सचमुच, जेल न हो गई सराय खाना हो गया. कानून न हुआ तमाशा हो गया. सजा न हुई किश्तों की दिहाड़ी हो गई. कौन कहता है कानून सबके लिए बराबर होता है. छोटा, बड़ा, अमीर गरीब, कमजोर ताकतवर में फर्क नहीं करता. इस एक अकेले शख्स ने सारे मुहावरों को झूठा साबित कर दिया. इसने ये भी साबित कर दिया, कि भले ही कोई रेप करे, किसी का कत्ल करे. 20-20 साल की दो दो उम्र कैद की सजा झेले, तो भी जेल के बाहर आजाद रहा जा सकता है.
जेल के बाहर आकर अपना जन्मदिन भी मनाया जा सकता है. जी हां, हम दो लड़कियों से बलात्कार और एक पत्रकार की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू संत राम रहीम की बात कर रहे हैं. 15 अगस्त को इनका जन्म दिन है. 13 अगस्त को एक बार फिर इनके लिए जेल का दरवाजा खोल दिया गया. जाइये धूम धाम से जन्म दिन मनाइये. पूरे तीन हफ्ते मनाइये. जब जश्न पूरा हो जाए तो तीन हफ्ते बाद आ जाइएगा फिर से जेल.
आइएगा तभी तो अगली बार फिर जेल से बाहर जाइएगा. सचमुच, जेल न हो गई सराय खाना हो गया. कानून न हुआ तमाशा हो गया. सजा न हुई किश्तों की दिहाड़ी हो गई. इस कातिल और बलात्कारी नई रिहाई की दास्तान सुनाएं उससे पहले बस इस लिस्ट पर एक नज़र डाल लीजिए. फिर बताइएगा कि आजादी के बाद से अब तक क्या कोई इतनी बार इतने कम वक्त में जेल के बाहर छुट्टी मनाने आया है. आज स्वतंत्रता दिवस है. इसलिए सच बताइएगा.
इस लिस्ट पर नज़र डालिए उससे पहले इतना याद रखियेगा कि बाबा के नाम पर कलंक इस राम रहीम को दो लड़कियों का बलात्कार और एक पत्रकार के कत्ल के इल्जाम में सितंबर 2017 में 20-20 साल की दो दो उम्रकैद की सजा हुई. यानी अभी इसे जेल गए सात साल भी पूरे नहीं हुए हैं.
ये रही लिस्ट...
20 अक्टूबर 2020- मां से मिलने के लिए एक दिन की पेरोल
12 मई 2021- बीपी चेक कराने के लिए एक दिन की पेरोल
17 मई 2021- मां से दोबारा मिलने के लिए एक दिन की पेरोल
3 जून 2021- पेट दर्द उठा, तो सात दिन की पेरोल
13 जुलाई 2021- एम्स में दिखाने के लिए पेरोल
7 फरवरी 2022- 21 दिन की फरलो
17 जून 2022- 30 दिन की पेरोल
अक्टूबर 2022- 40 दिन की पेरोल
21 जनवरी 2023- 40 दिन की पेरोल
20 जुलाई 2023- 30 दिन की पेरोल
20 नवंबर 2023- 21 दिन की पेरोल
19 जनवरी 2024- पूरे 50 दिन की पेरोल
13 अगस्त 2024- 21 दिन की फरलो
कायदे से देखें तो 20-20 साल की दो दो उम्रकैद की सजा पाने वाला गुरमीत राम रहीम पिछले सात सालों में ही 255 दिन से ज्यादा पेरोल और फरलो के नाम पर आजादी के मजे ले चुका है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के मुताबिक इस वक्त पूरे देश में लगभग छह लाख कैदी अलग अलग जेलों में बंद हैं. इन छह लाख में से लगभग पौने दो लाख ऐसे कैदी हैं जो सजायाफ्ता हैं यानी जिनके गुनाहों का हिसाब हो चुका है और उन्हें सजा सुनाई जा चुकी है.
दावा है कि पूरे देश की जेलों में घूम आइये, और बस एक ऐसा कैदी दिखा दीजिए जो पिछले सात सालों में 255 दिन से ज्यादा पेरोल और फरलो के नाम पर जेल से बाहर भेजा गया हो. शर्तिया गुरमीत राम रहीम के अलावा दूसरा नाम ढूंढ़ने से आपको नहीं मिलेगा. अब सवाल ये है कि देश की जेलों में बड़े बड़े तोप और पहुंच वाले कैदी भी बंद हैं. तो फिर गुरमीत राम रहीम के ऊपर ही पेरोल और फरलो की ये कृपा क्यों? तो याद रखिये गुरमीत का बलात्कारी और कातिल चेहरा सामने आने से पहले एक चेहरा वो भी था जिसे बाबा नाम दिया गया था. उसके दरबार में बड़े बड़े धुरंधर माथा टेकने और हाजरी लगाने आते हैं.
तब बाबा का आशीर्वाद बरसता था. अब उसी बाबा को रिटर्न गिफ्ट में मिल रहा है. वैसे ये गिफ्ट चुनावी मौसम में कुछ ज्यादा मिलता है. और अपने यहां तो हर मौसम चुनावी मौसम होता है. कभी निगम चुनाव, कभी पंचायत चुनाव, कभी विधान सभा, कभी लोकसभा... यहां तक कि उप चुनाव. और ये इत्तेफाक नहीं बल्कि हकीकत है कि बस कुछ वक्त बाद ही उसी हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है, जिस बाबा के आशीर्वाद का सबसे ज्यादा असर है.
तो चुनावी तैयारी से पहले तैयारियों का जायजा लेने के लिए बाबा को जेल से बाहर निकालना जरूरी तो था ही. वैसे कमाल ये भी है कि इस बार ऐन गुरमीत राम रहीम के जन्म दिन से पहले फरलो पर रिहाई का फैसला उसी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दिया है जिसने कुछ वक्त पहले राम रहीम को बार बार लगातार 50-50 दिन की पेरोल या फरलो दिए जाने पर राज्य सरकार की क्लास लगा दी थी. उस वक्त कोर्ट ने खूब खरी खोटी सुनाई थी.
अदालत ने ये फैसला भी सुना दिया था कि आइंदा जब भी राम रहीम को बाहर जाना होगा तो राज्य सरकार पहले उससे इजाजत लेगी. तो गुरमीत राम रहीम और हरियाणा सरकार इस बार उसी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गई. एक नई रिहाई का परवाना मांगने. हाईकोर्ट भी पिछली बातें भूल गई और राम रहीम से कहा कि जा 13 अगस्त से अगले 21 दिन तक जी ले अपनी जिंदगी. कैदी के कपड़े उतार पहन ले अपनी ठगी वाली पोशाक.
अपनी फितरत के मुताबिक बाहर जाकर सोशल मीडिया के जरिए फिर से अपने ज्ञान प्रवचन दे डाल. इधर अदालत से रिहाई का परवाना आया उधर 13 अगस्त की शाम को ही सुनरिया जेल का दरवाजा पूरे अदब से खोल दिया गया. गुरमीत के भक्त दरवाजे के बाहर थे, अपने बाबा को लिया और निकल पड़े यूपी के बागपत के करीब बाबा के बरवाला आश्रम के लिए. अब अगले 21 दिन बाबा उसी आश्रम से फिर से ज्ञान देंगे. प्रवचन देंगे. चुनावी रणनीति बनाएंगे.
चोरी-चोरी चुपके-चुपके तमाम नेता और अफसर मिलने भी आएंगे. क्योंकि भले ही गुरमीत राम रहीम एक बलात्कारी और कातिल है पर हरियाणा की राजनीत कर रहे राजनेताओं को अब भी उसके अंदर से लहू की जगह वोट की बू आती है. अब बात जरा स्वयंभू संत आसाराम की भी कर लेते हैं. वो जोधपुर की सेंट्रल जेल में अगस्त 2013 से अब तक यानी पिछले 11 सालों से रेप के इल्जाम में उम्र कैद की सजा काट रहा है. आसाराम की पहुंच भी कुछ कम नहीं थी.
शायद ही देश का ऐसा कोई नेता हो जिसने कभी आसाराम के दर पर सर न झुकाया हो. लेकिन इनका नसीब राम रहीम जैसा नहीं निकला. शायद वजह ये हो सकती है कि आसाराम ने भक्त तो बनाए वोट बैंक नहीं बना पाए. नतीजा ये कि जहां राम रहीम 7 साल में ही 13 किश्तों में 255 दिनों से ज्यादा पेरोल और फरलो पर आजादी काट चुका वहीं बुजुर्ग और बीमार आसाराम 11 सालों की कैद के बाद पहली बार सात दिन के लिए पेरोल पर बाहर आ रहा है.