
Don Bablu Srivastava: अभी हाल ही में उम्रकैद की सजा पाए कई कैदियों की सजा को माफ कर दिया गया. उन्हें वक्त से पहले रिहा कर दिया गया. जिन राज्यों सरकारों ने ऐसा किया उनमें गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश शामिल है. अब यूपी में ही 28 साल से जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव ने भी उसकी बाकी की सजा माफ कर दिए जाने की गुहार हाई कोर्ट से लगाई है. उसे वक्त से पहले रिहा कर देने की मांग की गई है. जिस बरेली सेंट्रल जेल में बबलू सजा काट रहा है, उसके जेलर ने भी एक तरह से उसकी रिहाई की सिफारिश की है.
केस नंबर-1
गुजरात का बिल्किस बानो गैंगरेप केस
उस एक महिला के साथ गैंगरेप के मामले में अदालत ने 11 दोषियों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी. लेकिन गुजरात सरकार ने तमाम कानूनों को ताक पर रख कर 14 साल बाद अचानक सभी के सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया.
केस नंबर-2
गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या
बिहार के बाहुबली नेता आनंदमोहन को इस हत्याकांड के मामले में पहले फांसी की सजा दी गई थी और बाद में उसे उम्र क़ैद की सज़ा में बदल दिया गया था. मगर 16 साल बाद अचानक आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया गया.
केस नंबर-3
लखनऊ में कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या
इस जघन्य हत्याकांड के दोषी राज्य के तत्कालीन मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उसकी बीवी मधुमणि को अदालत ने उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी. लेकिन 20 साल बाद दोनों पति-पत्नी जेल से रिहा कर दिए गए. हालांकि ये दोनों दस साल से ज्यादा वक्त तक बीमारी के नाम पर अस्पताल में ही रहे.
28 साल से उम्र कैद की सजा काट रहा है ये कैदी
वक्त से पहले इन तमाम लोगों की रिहाई को लेकर तमाम सवाल उठे. लेकिन दलील दी गई कि जेल में इनका बर्ताव बहुत अच्छा था. फिर अच्छी खासी उम्र भी कैद में काट डाली. इसीलिए इनकी रिहाई तो बनती है. तो अगर जेल के अंदर एक तय उम्र काटने वाले कैदियों का अच्छा आचरण और उसकी ढलती उम्र ही वक्त से पहले उसकी रिहाई का पैमाना है तो फिर उस लेटर के बारे में क्या कहेंगे? उम्र कैद में से कायदे से सिर्फ 12 -13 साल जेल में काटने वाले अमरमणि को तो यूपी सरकार रिहा कर देती है. लेकिन यहां एक कैदी पिछले 28 सालों से उम्र कैद की सजा काट रहा है, और खुद जेलर ये लिख रहा है कि उसका आचरण अच्छा है, फिर भी वो रिहा नहीं होता.
बबलू श्रीवास्तव का निरुद्धि प्रमाण पत्र जारी
बरेली सेंट्रल जेल के जेलर ने 18 अगस्त 2023 को उसका निरुद्धि प्रमाण पत्र जारी किया है. यानि एक तरह से स्कूल कॉलेज में छात्रों को दिए जाने वाला कैरेक्टर सर्टिफिकेट. वो कैरेक्टर सर्टिफिकेट 80 के दशक के डॉन रहे, उस ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव का है, जिसे भारत में किडनैपिंग इंडस्ट्री का सबसे बड़ा किंगपिन भी कहा जाता है. बरेली जेल से जारी किए गए उसके कैरेक्टर सर्टिफिकेट में लिखा है कि 18 अगस्त 2023 तक बबलू श्रीवास्तव ने कुल 28 साल तीन महीने और 28 दिन जेल में काटे. जबकि जेल में मिलने वाली छुट्टियां और छूट को जोड़ दें तो 18 अगस्त 2023 तक बबलू श्रीवास्तव जेल के अंदर कुल 33 साल तीन महीने और 14 दिन से बंद है. जेलर की आखिरी लाइन है कि बंदी का इस कारागार में आचरण अच्छा है.
रिहाई के लिए हाई कोर्ट में लगाई अर्जी
हाल के वक्त में जिस तरह उम्र कैद पाए कैदियों को वक़्त से पहले रिहाई मिल रही है, उससे बबलू श्रीवास्तव को भी जेल से बाहर आने की उम्मीद जगी है. जेल के कैरेक्टर सर्टिफिकेट और एक उम्र कैद में दो उम्रकैद काटने वाले बबलू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वक्त से पहले रिहाई की अर्जी लगाई है. दरअसल, बबलू श्रीवास्तव इस वक़्त बरेली जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है. बबलू श्रीवास्तव पर कस्टम अफसर एल.डी. अरोड़ा के कत्ल की साजिश में शामिल होने का इल्जाम था.
कस्टम अफसर के मर्डर केस में मिली थी उम्रकैद की सजा
बबलू श्रीवास्तव को 21 अप्रैल 1995 को सीबीआई की टीम सिंगापुर से गिरफ्तार करके भारत लाई थी. गिरफ्तारी के बाद बबलू कुछ वक़्त तिहाड़ जेल में रहा. फिर वहां से कानपुर जेल में, फिर कानपुर से नैनी जेल. उसके बाद 1999 में बबलू को बरेली सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया था. पिछले 24 साल से बबलू उसी बरेली जेल में बंद है. बबलू के खिलाफ कुल चार बड़े मामले थे. जिनमें से तीन में वो बरी हो गया. जबकि कस्टम अफसर एलडी अरोड़ा मर्डर केस की साजिश में बबलू को उम्र कैद की सजा मिली थी. पिछले 28 सालों से वो यही सजा काट रहा है.
कई बीमारियों का शिकार हो चुका है बबलू
जेल में रहने के दौरान बबलू श्रीवास्तव ने दो किताबें लिखी हैं. लेकिन अब 60 पार कर चुका बबलू आंखों की रोशनी से परेशान है. उसकी रोशनी धीरे-धीरे कम हो रही है. साथ ही बढ़ती उम्र की कई बीमारियों से भी वो घिरा है. बबलू के वकील के मुताबिक अगर मेरिट के हिसाब से जाएं तो जिस तरह हाल ही में उम्र कैद की सजा पाए कई कैदियों को वक्त से पहले रिहा कर दिया गया है, वैसे ही बबलू को भी रिहा कर दिया जाना चाहिए.
बबलू तो नहीं, पर अमरमणि को मिली रिहाई
बरेली सेंट्रल जेल के कस्टडी सर्टिफिकेट के हिसाब से पिछले 28 सालों में बबलू को कोई पेरोल नहीं मिला. यानी इस पूरी मुद्दत में वो एक दिन के लिए भी जेल से बाहर नहीं गया. जबकि उधर, डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम इंसा साल में दो चार चक्कर घर और आश्रम के लगा ही आते हैं. हालांकि पिछले दो चार सालों में कई बार ऐसी अफवाह उड़ी थी कि बबलू को वक्त से पहले रिहायी मिल रही है. अभी पिछले महीने अगस्त में ही मीडिया में ये खबरें तैर रही थी कि 15 अगस्त के मौके पर यूपी सरकार बबलू को रिहा कर देगी. बबलू तो रिहा नहीं हुआ, हां अमरमणि और मधुमणि जरूर रिहा हो गए. जबकि अमरमणि पर सात महीने की एक गर्भवती महिला के कत्ल का इल्जाम था.
हाई कोर्ट के साथ-साथ योगी सरकार से भी गुहार
अमूमन वो केस जिसकी जांच सीबीआई करती है और सीबीआई ही सजा दिलाती है, ऐसे केस में सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए जरूरी है कि राज्य सरकार के साथ-साथ उसके लिए सेंट्रल एजेंसी की भी राय ली जाए. बिल्किस बानों केस से लेकर आनंद मोहन और अमरमणि केस की जांच भी सीबीआई ने की थी. लेकिन रिहाई का फरमान राज्य सरकार ने जारी किया. ठीक ऐसे ही बबलू केस में भी उसकी रिहाई का फरमान यूपी सरकार ही जारी कर सकती है. इसीलिए बबलू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से साथ साथ योगी सरकार के यहां भी वक्त से पहले रिहाई की अपनी अर्जी लगाई है.
जेल के बाहर बबलू को डी कंपनी से खतरा
हालांकि कहा जाता है कि बबलू श्रीवास्तव ने देश के बाहर चलाए गए कई ऑपरेशन में भारतीय एजेंसियों की मदद की है. खासकर नेपाल, यूएई, बांग्लादेश और पाकिस्तान में. ऐसे में सेंट्रल एजेंसियां बबलू की वक्त से पहले रिहाई में रोड़ा अटकाएंगी इसकी उम्मीद कम है. यानी पूरा मामला राज्य सरकार के पास लटका है. हालांकि कहा ये भी जाता है कि जेल के बाहर बबलू श्रीवास्तव की जान को खतरा है, खासकर डी कंपनी से.
कौन है बबलू श्रीवास्तव?
माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव का असली नाम ओम प्रकाश श्रीवास्तव है. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले का रहने वाला है. उनका घर आम घाट कॉलोनी में था. उसके पिता विश्वनाथ प्रताप श्रीवास्तव जीटीआई में प्रिंसिपल थे. बबलू का बड़ा भाई विकास श्रीवास्तव आर्मी में कर्नल है. ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू ने एक बार पेशी के दौरान खुद मीडिया के सामने खुलासा किया था कि वह अपने भाई की तरह सेना में अफसर बनना चाहता था या फिर आईएएस अधिकारी. लेकिन उसकी जिंदगी को कॉलेज की एक छोटी सी घटना ने पूरी तरह बदल दिया और वह कुछ और ही बन गया.