वही पुराना रोग! आसाराम को जेल गए एक लंबा वक़्त गुज़र गया. ज़मानत की मांग करते-करते वकील थक गए. लेकिन न तो आसाराम के तेवर बदले, न नखरे और न ही ज़रूरतें बदलीं. अब आसाराम ने एक बार फिर से वही पुराना राग छेड़ा है. वो रोग राग, जिसे छेड़कर आसाराम ने पिछली बार अपनी फजीहत करा ली थी. लेकिन अब आसाराम ने अदालत के सामने एक बार फिर जेल में अपनी उसी खास महिला वैद्य की मांग दोहरा दी है.
जानते हैं इस बार आसाराम ने अदालत से क्या दरख्वास्त की है? बाबा ने फिर से अदालत से उसी महिला वैद्य से मिलने की मांग रखी है, पहली बार जिसकी मांग करने के बाद आसाराम के बीमारी की पोल खुल गई थी. इसके बाद तो आसाराम तीन पेशियों पर अदालत से नदारद रहे. लेकिन अब जब फिर से मामला थोड़ा ठंडा पड़ा है, बाबा ने अपने अरमानों की अर्ज़ी जज साहिब की तरफ़ सरका दी है. आसाराम ने फिर कहा है कि उन्हें जेल में महिला वैद्य नीता से मिलने दिया जाना चाहिए. अकेली वही है, जो उनका इलाज कर सकती हैं. वही महिला वैद्य, जो कहती हैं कि बाबा को एक ऐसी बीमारी है, जिसमें प्रसव पीड़ा जैसा भयानक दर्द होता है.
आपको याद होगा, जब आसाराम ने पहली बार ये अर्ज़ी अदालत में दी थी, तो अदालत ने उनकी मेडिकल जांच करवाने का हुक्म दिया था. इस डॉक्टरी जांच में आसाराम बीमार नहीं, बल्कि तंदुरुस्त पाए गए. लेकिन इससे पहले कि इस मेडिकल रिपोर्ट की बुनियाद पर अदालत आसाराम की इस अर्ज़ी पर फ़ैसला करती, आसाराम तीन पेशियों पर गायब रहे. ऐसे में मामला लटक गया. लेकिन अब जैसे ही बाबा की इस फ़ाइल पर कुछ और फाइलें चढ़ीं, बाबा ने फिर वही मांग अदालत के सामने रख दी.
दरअसल, पहले आसाराम ने अपनी बीमारी की बात कहते हुए अदालत को एक खत लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा था:
सेवा में, माननीय जिला एवं सेशन न्यायाधीश
जिला- जोधपुर (राज.)
माननीय,
विषयांतर्गत लेख है कि मैं गत करीब साढ़े तेरह वर्ष से त्रिनाडी शूल नामक व्याधि से ग्रसित हूं तथा मेरा इलाज पिछले 2-3 वर्ष से वैद्य नीताजी द्वारा किया जा रहा है, जो मुख्यत पंचकर्म का एक भाग शिरोधारा द्वारा उपचार करती हैं, जिसमें करीब दो घंटे का समय लगता है.
अत: आप से अनुरोध है कि वैद्य नीताजी को मेरी उपरोक्त बीमारी के इलाज हेतु आगामी आठ दिनों तक प्रतिदिन उनके समयानुकूल केंद्रीय कारागार में बुलाने की प्रार्थना पर कार्यवाही करें.
---संतश्री आसाराम बापू
आसाराम ने इस ख़त के ज़रिए खुद को पिछले 13 सालों से एक ऐसी बीमारी का शिकार बताया था, उनके मुताबिक जिसका इलाज सिर्फ़ वैद्य नीता ही कर सकती है, जबकि सरकारी वकील ने आसाराम की अर्जी को गलत करार देते हुए अदालत से कहा था कि ऐसी कोई बीमारी होती ही नहीं है. ऐसे में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए अदालत ने मेडिकल जांच करवाने की बात कही थी. तब से ये मामला अदालत में पेंडिंग पड़ा था.
अब फिर से सबकी नजरें जोधपुर के जिला और सेशन कोर्ट पर टिकी है, जहां मंगलवार को अगली सुनवाई होनी है कि आसाराम को त्रिनाड़ी शूल की बीमारी है या नहीं और क्या इसका शुद्ध देसी इलाज ही होगा- वैद्य नीता के जरिए?