कोरोना ने दुनिया के किसी कोने को नहीं छोड़ा. अलबत्ता कोरोना के चक्कर में ईरान को अपनी जेल में बंद करीब 70 हजार कैदियों को जरूर छोड़ना पड़ा. सिर्फ इस डर से कि कहीं जेल में कोरोना दाखिल हो गया तो कैदियों का क्या होगा? ईरान से दूर दिल्ली की तिहाड़ जेल को भी यही चिंता सता रही है. तिहाड़ जेल पिछले दो-तीन महीनों से लगातार सुर्खियों में है. क्योंकि इसी तिहाड़ की जेल नंबर तीन में निर्भया के चारों गुनहगारों यानी मुकेश, पवन, अक्ष्य और विनय को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जानी है. मगर फांसी से पहले तिहाड़ कोरोना को लेकर परेशान है. और परेशानी की सबसे बड़ी वजह है तिहाड़ में कैदियों की जबरदस्त भीड़. दिल्ली की सभी जेलों में आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं. जेल में आने वाले हर नए कैदी की स्क्रीनिंग हो रही है.
तिहाड़ में कुल 9 जेल है. तिहाड़ के अलावा दिल्ली के रोहिणी में 1 जेल और मंडोली में 6 जेल हैं. यानी कुल मिला कर दिल्ली में 16 जेल हैं. इन 16 जेलों की कुल क्षमता करीब 10 हजार है, जबकि इस वक्त इन जेलों में लगभग 18 हजार कैदी रह रहे हैं. और यही सबसे बड़ी चिंता की बात है. एक तो कैदियों का जेल से कोर्ट आना-जाना, दूसरा कैदियों की घर-रिश्तेदारों से मुलाकात और फिर एक-एक सेल में क्षमता से अदिक कैदियों का एक साथ रहना. अंदाजा लगाइए कि अगर एक कैदी भी कोरोना से संक्रमित होता है तो फिर पूरी जेल खाली करने की नौबत आ जाएगी. लिहाजा इसी खतरे को देखते हुए तिहाड़ ने कोरोना से बचाव के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए हैं.
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दिल्ली की सभी 16 की 16 जेल में आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं. जेल में आने वाले हर नए कैदी की स्क्रीनिंग हो रही है. स्क्रीनिंग के बाद हर नए कैदी को पहले तीन दिन अलग बैरक में रखा जा रहा है. हफ्ते में दो मुलाकात को फिलहाल एक मुलाकात में बदल दिया गया है. मुलाकात के लिए आने वाले लोगों की भी स्क्रीनिंग की जा रही है. कैदियों के साथ-साथ जेल स्टाफ के लिए भी साफ-सफाई के इंतजाम किए जा रहे हैं. जरूरत के हिसाब से कैदियों और जेल स्टाफ को मास्क दिए जा रहे हैं. तिहाड़ के अंदर ही सामान्य सर्जिकल मास्क भी बनाए जा रहे हैं.
उधर, दूसरी तरफ जेल प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक निर्भया के चारों गुनहगारों की रोजाना जांच की जा रही है. चूंकि डेथ वॉरंट पहले ही जारी हो चुका है. लिहाज़ा, जेल मैनुअल के हिसाब से वैसे ही उनकी मेडिकल जांच रोजाना होती है. मुकेश, पवन, अक्षय और विनय फिलहाल अलग-अलग सेल में रखे गए हैं. सूत्रों के मुताबिक 18 मार्च को चारों को डेथ सेल में भेज दिया जाएगा. 18 मार्च से पहले ही मेरठ से पवन जल्लाद को भी तिहाड़ आने को कह दिया गया है. चूंकि चारों में से किसी का कोई भी मामला फिलहाल किसी भी अदालत में लंबित नहीं है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इस बार बीस मार्च को चारों को फांसी हो ही जाएगी.
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वैसे अब सिर्फ़ तीन दिन बचे हैं इन चारों की ज़िंदगी के. मगर मौत को टालने की इनकी कोशिश लगातार जारी है. हालांकि इन कोशिशों को झटके भी लगातार लग रहे हैं. मौत से बचने की मुकेश की ऐसी ही एक और कोशिश सोमवार को फिर नाकाम हो गई. मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि उसे क्यूरेटिव पिटीशन फिर से दाखिल करने की इजाज़त दी जाए, जो कि पहले ही सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है. मुकेश की इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर खारिज कर दिया. और इस तरह आज की तारीख में निर्भया के चारों गुनहगारों यानी मुकेश, पवन, अक्षय और विनय की कोई भी याचिका किसी भी अदालत में अब लंबित नहीं है. यानी क़ायदे से फांसी का रास्ता साफ़ है.
डेथ वारंट के हिसाब से 20 मार्च शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे चारों को फांसी देने में इस वक़्त कोई अड़चन नहीं है. हालांकि देश की अदालतों से उम्मीद खो चुके निर्भया के गुनहगारों के वकील ने अब सीधे इंटरनेशनल कोर्ट ऑप जस्टिस यानी आईसीजे का दरवाजा खटखटा दिया है. मगर आईसीजे फांसी रोकने के लिए कोई अड़ंगा लगाएगा ऐसी उम्मीद नहीं है.