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फर्जी SI बन चूना लगाने वाली मोना की तरह है इन 3 जालसाजों की हैरतअंगेज कहानी

राजस्थान के नागौर जिले की रहने वाली मोना बुगालिया की कहानी दिलचस्प लेकिन हैरान करने वाली है. व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाकर उसने न सिर्फ पुलिस एकेडमी सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग ली, बल्कि लोगों के बीच रौब भी झाड़ती रही, लेकिन अब उसकी पोल खुल चुकी है. मोना जैसे तीन जालसाजों की कहानी जानिए.

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राजस्थान नागौर जिले की रहने वाली मोना बुगालिया की कहानी दिलचस्प है.
राजस्थान नागौर जिले की रहने वाली मोना बुगालिया की कहानी दिलचस्प है.

वो जब चाहे जिसे चाहे वर्दी की धौंस दिखा कर चुप करा देती. वो कभी एडीजी के साथ टेनिस खेलती, तो कभी पूर्व डीजीपी की बेटी की शादी में मेहमान बन जाती. कभी किसी कोचिंग सेंटर में जाकर पुलिस परीक्षा कैसे पास की जाए, इस पर नए-नए छात्रों को ज्ञान की घुट्टी पिलाती.

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कुल मिलाकर, उसका रौला ऐसा था कि बड़े से बड़ा पुलिस अफसर भी गच्चा खा जाए. लेकिन जब इस रौब-दाब ठसक, पुलिसिया चाल-ढाल और वर्दी के तिलिस्म से पर्दा हटा तो पता चला कि वो कोई पुलिस अफसर नहीं बल्कि नंबर एक की जालसाज है, जिसने राजस्थान पुलिस एकेडमी की कमियों का फायदा उठाते हुए दो साल तक फर्जी तरीके से पुलिस सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग की थी. उसने पुलिस वाली होने का ऐसा धमाल मचाया कि जब पोल खुला तो उसको जानने वाले लोग उसका सच जान कर हैरान रह गए. 

इस जालसाल महिला का नाम मोना बुगालिया है. उम्र महज 23 साल है. मोना राजस्थान के नागौर जिले के निंबा के बास गांव की रहनेवाली है. वो बचपन से पुलिस अफसर बनना चाहती थी. इस सपने को पूरा करने की खातिर उसने कोशिश भी की थी. उसने बाकायदा इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी किया. इसका इम्तेहान भी दिया. लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद वो इस इम्तेहान में पास नहीं हो पाई.

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बस यहीं से उसके दिमाग ने साजिश का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया. मोना अपनी नाकामयाबी को हजम नहीं कर सकी. उसने सब इंस्पेक्टर के तौर पर ना चुने जाने के बावजूद सोशल मीडिया पर सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में पास कर जाने की खबर फैला दी. वाहवाही बटोरने लगी. बस इसी बधाई और वाहवाही ने उसे उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जहां से शायद पीछे लौटना उसके लिए मुमकिन नहीं था. इसके बाद उसने एक हैरतअंगेज योजना बनाया.

पुलिस एकेडमी की खामियों का ऐसे उठाया फायदा

मोना ने राजस्थान पुलिस एकेडमी की खामियों का फायदा उठाकर एंट्री ले ली. पूरे दो साल तक वहां सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग करती रही. कमाल देखिए वो एक साथ दो बैचों में ट्रेनिंग करती रही, लेकिन एकेडमी के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. क्योंकि वो बेहद चालाकी से अपनी योजना को अंजाम दे रही थी. उससे जब रेग्यूलर बैच में पूछा जाता तो वो बताती कि वो स्पोर्ट्स कोटे से है.

जब स्पोर्ट्स कोटे की ट्रेनिंग में सवाल किए जाते, तो वो कहती कि रेग्यूलर बैच की है. अटेंडेंस के दौरान पकड़े जाने से बचने के लिए कभी इंडोर क्लास और एक्टिविटीज अटेंड नहीं करती, क्योंकि उसे पता था कि यदि क्लास में जाएगी, तो उसकी पोल खुल जाएगी. इसी तरह जो भी ट्रेनिंग के लिए एकेडमी में आते हैं, उन्हें वहीं हॉस्टल में रहना होता है, लेकिन चूंकि मोना का नाम चुने गए कैंडिडेट्स में नहीं था, वो हॉस्टल में रह भी नहीं सकती थी.

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ऐसे में वो रोजाना ट्रेनिंग एकेडमी में आती और बाहर चली जाती. वहां से आने-जाने के लिए भी उसने अनोखा तरीका ढूंढ रखा था. वो टेनिंग एकेडमी की मेन गेट से नहीं आती-जाती, क्योंकि वहां आई-कार्ड की चेकिंग होती थी, बल्कि इसके बदले वो उस गेट से एकेडमी में आती, जहां से पुलिस अफसरों के परिजन आते-जाते थे. एकेमडी में आने के बाद वो ज्यादातर वक्त कैंटीन, स्वीमिंग पूल, फैमिली क्वार्टर्स में गुजारती. एकेडमी की कैंटिन में वो बाकायदा वर्दी पहन कर जाती और नए-नए सब इंस्पेक्टर्स से दोस्ती करती.

एकेडमी का नियम ये है कि यहां चुने गए कैंडिडेट्स को अपनी वर्दी का खर्च खुद ही वहन करना पड़ता है. मोना ने अपने लिए दो यूनिफॉर्म बनवाई थी. पकडे जाने के डर से ही मोना ने कभी भी सब इंस्पेक्टर को मिलने वाला पगार भी लेने की कोशिश नहीं की. इस तरह मोना का गोरखधंधा लगातार चलता रहा.

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जानिए जालसाज मोना बुगालिया की पोल कैसे खुली 

मोना बुगालिया एक जगह गलती कर बैठी. दरअसल, पुलिस एकेडमी में ट्रेनिंग कर रहे सब इंस्पेक्टर्स ने अपना एक व्हाट्स एप गुप बना रखा था. वहां मोना की एक सब इंस्पेक्टर से बहस हो गई और उसने तब उसे एकेडमी से निकलवा देने की धमकी दे डाली. बस यहीं से उसकी पोल खुलनी शुरू हो गई. सब इंस्पेक्टर ने उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया. मोना का नाम किसी भी कोटे में नहीं मिला. ना रेग्यूलर कोटे में और ना स्पोर्ट्स कोटे में.

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इसके बाद उसने पुलिस अकेडमी के अधिकारियों से मोना की शिकायत की. अधिकारियों को जब अहसास हो गया कि मोना फर्जीवाडा कर रही है, तो उन्होंने आखिरकार मोना के खिलाफ शास्त्रीनगर थाने में रिपोर्ट लिखवा दी. उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 468, 469 और 66 डीआईटी एक्ट और राजस्थान पुलिस एक्ट की धारा 61 के तहत केस दर्ज किया गया है. मोना फरार है. 

ये तो रही मोना बुगालिया की कहानी. लेकिन वो ऐसा करने वाली इकलौती नहीं है. उससे पहले तमाम ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाकर लोगों को चूना लगाया है. हैरानी की बात ये है कि उनके फर्जीवाड़े का खुलासा बहुत देर से हुआ है. आइए ऐसे ही तीन जालसाजों के बारे में जानते हैं.

1. नीरज चौधरी: CM का OSD बनकर ठगी

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को बेहद सख्त प्रशासक माना जाता है. उनके राज में अपराध को जिस तरह से काबू में किया गया है, उसे लेकर ज्यादातर लोग तारीफ करते हैं. उनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा एनकाउंटर भी हुए हैं. इसलिए अपराधी डरते हैं. लेकिन एक शख्स उनका ही ओएसडी यानी विशेष कार्याधिकारी बनकर लोगों से ठगी करने लगा. उसकी हिम्मत देखिए वो सरकारी अफसरों को ही फोनकर करके धमकी देता और पैसे ऐंठता था. यूपी के सीएम के तत्कालीन ओएसडी अभिषेक कौशिक के नाम पर उसने साल 2021 की जुलाई में पीडब्ल्यूडी सचिव समीर वर्मा को क़ॉल किया. उनसे एक ठेकेदार का काम करने के लिए कहा. 

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समीर वर्मा को शक हुआ तो उन्होंने सीधे अभिषेक कौशिक के पर्सनल नंबर पर कॉल कर दिया. पता चला कि ये तो फर्जी मामला है. अभिषेक ने फौरन लखनऊ के गौतम पल्ली थाने में केस दर्ज कराया. क्राइम ब्रांच की टीम ने शातिर ठग के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगाकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी का नाम कुंवर नीरज चौधरी है, जो कि सीतापुर के शादीपुर उमरी गांव का रहने वाला है. मजेदार बात ये है कि आरोपी अपने गांव का प्रधान भी रह चुका है. लेकिन बाद में प्रधानी का चुनाव हारने के बाद उसने कमाई का नया जरिया ठगी को बना लिया. सरकारी सीयूजी सीरीज के नंबर के जरिए लोगों पर रौब झाड़ा करता था.

लखनऊ पुलिस की गिरफ्त में खड़ा आरोपी जालसाज कुंवर नीरज चौधरी.
लखनऊ पुलिस की गिरफ्त में खड़ा आरोपी जालसाज कुंवर नीरज चौधरी.

2. योगेश शर्मा: इंस्पेक्टर बन वसूली करता था

बागपत जिले में खेकड़ा तहसील के गांव गोठरा का रहने वाला योगेश कुमार शर्मा. उम्र 49 साल. पढ़ाई 10वीं पास. पढ़ाई में मन नहीं लगा तो ड्राइवर बन गया. दिल्ली आकर प्राइवेट बस चलाने लगा. इसी बीच प्राइवेट बसों का संचालन बंद हो गया. इसके बाद योगेश ने पहले गांव की जमीन बेची, दोस्तों से पैसे उधार लिए और एक पुरानी बस खरीद कर चलाने लगा. लेकिन इसमें घाटा होने के बाद हरिद्वार चला गया. वहां किसी आश्रम में रहकर पेट पालता रहा. इसी बीच उसे एक आईडिया आया. वो गांव गया. वहां जाकर दिल्ली पुलिस की वर्दी बनवाई. लोगों से कहा कि वो दिल्ली पुलिस में दरोगा बन गया है. 

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हर रोज वो घर से वर्दी पहनकर बाइक से निकलता. अपने एक दोस्त की मदद से बागपत और दिल्ली के बीच की विवादित जमीनों के बारे में पता करता था. फिर उसे सुलझाने के नाम पर अवैध वसूली करता. कभी कभी जमीन पर खुद ही कब्जा भी कर लेता. योगेश ने गाजियाबाद में भी अपने कारनामों को अंजाम दिया था. इसकी वजह से उसके खिलाफ कई लोगों ने केस दर्ज कराया था. गाजियाबाद पुलिस उसकी तलाश में लग गई. एक दिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उसके पास से दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर की पांच वर्दी, शोल्डर बैज, बेल्ट, फर्जी आईकार्ड बरामद किया गया. 

3. बुद्धसेन मिश्रा: 5वीं फेल जालसाज की अड़ीबाजी

ये घटना इसी साल जून की है. मध्य प्रदेश के रीवा के औभरी का रहने वाला बुद्धसेन मिश्रा 5वीं फेल है. लेकिन दिमाग से बहुत शातिर और चालबाज. हिम्मत देखिए उसने पुलिस वालों के साथ ही जालसाली शुरू कर दी. वो खुद को डीजीपी कार्यालय में तैनात पुलिस अफसर बताता था. अलग-अलग थानों में तैनात सब इंस्पेक्टरों को कॉल करके उन्हें धमकाता और पैसों की डिमांड करता था.

वो पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत की झूठी बात करता ताकि वो डर जाएं और नौकरी बचाने के लिए उसे पैसे दे दें. उसके निशाने पर ज्यादातर महिला पुलिसकर्मी हुआ करती थी. उसने 50 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ ठगी की थी. इसी बीच इंदौर की एक महिला सब इंस्पेक्टर ने अपने साथ हुई आपबीती अपने आलाधिकारियों को बता दिया. इसके बाद आरोपी का नंबर सर्विलांस पर लगाकर उसे धर दबोचा गया. 

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