2000 हजार करोड़ रुपए के इंटरनेशनल ड्रग्स सिंडिकेट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने केस दर्ज कर लिया है. ये केस प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया है. इस जांच में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) पहले से शामिल है. एनसीबी ने ही इस सिंडिकेट के सरगना फिल्म प्रोड्यूसर जफर सादिक को गिरफ्तार किया था. उसने पूछताछ में बताया था कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को सात लाख रुपए दिए थे.
सूत्रों के मुताबिक, जफर सादिक ने बताया था कि उसने सात लाख में से पांच लाख बाढ़ रिलीफ फंड में दिए, जबकि दो लाख पार्टी फंड में दिए थे. इस जानकारी के सामने आने के बाद एनसीबी ने मनी लांड्रिंग की जांच के लिए ईडी को खत लिखा था. एनसीबी इस केस की जांच के सिलसिले में उदयनिधि स्टालिन से भी पूछताछ कर सकती है. 36 वर्षीय जफर सादिक को 3500 किग्रा स्यूडोएफेड्रिन की तस्करी मामले में शनिवार को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. एनसीबी चार महीने से तलाश कर रही थी.
तमिलनाडु के कानून मंत्री और द्रमुक नेता एस रेगुपति ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी का ड्रग्स माफिया जफर सादिक के साथ कोई संबंध नहीं है. वहीं बीजेपी का आरोप है कि आरोपी पिछले तीन साल से डीएमके नेताओं के साथ देखा जा रहा था. उसका पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ करीबी संबंध है. तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा कि ईडी से इस केस की गहराई से जांच करके जफर सादिक के ड्रग्स नेटवर्क का पर्दाफाश करे. ताकि तमिलनाडु में ड्रग्स के मुक्त प्रवाह को रोका जाए.
शनिवार को एनसीबी के उप महानिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह ने कहा था कि जफर सादिक के तमिल और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गहरे संबंध मिले हैं. कई हाई प्रोफाइल लोगों के साथ संबंध के अलावा पॉलिटिकल फंडिंग के कुछ मामले भी एजेंसी की जांच के दायरे में हैं. इस मामले संबंधित लोगों को पूछताछ के लिए समन भेजा जाएगा. जफर का काला कारोबार भारत, ऑस्ट्रेलिया से लेकर न्यूजीलैंड तक फैला हुआ है. पिछले महीने उसके सिडिंकेट के तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद उसके नाम खुलासा हुआ था.
ज्ञानेश्वर सिंह ने कहा था, "एनसीबी निष्पक्ष और वैध जांच करने में विश्वास करती है. एक अपराधी की कोई जाति, धर्म या राजनीतिक पार्टी नहीं होती है. जो भी एनडीपीएस कानून का उल्लंघन करेगा वो अपराधी है. हम ऐसे मामले की जांच करेंगे." उनसे जब पूछा गया कि क्या कोई राजनीतिक व्यक्ति भी एजेंसी की जांच के दायरे में है तो उन्होंने कहा था, ''हम ड्रग मनी ट्रेल की गहनता से जांच करेंगे.'' सादिक का असली नाम जफर सादिक अब्दुल रहमान है. फरवरी में एनसीबी के छापे के बाद से वो फरार था.
एनसीबी द्वारा पकड़े जाने से पहले वो चेन्नई से तिरुवनंतपुरम, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और जयपुर लगातार यात्रा कर रहा था. लेकिन खुफिया जानकारी के आधार पर उसे दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया. वो भारत से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मलेशिया में फैले एक इंटरनेशनल ड्रग्स रैकेट का "मास्टरमाइंड और किंगपिन" है. पूछताछ के दौरान सादिक ने एनसीबी को बताया कि वो डीएमके की एनआरआई शाखा का चेन्नई पश्चिम उप आयोजक था. पिछले महीने उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
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पिछले महीने एनसीबी ने कहा इस ड्रग्स सिंडिकेट से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जो तमिलनाडु के रहने वाले थे. दिल्ली के बसई दारापुर इलाके में सादिक की कंपनी एवेंटा के एक गोदाम में छापेमारी के दौरान 50 किलोग्राम नशीले पदार्थ बनाने वाला रसायन स्यूडोएफ़ेड्रिन जब्त किया था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के साथ एनसीबी की ये छापेमापी ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड के अधिकारियों से मिली गुप्त सूचना के आधार पर हुई थी. इसमें कहा गया था कि भारत से पाउडर में बड़ी मात्रा में स्यूडोएफ़ेड्रिन छुपाकर भेजी जा रही है.
एनसीबी ने बताया कि यूएस डीईए के एक अतिरिक्त इनपुट से संकेत मिला कि ड्रग्स की इन खेपों का स्रोत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में था. जफर सादिक ने ड्रग्स के काले कारोबार से अर्जित धन को फिल्म निर्माण, रियल एस्टेट और कई व्यवसायों में निवेश किया है. इन पैसों से उसने तमिल फिल्म "मंगई" का निर्माण किया है, जिसका ट्रेलर रिलीज किया जा चुका है. फिल्म रिलीज होने वाली है. उसने चेन्नई में एक होटल भी बनाया है. इतना ही नहीं जफर नशीले पदार्थों की तस्करी में प्रति किलोग्राम एक लाख रुपए "कट" (कमीशन) लेता था.