तंदूर हत्याकांड में सजा काट रहे पूर्व कांग्रेसी नेता सुशील शर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन सप्ताह के पैरोल पर रिहा किया है. वह अपनी पत्नी नैना साहनी की सनसनीखेज हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने पैरोल पर सुशील शर्मा को रिहा किया ताकि वह अपने बीमार माता-पिता की देखभाल कर सकें.
जानकारी के मुताबिक, दोषी सुशील शर्मा ने छह महीने के पैरोल की मांग की थी. उसने अपने अधिवक्ता अमित साहनी के जरिए दायर याचिका में दिल्ली सरकार के पिछले साल के 28 नवंबर के आदेश को चुनौती दी थी. दिल्ली सरकार ने नियमित पैरोल के लिए उनका आवेदन खारिज कर दिया था. सुशील शर्मा ने दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ आवेदन दिया था.
अपने आवेदन में उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने गलत या मनगढंत आधार पर नियमित पैरोल के लिए उनकी अर्जी खारिज कर दी थी. अधिकारियों ने इस तथ्य को नहीं समझा कि वह पैरोल दिए जाने के हकदार थे. उनके पैरोल आवेदन को अधिकारियों को उनके माता-पिता की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए मंजूर करना चाहिए था. वह एकमात्र पुत्र हैं.
बताते चलें कि दोषी सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना को 2 जुलाई, 1995 की रात को अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मार दी थी. इसके बाद शव के टुकड़े-टुकड़े करके वह इसे एक रेस्त्रां में ले गया और उसे तंदूर में जलाने का प्रयास किया. इसी वजह से इसे तंदूर हत्याकांड नाम दिया गया. उन्हें मौत की सजा मिली, जो बाद में आजीवन कारावास में तब्दील हो गई.