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तो ये है दिल्‍ली की सबसे बड़ी लूट का रहस्‍य

दिल्ली की सबसे बड़ी लूट की सबसे बड़ी मिस्ट्री सुलझ गई है. इस सबसे बड़ी लूट का मास्टरमाइंड कोई और नहीं छोटा उस्ताद निकला. सन 2000 के मैच फिक्सिंग के आरोपी राजेश कालरा के करोड़ों रुपये लुटवा देने वाला कोई और नहीं बल्कि एक नाबालिग लड़का है.

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दिल्ली की सबसे बड़ी लूट की सबसे बड़ी मिस्ट्री सुलझ गई है. इस सबसे बड़ी लूट का मास्टरमाइंड कोई और नहीं छोटा उस्ताद निकला. सन 2000 के मैच फिक्सिंग के आरोपी राजेश कालरा के करोड़ों रुपये लुटवा देने वाला कोई और नहीं बल्कि एक नाबालिग लड़का है. जो राजेश कालरा के यहा दो महीने पहले नौकरी पर आया था. इस सबसे बड़ी लूट को अंजाम देने के लिए इस नाबालिग ने एक बिल्कुल नया गैंग खड़ा किया था.

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घर के भेदी ने ही मैच फिक्सर राजेश कालरा की दौलत पर नजर लगा दी. घर के भेदी ने ही लूट की ऐसी साजिश रची कि वो लूट दिल्ली की सबसे बड़ी लूट बन गई. कमाल तो ये हुआ कि घर का ये भेदी कोई छटा हुआ बदमाश या लुटेरा नहीं बल्कि एक ऐसा नाबालिग निकला, जिसकी जिंदगी का ये पहला जुर्म था. उससे भी बड़ा कमाल ये कि जिन लोगों को उसने इस साजिश का हिस्सा बनाया वो सब भी नए और उनका गैंग भी नया था.

सन 2000 के मैच फिक्सिंग के गुनहगारों में से एक राजेश कालरा के करोड़ों रुपये लूटने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका अपना मुलाजिम राजेश निकला. राजेश कालरा का घरेलू नौकर और ड्राइवर. घर से हर दूसरे-चौथे दिन इतनी दौलत बाहर जाते देख उसकी नीयत खराब हुई और इसी के बाद उसने लूट का एक प्लान तैयार किया. एक ऐसा प्लान जिसमें अलग-अलग लोगों को शामिल कर एक बिल्कुल नया गैंग तैयार किया गया.

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दिल्ली की इस सबसे बड़ी लूट की साजिश की शुरुआत करीब एक महीने पहले हुई. साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए कार चोर से लेकर जेल में बंद बदमाशों और हरियाणा के कुछ खास लुटेरों को चुना गया. इसके बाद कई-कई बार पूरे रूट की रेकी की गई. रास्ते में पड़ने वाले हर सीसीटीवी कैमरे को तलाशा गया. कैमरे से बचने के उपाय ढूंढे गए. वारदात के बाद निकल भागने का एस्केप रूट तैयार किया गया. लूट को अंजाम देने और फिर निकल भागने के लिए तीन-तीन गाड़ियां चुराई और लूटी गईं. बड़ा हाथ मारने से पहले ट्रायल के तौर पर एक छोटी लूट की वारदात को भी अंजाम दिया गया. 32 लाख की उस लूट की रकम से हथियार खरीदे गए.

सारी तैयारी मुकम्मल होते ही 28 जनवरी को आखिरकार दिल्ली की सबसे बड़ी लूट को अंजाम दे दिया गया. लूट के बाद उन्हीं रास्तों से लुटेरे निकल भागने में भी कामयाब रहे जो उन्होंने भागने के लिए चुने थे. इतना ही नहीं वारदात के बाद कौन कितने पैसे लेकर जाएगा ये भी पहले से तय था. और तो और ये भी प्लान का हिस्सा था कि वारदात के बाद सब अलग-अलग भागेंगे और कोई भी एक-दूसरे को अपने ठिकाने के बारे में नहीं बताएगा. यानी लूट की रकम के साथ कौन कहां छुपा है ये खुद लुटेरों के इस गैंग तक को पता नहीं था. ये तरीका इसलिए चुना गया ताकि अगर कोई एक पकड़ा भी जाए तो वो बाकियों का ठिकाना ना बता सके.

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इस लूट को अंजाम देने के लिए एक महीने से तैयारी चल रही थी. प्लानिंग इतनी जबरदस्त थी कि सबसे बड़ी लूट से पहले गैंग ने ट्रायल के तौर पर एक छोटी लूट को अंजाम दिया. अलग-अलग दिनों में तीन अलग-अलग कारें लूटीं. जिन रास्तों पर लूट की वारदात को अंजान देना था उन रास्तों पर लगे हरेक सीसीटीवी कैमरों की जानकारी निकाली. और तो और लूट के बाद गैंग के हर सदस्य ने तय किया कि कौन कहां भागेगा ये वो आपस में भी किसी को नहीं बताएंगे.

दिल्ली की इस सबसे बड़ी लूट का आइडिया सबसे पहले राजेश कालरा के एक नाबालिग घरेलू नौकर और ड्राइवर को आया. जो दो महीने पहले ही राजेश कालरा के घर नौकरी पर आया था. नौकरी पर आने के बाद उसने देखा कि राजेश कालरा का मैनेजर राकेश अकसर करोड़ों रुपये बैग में लेकर कालकाजी से चांदनी चौक, कनॉट प्लेस और करोल बाग के लिए कार में जाता है. कई बार वो नाबालिग ड्राइवर भी पैसे लेकर राजेश कालरा के मैनेजर और बाकी मुलाजिमों के साथ गया था. दरअसल राजेश कालरा का कनाट प्लेस के दो बैंक और करोल बाग के दो बैंक में खाता और लॉकर है. पैसे वहीं बैंक में जमा कराने या लॉकर में रखने के लिए भेजे जाते थे. इसके अलावा चांदनी चौक में भी कई बार नोटों की डिलिवरी हुई.

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नाबालिग नौकर ने करीब महीने भर पहले ये बात एक रात शराब पीने के दौरान अपने मामा के बेटे अजय को बताई. अजय दिल्ली के मदनगीर में रहता है. अजय ने बाद में ये बात अपने एक रिश्तेदार शक्ति को बताई. शक्ति पुराना कार चोर है और कई बार जेल जा चुका है. 2002 में बैंक रॉबरी के सिलसिले में भी वो जेल जा चुका है. जेल में ही शक्ति की मुलाकात बाहरी दिल्ली के कराला इलाके में रहने वाले प्रदीप से हुई थी. जो छोटा-मोटा क्रिमिनल है. प्रदीप की हरियाणा के लुटेरों के कुछ गिरोह से दोस्ती थी. लिहाजा प्रदीप ने उस गिरोह के कुछ लोगों को भी इस प्लान में शामिल कर लिया. इस तरह करीब आठ-दस लोगों का एक गैंग तैयार हुआ. खास इस लूट को अंजाम देने के लिए.

गैंग तैयार होते ही सबसे पहले नाबालिग ड्राइवर की खबर पर उस पूरे रूट की रेकी शुरू हुई जिस रूट से राजेश कालरा का पैसा कार में जाता था. राजेश कालरा को लूटने से पहले गैंग ने ट्रायल के तौर पर और हथियार खरीदने के लिए एक छोटी लूट को अंजाम दिया। छह जनवरी को उन्होंने ओखला के एक बिजनेसमैन से 32 लाख रुपये लूटे. इस पैसे से बाद में हथियार खरीदे गए, जिसका इस्तेमाल बड़ी लूट के लिए किया जाना था.

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गैंग को लूट के लिए गाड़ी की भी जरूरत थी. लिहाजा आठ जनवरी को अलीपुर से उन्होंने एक इनोवा कार लूटी. मगर बाद में पता चला कि कार में कुछ गड़बड़ी है. लिहजा 21 जनवरी को मुंडका से उन्होंने एक वेरना कार चुराई. फिर 24 जनवरी को जहांगीरपुरी इलाके से एक वैगन-आर कार लूटी और फिर महंगी जेटा कार चुराई. इस दौरान रेकी का काम लगातार जारी था. बस इंतजार था तो नाबालिग ड्राइवर के इशारे का.

और आखिरकार 27 जनवरी की रात राजेश कालरा के नाबालिग ड्राइवर ने गैंग को खबर कर दी. खबर ये कि 28 जनवरी की सुबह नौ बजे दो बैग में करोड़ों रुपये होंडा सिटी कार में ले जाया जाएगा. इसी के बाद गैंग के तमाम लोग वैगन-आर, वेरना और जेटा यानी कुल तीन कारों में सुबह ही कालकाजी में राजेश कालरा के घर के करीब पहुंच गए. इसके बाद जैसे ही होंडा सिटी घर से निकली तीनों कारों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया.

आखिर सुबह नौ बज कर 25 मिनट पर मूलचंद फ्लाईओवर के करीब उन्हें होंडा सिटी को ओवरटेक कर उसे रोकने का मौका मिल गया. वैगन-आर कार ने ओवरटेक किया और पीछे से आ रही वेरना में सवार बदमाशों ने गन प्वाइंट पर कार में रखे सारे पैसे लूट लिए और कार में सवार लोगों को नीचे उतारकर उसी कार में वहां से भाग निकले. वेरना कार में भी लुटेरे साथ निकल लिए. वैगन-आर कार उन्होंने वहीं छोड़ दी थी.

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गैंग की तीसरी यानी जेटा कार दोनों कार से दूर थी. मौका-ए-वारदात से करीब एक किलोमीटर दूर लुटेरों ने वेरना कार सड़क किनारे छोड़ दी और साथ आ रही जेटा कार में बैठ कर वहां से निकल लिए. इसके बाद जेटा कार सीधे कोटला मुबारकपुर पहुंची. होंडा सिटी में सवार लुटेरे भी कोटला मुबारकपुर पहुंच गए. अब होंडा सिटी को वहीं सड़क किनारे छोड़ अब सारे लुटेरे जेटा में सवार हो गए. पैसे लेकर वहां से सीधे महिपालपुर पहुंचे.

महिपालपुर में पैसों का बटवारा हुआ और फिर सभी लुटेरे पैसे लेकर अलग-अलग निकल भागे. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब तक इस सिलसिले में गैंग के तीन सदस्य भोला उर्फ गुलजार, प्रवीण और टिंकू को गिरफ्तार कर लिया है. राजेश कालरा का नाबालिग नौकर पहले से ही पुलिस हिरासत में हैं. बाकी लुटेरों की तलाश के लिए लगातार छापे मारे जा रहे हैं.

केस करीब-करीब सुलझ गया है. तीन लुटेरे पकड़े गए बाकी पकड़ लिए जाएंगे. पर क्या लूट की पूरी रकम बरामद हो पागी? ये सवाल इसलिए क्योंकि लुटने वाला खुद ही लूटी गई रकम के बारे में जानकारी छुपा रहा है. अब ऐसे में जाहिर है ये पुलिस पर ही है कि बरामदगी के तौर पर कितनी रकम दिखाती है. वैसे बरामदगी के बारे में अपनी दिल्ली पुलिस का रिकार्ड कोई अच्छा नहीं है.

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28 सितंबर 2012
डिफेंस कालोनी, साउथ दिल्ली
5 करोड़ 25 लाख की लूट
तब ये दिल्ली की सबसे बड़ी लूट थी. बैंक के कैश वैन से सरेआम बंदूक की नोक पर पांच करोड़ 25 लाख रुपये लूट लिए गए थे. बाद में लुटेरे पकड़े भी गए. लूट की रकम भी बरामद हो गई, पर पूरी नहीं. बल्कि चार करोड़ कुछ लाख रुपये, बाकी की रकम आज तक नहीं मिली.

28 जनवरी
लाजपत नगर, साउथ दिल्ली
आठ से पंद्रह करोड़ की लूट?
28 जनवरी को दिल्ली में सबसे बड़ी लूट का पुराना रिकार्ड टूटा. लूट की साजिश का खुलासा हो गया है, तीन पकड़े भी गए. बाकी के भी जल्द पकड़ लिए जाने की उम्मीद है. पर क्या लूट की सारी रकम वापस मिलेगी? फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यही है.

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