दिल्ली के करीब ग्रेटर नोएडा में पिछले दो महीने में 19 लड़कियों का कत्ल हो चुका है. और ये 19 लाशें बस ही एक सवाल पूछ रही हैं. मैं कौन-- मेरा कातिल कौन? क्या है ये मर्डर मिस्ट्री?
देश की राजधानी दिल्ली से बिल्कुल करीब ग्रेटर नोएडा में दो जनवरी से रहस्यमयी कत्ल का जो सिलसिला शुरू हुआ है वो 19 की गिनती पर जाकर भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. इन दो महीनों में औसतन हर दूसरे, चौथे और छठे दिन एक ना एक लाश ज़रूर सामने आ रही है. लाश वो भी सिर्फ लड़कियों और औरतों की.
पहचान को तरस रही 19 लाशें
इस खौफनाक सच को और भी खौफनाक बना देती है ग्रेटर नोएडा की पुलिस. जी हां. दो महीने में 19 लाशों बटोरने के बावजूद कातिल या कत्ल का मकसद तो छोड़िए पुलिस उन लाशों के चेहरे या उनके नाम तक नहीं ढूंढ पाई है. 19 की 19 लाशों आज भी अपनी पहचान को तरस रही हैं.
लिहाज़ा इस सिलसिलेवार कत्ल का सच जानने के लिए वारदात की टीम ने अपनी तफ्तीश भी शुरू कर दी. हमारी टीम ने उन सभी ठिकानों की जानकारी इकट्ठी करनी शुरू कर दी जहां-जहां से लाशें मिल रही थीं. तफ्तीश के बाद हमने कुछ अजीब चीजें पाईं. मसलन
- सभी लाशें 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में मिलीं
- पर लाशें अलग-अलग जगहों पर फेंकी गईं
- मारने का तरीक़ा भी अलग-अलग था
- कुछ को गला घोंट कर मारा गया तो कुछ को पत्थर से कुचल कर
- कुछ लाशें कपड़ों में मिलीं तो कुछ अर्धनग्न
- कुछ लाशों के पास से सामान भी मिले
- पर किसी लाश के पास से उसकी पहचान से जुड़ी कोई चीज़ नहीं मिली
- ज़्यादातर लाशों के चेहरे भी जला दिए गए थे
- यानी क़ातिल उनकी पहचान मिटाना चाहता है
लाशों का कोई दावेदार नहीं
पर सबसे चौंकाने वाली चीज ये थी कि ग्रेटर नोएडा के आसपास के तमाम गांवों और कस्बों को खंगाल मारने के बावजूद एक भी ऐसा घर नहीं मिला जहां से पिछले दो महीने के अंदर कोई लड़की गायब हुई है. यहां तक कि पुलिस ने आसपास के जिलों के थानों को भी खंगाल मारा. मगर कोई गमशुदा ऐसी नही मिली जो मकतूल से मिलती है.
अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सारी लाशें या सारी मकतूल दूरदराज़ की हैं? पर कितनी दूर? क्या कोई पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड जैसे दूर-दराज इलाके से लाशें लाकर यहां फेंक सकता है? क्या ये मुमकिन है? या फिर कोई सिरफिरा है जो दूर-दराज से लड़कियों को धोखे से अपने साथ यहां लाता है और मार डालता है? य फिर ये सारे कत्ल अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग वजहों से किए? या कहीं कातिल पुलिस को उलझाने के लिए तो अलग-अलग तरीके से कत्ल नहीं कर रहा है?
2 जनवरी से शुरू हुआ सिलसिला
इस सीरियल किलिंग का सिलसिला शुरू होता है इसी साल 2 जनवरी को. जब पहली लड़की की लाश मिलती है. शुरू में पुलिस को यही लगता है कि मामला आम कत्ल का है. उसी हिसाब से वो मामले की जांच भी करती है. मगर फिर दूसरी लाश मिलती है. फिर तीसरी, फिर चौथी, फिर पांचवीं. और आखिरी लाश मिलती है आठ मार्च को. और इसके साथ ही लाशों की गिनती पहुंच जाती है 19 तक.
2 जनवरी 2014, साल का दूसरा दिन. ग्रेटर नोएडा के गढ़ी पुश्ते इलाके से पहली लाश मिलती है. लश एक लड़की की थी. सुबह-सुबह लाश मिलने की ख़बर ने पुलिस को भी परेशान कर दिया और वो फौरन मौका ए वारदात की तरफ़ भागी... लेकिन लाश की हालत देख कर उसके क़दम ठिठक गए... ये लाश बेहद पुरानी और सड़ी-गली हालत में थी, जबकि जहां ये लाश पड़ी थी, वो एक बिज़ी रोड था.
बेहद बुरी हालत में थी लाश
ऐसे में पुलिस के सामने अब एक बड़ा सवाल था. सवाल ये कि आख़िर इतनी बिज़ी रोड पर एक लाश इतने दिनों से कैसे पड़ी हुई थी? किसी की नज़र क्यों नहीं पड़ी?
या फिर पुरानी लाश किसी ने यहां लाकर डाली? इस लाश की पहेली को सुलझाने के लिए पुलिस ने उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. लेकिन पुलिस को तब दूसरा झटका लगा जब फॉरेंसिक मेडिसीन के एक्सपर्ट्स ने उसे बताया कि लाश की हालत कुछ इतनी बुरी है कि सिर्फ़ पोस्टमार्टम से उसकी मौत की वजह का पता लगाना मुमकिन नहीं है. लेकिन ये तो बस शुरुआत थी.
पहली लाश को मिले अभी हफ्ता भी नहीं बीता था कि पुलिस को ग्रेटर नोएडा के ही सेक्टर 24 में एक फुटपाथ पर एक और लड़की की लाश मिलती है... इस लाश की हालत इतनी बुरी तो नहीं थी, लेकिन क़ातिल ने मकतूल की पहचान छिपाने के इरादे से उसके चेहरे को ही जला दिया था. पुलिस ने इस लाश के पीछे की कहानी पता करने के लिए भी हर जतन किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
कुछ लाशों का चेहरा बुरी तरह जला हुआ
चंद रोज़ गुज़रते हैं तभी एक और लाश सामने आ जाती है. ये लाश एक गर्भवती महिला की थी, जो परी चौक के नज़दीक एक पार्क से मिली थी. आम तौर पर ये पार्क हर वक्त लोगों से गुलज़ार रहता है. ऐसे में इस भरी आबादी के बीच एक पार्क में गर्भवती महिला की लाश मिलना किसी पहेली से कम नहीं था. लेकिन ग्रेटर नोएडा में लड़कियों की लाशों के मिलने का ये सिलसिला कभी ना ख़त्म होनेवाला एक रहस्यमयी सिलसिला बन कर रह जाएगा, किसी को भी इसका गुमान नहीं था. लेकिन इसके बाद हुआ कुछ ऐसा ही...
अगले महीने यानी पहली फरवरी से लेकर आठ मार्च तक ग्रेटर नोएडा में इस तरह एक-एक कर कुल 19 लाशें मिलीं... और हैरानी की बात ये कि इन सभी की सभी 19 लाशों के बारे में पुलिस को ऐसा एक भी सुराग़ नहीं मिल सका, जिससे वो क़ातिल तक पहुंच पाती. बल्कि सुराग़ की छोड़िए पुलिस 19 क़त्ल के मामलों में एक भी मरनेवाली की पहचान तक नहीं कर सकी है. उलटे हर नए मामले के साथ लड़कियों की लाशें मिलने का ये सिलसिला लगातार पेचीदा ही होता जा रहा. कहीं लाश बगैर कपड़ों की होती, तो कहीं चेहरा बुरी तरह जला हुआ और हर बार क़ातिल लाशों को निपटा कर भागने में कामयाब होता रहा.
पहले-पहल मामले को हल्के में लेनेवाली पुलिस के अब हाथ पांव अब बढती गिनती के साथ फूलने लगे हैं. एक साथ इतने ब्लाइंड मर्डर के मामलों ने जैसे उसे उलझा कर रख दिया है. तो क्या ये क़त्ल किसी ऐसे सीरियल किलर का काम है, जो लड़कियों से नफ़रत करता है? और हर बार अपने शिकार को कुछ अलग तरीके से मौत देता है... नोएडा और ग्रेटर नोएडा पुलिस की छह टीमें अब इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने में जुटी हैं.
-गरुड़ मिश्र और लोकेंद्र सिंह के साथ मुनीष देवगन, ग्रेटर नोएडा