केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे मंगलवार सुबह मुंबई के लिए उड़ान पकड़ने घर से निकले थे. लेकिन किस्मत का खेल देखिए वो शाम को पूरे राजकीय सम्मान के साथ इंयिडन एयर फोर्स के खास विमान से मुंबई ले जाए गए, क्योंकि मुंडे दिल्ली में अपने सरकारी घर से एरपोपर्ट पहुंच पाते उससे पहले ही एक सड़क हादसे ने उनकी जान ले ली. ये सब कुछ हुआ 60 मिनट में. जिंदगी और मौत के बीच का आखिरी 60 मिनट.
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद गोपीनाथ मुंडे पहली बार मुंबई जा रहे थे. वहां उन्हें अपने ही स्वागत समारोह में शरीक होना था. समारोह में हिस्सा लेने के बाद उन्हें रात को ही वापस दिल्ली पहुंचना था, क्योंकि चार जून से लोकसभा का सत्र शुरू हो रहा है. मुंबई जाने के लिए गोपीनाथ मुंडे अपने सरकारी निवास 21 लोधी स्टेट से सुबह करीब छह बज कर 12 मिनट पर सफेद रंग की सरकारी गाड़ी एसएक्स-4 (DL8CBF 0034) पर घर से निकले थे. कार ड्राइवर चला रहा था. मुंडे कार की पिछली सीट पर बाईं तरफ बैठे थे, जबकि आगे ड्राइवर के साथ उनका पीए बैठा था.
सुबह 6 बजकर 20 मिनट
सुबह-सुबह का वक्त था. कायदे से गोपीनाथ मुंडे आधे घंटे के अंदर अपने घर से एयरपोर्ट पहुंत जाते. 21 लोधी स्टेट के अपने सरकारी निवास से निकलने के करीब आठ मिनट बाद मुंडे की कार पृथ्वीराज रोड-तुगलक रोड इंटरसेक्शन, अरबिंदो मार्ग पर पहुंचती है. इंटरसेक्शन पर गाड़ियों की ज्याद भीड़ नहीं थी, लेकिन ट्रैफिक सिगनल काम कर रहा था. जैसे ही इस इंटरसेक्शन पर मुंडे की कार पहुंचती है अचानक बाईं तरफ से एक इंडिका कार (DL7CE 5459) आती है और मुंडे की कार से बाईं तरफ से टकराती है. टक्कर उसी दरवाजे से होती है, जिस ओर मुंडे बैठे थे. उस वक्त मुंडे कार में बैठे अखबार पढ़ रहे थे.
टक्कर होते ही मुंडे के हाथों से अखबार छूट जाता है और उनका चेहरा और नाक ड्राइवर के बगल वाली सीट के पिछले हिस्से से जा टकराता है. टक्कर होते ही अचानक मुंडे की तबीयत बिगड़ जाती है. वो फौरन पीए से पानी मांगते हैं. पानी पीने के बाद वो बस इतना ही बोलते हैं कि मुझे अस्पताल ले चलो. इसके बाद वो बेहोश हो जाते हैं. मुंडे की हालत देख पीए और ड्राइवर दोनों घबरा जाते हैं और कार को सफदरजंग रोड की तरफ मोड़ देते हैं.
सुबह 6 बजकर 30 मिनट
दस मिनट के अंदर गोपीनाथ मुंडे एम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंच जाते हैं. डॉक्टर जब उन्हें देखते हैं तो पता चलता है कि ना उनकी सांस चल रही है, ना नब्ज, ना ब्लडप्रेशर और यहां तक कि दिल भी नहीं धड़क रहा था. डॉक्टरों की टीम ने इसके बाद तुरंत सीपीआर के जरिए उनकी हालत सुधारने की कोशिश की. सीपीआर यानी कार्डियो पुलमोनेरी रिसस-साईटेशन. ये कोशिश अगले 50 मिनट तक जारी रही.
सुबह 7 बजकर 20 मिनट
डॉक्टरों की कोशिश नाकाम रही. सुबह ठीक 7 बजकर 20 मिनट पर डॉक्टरों ने गोपीनाथ मुंडे को मृत करार दे दिया. डॉक्टरों की मानें तो मुंडे की मौत अस्पताल आने से पहले रास्ते में ही हो चुकी थी.
कैसे हुआ हादसा? किसकी थी गलती?
दिल्ली पुलिस का कहना है कि गलती इंडिका के ड्राइवर की है. वो तेज रफ्तार से कार चला रहा था. लेकिन पुलिस सूत्रों की मानें तो दोनों ड्राइवरों से पूछताछ के बाद जो सच सामने आया है वो यह कि एक्सीडेंट गोपीनाथ मुंडे के ड्राइवर की गलती की वजह से हुआ. मुंडे के ड्राइवर ने रेड लाइट जंप किया और इसी वजह से ये हादसा हुआ.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री मुंडे की कार जब पृथ्वीराज रोड-तुगलक रोड चौराहे पर पहुंची तब बत्ती लाल थी. यानी मुंडे की कार को वहां रुकना था, लेकिन मुंडे के ड्राइवर ने कार रोकने की बजाए आगे बढ़ा दी. उस वक्त कार 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रही थी. ठीक उसी वक्त सफदरजंग की तरफ से एक इंडिका कार आ रही थी. बत्ती हरी थी लिहाजा ड्राइवर ने कार आगे बढ़ा दी. मगर सर्किल पर अचानक इंडिका की दाईं तरफ से मुंडे की कार सामने आ गई. पुलिस सूत्रों के मुताबिक इंडिका के ड्राइवर ने पूरी ताकत से ब्रेक मारी, लेकिन कार घिसते हुए जाकर मुंडे की कार से टकरा गई.
टक्कर होते ही इंडिका के ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और नीचे उतरा. मुंडे का ड्राइवर भी बाहर आया. तब तक इंडिका के ड्राइवर को पता नहीं था कि कार में केंद्रीय मंत्री बैठे थे. लेकिन लाल बत्ती से उसने अंदाजा लगा लिया था. इंडिका के ड्राइवर ने ही 100 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया. हादसे की जानकारी दी और बताया कि कार में लाल बत्ती लगी है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक हादसे के बाद गोपीनाथ मुंडे की तबीयत बिगड़ रही थी लिहाजा उनके कहने पर डाइवर उन्हें फौरन एम्स ले गया, जबकि इंडिका का ड्राइवर मौके पर ही खड़ा रहा. बाद में पुलिस जब मौके पर पहुंची तो ड्राइवर और कार को तुगलक रोड थाने ले आई. बाद में इंडिका के ड्राइवर गुरिंदर को पुलिस ने अदालत में पेश किया जहां से उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया. इंडिका के ड्राइवर ने अदालत में भी कहा कि रेड लाइट मुंडे के ड्राइवर ने जंप किया था.
आखिर कैसे हुई मुंडे की मौत?
ये सवाल इसलिए क्योंकि हादसे के बाद मुंडे के जिस्म पर चोट का कोई बाहरी निशान नहीं मिला था. शुरूआत में कहा गया लीवर फटने की वजह से मौत हुई है. फिर दिल के दौरे की बात कही गई. इसके बाद शाम होते-होते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हादसे में जबरदस्त झटका लगने की वजह से मुंडे के गर्दन की हड्डी टूट गई.
हादसे में शामिल दोनों कारों को देख कर अंदाजा नहीं होता कि इससे कार में बैठे लोगों को कोई गंभीर चोट लगी होगी. वैसे भी गोपीनाथ मुंडे को छोड़ दें तो दोनों में सवार बाकी तीनों को चोट नहीं आई है. एम्स के डॉक्टरों की मानें तो मुंडे जिस वक्त एम्स ट्रामा सेंटर में लाए गए थे तब उनकी सांस, धड़कन, नब्ज कुछ भी काम नहीं कर रहा था. यानी इस हिसाब से मुंडे की मौत हादसे के फौरन बाद हो गई थी.
गोपीनाथ मुंडे डायबिटीज के मरीज थे. डॉक्टरों के मुताबिक जब कार में टक्कर हुई थी तब मुंडे के सिर, चेहरे और गर्दन पर चोट आई थी. स्वास्थय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि शुरुआती जांच में ऐसा लगता है कि जबरदस्त झटका लगने की वजह से गर्दन की कोई हड्डी टूट गई थी. लेकिन सवाल ये है कि टूटी गर्दन के साथ क्या कोई पानी पी सकता है? क्योंकि मुंडे के पीए और ड्राइवर के बयान के हिसाब से हादसे के बाद मुंडे ने पानी मांग कर पिया था.
क्या हादसे की वजह से मुंडे की लीवर को नुकसान पहुंचा और इंटरनल ब्लीडिंग की वजह से जान गई? एम्स के डॉक्टरों की मानें तो एक वजह ये भी हो सकती है. इसके अलावा डॉक्टर इस बात से भी इनकार नहीं कर रहे हैं कि मौत की वजह हार्ट अटैक भी हो सकती है. वैसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट बुधवार को आने की उम्मीद है.