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इराक़ की लड़ाई में कूद रहे हैं हिंदुस्तानी नौजवान!

पिछले करीब दो महीने से इराक लहुलुहान है. इन दो महीनों में अचानक आईएसआईएस नाम का एक नया आंतकवादी संगठऩ ना सिर्फ उठ खड़ा हुआ है बल्कि पूरी दनिय़ा के लिए खतरा बन गया है. पर अब बात सिर्फ इराक तक नहीं रह गई है. इराक की तपिश हिंदुस्तान तक महसूस की जाने लगी है. जी हां, इराक में आइएसआईएस की तरफ से लड़ने के लिए कई हिंदुस्तानी भी वहां जा पहुंचे हैं और कई वहां जाने की राह देख रहे हैं.

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भारत तक पहुंची इराक की आग
भारत तक पहुंची इराक की आग

पिछले करीब दो महीने से इराक लहुलुहान है. इन दो महीनों में अचानक आईएसआईएस नाम का एक नया आंतकवादी संगठऩ ना सिर्फ उठ खड़ा हुआ है बल्कि पूरी दनिय़ा के लिए खतरा बन गया है. पर अब बात सिर्फ इराक तक नहीं रह गई है. इराक की तपिश हिंदुस्तान तक महसूस की जाने लगी है. जी हां, इराक में आइएसआईएस की तरफ से लड़ने के लिए कई हिंदुस्तानी भी वहां जा पहुंचे हैं और कई वहां जाने की राह देख रहे हैं.

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मज़हब के नाम पर इराक़ की हुकूमत पर काबिज़ होने की इस अंधी दौड़ ने अब तक जहां 5 हज़ार से ज़्यादा लाशें गिर चुकी हैं वहीं उससे भी ज़्यादा अफ़सोसनाक ये है कि मरने वालों में बेगुनाहों, औरतों और बच्चों की एक बड़ी तादाद शामिल है.

लेकिन आइए, अब आपको इराक से दूर अपने हिंदुस्तान की एक ऐसी तस्वीर दिखाते हैं जिसका इराक में चल रही इस मौजूदा लड़ाई से बड़ा नज़दीकी रिश्ता है. 10 जुलाई को फ़राशखाना इलाके में हुए लो इंटेसिटी ब्लास्ट में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन जब पुलिस और खुफ़िया एजेंसियों ने इसकी तफ्तीश शुरू की तो इसके तार सीधे इराक और वहां और चल रही लड़ाई से जुड़ गए.

पहली नज़र में इस बात पर यकीन करना भी मुश्किल लगता है लेकिन इस ब्लास्ट से जुड़े पहलुओं को खंगाल रही खुफ़िया एजेंसियों को तफ्तीश के दौरान जो कुछ पता चला वो चौंकाने वाला है. सूत्रों की मानें तो हिंदुस्तान के कई नौजवान ऐसे हैं, जो इराक में मौत का तांडव मचा रहे आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड सीरिया यानी आईएसआईएस की मदद करने इराक जा पहंचे हैं. बगदादी की अगुवाई में क़ातिलों की जो फ़ौज लगातार इराक़ में कहर बरपा रही है, उसमें अपने हिंदुस्तान के लड़के भी शामिल हो चुके हैं और अब तक की जानकारी के मुताबिक इनकी तादाद तकरीबन 20 के आस-पास है.

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पुणे ब्लास्ट की तफ्तीश के सिलसिले में जो बात सामने आई, लगभग वही बात मुंबई के नज़दीक ठाणे के रहने वाले चार परिवारों ने भी देर-सवेर साफ़ कर दी. दरअसल, इन सभी परिवारों का एक-एक लड़का इराक़ की लड़ाई से पहले या फिर इस लड़ाई के दौरान ना सिर्फ़ अपने घर से बल्कि हिंदुस्तान से भी रहस्यमयी तरीके से ग़ायब हो गया. पहले तो इनके घरवालों को भी इस बात का अहसास नहीं था, लेकिन जब उन्होंने अपने बच्चों के ग़ायब होने की जगह और वक़्त पर ग़ौर किया तो उनका शक पुख्ता हो गया. फिर इसी दौरान इन लड़कों में से एक ने खुद ही इराक से अपने घर टेलीफ़ोन कर खुद के आईएसआईएस में शामिल हो जाने की जानकारी दे दी.

लेकिन सवाल ये है कि आखिर घर वलों को बिना बताए ये सारे लड़के इराक कैसे पहुंच गए? इराक में आईएसआईएस तक इऩ्हें किसने पहंचाया? और आखिर इराक से हजारों मील दूर हिंदुस्तान के इन नौजवानों को आईएसआईएस से हमदर्दी क्यों है?

हिंदुस्तान के कुछ नौजवानों पर आख़िर इराक में जाकर मरने-मारने का जुनून कैसे सवार हुआ? आख़िर कैसे कुछ लोग इराक की जंग में शामिल होने को जन्नत जाने का रास्ता समझ बैठे? इराक पहुंचे एक नौजवान ने खत के ज़रिए बेशक अपना हाल ए दिल बयान कर दिया हो, लेकिन ये ख़त असल में उसके जैसे बाकी नौजवानों की ज़ेहनी हालत बयान करती है.

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अपने परिवार के नाम आरिफ का खत
'मैं अब घर छोड़ कर जा रहा हूं. मुझे अल्लाह के लिए मैदान-ए-जंग में शरीक होना है इसलिए आप लोगों से रुखसत होने का यही सबसे सही वक़्त है. मेरी प्यारी वालिदान, क्योंकि अगर मैं अब भी इराक़ में चल रही इस लड़ाई में शामिल होने के लिए नहीं गया, तो मौत के वक़्त फरिश्ते मुझसे ये सवाल करेंगे कि आख़िर मैं अल्लाह की ज़मीन तक क्यों नहीं पहुंचा? मुझे अब किसी बात का मलाल नहीं, इंशाअल्लाह अब आप सभी से जन्नत में ही मुलाक़ात होगी. यकीन मानिए, अपने घर में जब मैं आप सबको अल्लाह के बनाए क़ायदे-क़ानूनों को तोड़ते हुए यानि गुनाह करते देखता था, तो मैं अंदर से रोता था. आपको सिरगेट पीते, टीवी देखते, नाजायज़ ताल्लुक़ात रखते, आराम की ज़िंदगी जीते, इबादत और दुआओं से दूर रहते और दाढ़ी नहीं बढ़ाते हुए देख कर तड़पता था. यकीन मानिए, आगे चल कर यही सारी चीज़ें आपको जहन्नुम की आग में झुलसने को मजबूर करेंगी. मैं अपनी बहनों के अक्सर टीवी देखने से बेहद परेशान था. वो टीवी पर ऐसी चीज़ें देखती थीं, जो नंगेपन, अश्लीलता और वाहियात सोच की बुनियाद पर टिकी होती थीं. ये बहुत बड़ा गुनाह है. ठीक इसी तरह म्युज़िक भी गैर इस्लामिक है और यही सब चीज़ें शैतान के हथियार हैं.'
आरिफ़ माजिद

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(डिस्क्लेमर: ये आरिफ़ के लिखे ख़त का अक्षरश: अनुवाद नहीं है, बल्कि ख़त को समझने के लिए मोटे तौर पर इसका भावार्थ है.)

ये ख़त है मुंबई के क़रीब कल्याण के रहनेवाले नौजवान आरिफ़ माजिद का, जिसके बारे में अब ये कहा जाने लगा कि वो इराक में शिया और सुन्नियों के बीच चल रही जंग में शामिल होने के लिए इराक़ जा चुका है. दरअसल, माजिद का लिखा ये ख़त खुद उसके घरवालों ने कल्याण पुलिस को सौंपा है और पुलिस फिलहाल माजिद समेत कुल चार ऐसे नौजवानों की तलाश में जुटी है, जिनके इराक़ पहुंच जाने का शक है इनमें से तीन जहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं, वहीं एक 12वीं पास है.

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