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गोवा मर्डर: ज्यूडिशियल कस्टडी में पहुंची बेटे की हत्यारोपी सूचना सेठ, केस कैसे सुलझा पाएगी पुलिस?

Goa Murder Case: गोवा में अपने चार साल के बेटे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुई सूचना सेठ को 13 दिनों के लिए ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है. स्टार्टअप कंपनी माइंडफुल एआई लैब की फाउंडर और सीईओ अभी तक गोवा पुलिस की हिरासत में थी. अभी तक उसने अपने बेटे का कत्ल करने की बात कुबूल नहीं किया है.

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सूचना सेठ को 13 दिनों के लिए ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है.
सूचना सेठ को 13 दिनों के लिए ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है.

Suchana Seth in Judicial Custody: स्टार्टअप कंपनी माइंडफुल एआई लैब की फाउंडर और सीईओ सूचना सेठ को 13 दिनों के लिए ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है. इससे पहले वो 11 दिनों के लिए पुलिस कस्टडी में थी. गोवा पुलिस ने उससे पूछताछ करने, डीएनए सैंपल लेने और उसके पति वेंकट के बयानों से सामना कराने के लिए 14 जनवरी को कस्टडी बढ़ाने की मांग की थी. लेकिन इस बार पुलिस की तरफ से कस्टडी की मांग नहीं की गई. इतना ही नहीं आरोपी सीईओ के वकील ने भी जमानत की मांग नहीं की.

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पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) विश्वेश करपे ने बताया कि सूचना सेठ की पांच दिनों की कस्टडी खत्म होने के बाद शुक्रवार को मापुसा स्थिति चिल्ड्रेन कोर्ट में पेश किया गया. हमें उसकी पुलिस कस्टडी की अब जरूरत नहीं थी. उसका मेडिकल और डीएनए टेस्ट हो चुका है. विसरा जांच के लिए भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. हत्यारोपी मां पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रही है. वो लगातार अपने मासूम बेटे के कत्ल से इंकार कर रही है. इस वारदात के लिए अपने पति वेंकट रमन को जिम्मेदार बता रही है.

यहां बड़ा सवाल ये है कि इस पूरे मर्डर केस में बहुत ज्यादा तत्परता दिखाने वाली गोवा पुलिस हत्यारोपी सूचना सेठ को दोषी कैसे ठहरा पाएगी? उसके पास ऐसा कोई गवाह नहीं है, जो कि साबित कर सके कि सूचना ने ही अपने बेटे की हत्या की है. उसकी पुलिस कस्टडी भी खत्म हो गई. इसलिए पुलिस ज्यूडिशियल कस्टडी में उससे अब पूछताछ नहीं कर पाएगी. ऐसे में इस केस का क्या होगा? इन सवालों का जवाब यही है कि पुलिस अब परिस्थिति जन्य सबूतों, घटनाक्रम और बैग में लाश देखने वालों गवाहों के जरिए साबित करने की कोशिश करेगी कि अपने बेटे की हत्या सूचना ने ही की है. पुलिस द्वारा दिए गए सबूतों और पेश किए गए गवाहों के आधार पर कोर्ट को इस केस में फैसला करना होगा.

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तुमने अपने ही बच्चे का कत्ल क्यों कर दिया? इस वारदात के पीछे तुम्हारा मकसद क्या था? आख़िर ऐसा क्या हुआ कि तुमने इतना भयानक कदम उठा लिया? आख़िर ऐसी क्या बात थी कि तुम्हें लगा कि बच्चे को मार देना ही इकलौता रास्ता बचा है? तुमने होटल के कमरे में देर तक लाश क्यों छुपाए रखी? तुम बच्चे की लाश को सूटकेस में भर कर बेंगलुरु क्यों ले जाना चाहती थी? यदि तुम लाश के साथ बेंगलुरु पहुंचने में कामयाब हो जाती, तो वहां लाश के साथ क्या करती? क्या तुम इसे एक नैचुरल डेथ बता कर उसका अंतिम संस्कार करती? तुमने अपनी कलाई क्यों काट ली? तुमने कत्ल के लिए ही गोवा को क्यों चुना? गोवा पुलिस हिरासत में ये तमाम सवाल करती रही, लेकिन सूचना खामोश रही. 

सूचना सेठ ने गोवा पुलिस के किसी भी सवाल का खुलकर जवाब नहीं दिया. इसके बाद पुलिस ने मनोवैज्ञानिक का सहरा लिया. उनकी मौजूदगी में उनके जरिए उससे कत्ल के राज जानने की कोशिश की गई. 16 जनवरी को एक मनोवैज्ञानिक की मदद से उससे नए सिरे से बातचीत करने की कोशिश की गई थी. लेकिन इसके बावजूद उसने खुल कर किसी भी बात का जवाब नहीं दिया. तब मनोवैज्ञानिक ने पुलिस को सुझाव दिया था कि वो सूचना से कत्ल के राज उगलवाने में कोई जल्दी ना करे, बल्कि उसको नॉर्मल होने का इंतजार करें, ताकि वो खुल कर अपने दिल की बात कह सके. मनोवैज्ञानिक ने पुलिस से कहा कि यदि जल्दबाजी दिखाई गई तो मुमकिन है कि वो अपने आप किसी 'अदृश्य खोल' में बंद कर ले.

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अपने बेटे को पिता मिलने नहीं देना चाहती थी सूचना सेठ

गोवा पुलिस की तफ्तीश में साफ हो चुका है कि सूचना सेठ किसी भी कीमत पर अपने बेटे को उसके पापा यानी अपने पति वेंकट से नहीं मिलने देना चाहती थी. इसीलिए वो बार-बार बेंगलुरु से भाग रही थी. उसने एक हफ्ते में दो बार गोवा का ट्रिप किया और दूसरी में उसने अपने बेटे की हत्या कर दी. पुलिस की मानें तो सूचना पिछली बार रविवार, 31 दिसंबर 2023 को बेंगलुरु से अपने बेटे के साथ गोवा आई और नए साल पर वो गोवा में ही रुकी. उसने अपने लिए साउथ गोवा में एक फाइव स्टार होटल का कमरा बुक करवाया था. 5 दिन रुकने के बाद उसने 4 जनवरी को वहां से चेकआउट किया और फिर बच्चे के साथ ही बेंगलुरु लौट गई. एक खास बात ये भी रही कि 31 दिसंबर को जब सूचना अपने बच्चे को लेकर पहली बार गोवा आई, तब उसने अपने पति वेंकट से कहा कि उनके बेटे की तबीयत खराब है, इसलिए इस संडे उसके बेटे की उससे मुलाकात नहीं हो सकेगी.

वारदात के खुलासे के दस दिनों बाद भी खड़े हैं कई सवाल

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हालांकि बेंगलुरु पहुंचने के बाद सूचना सेठ सिर्फ दो दिन तक वहां रही और इससे पहले कि रविवार यानी संडे का दिन आता, वो 6 जनवरी शनिवार को फिर से अपने बेटे को लेकर गोवा चली आई. इस बार उसने नॉर्थ गोवा के कैंडोलिम इलाके में द सोल बनयान ग्रैंडे होटल में कमरा लिया और अपने बेटे के साथ चेकइन कर लिया. वैसे तो पुलिस सूचना के हाथों उसके चार साल के बेटे के कत्ल के केस को एक ओपन एंड शट केस मान कर चल रही थी. जिसमें पुलिस ने वारदात के सामने आने के चंद घंटे बाद ही ना सिर्फ बच्चे की लाश बरामद कर ली, बल्कि हत्या के इल्जाम में बच्चे की मां को भी गिरफ्तार कर लिया, लेकिन हकीकत यही है कि इस वारदात का खुलासा हुए 15 दिनों का वक्त गुजर जाने के बावजूद फिलहाल इसको लेकर बेशुमार सवाल हैं. यहां तक कि कत्ल का मोटिव भी पूरी तरह साफ नहीं है. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि सूचना ने अपना मुंह सील रखा है.

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इनोवा कार के ड्राइवर की जुबानी, दिल दहला देने वाली कहानी

गोवा के 'द सोल बनयान ग्रैंडे' होटल से 7 जनवरी की 12.30 बजे जिस इनोवा कार में सूचना सेठ अपने बेटे की लाश को बैग में रखकर बेंगलुरु के लिए निकली थी, उस कार के ड्राइवर रॉयजॉन डिसूजा ने दिल दहला देने वाली कहानी बताई है. 7 जनवरी को रॉयजॉन डिसूजा नॉर्थ गोवा के अंजुणा इलाके में अपने घर पर मौजूद था. उस रात करीब 11 बजे उसे होटल सोल बनयान ग्रैंडे के रिसेप्शन से कॉल आया. उससे बेंगलुरु जाने के लिए पूछा गया. उसने वापसी का किराया जोड़कर 30 हजार रुपए की मांग की, जिसके बाद सौदा तय हो गया. उसने अपने साथ एक दूसरे ड्राइवर को लिया और होटल पहुंच गया. वहां एक महिला मिली, जिसके पास लाल रंग का एक बड़ा सा ट्रॉली बैग था. 

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वो महिला 'द माइंडफुल एआई लैब' की सीईओ सूचना सेठ थी. होटल के रिसेप्शन पर बैठे शख्स ने सूचना सेठ को कैब ड्राइवर से मिलवाया. सूचना सफर के लिए तैयार थी. उसने ट्रॉली बैग डिसूजा को थमा दिया. डिसूज़ा ट्रॉली बैग लेकर होटल के गेट पर ही पोर्च में खड़ी गाड़ी तक गया. इसके बाद उसने कार की डिग्गी खोली और पहली बार बैग को हाथों से उठाकर डिग्गी में रखा. तभी उसे अहसास हुआ कि बैग कुछ ज्यादा ही भारी है, लेकिन इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा. सूचना सेठ ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर बांयी तरफ बैठ गई, जबकि डिसूजा का साथी ड्राइवर आगे ड्राइवर की बराबर वाली सीट पर बैठ गया. इसके बाद इनोवा कार होटल से निकल पड़ी. उस समय घड़ी में रात के ठीक 12.30 बज रहे थे. 

अगले डेढ़ घंटे तक गाड़ी दौड़ती रही. देर रात होने की वजह से ट्रैफिक उतना नहीं था, लेकिन हाईवे पर ट्रक काफी थे. डेढ़ घंटे बाद रात के करीब 2 बजे थे. गाड़ी गोवा-कर्नाटक बॉर्डर पर पहुंची. डिसूजा ने देखा कि हाईवे पर गाड़ियों की कतार लगी हुई है. पता चला कि एक ट्रक बीच सड़क पर पलट गया है, जिसकी वजह से ट्रैफिक रुक गया है. ड्राइवर को पता चला कि ट्रैफिक क्लियर होने में कम से कम चार से छह घंटे लग सकते हैं. उसने ये बात सूचना को बताई और कहा कि वो दूसरे रूट से उसे एयरपोर्ट ले जा सकता है. वहां से बेंगलुरु जल्दी पहुंच जाएगी. लेकिन उसने उसकी बात अनसुनी कर दी. उसे जाम खुलने तक इंतजार करने के लिए कहा, क्योंकि वो सड़क के रास्ते ही जाना चाहती थी.

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अगली सुबह के 11 बजे डिसूजा के मोबाइल की घंटी बजी. कॉल रिसीव करने पर पता चला कि कॉल कलंगुट पुलिस स्टेशन से है और फोन पर थाने का इंस्पेक्टर है. इंस्पेक्टर ने अपना परिचय देने के बाद डिसूजा से पूछा कि क्या वो लेडी पैसेंजर इस वक्त भी उसकी गाड़ी में है? क्या उसके साथ कोई बच्चा भी है? दोनों कोंकणी भाषा में बातें कर रहे थे, इसलिए सूचना को कुछ समझ नहीं आ रहा था. ड्राइवर ने बताया कि पैसेंजर कार में है, लेकिन उसके साथ कोई बच्चा नहीं है. तब इंस्पेक्टर ने कहा कि जिस होटल से उस पैसेंजर ने चेकआउट किया है, उस कमरे से खून के कुछ निशान मिले हैं. इसीलिए उस पर शक है. इसके बाद उसने डिसूजा से सूचना सेठ को फोन देने के लिए कहा था.

डिसूजा के मुताबिक, करीब दो-तीन मिनट तक दोनों के बीच फोन पर बातचीत हुई. उसे बस इतना समझ आया कि उसने पुलिस वालों को गोवा का कोई एड्रेस बताया. इसके बाद फोन बंद हो गया. इस बातचीत के दौरान सूचना बिल्कुल शांत थी. उसके चेहरे पर घबराहट के कोई निशान नहीं थे. कुछ देर बाद फिर पुलिसवालों ने ड्राइवर को कॉल किया. इसके बाद उसे नजदीकी थाने में गाड़ी लगाकर बात कराने के लिए कहा. उसने वैसा ही किया. चित्रदुर्ग जिले के आईमंगला पुलिस स्टेशन में कार खड़ी कर दी. गोवा पुलिस ने आईमंगला थाने के प्रभारी से कार की जांच करने का अनुरोध किया. पुलिस ने जांच किया तो ट्राली बैग से बच्चे की लाश बरामद हो गई. इसके पुलिस ने सूचना को हिरासत में ले लिया.

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