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हनीप्रीत का 'रूहानी दीदी' अवतार और राम रहीम का तिलिस्म... जानें- पैरोल पर क्यों मचा बवाल

हनीप्रीत ही राम रहीम की सबसे करीबी मानी जाती है. डेरे के कई महत्‍वपूर्ण फैसलों में वो शामिल थी. राम रहीम की फिल्‍मों को भी उसी ने डायरेक्‍ट किया था. उसने 'MSG: द वॉरियर लॉयन हार्ट' का डायरेक्शन भी किया था.

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हनीप्रीत ही राम रहीम इंसा की सबसे बड़ी राजदार मानी जाती है
हनीप्रीत ही राम रहीम इंसा की सबसे बड़ी राजदार मानी जाती है

डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख और रेप का दोषी गुरमीत राम रहीम 40 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आ गया है. जेल से बाहर आते ही वो सुर्खियों में आ गया. उसने बाहर आकर साफ कर दिया कि डेरे का गुरू वही है और वही रहेगा. साथ ही एक बार फिर उसने अपनी राजदार हनीप्रीत का नाम बदल दिया है. हनीप्रीत को अब 'रूहानी दीदी' के नाम से जाना जाएगा. रेपिस्ट बाबा को पैरोल पर मिली 40 दिन की आजादी खूब चर्चाओं में है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये पूरी कहानी? क्यों विवादों में आ गया है ये पूरा मामला? 

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विवादों में राम रहीम की पैरोल
डेरा सच्चा सौदा का चीफ गुरमीत राम रहीम इंसा 40 दिन की पैरोल पर बाहर आया है. हत्या और रेप जैसे संगीन मामलों का सजायाफ्ता गुरमीत राम रहीम इस वक्त बरनावा के आश्रम में मौजूद है, जहां उसके साथ उसकी मुंह बोली बेटी हनीप्रीत और परिवार के अन्य सदस्य भी हैं. उसके भक्त भारी संख्या में आश्रम पहुंच रहे हैं. जहां उनकी सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं. आश्रम में अनजान लोगों के प्रवेश पर रोक है. केवल डेरा के सदस्य और अनुयायी ही अंदर जा सकते हैं. ऐसे में रेपिस्ट बाबा की पैरोल पर सवाल उठ रहे हैं. हरियाणा की खट्टर सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई है. आरोप लग रहा है कि हरियाणा सरकार राम रहीम को अपने चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है. बार-बार उसे पैरोल दिया जा रहा है. 

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नेता भी ले रहे हैं आर्शीवाद
आपको बता दें कि हाल ही में हरियाणा की आदमपुर सीट पर उपचुनाव और पंचायती चुनाव होने जा रहा है. यही वजह है कि विपक्षी पार्टियों ने सत्ता में काबिज भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. उसकी पैरोल भी विपक्ष के निशाने पर है. हालांकि कई राज नेता राम रहीम का आशीर्वाद लेने के लिए उसके सत्संग में जा रहे हैं. पंचायत चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार भी दोषी बाबा का आशीर्वाद लेने जा रहे हैं. भाजपा नेताओं का राम रहीम के सामने नतमस्तक होना भी चर्चा का विषय बना हुआ है.

दो बार किया ऑनलाइन सत्संग
जेल से पैरोल पर निकलने के बाद राम रहीम यूपी के आश्रम में मौजूद है. जहां से वो दो बार सोशल मीडिया के जरिए सत्संग कर चुका है. उसके सत्संग को यूपी, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों और विदेशों में भी यू-ट्यूब पर देखा गया गया.

राम रहीम की पैरोल पर घिरे सीएम खट्टर
मर्डर और रेप के दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह को दी गई पैरोल पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी घिर गए. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री खट्टर ने बुधवार को कहा कि राम रहीम सिंह को दी गई परोल में उनकी कोई भूमिका नहीं है क्योंकि जेल के अपने नियम होते हैं.  अपनी सरकार के आठ साल पूरे होने पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सीएम खट्टर ने कहा कि अदालतें कारावास की घोषणा करती हैं और एक दोषी जेल जाता है. उसके बाद जेल के नियम सभी कैदियों पर लागू होते हैं.

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पैरोल पर अनिल विज की सफाई
इससे पहले, हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने अपने बयान में कहा कि दोषी गुरमीत राम रहीम पैरोल पर ऑनलाइन 'सत्संग' कर रहे हैं. जेल विभाग द्वारा पैरोल दी जाती है. मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है. अगर करनाल का कोई व्यक्ति गुरमीत राम रहीम पर विश्वास करता है और उसे देखने गया है, तो उसका आदमपुर चुनाव से क्या संबंध है?

3 नवंबर को है आदमपुर में उपचुनाव
दरअसल, 3 नवंबर को हरियाणा में आदमपुर उपचुनाव और पंचायत चुनाव से पहले राम रहीम को पैरोल देने के फैसले से कोहराम मचा हुआ है. जेल से बाहर आने के बाद राम रहीम उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम में रह रहा है. और वहां से ऑनलाइन प्रवचन भी कर रहा है. उसके सत्संग में काफी संख्या में अनुयायी पहुंच रहे हैं, जिनमें हरियाणा के कई भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता भी शामिल हैं. इससे पहले भी रेपिस्ट बाबा पैरोल पर जेल से बाहर आ चुका है. 
आगे बढ़ने से पहले आपको ये भी बता दें कि पैरोल और फरलो क्या है? कैसे सजायाफ्ता कैदी को ये मिलती है?

क्या है पैरोल
जेल में बंद किसी भी कैदी को आपातकालीन स्थिति या विशेष परिस्थितियों में अल्प समय के लिए जेल रिहा किए जाने की प्रक्रिया पैरोल कहलाती है. इसमें कैदी से जुड़े हालात का जायजा लिया जाता है. उसके आचरण को भी देखा जाता है. पैरोल देने का अधिकार सरकार या कोर्ट के पास होता है. जबकि किसी कैदी को फरलो दिए जाने का अधिकार जेल महानिदेशक के पास होता है.

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क्या है फरलो
फरलो पैरोल की तरह ही होता है. सजायाफ्ता कैदी को एक साल में तीन बार कुल सात सप्ताह के लिए फरलो दी जा सकती है. इसमें शर्त यह होती है कि कैदी कम से कम तीन साल की सजा काट चुका हो. जेल में उसका आचरण अच्छा हो. फरलो के आवेदन पर विचार करने का अधिकार जेल महानिदेशक को होता है. जबकि पैरोल में यह अधिकार सरकार और कोर्ट के पास होता है. जेल अधिकारियों के मुताबिक पहले हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, दुष्कर्म, वसूली और आपराधिक प्रवृत्ति के कैदियों को यह सुविधा नहीं मिलती थी. बाद में फरलो के नियमों में कुछ बदलाव किए गए थे. तभी मनु को इसका लाभ मिला था.

दूसरी बार बदला हनीप्रीत का नाम
राम रहीम ने अपनी चहेती शिष्या और मुंह बोली बेटी का नाम फिर से बदल दिया है. उसने बागपत आश्रम में हनीप्रीत के नए नाम का ऐलान किया. उसने कहा कि अब हनीप्रीत का नाम रूहानी दीदी होगा. हनीप्रीत नाम भी उसे राम रहीम ने ही दिया था. लेकिन अब हनीप्रीत को रूहानी दीदी के नाम से जाना जाएगा. आखिर हनीप्रीत है कौन? उसका परिवार कहां है? उसके घर में कौन-कौन हैं? ऐसे तमाम सवालों के जवाब हम आपको बताने जा रहे हैं.

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नया नाम-        रूहानी दीदी
नाम-              हनीप्रीत इंसा
असली नाम-    प्रियंका तनेजा
पिता-              रामननंद तनेजा
मां-                आशा तनेजा
भाई-              साहिल तनेजा
बहन-             नीशु तनेजा
मूल निवास-     फतेहाबाद, हरियाणा

दसवीं पास करने के बाद डेरे में आई थी हनीप्रीत
मूल रूप से हरियाणा के फतेहाबाद जिले की रहने वाली प्रियंका तनेजा 1996 में पहली बार डेरे के कॉलेज में 11वीं क्लास में पढ़ने के लिए आई थी. पहले डीएवी स्कूल फतेहाबाद से उसने दसवीं की परीक्षा पास की थी. डीएवी स्कूल में प्रियंका की तत्कालीन क्लास टीचर सुनीता मदान के मुताबिक वो पढ़ने में तेज नहीं थी. मगर उसे नाचने, गाने और अभिनय का बहुत शौक था. जब वह डेरे में आई तो उसी साल राम रहीम लड़कियों को आर्शीवाद देने के बहाने उनके स्कूल में आया. तभी उसकी नजर प्रियंका तनेजा पर पड़ी.

प्रियंका ऐसे बनी थी राम रहीम की हनीप्रीत
कुछ समय बाद ही राम रहीम ने प्रियंका तनेजा को अपने वश में कर लिया. और फिर उसका नया नाम करण किया गया. अब प्रियंका राम रहीम की हनीप्रीत बन चुकी थी. धीरे-धीरे हनीप्रीत और राम रहीम की नजदीकियां बढ़ने लगी. ऐसे में बाबा के राज भी हनीप्रीत के सामने आने लगे. हनीप्रीत अब गुरमीत की सबसे करीबी बन गई थी. गुरमीत उस पर इतना मेहरबान था कि उसे कभी डेरे से बाहर नहीं जाने दिया. उसकी पढ़ाई लिखाई सब डेरे में ही करवाई गई. वहीं पर उसके नाम पर कई बड़े कारोबार शुरू किए गए.

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डेरे से जुड़ा था हनीप्रीत का परिवार
दरअसल, प्रियंका तनेजा का पूरा परिवार पिछले कई सालों से डेरे का अनुयायी है. आज भी डेरे में कई बड़े प्रोजेक्ट हनीप्रीत के नाम से चल रहे हैं. यही नहीं उसके भाई साहिल तनेजा को भी गुरमीत का आर्शीवाद मिला. वह डेरे में बड़े स्तर पर कारोबार करता है. हनीप्रीत के पिता रामानंद तनेजा पहले पुरानी दिल्ली के सामने एमआरएफ टायर्स का शोरूम चलाते थे. जिसका नाम सच टायर्स था. लेकिन बाद में उन्होंने डेरे में ही एक बड़ा सीड प्लांट डाल लिया. हनीप्रीत की एक छोटी बहन है नीशु तनेजा, जिसकी शादी गुड़गांव में हुई है. बताय़ा जाता है कि उसकी शादी में भी बाबा का खास योगदान था.

पिता को मिली थी अहम जिम्मेदारी
इसी तरह से हनीप्रीत के चाचा अभी भी सिरसा के परशुराम चौक पर एमआरएफ टायर का शोरूम चलाते हैं. उसके मामा और कई रिश्तेदार सिरसा के मुख्य मार्गों पर टायरों का कारोबार करते हैं. हनीप्रीत के नाम पर डेरे के अंदर एक बुटीक भी था. उसके पिता रामानंद तनेजा डेरा की पर्चेजिंग कमेटी के हेड थे. बाजार का सारा लेन-देन उनके जिम्मे था. 

केवल नाम की शादी
प्रियंका तनेजा उर्फ हनीप्रीत उर्फ रूहानी दीदी और विश्वास गुप्ता की शादी 14 फरवरी, 1999 को डेरा प्रमुख राम रहीम ने ही कराई थी. हालांकि दोनों की शादी ज्यादा दिन नहीं चल सकी. कुछ समय बाद हनीप्रीत ने राम रहीम से शिकायत की कि उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिए परेशान कर रहे हैं. बताया जाता है कि राम रहीम ने हनीप्रीत की शादी तो गुप्ता से कराई थी, लेकिन उसे कभी भी हनीप्रीत के साथ संबंध बनाने नहीं दिए.

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2009 में राम रहीम ने गोद लिया
राम रहीम ने प्रियंका को साल 2009 में गोद ले लिया था. राम रहीम की खुद की दो बेटियां और एक बेटा है. उनके नाम अमनप्रीत, चमनप्रीत और जसमीत इंसा हैं. इसके बाद साल 2011 में विश्वास गुप्ता ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मुकदमा दायर कर राम रहीम के कब्जे से उसकी पत्नी यानी हनीप्रीत को मुक्त कराने की मांग की थी. गुप्‍ता ने राम रहीम पर हनीप्रीत के साथ अवैध संबंध होने का भी आरोप लगाया था.

हर पल राम रहीम के साथ रहती थी हनीप्रीत
हनीप्रीत ही राम रहीम की सबसे करीबी मानी जाती है. डेरे के कई महत्‍वपूर्ण फैसलों में वो शामिल थी. राम रहीम की फिल्‍मों को भी उसी ने डायरेक्‍ट किया था. उसने 'MSG: द वॉरियर लॉयन हार्ट' का डायरेक्शन भी किया था. राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के दौरान वह कोर्ट रूम से लेकर जेल भेजे जाने तक भी उसके साथ नजर आई थी. 

हनीप्रीत से सलाह लेता था रेपिस्ट बाबा
राम रहीम कोई भी फैसला लेने से पहले सिर्फ हनीप्रीत से ही सलाह लेता था. बाबा की इस बेबी के हाथ में डेरे की सभी चाबियां रहती थीं. पैसे से लेकर हर वो फैसला जो डेरे से संबंधित होता था, वो हनीप्रीत की करती थी. हनीप्रीत ही राम रहीम के फिल्म प्रोडक्शन का काम संभालती थी. बाबा की सारी फिल्में हनीप्रीत ने ही डायरेक्ट की थीं.

राम रहीम का गेमप्लान
राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत अच्छे दिनों में सिरसा डेरा मुख्यालय पर राज करती थी. अब एक बार फिर हनीप्रीत को वहीं ताकत दिलाने के लिए उसका नाम बदला गया है. राम रहीम ने हनीप्रीत को फिर सक्रिय करने के लिए ये फैसला लिया है. पिछले काफी समय से चर्चा थी कि डेरा की कमान हनीप्रीत के हाथों में दी जाने वाली है. शायद इसी लिए ये नाम बदलने की रस्म पूरी की गई है ताकि हनीप्रीत के सर्वे सर्वा बनने के रास्ते की सभी रुकावटें नतमस्तक हो जाएं. कहा जा रहा है कि हनीप्रीत को रूहानी दीदी बनाकर उसने अपनी गद्दी के साथ-साथ डेरा पर हनीप्रीत का प्रभाव और बढ़ा दिया है. राम रहीम और हनीप्रीत न सिर्फ एक दूसरे के राजदार हैं बल्कि राम रहीम पूरी तरह से डेरा की चाबी रूहानी दीदी यानी हनीप्रीत के हाथ करने को बेताब हैं. 

ये रिश्ता क्या कहलाता है?
25 अगस्त 2017 को पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम को दोषी ठहराया था. उस दिन भी हनीप्रीत ही राम रहीम के साथ थी. जेल जाने के बाद राम रहीम ने हनीप्रीत को बहुत मिस किया था और उससे मुलाकात के लिए कितनी तड़प थी, इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगाया जा सकता है कि गुरमीत राम रहीम जेल में हनीप्रीत को अपने साथ रखना चाहता था. और इसके लिए उसने बाकायदा जेल अधिकारियों को चिट्ठी लिखने के साथ साथ कोर्ट में याचिका भी दी थी. उम्रकैद की सज़ा मिलने के बाद राम रहीम ने कोर्ट में याचिक दायर कर अनुरोध किया था कि हनीप्रीत को उसके साथ रहने दिया जाय क्योंकि वह उसकी फिजियोथेरापिस्ट है और वही उसे मसाज भी देती है. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. हनीप्रीत ने भी अपने वकील के जरिए कोर्ट में आवेदन कर जेल में राम रहीम के साथ रहने देने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने उसका आवेदन भी खारिज कर दिया था. 

इस मामले में दोषी है राम रहीम
राम रहीम को चार अन्य लोगों के साथ, पिछले साल 2002 में डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के लिए भी दोषी ठहराया गया था. इसके अलावा डेरा प्रमुख और तीन अन्य को 2019 में 16 साल से अधिक समय पहले एक पत्रकार की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. साथ ही आश्रम की दो साध्वियों के साथ उसे रेप का दोषी पाया गया था. दोनों ही मामलों में उसे 20-20 साल की सजा मिली है.

 

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