जिस ज़मीन से पूरी दनिया को अमन का पैगाम मिला, जहां तपकर सिद्धार्थ, भगवान बुद्ध हो गए, आतंकवाद ने नापाक पंजों ने उस जगह को भी लहूलुहान कर दिया. बिहार के बोधगया में मौजूद महाबोधि मंदिर में हुए नौ सीरियल धमाके बेशक बहुत ताकतवर नहीं थे, लेकिन इन धमाकों की गूंज दूर तक सुनाई पड़ी.
07 जुलाई 2013 की सुबह मंदिर के कपाट खुले हुए अभी कुछ ही वक़्त गुज़रा था कि 5 बजकर 25 मिनट पर अचानक इस विश्वविख्यात धार्मिक स्थल पर हुए एक के बाद एक नौ धमाकों ने सिर्फ़ इस मंदिर परिसर को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर दिया.
सुरक्षा इंतजाम धरे रह गए
33 मिनट के समयांतराल में 9 धमाके हो गए. महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म के सबसे अहम तीर्थ स्थानों में से एक और इंटरनेशनल टूरिस्ट स्पॉट है. और ऐसे में इन धमाकों को बिहार से लेकर बर्मा तक खलबली मचना लाज़िमी था. सच तो ये है कि आतंकवादियों ने तमाम सुरक्षा इंतज़ामों को धत्ता बताकर पूरे मंदिर में चारों ओर बम ही बम बिछा दिए थे.
33 मिनट में हुए नौ धमाके
मंदिर में पहला धमाका सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर ठीक उस जगह पर हुआ, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. अभी इस धमाके पर लोग संभल पाते कि 2-2 मिनट के फासले पर हो रहे धमाकों ने पूरे मंदिर को थर्रा कर रख दिया. चारों ओर अफरातफरी फैल गई और किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर वो जाएं तो कहां जाएं?
सीरियल ब्लास्ट में दूसरा धमाका एक एंबुलेंस की टंकी में, तीसरा मुख्य मंदिर के पास, चौथा तारादेवी मंदिर में और पांचवा धमाका करमापा मंदिर में हुआ. इसके बाद छठा और सातवां धमाका मंदिर और गेट के बीच, जबकि आठवां भगवान बुद्ध की मूर्ति के पास और नौवां एक टूरिस्ट बस के नजदीक हुआ. इस तरह एक-एक मंदिर परिसर और आस-पास सुबह 5 बजकर 58 मिनट तक यानि 33 मिनट में कुल नौ धमाके हो गए.
दो भिक्षुओं समेत पांच ज़ख्मी
ताबड़तोड़ हुए इन धमाकों में दो बौद्ध भिक्षुओं समेत पांच लोग ज़ख्मी हो गए, जो यहां पूजा अर्चना करने पहुंचे थे. इनमें एक भिक्षु म्यांमार का, जबकि दूसरा तिब्बत का है. मौके पर पहुंची पुलिस और आस-पास के लोगों ने घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भिजवाया. इनमें एक भिक्षु की हालत नाजुक बताई गई है.
हर तरफ़ बिछाया बमों का जाल
पुलिस का कहना है कि मौके पर हुए नौ धमाकों के अलावा उसे तीन जिंदा बम भी मिले, जो भगवान बुद्ध की 80 फीट ऊंची मूर्ति और बस स्टैंड के पास पड़े हुए थे. इन बमों को बाद में कब्जे में लेकर बेकार कर दिया गया. इस सीरियल ब्लास्ट में मंदिर के गर्भगृह पर तो कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन जिस पेड़ के नीचे बैठ कर भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी, उस पेड़ पर ज़रूर असर हुआ.
मामले की जांच एनआईए के हवाले
गृह मंत्रालय ने इन सीरियल ब्लास्ट को आतंकवादी हमला करार देते हुए इस धमाके की जांच आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच करने वाली एनआईए के हवाले कर दी है. धमाके की ये वारदात इसलिए भी ज़्यादा संगीन हो जाती है, क्योंकि इस मंदिर में सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि श्रीलंका, चीन, जापान और पूरे दक्षिण पूर्व एशिया से हर साल लाखों बौद्ध श्रद्धालु पूजा-प्रार्थना के लिए आते हैं.
इसे कहते हैं सांप गुज़रने के बाद लकीर पीटना...
बार-बार अलर्ट और चेतावनियों के बावजूद एक तरफ़ बिहार पुलिस महाबोधि मंदिर में सीरियल ब्लास्ट की वारदात नहीं रोक सकी, वहीं दूसरी तरफ़ अब सरकार इस मामले की जांच कर गुनहगारों को सज़ा दिलाने की बात कह रही है. सवाल है कि जब सरकार को इस ब्लास्ट के खतरे के मद्देनज़र पहले ही आगाह किया जा चुका था तो आख़िर सरकार कर क्या रही थी? पहले दो बार आईबी का अलर्ट मिला, फिर दिल्ली पुलिस ने चेतावनी जारी की. इसके बार एक बार फिर आईबी ने अलर्ट किया और अंत में सीरियल ब्लास्ट हो गए.
खुल गई पुलिस की पोल
ये नाकामी तब है, जब एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे चार बार बिहार सरकार को महाबोधि मंदिर पर हमले की चेतावनी दी गई, लेकिन इसके बावजूद मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के नाम पर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और नतीजा क्या हुआ, ये अब पूरी दुनिया जानती है.
पिछले साल ही 12 अक्टूबर को इंडियन मुजाहिद्दीन का एक मॉड्यूल क्रैक करने के दौरान दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोधगया के इस ऐतिहासिक मंदिर के आतंकवादियों के निशाने पर होने की बात कही थी. लेकिन बिहार पुलिस ने शायद नीरज कुमार के इस बयान को महज़ एक बयान भर समझ लिया.
आईबी ने भी जारी किए थे अलर्ट
वैसे तो इतने गंभीर मसले को इस कदर हल्के तौर पर लेने की बात को कहीं से भी जायज़ नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन जब दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के इस चेतावनी से अलग खुफिया एजेंसी आईबी ने तीन अलग-अलग मौकों पर बिहार सरकार को इन हमलों के बारे में आगाह किया था, तो फिर सरकार के इस रवैये को काहिली नहीं तो और क्या कहेंगे?
म्यांमार का बदला तो नहीं?
अभी पिछले महीने की 28 तारीख को बिहार सरकार के लिए जारी आईबी के अलर्ट में साफ़-साफ़ बोधगया को निशाना बनाने के ख़तरे की बात कही गई है, लेकिन अभी इस अलर्ट को दस दिनों का वक़्त भी नहीं गुज़रा था कि आतंकवादियों ने वो कर दिखाया, जो वो करना चाहते थे. आईबी ने अपने इस अलर्ट में बताया था कि किस तरह जमात-तौहिद-वल-जेहाद नाम का एक आतंकवादी संगठन यहां महाबोधि मंदिर के अलावा म्यांमार के नागरिकों को अपना निशाना बना सकता है.
आतंकियों ने की थी वीडियोग्राफ़ी
बात यहीं तक नहीं है. दिल्ली पुलिस की चेतावनी की बात करें तो जर्मन बेकरी धमाकों के सिलसिले में पकड़े गए मकबूल नाम के आतंकी ने पूछताछ में ये बताया था कि बोधगया का मंदिर आतंकवादियों के निशाने पर है. पुलिस ने इस बात का खुलासा करते हुए ये भी साफ़ कर दिया था कि मकबूल ने पहले ही हमले के लिए महाबोधि मंदिर की रेकी और वीडियोग्राफी होने की बात भी साफ़ कर दी थी. ये सारी जानकारी बिहार सरकार और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट से साझा करने के बावजूद हुए इन हमलों ने सरकार की पोल खोल दी.
ये कैसे सुरक्षा इंतज़ाम?
एक बड़ा सवाल ये है कि जिस मंदिर में हिफ़ाज़त के मद्देनज़र ही कैमरा और मोबाइल जैसी मामूली चीज़ें ले जाने पर पाबंदी है, उस मंदिर में आतंकवादी तकरीबन दर्जन भर बम लेकर दाखिल हो गए और वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. इसे लोगों की जान से खिलवाड़ नहीं कहेंगे, तो और क्या कहेंगे? अब बेशक इन हमलों के बाद पुलिस गुनहगारों की धरपकड़ तेज़ करने का दावा करे और आंतकवादी संगठन की पहचान भी कर ले, लेकिन जो नुकसान हुआ, यकीनन उसकी भरपाई नामुमकिन है.
क्या साज़िश के पीछे है अबू जिंदाल का दिमाग?
क्या धमाकों के पीछे भी इंडियन मुजाहिदीन का ही हाथ है? मामले की तफ्तीश कर रही खुफ़िया एजेंसियों की मानें तो अब तक की जांच में उसे ऐसे ही संकेत मिले हैं. बोधगया में आतंक की साजिश की परतें पूरी तरह खुलनी बाकी है, लेकिन अब तक जांच से जो सुराग मिल रहे हैं, उसमें आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन और इसके सरगना अबू जिंदाल की छाप नज़र आ रही है.
बोधगया में हुए सीरियल धमाकों से जुड़े दो संदिग्धों के स्केच जारी किए गए हैं. ये स्केच सहीदुर रहमान और सैफीउर रहमान के हैं. आईबी ने जून के आखिरी हफ्ते बिहार पुलिस को इन दोनों के बारे में अलर्ट जारी किया था. अलर्ट में कहा गया था कि ये दोनों आतंकी गया जाने के लिए पटना घुसने वाले हैं. लेकिन, सटीक अलर्ट के बावजूद बिहार की सुरक्षा एजेंसियां आतंकी साजिश रोकने में नाकाम रहीं.
धार्मिक स्थल पहले से निशाने पर
यही नहीं, पुणे ब्लास्ट के एक अन्य आरोपी कतील सिद्दीकी ने भी पुणे के गणेश मंदिर और देश के अन्य धार्मिक स्थलों पर हमले की इंडियन मुजाहिदीन की साजिश का खुलासा किया था. साफ है अलर्ट की अनदेखी हुई और विश्व शांति का सबसे बड़ा केंद्र बोधगया दहल गया. अब बिहार पुलिस भी मानती है साजिश की सूचना थी और सुरक्षा भी बढ़ाई गई थी, लेकिन वो नाकाफी थी.
म्यांमार का बदला हिंदुस्तान में?
बिहार के बोधगया में हुए आतंकी धमाकों की साजिश को म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों और बौद्धों के बीच जारी संघर्ष से जोड़कर भी देखा जा रहा है. खुफिया एजेंसी आईबी को ये भनक लगी थी कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे हमले का बदला आतंकी संगठन हिन्दुस्तान में म्यांमार के लोगों और ठिकानों पर हमला करके ले सकते हैँ. इस बाबत आईबी ने 28 जून को अलर्ट किया था. जमात-तौहिद-वल-जेहाद नाम के आतंकी संगठन से खतरे की बात करते हुए आईबी ने बाकायदा चिट्ठी लिखकर ये अलर्ट किया था.
पुलिस की जानलेवा काहिली
चूंकि म्यांमार से बड़ी तादाद में बौद्ध बोधगया आते हैं, ऐसे में आईबी अलर्ट को देखते हुए स्थानीय सुरक्षा तंत्र को सावधान होना चाहिए था. फिर भी अलर्ट की अनदेखी हुई.
23 अक्टूबर 2012 को हैदराबाद से पकड़े गए आतंकी सैयद मकबूल ने भी पूछताछ में बोधगया में हमले की साजिश का खुलासा किया था. ऐसे में अब दिल्ली पुलिस फिर से मकबूल और उन चारों से आतंकियों से पूछताछ करने की योजना बना रही है. पुलिस ये जानने की कोशिश करेगी कि आखिर किस मॉड्यूल ने इस हमले को अंजाम दिया.
बोधगया हमले का तालिबान कनेक्शन!
पाकिस्तान के तहरीक-ए-तालिबान ने तीन महीने पहले अपील की थी कि म्यांमार की घटनाओं पर जेहादियों को ध्यान देने चाहिए. सवाल उठता है कि क्या इस अपील का भी हमले से कोई कनेक्शन जुड़ा है? ऐसा तो नहीं कि आतंकी सीमा पार से दिशा-निर्देश ले रहे थे? अगर म्यामांर वाली थ्योरी सच है तो ये पहला मौका है कि विदेशी घटना का बदला हिन्दुस्तानी धरती पर लिया गया. यकीनन खतरनाक ट्रेंड हो सकता है.
(साथ में दिल्ली से धीरेंद्र पुंडीर और शमशेर सिंह)