Crime Katha: पिछले साल की बात है. गाजियाबाद के मोदीनगर में एक पीएचडी छात्र का कत्ल हुआ था. इस कत्ल को अंजाम देने के लिए कातिल ने ऐसी प्लानिंग की थी, जिसे जानकर पुलिस भी वैसे ही हैरान रह गई थी, जैसे 'दृश्यम' फिल्म देखने वाले दर्शक. वो फिल्म थी और ये वारदात हकीकत. अंकित का मर्डर पुलिस के लिए किसी मिस्ट्री से कम नहीं था. वजह ये थी कि इस केस में जो आंखों के सामने था, वो असल में था ही नहीं. और जो सच था वो कातिल ने शातिराना अंदाज में छुपा दिया था. आइए 'क्राइम कथा; में आपको बताते हैं ये सनसनीखेज कत्ल की कहानी.
दिसंबर 2022
यही वो महीना था, जब मोदी नगर इलाके के अंकित हत्याकांड का खुलासा करने के साथ ही पुलिस ने मृतक छात्र अंकित खोखर के मकान मालिक उमेश शर्मा और उसके एक साथी प्रवेश को गिरफ्तार किया था. पुलिस का कहना था कि बेहद शातिराना तरीके से इस हत्या की साजिश को रचा गया. और पूरी प्लानिंग के साथ कत्ल की संगीन वारदात को अंजाम दिया गया. हत्यारे की पुरजोर कोशिश ये थी कि पुलिस के हाथ उस तक ना पहुंच पाएं.
टीवी शो और फिल्म देखकर बनाया था प्लान
दरअसल, इस कत्ल की वारदात को अंजाम देने के लिए कातिल ने जो साजिश रची थी, उसका आइडिया उसे कुछ फिल्मों और क्राइम शो से मिला था. वो ऐसी फिल्में और शो देखकर एक बात जान चुका था कि अगर मरने वाले की लाश ही बरामद ना हो, तो कत्ल का मामला साबित करना मुश्किल हो जाता है. मतलब सबूतों को मिटा देना कातिल के लिए ज़रूरी होता है. ताकि वो पकड़ा ना जाए.
6 अक्टूबर 2022
पीएचडी छात्र अंकित मोदी नगर में किराए के कमरे में रहता था. उस दिन अंकित का कत्ल उसके कमरे में ही किया गया था. हत्या से पहले प्लान के तहत अंकित को नशीला पदार्थ दिया गया था. जिससे अंकित बेहोश हो गया और फिर उसका गला दबाकर, हत्यारोपी उमेश ने उसे मौत के घाट उतार दिया था. हत्या के बाद उसने कमरे की साफ सफाई भी की थी और 2 महीने तक बेहद शातिर तरीके से हत्या के इस राज को पुलिस और लोगों से इस तरीके से छुपा कर रखा था कि किसी को शक नहीं हुआ.
पैसे के लालच में खूनी साजिश
जिस मकान मालिक उमेश शर्मा ने इस कत्ल की वारदात को पेशेवर अंदाज में अंजाम दिया था, वो महज 12वीं पास है. लेकिन उसने रुपयों के लालच में ऐसी ख़ौफनाक साजिश रची कि जांच करने वाली पुलिस भी हैरान रह गई थी. गिरफ्तार मकान मालिक उमेश शर्मा पहले एक हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के पास कम्पाउंडर का काम किया करता था. जहां वह आरी की मदद से टूटे अंग पर चढ़ाए गए प्लास्टर को काटने का काम करता था.
आरी से काटी थी अंकित की लाश
पुलिस को तफ्तीश के दौरान पता चला था कि हत्या की इस वारदात के सबूतों को मिटाने के लिए उसने आरी का इस्तेमाल किया था और अंकित की लाश को तीन टुकड़ों में काट डाला था. पुलिस के अनुसार, करीब 24 घंटे तक अंकित की लाश के वो तीन टुकड़े कातिल के घर पर ही पड़े रहे थे.
7 अक्टूबर 2022
अंकित की हत्या के अगले दिन आरोपी उमेश शर्मा ने अपने एक दोस्त की कार मंगाई. फिर लाश के टुकड़ों को पैकिंग पॉलिथीन में भरकर कार में रखा और घर से निकल पड़ा. उसका मकसद लाश के तीनों टुकड़ों को ठिकाने लगाना था. सबसे पहले वो खतौली के करीब गंग नहर पहुंचा और वहां एक टुकड़ा नहर में फेंक दिया. फिर वो मसूरी में गंग नहर पहुंचा और दूसरा टुकड़ा वहां फेंका. अब तीसरा टुकड़ा ठिकाने लगाने के लिए वो मसूरी गंग नहर से इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर एक सुनसान जगह पहुंचा और लाश का तीसरा आखिरी टुकड़ा उसने वहां ठिकाने लगा दिया. फिर वो कार लेकर वापस अपने घर लौट आया.
ऐसे मिले कत्ल के सबूत
पुलिस ने मृतक के घर से हत्या में इस्तेमाल की गई आरी के साथ ही कई अहम सबूत जुटा लिए थे. हत्यारोपी के घर में पुलिस को खून के निशान मिले थे, जो अंकित के थे. पुलिस ने अंकित के खाते से ट्रांसफर की गई रकम की जानकारी और उसकी बैंक पासबुक भी सबूत के तौर पर जुटाई थी. वहीं आरोपी मकान मालिक उमेश शर्मा के साथी प्रवेश के पास से पुलिस ने मृतक अंकित का एटीएम कार्ड और मोबाइल फोन बरामद किया था.
पुलिस को गुमराह करने की तरकीब
दरअसल, अंकित का मोबाइल लेकर आरोपी उमेश का साथी प्रवेश 1 दिसंबर को उत्तराखंड चला गया था. जहां उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए हरिद्वार के एक एटीम से 40 हजार रुपये निकाले थे. इसके बाद 2 दिसंबर को उसने ऋषिकेश के एक एटीएम से दो बार में 40 हजार रुपये निकाले. दोनों जगह वो अपने साथ मृतक अंकित का मोबाइल फोन लेकर गया था ताकि अगर पुलिस उसकी मोबाइल लोकेशन और बैंक डिटेल निकाले तो वो गुमराह हो जाए. पुलिस को लगे कि अंकित जिंदा है और उत्तराखंड में घूम रहा है. वो अपने खर्च करने के लिए पैसे भी निकाल रहा है.
जला दिए थे कपड़े
आरोपी उमेश शर्मा इतना शातिर है कि उसने कत्ल के दौरान पहने हुए अपने और मृतक के कपड़े जला दिए थे. मानों अगर पुलिस उस तक पहुंच भी जाए तो उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत पुलिस को हासिल ना हो.
इसलिए किया था आरी का इस्तेमाल
जब पुलिस को आरी से लाश काटने की बात पता चली तो पहले पुलिस टीम को इस बात पर भरोसा ही नहीं हुआ. लेकिन गिरफ्तारी के बाद आरोपी उमेश ने पुलिस को बताया कि उसने अंकित की लाश के टुकड़े आरी से किए थे. क्योंकि वो आरी की मदद से हड्डियों को भी आसानी से काट सकता है. उसने टुकड़े करने के लिए आरी का इस्तेमाल इसलिए भी किया था, ताकि खून के छींटे दूर तक न जाएं.
ये थी कत्ल की असल वजह
छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि कत्ल की वारदात को अंजाम देने से पहले ही आरोपी उमेश मृतक अंकित से करीब 40 लाख रुपये की रकम उधार ले चुका था. उसने अंकित से कहा था कि काम धंधे में लगाने के लिए उसे पैसे की ज़रूरत है. हत्यारोपी उमेश की नजर अंकित के उस पैसे पर थी, जो अंकित को उसकी पैतृक संपत्ति बेचकर मिला था. उमेश को पता था कि अंकित के पास करीब 1 करोड़ रुपये की रकम थी. वो उसे हड़पना चाहता था. यही वो वजह थी कि उसने पहले ही अंकित को खत्म करने का प्लान बना लिया था.
अंकित के पैसे से कातिल उमेश ने चुकाया था उधार
असल में अंकित के माता-पिता की मौत पहले ही हो चुकी थी. और वह अपने अन्य रिश्तेदारों के ज्यादा संपर्क में भी नहीं था. इसलिए आरोपी उमेश को भरोसा था कि अंकित के गायब हो जाने के बाद उसे ढूंढने के लिए या केस की पैरवी करने कोई नहीं आएगा. इस वजह से वो पकड़ा नहीं जाएगा. जानकारी के अनुसार उमेश ने अंकित के खाते से निकाली गई रकम में से काफी पैसा अपना पुराना उधार और लोन चुकाने में खर्च कर दिया था.
यूं हुआ था दोस्तों को शक
मृतक अंकित के दोस्तों का कहना है कि वो काफी हंसमुख और मिलनसार था. वो जब उनके घर आता था तो उनके माता-पिता को पूरा सम्मान देता था. उनके पैर तक दबाया करता था. वो और उसके अन्य 6 दोस्त फोन पर बातचीत किया करते थे. सोशल मीडिया के जरिये अक्सर एक दूसरे के सम्पर्क में रहा करते थे. लेकिन जब करीब दो माह पहले अचानक अंकित से उनकी बात होना बंद हुई तो उन्हें किसी अनहोनी का अंदेशा हुआ.
दोस्तों ने दी थी थाने में तहरीर
अंकित के मोबाइल पर बात नहीं हो पा रही थी, लेकिन सोशल मीडिया पर उसके कुछ दोस्तों से उसकी बातचीत हुई थी. हालांकि उस बातचीत में कई स्पेलिंग्स मिस्टेक होने की वजह से दोस्तों को शक हुआ था कि चैटिंग करने वाला अंकित नहीं है. जिसके बाद किसी अनहोनी की आशंका के चलते अंकित के दोस्त राजीव बालियान, प्रशांत, डॉ. विशाल और अमित ने पुलिस को तहरीर देकर मामले की शिकायत दर्ज कराई थी.
ऐसे मिली थी संपत्ति बेचने की जानकारी
दोस्तों ने पुलिस को बताया कि अंकित मूल रूप से बागपत के गांव मुकुंदपुर का निवासी था. जब उन्होंने अंकित के पैतृक गांव में सम्पर्क किया तो पता चला कि अंकित ने अपनी गांव की पैतृक संपत्ति बेच दी है. जिससे उसे करीब 1 करोड़ रुपये मिले थे. ये जानकार दोस्तों को लगा कि हो सकता है पैसों के लालच में उसके साथ कुछ गलत न हो गया हो. तब उन लोगों ने आपस में सलाह मशविरा करके स्थानीय पुलिस से शिकायत की तहरीर दी थी.
पुलिस ने तेजी से किया खुलासा
मामले की शिकायत मिलने पर पुलिस को अहसास हो गया था कि मामला गंभीर है. लिहाजा पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए हत्या के सनसनीखेज मामले का खुलासा कर दिया. अंकित हत्याकांड के इस खुलासे से उसके दोस्त भी काफी हैरान हैं. उनका कहना है कि अंकित पीएचडी कर रहा था और काफी होनहार छात्र था. वो विदेश जाकर आगे की पढ़ाई करना चाहता था. इस हत्याकांड का खुलासा हो जाने के बाद पुलिस ने आरोपियों से लंबी पूछताछ की. जिसमें उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया था.