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EXCLUSIVE: डोल्कन ईसा ने कहा- चीन के दबाव में झुके बिना हमारी मदद करे भारत

वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) के नेता और चीन के बागी डोल्कन ईसा भारत द्वारा अपना वीजा रद्द किए जाने के बाद यह मानते हैं कि चीन के दबाव में आकर ऐसा किया गया है. उनका यह भी मानना है कि भारत एशिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. उसे चीन के दबाव में झुके बिना उइगर और तिब्बती समुदाय की हक की लड़ाई में साथ देना चाहिए और लोकतंत्र को बचाने में मदद करनी चाहिए.

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वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) नेता डोल्कन ईसा
वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) नेता डोल्कन ईसा

वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) नेता और चीन के बागी डोल्कन ईसा भारत द्वारा अपना वीजा रद्द किए जाने के बाद यह मानते हैं कि चीन के दबाव में आकर ऐसा किया गया है. उनका यह भी मानना है कि भारत एशिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. उसे चीन के दबाव में झुके बिना उइगर और तिब्बती समुदाय की हक की लड़ाई में साथ देना चाहिए और लोकतंत्र को बचाने में मदद करनी चाहिए. इंटरपोल द्वारा रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने पर उनका कहना है कि इंटरपोल राजनीतिक खिलौना बन चुका है.
पेश है डोल्कन ईसा से खास बातचीत का पहला भाग...


सवाल- भारत ने आपको वीजा देने के बाद रद्द किया. इसकी क्या वजह बताई गई. क्या आपने दोबारा कोशिश की?
डोल्कन ईसा- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने बिना किसी तरह का ठोस कारण बताए मेरा वीजा रद्द कर दिया. इसके बाद मैंने दोबारा अप्लाई नहीं किया है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. इसलिए भारत की ये जिम्मेदारी बनती है कि वह उइगर और तिब्बती जैसे लोगों के दमन पर स्पष्ट तौर पर बोले. भारत को एशिया में लोकतंत्र का मॉडल बनना चाहिए.

सवाल- क्या चीन के दबाव में आकर वीजा रद्द किया गया? यदि हां, तो भारत पर किस तरह का दबाव हो सकता है?
डोल्कन ईसा- निश्चित तौर पर चीन के दबाव में आकर भारत ने मुझे और मेरे जैसे अन्य कार्यकर्ताओं को संदेह के आधार पर वीजा देने से मना कर दिया. हम जानते हैं कि चीन भारत के पड़ोस में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति है. लेकिन भारत के लिए चीन के साथ शांति बनाए रखने के साथ ही अन्य सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अधिकारों का समर्थन करते हुए दोनों स्थितियों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है. भारत को चीन जैसे देशों के दबाव में झुके बिना उइगर और तिब्बती समुदाय की मदद करनी चाहिए.

सवाल- भारत के बारे में आप क्या सोचते हैं? इसे कैसे देश के रूप में देखते हैं? भारत से आपकी अपेक्षाएं क्या हैं?
डोल्कन ईसा- हम सभी जानते हैं कि जनसंख्या के आधार में भारत इस ग्रह पर सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. हालांकि, भारत को कुछ क्षेत्रों में गरीबी जैसे व्यापक मुद्दों से सामना करना पड़ रहा है, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति में बदलाव भी हो रहा है. भारत एक बड़े राष्ट्र के रूप में उठ खड़ा हुआ है, जो लोकतंत्र के लिए परिवर्तन करने में सक्षम है. यही बात चीन के बारे में भी कही जा सकती है. मैं भारत आना चाहता था, लेकिन वीजा रद्द होने की वजह से नहीं आ सका. मैं उम्मीद करता हूं कि मैं भविष्य में भारत की यात्रा जरूर करूंगा. मैं आशा करता हूं कि उइगर के लोग भारत की सरकार और यहां के लोगों के साथ मधुर संबंध बनाए रख सकेंगे.

सवाल- आपकी तुलना आतंकी अजहर मसूद से की गई. इस पर क्या प्रतिक्रिया है? आप उसको आतंकी मानते हैं?
डोल्कन ईसा- मैंने मुख्य रूप से मानवाधिकारों के लिए काम किया है. लेकिन मेरे द्वारा उइगर समुदाय का समर्थन करने की वजह से चीनी सरकार ने मुझे आतंकवादी ठहरा दिया. चीन अक्सर शांतिपूर्ण तरीके से मानवाधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को आतंकवादियों से जोड़ने की कोशिश करता है. 9/11 की घटना के बाद से चीन 'आतंकवाद के खिलाफ जंग' के नाम पर पूर्वी तुर्कीस्तान में निर्दोषों का दमन कर रहा है. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने उइगर समुदाय को हिंसक रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा है. मैं पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर के साथ किसी तरह की तुलना को खारिज करता हूं, जिसके लिए चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना वीटो लगाया. इस तरह की तुलना मेरे द्वारा उइगर समुदाय के अधिकारों के लिए किए जा रहे अहिंसक प्रयासों को हतोत्साहित करने की एक कोशिश है.

इंटरव्यू का दूसरा भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

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