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दिनदहाड़े अपहरण, 16 घंटे का सर्च ऑपरेशन और बच्चे की बरामदगी... ग्वालियर किडनैपिंग केस की पूरी कहानी

किडनैपिंग के केस में माना जाता है कि वक्त के साथ किडनैप हुए शख्स की उम्र कम होती जाती है. ये भी कहा जाता है कि यदि किडनैपिंग सुर्खियां बन जाएं तो किडनैपर पकड़े जाने के डर से मार डालते हैं. ग्वालियर में एक बच्चे का उस वक्त अपहरण कर लिया जाता है, जब वो अपनी मां के साथ स्कूल जा रहा होता है.

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मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शक्कर कारोबारी राहुल गुप्ता के बेटे का हुआ था अपहरण.
मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शक्कर कारोबारी राहुल गुप्ता के बेटे का हुआ था अपहरण.

किडनैपिंग के केस में ऐसा माना जाता है कि जितना वक्त बीतता जाता है किडनैप हुए शख्स की उम्र कम होती जाती है. ये भी कहा जाता है कि यदि किडनैपिंग की खबर सुर्खियां बन जाएं तो किडनैपर पकड़े जाने के डर से मार डालते हैं. ग्वालियर में एक बच्चे का उस वक्त अपहरण कर लिया जाता है, जब वो अपनी मां के साथ स्कूल जा रहा होता है. इसके बाद अगले 16 घंटे तक जो कुछ होता है, वो हैरान कर देने वाला है. आइए इस किडनैपिंग केस में अबतक की कहानी जानते हैं.

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16 घंटे की इस कहानी में इतने रंग हैं कि बस पूछिए मत. धोखे के और खुशियों के ये रंग बाकी सारे रंगों पर भारी हैं. बच्चा पुलिस वालों की गोद में सुरक्षित घर वापसी कर रहा है. लोग पुलिस का जय-जयकार कर रहे हैं. ढोल नगाड़ों की आवाज सुनाई दे रही है. लेकिन अब से सिर्फ 16 घंटे पहले की जो तस्वीरें सामने आईं, मानों जीते जी कलेजा निकाल देती हैं. सोचिए उस मां पर क्या गुजरी होगी, जिसकी आंखों में मिर्च झोंक कर बदमाश 6 साल के बच्चे को छीनकर ले गए होंगे.

दिनदहाड़े मां की आंखों में मिर्च झोंककर बच्चे उठा ले गए बदमाश

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के शक्कर कारोबारी राहुल गुप्ता की पत्नी आरती गुप्ता अपने बेटे को लेकर स्कूल बस में बिठाने जा रही थी. तभी पीछे से बाइक पर दो लोग आए, जिनमें एक ने आरती की आंखों में मिर्ची पाउडर झोंक दिया और शिवाय को बाइक पर बिठा कर भाग निकले. मां बदहवास पीछे भागी, लेकिन बदमाशों की तेज रफ्तार बाइक का मुकाबला नहीं कर सकी और किडनैपर्स बच्चे को लेकर गायब हो गए. देखते ही देखते पूरे शहर में ये खबर में जंगल में आग की तरह फैल जाती है.

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पुलिस के भी हाथ पांव फूल जाते हैं. ये मामला किडनैपिंग का है, जिसमें जरा सी गलती भी बच्चे की जिंदगी के लिए बड़ा खतरा बन सकती है, लिहाज़ा पुलिस बड़ी खामोशी से मामले की तफ्तीश शुरू करती है. सबसे पहले तो बच्चे के परिवार वालों से ही बात की जाती है. दोस्ती दुश्मनी का पता किया जाता है, लेकिन गुप्ता परिवार बताता है कि उनकी कभी किसी से कोई दुश्मनी ही नहीं रही. ऐसे में उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर उनके बच्चे को किसने और क्यों उठा लिया. 

इसी बीच पुलिस को पता चलता है कि बच्चे के पिता राहुल गुप्ता का अपने कर्मचारियों से बातचीत करने का तरीका थोड़ा रुखा था. पुलिस इस एंगल से भी छानबीन करती है. कारोबार, जमीन-जायदाद, रिश्तों की पेंच जैसी सारी बातें देखी जाती हैं. इसी के साथ पुलिस सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगालती है. मौका-ए-वारदात वाली जगह से लेकर शहर की अलग-अलग गलियों में लगे 50 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले जाते हैं. इस कोशिश में पुलिस को बदमाशों की पहचान पता चल जाती है.

पुलिस ने की किडनैपरों की पहचान, ऐसे हुई बच्चे की बरामदगी

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उनकी पहचान बानमोर और मेहगांव के रहने वाले दो पुराने हिस्ट्रीशीटर के तौर पर होती है. पुलिस कन्फर्म करने के लिए उनकी लोकेशन पता करती है और पता चलता है कि दोनों के दोनों अपने-अपने घर से गायब हैं. अब बदमाशों को लेकर पुलिस का शक यकीन में बदल जाता है. एक तरफ पुलिस बदमाशों को लोकेट करने की कोशिश करती है, दूसरी तरफ ग्वालियर, भिंड, मुरैना जैसे आस-पास के सभी जिलों में नाकाबंदी करवा दी जाती है, ताकि बदमाश कहीं दूर न जा सकें.

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आखिरकार 14 घंटे गुजरते-गुजरते पुलिस की ये कोशिश रंग लाती हैं. बच्चे को बदमाश ग्वालियर से करीब 43 किलोमीटर दूर मुरैना के कांजी बसई गांव में एक ईंट भट्टे के पास बाइक से उतार कर भाग जाते हैं. तभी रात के करीब 10 बज रहे होते हैं. बच्चा ईंट भट्टे के पास ही खड़ा होकर रोता रहता है और तभी उस पर एक ई-रिक्शा वाले की नजर पड़ती है. वो बच्चे की किडनैपिंग की खबर पहले ही सोशल मीडिया में देख चुका था. लिहाजा, वो शिवम को देखते ही तुरंत पहचान जाता है.

बच्चे को सुरक्षित कांजी बसई गांव के सरपंच के हवाले कर देता है. इसके बाद सरपंच पुलिस और बच्चे के माता-पिता से संपर्क करता है और बच्चे के सकुशल मिल जाने की खबर देता है. लेकिन जब तक बच्चे के माता-पिता मुरैना पहुंचते, तब तक पुलिस बच्चे को अपने कब्जे में लेकर मुरैना से ग्वालियर के लिए रवाना हो चुकी थी. रात के 11.45 तक बच्चा अपने घर वालों के पास पहुंच जाता है. फिर इसके बाद तो बच्चे के घरवालों के साथ-साथ मानों पूरा ग्वालियर राहत की सांस लेता है.

अगवा बच्चे ने सुनाई अपने अपहरण की हैरतअंगेज दास्तान

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बच्चे के मां-बाप घर में बने मंदिर में माथा टेकते हैं और बाहर बधाई देने वाले लोगों को तांता लग जाता है. इधर, बरामद होने के बाद बच्चे ने पुलिस को जो आपबीती सुनाई है, वो कुछ यूं है. बच्चे का कहना है कि उसके अगवा करने वाले दोनों अंकल ने उसके साथ मारपीट की और कहा कि अगर उसने शोर मचाया तो उसकी बुरी तरह पिटाई करेगा. बच्चे की मानें तो उसे अगवा करने वाले लोग उसके पापा से पैसे वसूलने की बात कह रहे थे. अगवा करने के बाद वो बच्चे को एक खेत में लेकर गए.

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वहां उसके हाथ-पांव बांध कर उसे एक आदमी के पास छोड़ दिया था. बच्चे की कही गई इसी बात के हवाले से अब पुलिस को लग रहा है कि इस मामले में कोई तीसरा आदमी भी शामिल हो सकता है. किडनैपर्स ने बच्चे को बहलाने फुसलाने के लिए उसे बिस्किट और चॉकलेट भी खाने को दिए थे, लेकिन उसने वो नहीं खाए. पुलिस को आशंका है कि बच्चे को अगवा करने वाले बदमाश किसी ऐसे गैंग से हो सकते हैं, जो किडनैपिंग के बाद अगवा किए गए शख्स को आगे किसी और गैंग के हवाले कर देते हैं यानी उसे बेच देते हैं. लेकिन किडनैपिंग की असली कहानी का अभी सामने आना बाकी है. यही वजह है कि पुलिस अभी भी तनाव में है.

आखिर अपहरण की वारदात के पीछे कौन से लोग शामिल हैं?

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तनाव इस बात की कि आखिर अपहरण की इस वारदात के पीछे कौन से लोग शामिल थे और इसके पीछे का मकसद क्या था. क्या बदमाश फिरौती वसूलना चाहते थे या फिर साजिश कुछ और थी. फिलहाल सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस ने बदमाशों की पहचान तो कर ली है, लेकिन वो पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. उधर, अपहरण के इस मामले में तफ्तीश के दौरान कई नई कहानियां सामने आई हैं. पता चला है कि शिवाय का अपहरण बिल्कुल टारगेटेड तरीके से किया गया.

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पुलिस जांच में पता चला है कि बदमाश शिवाय के घर के बाहर वाली गली में पहले से ही उसका इंतजार कर रहे थे. उससे पहले भी उस गली से दूसरे बच्चे स्कूल जा रहे थे, लेकिन किडनैपर्स ने उन बच्चों को अगवा करने की कोशिश नहीं की और जब शिवाय अपनी मां के साथ घर से बाहर निकला, तो उसे उठा कर ले गए. तफ्तीश में यह भी पता चला है कि बदमाश उस गली में अलग-अलग वक्त पर पिछले कुछ दिनों से बिना नंबर की बाइक से लगातार रेकी कर रहे थे.

सबसे बड़ा सवाल, फिरौती की चाहत या कोई गहरी साजिश?

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उन्होंने शिवाय को उठाने की प्लानिंग पहले ही की थी. हालांकि इस पूरी कहानी में एक अहम एंगल और है. वो ये कि शिवाय के मामा के बच्चे यानी उसके ममरे भाई को भी पिछले साल कुछ बदमाशों ने इसी तरह किडनैप करने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय वो बच्चे को अगवा करने में कामयाब नहीं हो सके. दिक्कत ये रही कि पुलिस उस मामले में अब तक बदमाशों का पता नहीं लगा सकी है. ऐसे में अब उसी परिवार में ये दूसरी वारदात हुई है. इन हालात में पुलिस को शक है कि दोनों वारदात का भी एक दूसरे सो कोई ना कोई कनेक्शन हो सकता है. बात फिरौती वसूली के अलावा कुछ और भी हो सकती है. 

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