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Crime Katha: जंगल में लाश, कुचला चेहरा और हाथ पर टैटू... 9 साल बाद ऐसे खुला था लड़की के कत्ल का राज

उस दिन पुलिस को किसी ने इत्तिला दी कि नजफगढ़ इलाके की सुराखपुर रोड़ से कुछ दूर जंगल के सुनसान इलाके में एक लड़की की लाश पड़ी है. पुलिस की टीम फौरन मौके पर पहुंची. जहां एक लड़की मुर्दा हालत में पड़ी थी. उसके चेहरे को इतनी बुरी तरह से कुचला गया था कि उसकी शिनाख्त कर पाना मुश्किल था.

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पुलिस को एक मुखबिर से कातिल रिंकू के दोस्त राहुल का पता चला था
पुलिस को एक मुखबिर से कातिल रिंकू के दोस्त राहुल का पता चला था

जुर्म की दुनिया में कई ऐसे शातिर अपराधी होते हैं, जो अपराध करते वक्त पूरी कोशिश करते हैं कि कोई सबूत या सुराग ना छूट जाए. वे संगीन से संगीन वारदात को अंजाम देते वक्त इस बात पर अपना पूरा दिमाग लगा देते हैं. मगर अपराधी चाहे जितना भी शातिर हो, एक ना एक दिन वो पुलिस के हत्थे चढ़ ही जाता है. भले ही इसमें कई साल लग जाएं. ठीक ऐसा ही एक मामला आज से 15 साल पहले राजधानी दिल्ली में सामने आया था. जिसमें एक कत्ल की पहेली को सुलझाने में पुलिस को 9 साल का वक्त लग गया था. और मामला सुलझा एक टैटू के सुराग से. क्राइम कथा में आज बात उसी मर्डर मिस्ट्री की.

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सितंबर 2008, नजफगढ़, नई दिल्ली
उस दिन पुलिस को किसी ने इत्तिला दी कि नजफगढ़ इलाके की सुराखपुर रोड़ से कुछ दूर जंगल के सुनसान इलाके में एक लड़की की लाश पड़ी है. पुलिस की टीम फौरन मौके की तरफ रवाना हो गई. कुछ देर बाद पुलिस सुराखपुर रोड़ पर खड़ी थी. पुलिस ने कुछ दूर अंदर जाकर देखा तो वहां एक लड़की मुर्दा हालत में पड़ी थी. उसके चेहरे को इतनी बुरी तरह से कुचला गया था कि उसकी पहचान कर पाना मुश्किल हो रहा था. पहली नजर में साफ था कि मामला कत्ल का है. और कातिल ने जानबूझकर लड़की के चेहरे को कुचला था ताकि उसकी पहचान ना हो सके. पुलिस ने उस वक्त पंचानामे के बाद लड़की की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और उस जगह अच्छे से तलाशी भी ली, जहां से लड़की की लाश मिली थी. लेकिन पुलिस को वहां से कुछ नहीं मिला.

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2010 में पुलिस ने बंद कर दी थी जांच
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि लड़की का कत्ल गला दबाकर किया गया था. पुलिस ने इस लाश के बारे में आस-पास के सभी थानों और दूसरे जिलों की पुलिस को भी सूचना दी थी. लेकिन कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली. पुलिस इस मामले में लड़की की शिनाख्त के लिए दो साल तक कोशिश करती रही लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली. ना तो पुलिस लड़की की पहचान कर सकी और ना ही कातिल का कोई सुराग मिला. लिहाजा, साल 2010 में पुलिस ने इस मामले को अनसुलझा समझकर फाइलों में दफन कर दिया. मगर केस अभी बंद नहीं हुआ था. क्योंकि मामले की जांच अब क्राइम ब्रांच के पास थी. 

मृतका के हाथ पर बना था टैटू
मृतक लड़की की उम्र हत्या के वक्त करीब 18 साल थी. इस केस में सबसे अहम बात ये थी कि मरने वाली लड़की के एक हाथ की कलाई पर 'A' नाम का टैटू था. पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद अज्ञात लाश का अंतिम संस्कार कर दिया था. लेकिन इससे पहले लाश की तस्वीरें और खासकर उसके दाहिने हाथ पर बने टैटू की तस्वीर भी ले ली थी. पुलिस जानती थी कि लड़की के हाथ बना टैटू इस केस में अहम सुराग बन सकता है. अब मामला भले ही ठंडे बस्ते में चला गया था. लेकिन वो टैटू जांच अधिकारी और जांच टीम के सदस्यों की जानकारी में था.

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11 अप्रैल 2017, मुखबिर से मिली सूचना
साल 2010 से ही यह मामला पुलिस के लिए एक मिस्ट्री बन गया था. लेकिन कहते हैं ना कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं. अपराधी चाहे कितना भी शातिर हो एक ना एक दिन कहीं ना कहीं कानून की गिरफ्त में आ ही जाता है. 11 अप्रैल 2017 को यानी लड़की की लाश मिलने के 9 साल बाद अचानक दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को एक मुखबिर से खबर मिली कि हाथ पर 'A' टैटू वाली लड़की के कत्ल से राहुल नाम के एक लड़के का कनेक्शन था. पुलिस के लिए ये खबर बड़ी अहम साबित होने वाली थी. ऐसा लग रहा था कि बस कातिल अब पकड़ में आ ही गया. मगर कहानी कुछ और ही थी.

12 अप्रैल 2017, पुलिस ने राहुल को उठाया
उस दिन पुलिस ने पूरी तैयारी से मुखबिर के बताए ठिकाने पर दबिश दी और वहां से राहुल नाम के एक लड़के को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने राहुल से पूछताछ शुरू की. उससे पूछा कि वो सिंतबर 2008 में कहां-कहां गया? क्या काम करता था? किसके साथ दोस्ती यारी थी? तमाम ऐसे सवाल उस पर दागे गए, लेकिन इधर-उधर की बातें करता रहा. उसने कहा कि पुरानी बात है उसे कुछ याद नहीं. फिर पुलिस ने उसे मरने वाली लड़की की लाश के फोटो और उसके हाथ पर बने टैटू का फोटो दिखाया तो वो सकपका गया. उसके होश गुम हो गए. पुलिस ने जब उसके साथ थोड़ी सख्ती दिखाई तो वो टूट गया और फिर सच उगलने लगा.

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23 सितंबर 2008 को किया गया था लड़की का कत्ल
लड़की के हाथ पर टैटू वाली तस्वीर को देखने के बाद राहुल ने बताया कि मरने वाली लड़की का नाम आरती था. वो उसके दोस्त रिंकू उर्फ बिजेंद्र की प्रेमिका और लिव इन पार्टनर थी. रिंकू ने ही आरती के कत्ल की साजिश रची थी. और राहुल क्योंकि उसका दोस्त था. इसलिए उसने इस अजीम गुनाह में रिंकू का साथ दिया था. और लाश को ठिकाने लगाने में मदद भी की थी.

14 अप्रैल 2017, पकड़ा गया आरती का गुनहगार रिंकू
राहुल ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था. टैटू वाली लड़की का राज खुल चुका था. अब बारी थी आरती के असली गुनहगार बिजेंद्र उर्फ रिंकू को पकड़ने की. पुलिस ने राहुल की निशानदेही पर रिंकू को भी गिरफ्तार कर लिया. अब वो दिल्ली के पटेल नगर इलाके में रहने लगा था. उसने एक लड़की से शादी भी कर ली थी और उसके तीन बच्चे भी हो चुके थे. अब पुलिस रिंकू से उसके गुनाह की कहानी सुनने वाली थी.

ऐसे हुई थी रिंकू और आरती की मुलाकात
इस कहानी का आगाज़ साल 2006 में हुआ था. दरअसल, आरती और रिंकू दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में रहते थे. 16 साल की आरती की दोस्ती पड़ोस में रहने वाले बिजेंद्र उर्फ रिंकू से हुई थी. कुछ दिनों बाद दोनों एक दूसरे के करीब आ गए. दोनों पर इश्क का खुमार चढ़ने लगा था. दो साल दोनों का प्रेम प्रसंग चलता रहा. दोनों छुप-छुपकर एक-दूसरे से मिला करते थे. घूमने जाते थे. लेकिन जैसे ही आरती 18 साल की हुई. वो दोनों एक दूसरे के साथ रहने लगे थे. शादी की बात हो जाने पर उनके परिवार वालों ने भी इस बात पर एतराज नहीं किया.  

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थोड़े दिनों बाद ही बिगड़ने लगा था रिश्ता
आरती के घरवालों ने एक दिन उनके कमरे पर जाकर देखा कि आरती और रिंकू दोनों बहुत खुश थे. आरती ने अपने परिजनों को बताया कि वो उसे बहुत प्यार करता है. उसे खुश रखता है. घरवालों को इत्मिनान हो गया. अब वे बेटी की तरफ से बेफिक्र थे. बस उन्हें इंतजार था उनकी शादी का. मगर आरती और रिंकू का ये रिश्ता थोड़े दिनों बाद ही बिगड़ने लगा. उनका इश्क अब झगड़े में बदलने लगा. आए दिन दोनों एक दूसरे से लड़ते थे. 

23 सितंबर 2008, ऐसे हुआ था आरती का मर्डर
पुलिस के मुताबिक, पैसे की तंगी की वजह से रिंकू परेशान था. वो बात-बात पर आपा खोने लगा था. इसी दौरान रोज के झगड़े और क्लैश से तंग आकर उसने आरती के कत्ल की साजिश रच डाली. उस रात, बिजेंद्र उर्फ रिंकू ने बहाने से एक सादे कागज पर आरती के साइन ले लिए. इसके बाद फिर से दोनों के बीच झगड़ा होने लगा. इसी दौरान बिजेंद्र उर्फ रिंकू ने आरती का गला घोंट दिया. कुछ देर में ही आरती ने दम तोड़ दिया. उसके आशिक ने ही उसे हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया था.

पहले ऑटो, फिर कार में ले गए थे लाश
अब बारी थी आरती की लाश को ठिकाने लगाने की. उसने रात में ही एक ऑटो किया और ऑटो चालक से कहा कि उसकी पत्नी पर भूत प्रेत का साया है, वो उसे इलाज के लिए नजफगढ़ में एक तांत्रिक बाबा के पास ले जा रहा है. ऑटोवाले ने उसे नजफगढ़ में छोड़ दिया. जहां पहले से उसका दोस्त राहुल कार में उसका इंतजार कर रहा था. वो कार राहुल के चाचा की थी. उन दोनों ने आरती की लाश को कार डाला और उसे नजफगढ़ के सुराखपुर रोड ले गए. वहां दोनों ने आरती को लाश को कार से निकाला और झाड़ियों में ले गए. इसके बाद दोनों ने मिलकर पत्थरों से आरती के चेहरे को इस तरह से कुचला कि उसकी पहचान कर पाना नामुमकिन हो गया. फिर दोनों लाश को वहीं फेंककर वहां से निकल गए.

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रिंकू ने ही आरती के घरवालों को लिखी थी चिठ्ठी
बिजेंद्र उर्फ रिंकू ने पूछताछ के दौरान खुलासा करते हुए बताया कि कत्ल के बाद उसने आरती की तरफ से उसके घरवालों के नाम एक चिठ्ठी लिखी. जिसमें आरती की तरफ से लिखा था "मैंने एक वकील के लड़के से शादी कर ली है. और वह उसके साथ बहुत खुश हूं. मैंने जो रिंकू के बारे में सोचा था, वो वैसा नहीं था. इसलिए मैंने रिंकू का साथ छोड़ दिया है. मां और पापा अब आप मुझे ढूंढने की कोशिश न करना और न ही मुझसे मिलने की कोशिश की जाए." इस चिठ्ठी के अंत में आरती के ही दस्खत थे. दरअसल, ये चिठ्ठी उस कोरे कागज पर लिखी गई थी, जिस पर रिंकू ने कत्ल से पहले आरती के साइन लिए थे. ये चिठ्ठी डाक के जरिए रिंकू ने आरती के घरवालों को भेजी थी. इसके बाद वो खुद भी आरती के घर गया था. उसने वहां जाकर बताया था कि आरती उसे छो़ड़कर एक वकील के बेटे के साथ चली गई है.

प्रेमी नहीं, कातिल था बिजेंद्र उर्फ रिंकू
पुलिस के आगे की तफ्तीश में पता चला कि आरती का प्रेमी बिजेंद्र उर्फ पेशे से एक तांत्रिक था. वैसे तो उसने आरती को जीवनभर खुश रखने की कसम खाई थी. लेकिन गुस्से और हालात ने उसे अपनी ही मोहब्बत का कातिल बना दिया. पुलिस ने साल 2017 में ही रिंकू को जेल भेज दिया था. बाद में अदालत ने भी उसे दोषी करार दे दिया था, वो अभी भी जेल में अपने किए की सजा काट रहा है.

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