वो हर बार स्कूल जाता. हर बार स्कूल में किसी एक लड़की के सिर पे हाथ रखता और वो लड़की अगले ही पल स्कूल से उठाकर उसके हरम पहुंचा दी जाती. जहां उसकी हैसियत सेक्स की भूख मिटानेवाली एक गुड़िया से ज़्यादा कुछ नहीं होती. लीबिया के तानाशाह कर्नल मुअम्मर ग़द्दाफ़ी की मौत के ढाई साल बाद अब उसके हरम से जो कहानी बाहर निकली है, वो दहला देने वाली है.
स्कूल से हरम तक
40 साल तक लीबिया को रौंदने वाले लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी को स्कूलों में जाने का बड़ा शौक था. बस, बहाना कोई भी हो. वो स्कूल पहुंच जाता. ये बात पूरा लीबिया जानता था. पर गद्दाफी की मौत के बाद अब जब उन्हीं स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों ने अपना मुंह खोलना शुरू किया तो पूरा लीबिया सन्न रह गया. गद्दाफी के स्कूल जाने के शौक का राज़ खुल गया. जी हां, लोगों को अब पता चला कि स्कूलों में कर्नल गद्दाफी के किसी लड़की के सिर पर हाथ रखने का मतलब क्या होता था.
सिर पर हाथ रख कर ग़द्दाफ़ी इशारा देता था. जो लड़की उसे अच्छी लगती उसके सिर पर वो हाथ रख देता था. ग़द्दाफ़ी के गार्ड को इशारे का मतलब पता था. इशारा मिलते ही उसी रोज़ लड़की को उठा लिया जाता और फिर लड़की पहुंच जाती ग़द्दाफी के हरम में. गद्दाफी अपने राज में हज़ारों बार स्कूल गया. कभी समारोह के नाम पर तो कभी उद्घाटन के नाम पर.
एक तानाशाह का ये कैसा शौक?
ये दिल दहला देने वाला सच एक बार फिर लीबिया के पूर्व तानाशाह कर्नल मुअम्मार गद्दाफी के हरम से बाहर निकला है. जुल्मो-सितम की कालिख में डूबा वो हरम जहां हर रोज़ स्कूल की लड़कियों को अगवा कर लाया जाता था. लड़कियों को सजाया संवारा जाता था और उन्हें हमेशा हमेशा के लिए गद्दाफी का गुलाम बना दिया जाता था.
एक इशारे से फूट गई सुरैया की क़िस्मत
नाम सुरैया. उम्र 15 साल. लीबिया के सिरते की रहने वाली 15 साल की इस लड़की मुअम्मर गद्दाफी के जुल्म की वो कहानी दुनिया के सामने लाई है, जिसे सुनकर किसी का भी कलेजा कांप जाए. सुरैया को 2004 में एक स्कूल फंक्शन में गद्दाफी ने देखा और उसके सिर पर हाथ रख दिया. लड़की के सिर पर हाथ रखने का मतलब था कि लड़की को गद्दाफी के हरम में जाना होगा और दूसरे दिन सुरैया को गद्दाफी के हरम में भेज दिया गया.
गद्दाफ़ी की अय्याशी
दरअसल, गद्दाफी के गुर्गे लीबिया के स्कूलों, कॉलेजों में टैलेंट हंट के बहाने कमसिन लड़कियों को गद्दाफी की अय्याशियों के लिए चुनते थे. और लड़की चुनने के बाद उसे हरम में भेजने से पहले वो उस लड़की के खून की जांच करते थे, ताकि ये पता चल सके कि वो किसी बीमारी का शिकार तो नहीं है. इसके बाद लड़की को सजा संवारकर गद्दाफी के बेडरूम में भेजा जाता था.
बच्चियों को दिखाईं ब्लू फ़िल्में
इतना ही नहीं, गद्दाफी के हरम में नई लड़कियों को उसका सेक्स स्लेव बनाने का काम भी एक औरत ही करती थी. जी हां, गद्दाफी ने ये काम अपनी एक राज़दार मुबारका नाम की औरत को सौंपा हुआ था. मुबारका इन मासूम बच्चियों को अश्लील फिल्में दिखाने का काम करती थी. जो लड़कियां ऐसा करने से इनकार करतीं, उन्हें खौफनाक सजा दी जाती थी.
मैं तुम्हारा पापा हूं.. भाई हूं.. तुम्हारा लवर हूं..
ये अल्फाज़ उस सनकी तानाशाह गद्दाफी के हैं, जो दिन-रात बस सेक्स के नशे में डूबा रहता था. जो कामोत्तेजक दवाओं का दीवाना था. गद्दाफी की इन खूंखार और शर्मनाक हरकतों का खुलासा हुआ है 'इन गद्दाफीज़ हरम' नाम की एक किताब में. और इस किताब को लिखा है एनिक कोजियां ने. एनिक के मुताबिक, जो भी गद्दाफी के हरम से निकली लड़कियों का सच सुनेगा वो शर्मसार हो जाएगा.
ये दास्तान रूह कंपा देगी
एनिक ने अपनी किताब में 18 साल की हुदा की कहानी भी लिखी है. हुदा की कहानी भी सुरैया से जुदा नहीं है. गद्दाफी ने हुदा को अपने हरम की रौनक बनाने के लिए उसके सामने एक शर्मनाक शर्त रखी थी. शर्त ये कि अगर हुदा गद्दाफी के हरम में आती है तो उसके भाई को कैद से रिहा कर दिया जाएगा.
गद्दाफ़ी के दिमाग़ में भरा था सेक्स
सेक्स का पागलपन इस तानाशह पर इस कदर सवार था कि उसकी आसपास रहने वाली सिक्योरिटी गार्ड भी खूबसूरत महिलाएं ही थीं और वो भी उसके हरम की शान बढ़ाया करती थीं. अपनी अय्याशियों के लिए गद्दाफी ने त्रिपोली यूनिवर्सिटी में एक गुप्त ठिकाना भी बना रखा था.
40 साल में गद्दाफी की अय्याशी और जुल्म ने लीबिया की आवाम को उसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने पर मजबूर कर दिया था. वैसे गद्दाफ़ी की तानाशाही में सबसे अहम किरदार महिलाओं का रहा. गद्दाफ़ी के वफादारों की फेहरिस्त में महिलाओं के अलावा कोई भी नहीं था.
जितना बेरहम, उतना ही अय्याश. जितना दिलकश, उतना ही सनकी. जितना फौजी, उतना ही डरपोक. लिबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी की यही पहचान थी.
हाल ही में विकीलिक्स ने गद्दाफी की अजीबो-गरीब दुनिया का खुलासा किया था. 69 साल के गद्दाफी के साथ साए की तरह यूक्रेन मूल की एक नर्स रहती थी, जिसका नाम है गैलाइना कोलोतन्येत्सका. सिर्फ गैलाइना को ही गद्दाफी के पूरे रूटीन की जानकारी रहती थी.
गद्दाफी को बंदूकधारी महिलाओं को अपना बॉडीगार्ड रखने का शौक था, जिन्हें किलिंग मशीन के नाम से जाना जाता था. उनकी संख्या 40 के आसपास होती थी. दूसरे देश में भी वो अपनी महिला अंगरक्षकों और प्राइवेट नर्स के साथ स्पेशल टेंट में रहता था. सरकारी कामकाज भी वो अपने शाही टेंट में ही निपटाता था. गद्दाफी कहीं भी जाएं, दूध के लिए अपने साथ ऊंटों को ले जाना नहीं भूलता था.
डरपोक था गद्दाफी
खून बहाने से कभी भी ना हिचकने वाले गद्दाफी को ऊंचाइयों से डर लगता था. पानी के ऊपर से उड़ान भरने से वो बचता था और कभी होटल में रहना पड़ा तो ग्राउंड फ्लोर पर ही रहना पसंद करता था.
निहत्थे प्रदर्शनकारियों और दुश्मनों को ठिकाने लगाने के लिए भाड़े के गुंडों को साथ रखना गद्दाफी का पुराना शगल था. महज 27 साल की उम्र में गद्दाफी ने रक्तहीन क्रांति करके पश्चिम समर्थक किंग इदरिस का तख्तापलट किया था. एक किसान परिवार में जन्मे गद्दाफी पर सत्ता का नशा ऐसा चढ़ा कि अपने लिए उसने पहाड़ियों के बीच एक ऐसा बंकर बनवाया, जिस पर परमाणु बमों का भी असर ना हो. और आलीशान इतना कि दुनिया के सारी सुविधाएं हासिल हो सकें, लेकिन जनता का पारा चढ़ा तो उस बंकरनुमा महल को भी लूट लिया.
कर्नल गद्दाफी ने लीबिया में खुद के छुपने और अय्याशी के लिए ऐसी-ऐसी भूल-भुलैया वाली जगह बना रखी थी, जहां तक पहुंचना आसान नहीं था. गद्दाफी ने 42 साल तक लीबिया की ज़मीन के ऊपर आतंक का राज चलाया तो ज़मीन के नीचे बनाया अपना खुफिया अड्डा. अय्याशी का अड्डा.
जब से लीबिया की राजधानी पर विद्रोहियों का कब्ज़ा हुआ है तब से लेकर अब तक गद्दाफी के कई बंकर मिल चुके हैं, लेकिन एक बंकर सबसे बड़ा औऱ सबसे अलग है, जिसे गद्दाफी अपनी अय्याशी के लिए इस्तेमाल करता था.
त्रिपोली के पूर्वी हिस्से के जेराबा स्ट्रीट के नीचे मिले इस बंकर को पहले गद्दाफी के बेटे मुतास्सिम का अड्डा माना जा रहा था, लेकिन जब इस बंकर के नीचे विद्रोही घुसे तो यहां की दुनिया देखकर हर कोई हैरान रह गया. इस बंकर को जिस तरह से बनाया गया उसके बाद हर कोई ये कह रहा है कि इस बंकर में कभी खुद गद्दाफी रहता होगा.
दूध जैसे सफेद रंग से बने इस महल की खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती है. यहां स्विमिंग पूल के साथ-साथ में ऐशो आराम का हर सामान मौजूद है. जिम, सोनाबाथ, बेहतरीन फर्नीचर, शानदार पेंटिंग, महंगी शराब की बोतलें. कांच की दीवार के बाहर समंदर बेहद खूबसूरत दिखता है. ये महल जितना ज़मीन के ऊपर बना है उसके कहीं नीचे बसी है एक रहस्यमयी दुनिया.
गद्दाफी और उसके बेटे का ये बंकर किसी जेम्स बांड के अड्डे से कम नहीं. इस बंकर की दीवारें मज़बूत कंक्रीट की 10 फीट मोटी परत से बनी हैं. यहां एक रास्ते से कई रास्ते खुलते हैं. ये दुश्मन को चकमा देने के लिए भूल भुलैया की तरह बसाया गया. इस बंकर में पूरे पचास कमरे मिले हैं, जिसमें पूरे पांच सौ लोग रह सकते हैं. इस बंकर में सोने के लिए कमरे हैं, मीटिंग के लिए कमरे हैं, किताबों से भरे कमरे हैं और हथियारों से भरे कमरे भी हैं.
सबसे चौंकाने वाला है इस बंकर में बना एक अस्पताल. जी हां यहां पूरा अस्पताल बना हुआ है. बंकर में अस्पताल. मरीज के लिए बिस्तर हैं और डॉक्टर के लिए क्लिनिक. मुतास्सिम गद्दाफी खुद एक डॉक्टर हैं, इसीलिए माना जा रहा है ज़मीन के अंदर अस्पताल बनाने का दिमाग उसी का होगा.
इस अस्पताल को बनाने के पीछे मकसद ये भी है कि अगर गद्दाफी परिवार किसी हमले में घायल हो जाता है तो दुश्मन की आंखों से दूर यहां उसका इलाज चल सके.
इतना तो तय है कि इस महल और बंकर में मुतास्सिम ही रहता होगा, क्योंकि यहां उसकी उस फ्रेंच गर्लफ्रेंड की तस्वीरें मिली हैं जो पेशे से एक मॉडल है. लेकिन जिस तरह से इस महल के नीचे जिस तरह से परमाणु हमले से बचाने वाला बंकर मिला है उसे देखकर लगता है कि ये कर्नल गद्दाफी का सबसे खुफिया और नया अड्डा रहा होगा, लेकिन जब तक विद्रोही यहां पहुंचते वो और उसका बेटा यहां से भाग चुके थे.
सच्चाई यही है कि गद्दाफी को तानाशाह बनाने का जिम्मेदार कोई और नहीं, उसके अपने बीवी-बच्चे और उसकी नाजाय़ज़ ख्वाहिशें रही. गद्दाफी के बीवी-बच्चों की दौलत की भूख और जुल्मों ने ही आम लोगों को उसे गोली मारने पर मजबूर कर दिया.
ना 42 साल की बेरोकटोक हुकूमत की धमक काम आयी, ना इस तानाशाह के फौजी बूटों का खौफ और ना ही वो अपने काम आए, जिनके लिए चार दशक से ये शख्स लीबिया को लूट रहा था. जिसकी इजाजत के बगैर लीबिया में परिंदा भी पर नहीं मार सकता था, उसी लीबिया के अपने ही शहर में कर्नल मुअम्मर गद्दाफी को जिंदगी भीख में भी नहीं मिल पायी.
लीबिया के राजा इद्रिस से जब जनता का मोहभंग हुआ तो उसकी आवाज बनकर उभरा था 28 साल का गद्दाफी. उस भरी तरुणाई में भी लोगों ने अपनी तकदीर गद्दाफी के हाथों में सौंप दी थी. लेकिन अपनी और अपने बीवी-बच्चों की अय्याशियों में गद्दाफी ये भूल गया कि जिन हाथों में राजतिलक की ताकत होती है, वही हाथ जरूरत पड़ने पर सिर भी उतार देते हैं. गद्दाफी की निरंकुश तानाशाही और उसके बीवी-बच्चों की लूट-खसोट उसके निर्मम अंत का कारण बना.
पेट्रोलियम पर कब्जा रखने के लिए गद्दाफी ने अपने एक बेटे इन्निबल गद्दाफी को ही तेल निर्यात का ठेका दे रखा था तो एक बेटा देश के सारे एक्सपोर्ट का काम देखता था. गद्दाफी का एक बेटा मुहम्मद गद्दाफी दूरसंचार का मालिक था तो एक बेटा मुअतस्सिम गद्दाफी तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार.
अपने बेलगाम बेटों के भ्रष्टाचार के जरिए गद्दाफी एंड फैमिली ने लाखों करोड़ रुपये की संपत्ति लूटी. बताया जाता है कि गद्दाफी के पास करीब 7 बिलियन डॉलर यानी 350 अरब रुपये का तो सिर्फ सोना ही था. दुनिया के अलग-अलग देशों में गद्दाफी की संपत्ति 168 अरब डॉलर यानी 8400 अरब रुपये आंकी गयी है. और इसी दौलत से एक तरफ गद्दाफी और उसके बेटे-बेटियों की अय्य़ाशियां बढ़ती गयी और दूसरी तरफ लोगों का आक्रोश. इसी आक्रोश की आग में भस्म हो गयी गद्दाफी की तानाशाही.
गद्दाफी के बेटों पर आरोप है कि अपने बाप की तरह वो भी बेहद अय्याश थे. गद्दाफी की बॉडीगार्ड रह चुकी महिलाओं का भी आरोप है कि तानाशाह और उसके बेटों ने कई बार उनके साथ बलात्कार किया. जब उनका मन भर जाता था, तो वो भला-बुरा कहकर उन महिलाओं को छोड़ देते थे. जबकि गद्दाफी की बीवी साफिया और बेटी आयशा सोने-चांदी बटोरने में ही मशगूल रहती थीं. जब गद्दाफी का सितारा गर्दिश में फंसा तो दोनों ही उसे छोड़कर अल्जीरिया भाग गयीं.
जिस परिवार के ऐशो-आराम के लिए गद्दाफ़ी ने लीबिया को लूटा, वो परिवार उसके जीते-जी तहस-नहस हो गया और आखिरी वक्त में गद्दाफी को बचाने वाला कोई नहीं था.