Killer Mother Soochna Seth: एक मां अपने चार साल के मासूम बेटे का कत्ल करती है. फिर उसकी लाश को एक बैग में पैक करती है. फिर एक कैब में वो लाश वाला बैग रखकर वो साढ़े पांच सौ किलोमीटर के सफर पर निकल पड़ती है. लेकिन इससे पहले कि वो अपनी मंजिल तक पहुंच पाती, कैब ड्राइवर अचानक गाड़ी को एक पुलिस स्टेशन पर ले जाता है. ये कहानी जितनी बैचेन करने वाली है, उससे ज्यादा वो वजह परेशान करती है, जिस वजह के लिए एक मां ने अपने मासूम बच्चे को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया.
6 जनवरी 2024, शनिवार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एथिक्स एक्सपर्ट, डेटा साइंटिस्ट और स्टार्टअप कंपनी माइंडफुल एआई लैब की फाउंडर और सीईओ. 39 साल की सूचना सेठ अपने चार साल के बेटे के साथ 6 जनवरी को बेंगलुरू से गोवा के लिए उड़ान भरती है. गोवा एयरपोर्ट पर उतने के बाद वो वहां से सीधे कैंडोलिम इलाके के मौजूद इसी सोल बनयान ग्रैंड होटल में चेक इन करती है. होटल के बुकिंग सूचना ने पहले से ही करा रखी थी. रिसेप्शन पर बाक़ायदा वो अपना आईडी कार्ड भी देती है. 6, 7 और 8 जनवरी को सूचना अपने बेटे के साथ गोवा के अलग-अलग इलाकों में घूमने जाती है. अब तक सबकुछ ठीक था.
फ्लाइट की बजाय कैब से बेंगलुरु जाने का फैसला
लेकिन फिर तभी 8 जनवरी की रात करीब दस बजे सूचना होटल के रिसेप्शन पर फोन कर बेंगलुरु के लिए एक कैब बुक कराने को कहती है. होटल के ट्रैवल डेस्क को सूचना की ये बात बड़ी अजीब लगती है. ट्रैवल डेस्क पर मौजूद शख्स सूचना को मशवरा देता है कि कैब से बेंगलुरु जाने की बजाय फ्लाइट से जाना कहीं ज्यादा सस्ता पड़ेगा और वक्त भी बचेगा. लेकिन सूचना कैब से ही बेंगलुरु जाने की बात दोहराते हुए उसे उसके लिए उसी वक्त एक कैब बुक करने को कहती है. साथ ही ये भी कहती है कि पैसे की चिंता ना करे, जो भी किराया होगा, वो दे देंगी.
रात के 1 बजे कैब से अकेले निकली थी सूचना
अब रात 8 जनवरी से 9 जनवरी में दाखिल हो चुकी थी. रात के करीब 1 बजे थे. एक इनोवा कार होटल पहुंच चुकी थी. सूचना रिसेप्शन पर पहुंच कर बिल चुकाती है और चेकआउट कर लेती है. चेकआउट करने के बाद एक बैग लिए अब वो होटल से बाहर निकलती है और बाहर खड़ी इनोवा कार में बैठ जाती है. कार अब गोवा से बेंगलुरु के लिए रवाना हो चुकी थी. लेकिन सूचना के जाने में एक अजीब बात थी. होटल वो अपने चार साल के बेटे के साथ आई थी, लेकिन चेकआउट के बाद जब वो होटल छोड़ रही थी, तब उसके पास सिर्फ एक बैग था. बेटा नहीं.
कमरे में खून देखकर घबरा गया होटल का स्टाफ
गोवा से बेंगलुरु तक की दूरी 550 किलोमीटर से भी ज्यादा की है. सड़क के रास्ते इस सफर को पूरा करने में लगभग 10 घंटे लगते हैं. उधर, सूचना कार में बेंगलुरु की तरफ बढ़ रही थी. इधर, गोवा में नई सुबह ने दस्तक दे दी थी. सुबह होते ही होटल के स्टाफ ने तमाम कमरों के साथ-साथ सूचना के कमरे की भी सफाई करनी शुरू कर दी. तभी एक स्टाफ की नजर सूचना के कमरे में मौजूद खून के कुछ बूंदों पर पड़ी. खून देखते ही वो घबरा गया. उसने फौरन होटल मैनेजर को इसकी खबर दी.
पुलिस ने खंगाली होटल की सीसीटीवी फुटेज
मैनेजर ने फौरन कलिंगुट पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना दी. तब घड़ी में सुबह के 8 बजे थे. सूचना मिलते ही पुलिस फौरन होटल के उस कमरे में पहुंचती है. खून के निशान देख कर उसे अंदाजा हो जाता है कि इस कमरे में कुछ हुआ है. अब पुलिस कमरे में ठहरे गेस्ट के बारे में पूछताछ करती है. तब पता चलता है कि ये कमरा रात एक बजे बेंगलुरु से सूचना सेठ नाम की एक महिला ने खाली किया था. गोवा पुलिस अब सूचना के बारे में होटल स्टाफ से पूरी जानकारी मांगती है. ना सिर्फ जानकारी मांगती है बल्कि होटल के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगालती है.
हैरान करने वाला था कैब से बेंगलुरु जाने का फैसला
और तभी पुलिस को सूचना के चार साल के अपने बच्चे के साथ बेंगलुरु से गोवा आने और रात 1 बजे कैब से बेंगलुरु वापस जाने के बारे में पता चलता है. पुलिस भी फ्लाइट की बजाय कैब से बेंगलुरु जाने के सूचना के फैसले को जानकर हैरान रह जाती है. पर उससे भी ज्यादा हैरान वो तब होती है, जब होटल के स्टाफ और सीसीटीवी कैमरे से ये पता चलता है कि वो आई तो एक बच्चे के साथ थी, लेकिन लौटी अकेली. अब सवाल ये था कि चार साल का वो बच्चा कहां गया? सवाल ये भी था कि कमरे में मौजूद खून के वो निशान किसके हैं?
पुलिस से फोन पर झूठ बोल रही थी सूचना
पुलिस ने फौरन अपना दिमाग लगाया और होटल के ट्रैवल डेस्क से उस ट्रैवल एजेंसी का नंबर लिया, जिसने सूचना के लिए इनोवा कार भेजी थी. अब कार के ड्राइवर का नंबर गोवा पुलिस के पास था. गोवा पुलिस ने कार ड्राइवर को फोन मिलाया. फोन मिलाते ही उससे कहा कि वो कार में बैठी मैडम से उसकी बात कराए. मैडम यानी सूचना के लाइन पर आते ही पुलिस ने उससे पूछा कि क्या आपका बेटा कहां है? वो आपके साथ वापस क्यों नहीं गया? सूचना ने बेखौफ जवाब दिया कि वो गोवा में ही एक रिश्तेदार के पास है. कुछ दिन बाद लौटेगा.
फर्जी निकला सूचना का पता
उसने बाकायदा गोवा के अपने उस रिश्तेदार का पता भी पुलिस को दे दिया. गोवा पुलिस को लगा कि शायद वो गलत शक कर रही है. फिर भी पुलिस ने सूचना के दिए पते पर पुलिस की एक टीम भेजी. लेकिन वो पूरा इलाका छान मारने के बावजूद वो पता नहीं मिला, जिसका पता सूचना ने दिया था. यानी सूचना का दिया पता फर्जी था. अब गोवा पुलिस को लगा कि मामला गड़बड़ है.
कार को पुलिस स्टेशन ले गया ड्राइवर
लिहाज़ा तुरंत पुलिस ने दोबारा उस कैब ड्राइवर को फोन किया, जिसमें सूचना बैठी थी. पुलिस ने धीमे से ड्राइवर से कहा कि जैसे ही तुम्हें अपने करीब कोई पुलिस स्टेशन दिखाई दे, फौरन गाड़ी को वहीं ले जाना. और वापस फोन करना. तब कैब बेंगलुरु से 200 किलोमीटर पहले कर्नाटक के ही चित्रदुर्ग इलाके से गुजर रही थी. तभी ड्राइवर की नजर चित्रदुर्ग में ही मौजूद आईमंगला पुलिस स्टेशन पर पड़ी. उसने फौरन गाड़ी को पुलिस स्टेशन में घुसा दिया.
बड़े बैग से निकली बच्चे की लाश
इससे पहले कि सूचना कुछ समझ पाती, ड्राइवर ने गोवा पुलिस की बात आई मंगला पुलिस स्टेशन में मौजूद पुलिस वालों को बताई और फोन मिला कर गोवा पुलिस से उनकी बात करा दी. गोवा पुलिस ने आईमंगला पुलिस को सारी बात बताते हुए सूचना और उसके सामान की तलाशी लेने की रिक्वेस्ट की. अब कर्नाटक पुलिस इनोवा कार में मौजूद उस बड़े बैग की तलाशी लेती है. जब बैग खोला जाता है, तो ऊपरी कपड़े के नीचे एक बच्चे की लाश मिलती है. सूचना को फौरन हिरासत में ले लिया जाता है. गोवा पुलिस को इसकी खबर दे दी जाती है. अब गोवा पुलिस की एक टीम आईमंगला पुलिस स्टेशन के लिए रवाना हो जाती है.
पुलिस के सामने थे कई सवाल
गोवा पुलिस के मन में तमाम सवाल थे. चार साल के जिस बच्चे की लाश बैग में थी, वो कौन था? क्या वो सूचना का बेटा था? अगर बेटा था, तो फिर एक मां ने अपने ही हाथों अपने बेटे को क्यों मारा? क़त्ल करने के बाद वो लाश को बैग में रख कर साढ़े पांच सौ किलोमीटर की दूरी तय कर बेंगलुरु क्यों जा रही थी? अगर उसे लाश ठिकाने ही लगाना था, तो उसने गोवा में ऐसा क्यों नहीं किया? और सबसे बड़ा सवाल ये कि एक मां अपने बच्चे का कत्ल क्यों करेगी? और कत्ल के बाद लाश के साथ सफर क्यों करेगी? इन्हीं सवालों के साथ गोवा पुलिस की एक टीम कर्नाटक के आईमंगला पुलिस स्टेशन पहुंच चुकी थी.
सूचना को ट्रांजिट रिमांड पर ले गई गोवा पुलिस
सबसे पहले गोवा पुलिस सूचना को चित्रदुर्ग की एक अदालत में पेश कर उसका ट्रांजिट रिमांड लेती है. फिर बेटे का शव पोस्टमार्टम के लिए चित्रदुर्ग के ही सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर में रखवा देती है. ताकि मौत की वजह पता की जा सके. इसके बाद अदालत की इजाजत से गोवा पुलिस अब सूचना को लेकर एक बार फिर गोवा के लिए निकल पड़ती है. आधी कहानी तो वापसी के सफर में ही सूचना सुना चुकी थी. बाकी का सच गोवा पहुंचने के बाद उसने पुलिस के सामने उगल दिया. अब गोवा पुलिस के पास सारे सवालों के जवाब थे.
ये थी कातिल मां की पूरी कहानी
39 साल पहले सूचना सेठ का जन्म कोलकाता में हुआ था. एक अच्छे परिवार से आने वाली सूचना बचपन से ही पढ़ने लिखने में बेहद तेज़ थी. कई भाषाओं पर उसका कमांड था. उसने फिजिक्स ऑनर्स में टॉप रैंक के साथ ग्रैजुएशन किया. संस्कृत में पोस्ट ग्रैजुएशन. और फिर डेटा साइंस की पढ़ाई की. आगे चल कर उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई में भी महारत हासिल की. दुनिया की कई नामचीन यूनिवर्सिटी से जुड़ी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के एथिक्स के बारे में वो घूम-घूम कर लेक्चर यानी ज्ञान दिया करती थी. एआई की अच्छाई और बुराई के बारे में बताया करती थी. सूचना के पास डेटा साइंस और एआई में काम करने का 12 साल का तजुर्बा है. बाद में उसने बेंगलुरु में एक स्टार्टअप कंपनी की शुरुआत की. माइंडफुल एआई लैब नाम की इस कंपनी की वो फाउंडर और सीईओ है.
2020 में अलग हो गए थे सूचना और वेंकटरमन
2010 में सूचना की मुलाकात बेंगलुरु में ही केरल के रहनेवाले वेंकटरमण से हुई. दोनों में प्यार हुआ, दोनों ने शादी कर ली. वेंकट भी एक अच्छे और पढ़े लिखे परिवार से है. शादी के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था. शादी के 9 साल बाद यानी 2019 में दोनों को एक बेटा हुआ. तब भी सबकुछ ठीक था. लेकिन फिर 2020 में कोरोना आते ही मियां बीवी के रिश्ते में कड़वाहट आनी शुरू हो गई. दोनों में झगड़ा इस कदर बढ़ा कि दोनों अलग-अलग रहने लगे. पर बेटा मां के पास था. इस अलगाव के बावजूद वेकंटरमन अक्सर अपने बेटे से मिलने सूचना के पास आता था. लेकिन सूचना उसे बेटे से मिलने नहीं देती थी.
हर संडे बेटे से मिल सकता था वेंकटरमन
अलगाव का ये मामला अब अदालत तक पहुंच चुका था. दोनों ने तलाक की अर्जी डाल दी थी. दोनों ही बेटे की कस्टडी चाहते थे. वेंकटरमन ने कोर्ट में कई बार ये शिकायत की कि सूचना उसे उसके बेटे से मिलने नहीं देती. आखिरकार 2023 के खत्म होते होते बेंगलुरु की जिला कोर्ट ने दोनों के अलगाव पर अपना फैसला सुनाया. कानूनी तौर पर दोनों का तलाक हो गया. लेकिन इसके साथ ही अदालत ने एक और फैसला दिया. फैसला ये कि बेटा अपनी मां यानी सूचना के पास ही रहेगा. लेकिन वेंकटरमन महीने में चार बार हर संडे अपने बेटे से मिल सकता है. बस कोर्ट का यही फैसला सूचना को नागवार गुजरा. वो अपने पति से इस कदर नफरत करती थी कि उसके हिस्से खुशी का कोई पल आए, ये उसे बर्दाश्त नहीं था. और वेंकटरमन अपने बेटे से मिल कर हमेशा खुश हो जाता था.
नफरत की आग में ममता को जला बैठी सूचना
अब सूचना सेठ इसी उधेड़बुन में लग गई कि कैसे वो अपने पति की खुशियों को छीन ले. लेकिन इस खुशी के रास्ते में कोई और नहीं उसका अपना बेटा आ रहा था. सूचना को अपने पति और खुशियों से इस कदर नफरत थी कि नफरत की आग में उसकी ममता तक को जला डाला. अब वो मौके की तलाश में थी. इत्तेफाक से नए साल ने उसे ये मौका भी दे दिया. संडे की मुलाकात के कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार वेंकटरमन काम के सिलसिले में विदेश चला गया. यानी सात जनवरी को पड़ने वाले संडे को वो अपने बेटे से नहीं मिल सकता था. सूचना इस संडे को खोना नहीं चाहती थी.
8 जनवरी की रात किया बेटे का कत्ल
लिहाजा वो शनिवार यानी छह जनवरी को ही बेंगलुरु छोड़ देती है. और गोवा पहुंच जाती है. अपने बेटे के साथ तीन दिन वो गोवा में रुकती है. पर मासूम बेटा सिर्फ चार साल का था. उसे मालूम नहीं था कि पति पत्नी का झगड़ा या तलाक क्या होता है. उसे मम्मी पापा दोनों चाहिए थे. लेकिन जब जब उसके मुंह से पापा निकलता, तब-तब पति के लिए सूचना की नफरत और गहरी हो जाती. और इसी नफरत की आग में उसने 8 जनवरी की रात आठ से दस बजे के दरम्यान अपने ही हाथों से अपनी ममता का गला घोंट डाला.
फ्लाइट से जाने पर पकड़ी जाती सूचना
बेटे का कत्ल वो कर चुकी थी. लेकिन लाश को कैसे ठिकाने लगाएं, ये उसे समझ नहीं आ रहा था. उसे पता था कि बैग में लाश को ठूंस कर वो फ्लाइट से बेंगलुरु नहीं जा सकती. एयरपोर्ट पर चेकिंग होती है. बैग की स्कैनिंग होती है. वो पकड़ी जाएगी. गोवा से वो अंजान थी. लिहाजा वो लाश ठिकाने लगाने में जोखिम था. तब उसने तय किया कि वो कैब से सड़क के रास्ते बेंगलुरु जाएगी और शायद उसी रास्ते में किसी सुनसान जगह पर वो लाश को ठिकाने लगा देगी.
होटल स्टाफ और पुलिस की समझदारी
सूचना शायद अपनी इस प्लानिंग में कामयाब भी हो जाती, अगर सोल बनयान गैंडे होटल के स्टाफ ने अपनी समझदारी ना दिखाई होती. वो होटल का स्टाफ ही था जिसने पहली बार कमरे में खून की बूंदें देखी. वो होटल का स्टाफ ही था, जिसे सूचना के फ्लाइट की बजाय कैब से बेंगलुरु जाने के फैसले पर शक हुआ. वो होटल का स्टाफ ही था जिसने पहली बार ये नोटिस किया कि सूचना आई तो एक बच्चे के साथ थी, लेकिन चेकआउट करते वक्त बच्चा उसके पास नहीं था. वो होटल का स्टाफ ही था, जिसने सबसे पहले लोकल पुलिस को इसकी सूचना दी.
पुलिस को पल-पल की जानकारी दे रहा था ड्राइवर
तारीफ गोवा पुलिस की भी है, जिसने इस सूचना के मिलते ही फौरन गोवा से लेकर चित्रदुर्ग तक अपना जाल बिछाया. जिसने सूचना के फर्जी पते का सच निकाला. और जिसने बेहद कम वक्त में कर्नाटक पुलिस के साथ मिल कर गोवा में बैठे-बैठे सूचना को हिरासत में ले लिया. होटल स्टाफ और गोवा पुलिस के अलावा तारीफ के काबिल वो कैब ड्राइवर भी है, जिसने पूरे रास्ते गोवा पुलिस को कैब में बैठी सूचना के बारे में पल-पल की जानकारी दी, अपना रूट बताया और गोवा पुलिस के कहने पर अपनी अकल का इस्तेमाल करते हुए आईमंगला पुलिस स्टेशन तक गाड़ी ले गया. लेकिन इस पूरी कहानी का सबसे अफसोसनाक पहलू ये है नफरत की इंतेहा के आगे सूचना ने मां और मां की ममता दोनों को रुसवा कर दिया.
( गोवा से रितेश देसाई का इनपुट)