महाराष्ट्र के कोल्हापुर में इन दिनों सीरियल किलर का खौफ फैला हुआ है. कोल्हापूर रेलवे स्टेशन के पास फिर एक महिला का शव मिला है. पिछले तीन महीने में रेलवे स्टेशन के पास दस शव मिल चुके हैं, इनमें से ज्यादातर भिखारी थे और सभी के सिर पर पत्थर मारकर कत्ल किया गया. अब इस मामले की जांच मुंबई क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है.
वो रात के अंधेरे में आता है और खुले में सो रहे इंसानों को पत्थर से कुचल कर फिर से उसी अंधेरे में गुम हो जाता है. पिछले तीन महीने के दौरान उसने इस तरह दस लोगों की जान ली है. लेकिन ये क़त्ल ना तो वो लूटपाट के लिए कर रहा है और ना ही उसकी मरनेवालों से कोई दुश्मनी ही है. लेकिन फिर भी इस शहर के लोग उस गुमनाम सिरफिरे के निशाने पर हैं.
महाराष्ट्र के मशहूर शहरों में से एक कोल्हापुर, महालक्ष्मी मंदिर और साहू जी महाराज की जन्मस्थली कोल्हापुर. लेकिन पश्चिमी महाराष्ट्र का ये शहर इन दिनों एक अजीब से ख़ौफ़ के साये में है. खौफ स्टोनमैन का, खौफ एक ऐसे छलावे का, जो रात के अंधेरे में आता है और फुटपाथ या खुली जगहों पर सो रहे लोगों को मौत के घाट उतार चला जाता है.
आखिर कौन है वो?
आख़िर कौन है वो? क्या है फुटपाथ पर सो रहे लोगों से क्या है उसकी दुश्मनी? और क्यों एक-एक कर वो ले रहा है, बेगुनाहों की जान? ये वो सवाल हैं, जिन्होंने कोल्हापुर पुलिस से लेकर इस शहर के हर बाशिंदे को परेशान कर रखा है. ये सीरियल किलर कितना ख़तरनाक है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साढ़े तीन महीने के दरम्यान इसने कोई एक, दो या तीन नहीं बल्कि पूरे दस लोगों की जान ले ली है. दूसरे लफ्ज़ों में कहें तो इस हमलावर का शिकार बन कर कोल्हापुर के दस लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं. लेकिन रात के अंधेरे में चल रहा कत्ल का ये सिलसिला जितना डरावना है, इसे अंजाम देने का तरीका उतना ही अजीब. सबसे चौंकानेवाली बात तो ये है कि ये कातिल हमले से पहले अपने शिकार को संभलने तक का मौका नहीं देता. वो ना तो शिकार से कोई बात करता है और ना ही उन्हें जगाता है, बल्कि बल्कि ये तो सोते हुए लोगों के सिर को किसी भारी पत्थर से कुचल कर अंधेरे में गुम हो जाता है.
सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप देसाई के मुताबिक 'यह किलर रात के अंधेरे में लोगों पर हमला करता है. अगर पुलिस तफ्तीश नहीं कर पा रही तो जांच सीबीआई करे'.
हालत ये है कि दिन भर जी-तोड़ मेहनत करनेवाले ग़रीब लोग अब खुली जगहों पर सोने से घबराने लगे हैं और कुछ इलाकों में तो सोने के दौरान पहरेदारी लोगों की मजबूरी बन गई है. चूंकि अब तक हुई ज्यादातर कत्ल की वारदातों में उसने ग़रीब और निचले तबके के लोगों को ही अपना निशाना बनाया है, यकीनन कत्ल के इस सिलसिले तो पुलिस लूटपाट या ऐसी ही किसी दूसरे मकसद से जोड़ कर नहीं देख रही है.
लेकिन इतना होने के बावजूद हालत ये है कि कोल्हापुर पुलिस के पास इस सीरियल किलर को लेकर अब तक कोई भी सुराग नहीं है. ये हालत शायद इतनी बुरी नहीं होती, अगर पुलिस ने इस स्टोनमैन की दस्तक को तभी सुना होता, जब उसने इस शहर में पहली जान ली थी. लेकिन 27 मार्च से शुरू हुई क़त्ल की इन वारदातों में पहले पांच वारदातों को तो पुलिस ने अननैचुरल डेथ यानि अस्वाभाविक मौत का मामला बना कर ठंडे बस में डाल दिया और देखते ही देखते स्टोनमैन के शिकार लोगों का आंकड़ा दस तक पहुंच गया. लेकिन नौ लोगों की जान लेने के बाद अब इस स्टोनमैन ने जो दसवां क़त्ल किया है, वो अब तक की वारदातों से अलग है. आख़िर इस सीरियल किलर का मकसद क्या है?
एक तरफ पुलिस अंधेरे में तीर मार रही है और दूसरी तरफ़ कोल्हापुर का ये सीरियल किलर लगातार अपने शिकार की तादाद बढ़ा रहा है. लेकिन कातिल का आख़िरी वार सबसे जुदा है. क्योंकि इस बार उसने ना सिर्फ अपने इलाके से बाहर निकल कर क़त्ल किया है, बल्कि नौ मर्दों के बाद इस बार कत्ल एक औरत का हुआ है. कहीं ऐसा तो नहीं इस दसवें क़त्ल में ही कातिल का सुराग छुपा है?
इस बार कातिल ने शाहूपुरी इलाके को छोड़ कर शहर के एक दूसरे इलाके यानि लक्ष्मीपुरी में अपनी दस्तक दी थी. 19 जून की सुबह यहां भी पुलिस को ठीक वैसी ही एक लाश मिली, जैसी नौ लाशें अब तक शाहूपुरी में बरामद हो चुकी थी. लेकिन इस बार मामला पहले के नौ मामलों से थोड़ा अलग था. क्योंकि इस बार कातिल ना सिर्फ शाहूपुरी इलाके से बाहर निकला था, बल्कि पहली मर्तबा उसने किसी औरत को अपना शिकार बनाया था. जून के महीने में इस सीरियल किलर की ये तीसरी वारदात थी. जाहिर है, अब हालत ये है कि सीरियल किलिंग की इन वारदातों को लेकर एक तरफ़ पूरे कोल्हापुर की पुलिस अंधेरे में हैं, वहीं दूसरी तरफ पूरा का पूरा शहर खौफ के साये में जीने को मजबूर है.