गया.

गुफरान के खिलाफ पहले से दर्ज है केस
इस मामले में जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि दोषी इजराइल पहलवान के दामाद गुफरान के खिलाफ नार्थ ईस्ट दिल्ली के ज्योतिनगर थाने में आईपीसी की धारा 379 के तहत पहले से ही एक मामला और दर्ज था. इसी तरह दोषी जावेद के खिलाफ भी पहले से आईपीसी की धारा 506, 323, 452, 341, 327 और 34 के तहत मामला दर्ज था.

 

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