पूरे देश और सिस्टम को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखी. कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निर्भया कांड को 'सदमे की सुनामी' बताया. कोर्ट का फैसला आते ही कोर्ट रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. चारों दोषियों ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. सूत्रों के मुताबिक फैसले के बाद तिहाड़ जेल में दोषियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई.
सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को सुनवाई के बाद इस केस में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना फैसला पढ़ते हुए चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा.
निर्भया के घर वालों ने फैसले का किया स्वागत
सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्भया गैंगरेप मामले में सभी दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने का पीड़िता के परिजनों ने स्वागत किया है. पीड़िता की मां आशा देवी ने कहा कि शीर्ष अदालत के इस फैसले से उनकी बेटी को इंसाफ मिला है. हम सबको इंसाफ मिला है, लेकिन बेटी को खोने का मलाल सब दिन रहेगा. उन्होंने कहा- 'हमारी कानून व्यवस्था थोड़ी लचर जरूर है, लेकिन आज मैं मानती हूं कि कानून में देर हैं, लेकिन अंधेर नहीं है.' उन्होंने कहा कि आगे भी सिस्टम के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी. जबकि निर्भया के पिता ने कहा कि आज के दिन उन्हें बेटी की याद आ रही है, हमें इंसाफ मिलने की पूरी उम्मीद थी.
क्या हुआ था राजधानी की सड़कों पर 16 दिसंबर, 2012 की रात, पढ़िएः
दिल्ली पर दाग!
16 दिसंबर 2012 की वो रात दिल्ली के चेहरे पर एक बदनुमा दाग की तरह बन गई. उस रात एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की निर्भया के साथ हैवानियत का जो खेल खेला, उसे जानकर हर देशवासी का कलेजा कांप उठा. वह युवती पैरामेडिकल की छात्रा थी.
निर्भया के दोस्त की पिटाई
दिल्ली में 16 दिसम्बर की उस रात निर्भया फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ एक बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी. बस में सवार होने के बाद उसने देखा कि बस में केवल पांच से सात यात्री सवार थे. अचानक वे सभी निर्भया के साथ छेड़छाड़ करने लगे. उस पर तंज कसने लगे. बस में उनके अलावा कोई और यात्री नहीं था. निर्भया के मित्र ने इस बात का विरोध किया. लेकिन उन सब लोगों ने उसके साथ भी मारपीट शुरु कर दी. उसे इतना पीटा गया कि वो लड़का बेहोश हो गया.
चलती बस में इंसानियत हुई थी शर्मसार
निर्भया बस में अकेली और मजबूर थी. बस दिल्ली की सड़क पर तेजी से दौड़ रही थी. रात का अंधेरा घना होता जा रहा था. अब वे सारे दरिंदे निर्भया पर टूट पड़े. निर्भया उन दरिंदों से अकेली जूझती रही. उसने देर तक उन वहशी दरिंदों का सामना किया लेकिन वो हार चुकी थी. उन सबने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया. यही नहीं उनमें से एक ने जंग लगी लोहे की रॉड निर्भया के गुप्तांग में घुसा डाली थी. इस हैवानियत की वजह से उसकी आंते तक शरीर से बाहर निकल आईं थी. खून से लथपथ लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही थी. बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था.
आग तरह फैल गई थी घटना की ख़बर
आधी रात हो चुकी थी. किसी ने पुलिस को खबर दी कि बसंत विहार इलाके में एक युवक और युवती बेहोश पड़े हैं. सूचना मिलने के साथ ही पुलिस हरकत में आ गई. पीड़ित लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया. मामला तब तक मीडिया की सुर्खियों में आ गया. पूरे देश इस ख़बर को देख रहा था. लड़की के साथ हुई दरिंदगी को जानकर हर कोई गुस्से में था. आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर आवाज उठने लगी. घटना के विरोध में अगले ही दिन ही कई लोगों ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर के जरिए अपना गुस्सा ज़ाहिर करना शुरु किया. लोग गुस्से में थे. मीडिया पल-पल की खबर दिखा रहा था.
पुलिस ने चार आरोपी किए थे गिरफ्तार
घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि आरोपी बस ड्राइवर को सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और उसका नाम राम सिंह बताया गया. बाद में दिल्ली पुलिस के तत्कालीन आयुक्त नीरज कुमार ने मीडिया को संबोधित किया और जानकारी दी कि इस मामले में चार अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. उन्होंने बताया था कि जिस बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, उस पर 'यादव' लिखा हुआ था और ये बस दक्षिण दिल्ली में आरके पुरम सेक्टर-3 से बरामद कर ली गई है. हालांकि सुबूत मिटाने के लिए बस को धो दिया गया था.
बस ड्राइवर ने कबूला था गुनाह
बस के ड्राइवर राम सिंह ने पुलिस के सामने पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. उसी की निशानदेही पर पुलिस ने उसके भाई मुकेश, एक जिम इंस्ट्रक्टर विनय गुप्ता और फल बेचने वाले पवन गुप्ता को गिरफ़्तार किया था. पुलिस सभी आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही थी. पूरे देश में घटना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे. लोग सड़कों पर उतर आए थे. हर तरफ सिर्फ यही मामला चर्चा का विषय बना हुआ था. और पूरे देश की निगाहें केवल दिल्ली पुलिस की जांच और कार्रवाई पर लगी हुई थी.
संसद में हुआ था हंगामा
मंगलवार 18 दिसम्बर 2012 को ही इस मामले की गूंज संसद में सुनाई पड़ने लगी थी. जहां आक्रोशित सांसदों ने बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड की मांग की थी. तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संसद को आश्वासन दिलाया था कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे.
निर्भया ने सिंगापुर में ली आखिरी सांस
इस बीच पीड़ित लड़की की हालत नाज़ुक होती जा रही थी. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. सड़कों और सोशल मीडिया से उठी आवाज़ संसद के रास्ते सड़कों पर पहले से कहीं अधिक बुलंद होती नजर आ रही थी. दिल्ली के साथ-साथ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे. दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा था कि उनमें इतनी हिम्मत नहीं कि वो पीड़ित लड़की को देखने जा सकें. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सफदरजंग अस्पताल जाकर पीड़ित लड़की का हालचाल जाना था. निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी. लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था.
फीका रहा था नए साल का जश्न
निर्भया की मौत की खबर आने के बाद 30 दिसंबर को दिल्ली में हाई अलर्ट जारी किया गया था. पूरे देश में शोक की लहर दौड़ रही थी. इसके बाद समूचे देश ने निर्भया को श्रद्धांजलि दी थी. जगह जगह शोक सभा आयोजित की गई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी भी निर्भया का शव देखने गए थे. भारत लाकर आनन-फानन में निर्भया का दाह संस्कार किया गया था. 31 दिसंबर की रात पूरे देश में नए साल का कोई जोश भी देखने को नहीं मिला था.
सभी आरोपी हुए थे गिरफ्तार, एक ने की आत्महत्या
मामले की जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने इस केस के सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार करने का दावा किया था. लेकिन
इससे आम लोगों का आक्रोश कम नहीं हुआ. इसके बाद रायसीना हिल्स पर हज़ारों लोग एकजुट हुए, जिन्हें तितर-बितर
करने के लिए पुलिस ने बल-प्रयोग किया था. पूरे देश में लाख कोशिशों के बावजूद इस घटना के खिलाफ विरोध का
सिलसिला जारी था. निर्भया की मौत ने इस गुस्से में घी का काम किया. मामला कोर्ट में चल रहा था. पुलिस ने मामले
में 80 लोगों को गवाह बनाया था. सुनवाई हो रही थी. मगर इसी बीच 11 मार्च, 2013 को आरोपी बस चालक राम
सिंह तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. हालांकि राम सिंह के परिवार वालों और उसके वकील का मानना है कि जेल में
उसकी हत्या की गई थी.
तीन आरोपियों ने इल्जाम झुठलाए थे
सुनवाई के दौरान नाबालिग आरोपी मुकेश ने वारदात के वक्त बस में मौजूद रहने की बात कबूली थी, जबकि अन्य
आरोपियों विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता ने इन आरोपों झुठलाया था. इन चारों आरोपियों के खिलाफ लूटपाट
के एक अन्य मामले में भी दूसरी अदालत में सुनवाई चल रही थी.
नाबालिग आरोपी को 2015 में मिली थी जमानत
इस जघन्य अपराध के कुल मिलाकर 6 आरोपी थे. जिनमें से एक को वारदात के दिन नाबालिग बताया गया था. इस
मामले के लिये विशेष तौर पर गठित त्वरित अदालत ने 12 से 14 सितम्बर, 2013 को चारों बालिग दोषियों को फांसी
की सज़ा सुनाई थी. लेकिन नाबालिग को बाल सुधार गृह भेज दिया गया था. उस नाबालिग आरोपी को पिछले साल 20
दिसंबर 2015 को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया था. साथ ही उसे कड़ी सुरक्षा के बीच एक गैर सरकारी संगठन
की देखरेख में रहने के लिए निर्देशित किया गया था. निर्भया कांड के बाद कानून तक में बदलाव किया गया. आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बार फिर पूरे समाज के सामने महिलाओं की आबरू से खिलवाड़ करने वालों के लिए बड़ी लकीर खींचने वाला साबित हो गया.