Iran-Israel Military Strength Comparison: बांग्लादेश में तख्तापलट की खबरों के बीच पूरी दुनिया की निगाहें ईरान पर लगी हैं. क्योंकि अंदेशा जताया जा रहा है कि ईरान अगले कुछ घंटों में इजरायल पर हमला कर सकता है. इस संभावित हमले को देखते हुए इजरायल के मित्र देशों ने खाड़ी में अपने जंगी हथियारों को तैनात करना शुरू कर दिया है. कई देशों की मध्यस्थता और बातचीत के बावजूद फिलहाल ईरान पीछे हटने को तैयार नहीं है. ऐसे में इन दोनों देशों की सैन्य ताकत को जानना भी ज़रूरी हो जाता है.
कुछ भी हो सकता है 24 से 48 घंटों में
ईरान, इज़रायल और पूरे मिडिल ईस्ट के लिए अगले 24 से 48 घंटे बेहद अहम हो सकते हैं. क्योंकि अगले एक से दो दिनों में ही ईरान इज़रायल पर हमला कर सकता है. राजधानी तेहरान में 31 जुलाई को हुए हमास के मुखिया इस्माइल हानिया के कत्ल से गुस्साए ईरान ने इज़रायल को सबक सिखाने की धमकी दे रखी है और अब ये माना जा रहा है कि ईरान किसी भी वक़्त जंग का मोर्चा खोल सकता है. एक तरफ अमेरिकी न्यूज़ एजेंसी एक्सिओस ने अपने सूत्रों के हवाले से हमले की आशंका जताते हुए इसके 24 से 48 घंटे में शुरू होने की बात कही है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकन ने भी जी-7 देशों को इस संभावित इस हमले को लेकर आगाह किया है. हालांकि ब्लिंकन ने हमले की टाइमिंग को लेकर उनके पास कोई सटीक जानकारी होने की बात से इनकार किया है.
हमला हुआ तो क्या होगा?
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर वाकई ईरान ने इज़रायल पर हमला कर दिया, तो क्या होगा? इज़रायल की जवाबी कार्रवाई कैसी होगी? क्या इस हमले के बाद दोनों देशों के मित्र देश और संगठन भी इस जंग में कूद पड़ेंगे? और सबसे अहम ये कि ईरान और इज़रायल की फौजी ताकत क्या है? और दोनों देश एक दूसरे को कितना नुकसान पहुंचाने का माद्दा रखते हैं? तो आइए सिलसिलेवार तरीके से इन तमाम अहम सवालों के जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं.
इजरायल भी ईरान पर हमले के लिए तैयार
ईरान की ओर से हमले की आशंका को देखते हुए इज़रायल ने भी अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि अगर उन्हें इस बात के पुख्ता इंटेलिजेंस इनपुट मिलते हैं कि ईरान उन पर हमला कर सकता है, तो इज़रायल ईरान को रोकने के लिए पहले ही एहतियाती हमले पर विचार कर सकता है. इज़रायल पर मंडराते इस खतरे के मद्देनजर रविवार को नेतन्याहू ने इज़रायली सेना यानी इज़रायल डिफेंस फोर्स के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरज़ी हालेवी, मोसाद के प्रमुख डेविड बारनिया और शीन बेट के चीफ रोनेन बार समेत दूसरे टॉप ऑफिशियल्स के साथ मटिंग की और साफ कर दिया कि अगर ईरान या हिज्बुल्लाह में से किसी ने भी उन्हें छेड़ने की गलती की तो वो चुप नहीं बैठेंगे.
अमेरिका और ब्रिटेन ने तैनात किए फाइटर जेट्स और युद्धपोत
ईरान और इज़रायल के बीच तनातनी की ये हालत कितने खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे मित्र देशों ने इज़रायल की मदद के लिए उसके इर्द-गिर्द अपने फाइटर जेट्स और युद्धपोतों को तैनात करना शुरू कर दिया है. ब्रिटेन ने रॉयल नेवी शिप्स के साथ-साथ आर.ए.एफ. हेलीकॉप्टर्स को भी स्टैंड बाय पर रखा है. फिलहाल जो हालत है उसे देखते हुए ये लगता है कि हमास के नेता इस्माइल हानिया और हिज्बुल्ला के मिलिट्री चीफ फऊद शुकर की मौत को ईरान ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है और किसी भी कीमत पर इज़रायल को निशाना बना चाहता है.
तनाव को कम करने की कोशिश
दोनों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के लिए जॉर्डन और लेबनान जैसे ईरान के पड़ोसी देशों ने कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए हैं, लेकिन ईरान अपने इरादे से टस से मस नहीं हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्डन और लेबनान के विदेश मंत्री ने हानिया की मौत के बाद हालात को जायजा लेने और तनाव कम करने के इरादे से ईरान को दौरा भी किया, लेकिन ईरान ने साफ कर दिया कि वो हर हाल में इज़रायल पर हमला करेगा, चाहे फुल फ्लेजेड वार की ही शुरुआत क्यों ना हो जाए?
सीआईए के पूर्व प्रमुख ने दी सलाह
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व निदेशक डेविड पेट्रियस ने ईरान इंटरनेशनल को दिए गए एक इंटरव्यू में ये उम्मीद जताई है कि ईरान भले इज़रायल पर हमला कर दे, लेकिन दोनों ही देश इस वक़्त फुल फ्लेजेड वार यानी पूरी तरह जंग में कूदने से बचना चाहेंगे, क्योंकि अगर दोनों देशों के बीच पूरी तरह जंग छिड़ गई तो दोनों ही देशों को भयानक नुकसान होगा और ईरान और इज़रायल दोनों ही ऐसा नहीं चाहेंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से तेहरान के अंदर इस्माइल हानिया की हत्या हुई, वो ईरान के लिए एक बड़ा इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी फेल्योर और एक बड़ा झटका है.
कौन देश किसके साथ?
अब सवाल ये है कि जंग की हालत में कौन किसका साथ देगा और कैसे? सूत्रों की मानें तो इस हमले में ईरान को लेबनान में हिज्बुल्लाह, सीरिया और इराक की मिलिशिया और यमन के हूती विद्रोहियों से मदद मिल सकती है, लेकिन इनमें से किसी भी देश ने अब तक खुल कर ईरान का साथ देने की बात नहीं कही है. हालांकि रूस और चीन ने ईरान का समर्थन जरूर किया है, लेकिन जंग की हालत में ये दोनों ही देश ईरान का कितना और कैसा साथ देंगे, ये साफ नहीं है. जबकि अब से पहले जॉर्डन का रुख न्यूट्रल रहा है. क्योंकि इससे पहले जब ईरान ने इज़रायल पर मिसाइलें दाग़ी थीं, तब अमेरिका के साथ-साथ जॉर्डन ने भी इजरायल की मदद की थी. वहीं, सऊदी अरब और यूएई ने भी अमेरिका को इनपुट मुहैया कराए थे. खास बात ये है कि ईरान, इराक या यमन से अगर इज़रायल को निशाना बना कर मिसाइल दाग़ी जाए, तो इन्हें जॉर्डन के आसमान को पार करना होगा, और जॉर्डन ने पिछली बार ये साफ किया था है कि वो ईरान और इज़रायल में से किसी को भी अपने हवाई सीमा का उल्लंघन करने नहीं देगा.
दो खेमों में बंटे देश
लेकिन इसके बावजूद अगर खेमों में बंटे देशों को समझने की कोशिश करें, तो ईरान के साथ फिलिस्तीन, तुर्की, लेबनान, सीरिया, कतर, ओमान, रूस और चीन जैसे देश ईरान के साथ खड़े हैं. जबकि इज़रायल के साथ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया समेत ज़्यादातर यूरोपीय देश हैं. ऐसे में दुनिया के सैन्य विशेषज्ञ दोनों ही खेमों को बराबर का मानते हैं. खास कर इज़रायल और ईरान की बात करें, तो मुकाबला बराबर का है. ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की बात करें, तो ईरान दुनिया में 14वें नंबर पर है, जबकि इज़रायल 17वें नंबर पर.
ईरान और इजरायल की सैन्य ताकत की तुलना
अब आइए दोनों के सैन्य ताकत की तुलना करके देखते हैं. ताकि ये पता चल जाए कि जंग की हालत में कौन किस पर भारी पड़ सकता है. अगर सैनिकों की बात करें तो ईरान के पास 6 लाख 10 हजार सैनिक हैं जबकि इजराइल के पास कुल 1,69,500 सैनिक हैं. इजराइल रिजर्व सैनिकों के मामले में ईरान से काफी आगे है. इजराइल के पास जहां 4,65,000 रिजर्व सैनिक हैं तो वहीं ईरान के पास 3,50,000 रिजर्व सेना है. पैरामिलेट्री के मामले में ईरान, इजराइल से आगे है. ईरान के पास 2 लाख 20 हजार की पैरामिलेट्री फोर्स है तो वहीं इजराइल के पास इनकी संख्या महज 35 हजार है. यदि टैंकों की बात की जाए तो इजराइल के पास 1370 टैंक हैं और ईरान के पास 1996 टैंक. ईरान के पास सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी की संख्या 580 है जबकि इजराइल के पास 650 सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी है. रॉकेट ऑर्टिलरी के मामले में इजराइल से ईरान काफी आगे है. ईरान के पास 775 रॉकेट ऑर्टिलरी है, वहीं इजराइल के पास सिर्फ 150 रॉकेट ऑर्टिलरी है.
हवाई ताकत में इजराइल काफी मजबूत
अब बात हवाई ताकत की. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के अनुसार हवाई ताकत इजराइल की काफी मजबूत है. इजराइल सेना के पास न सिर्फ लड़ाकू विमान ज्यादा हैं बल्कि ईरान के मुकाबले इनकी मारक क्षमता भी अधिक है. इजराइल की वायु सेना मध्य पूर्व की सबसे ताकतवर वायु सेना में गिनी जाती है, जो ईरान के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है.
वायुसेना के मामले में इजरायल आगे
अब बात वायु सेना की. ईरान के पास कुल 42 हजार वायुसैनिक हैं जबकि इजराइल के पास 89 हजार वायुसैनिक हैं. इजराइली सेना के पास 612 लड़ाकू विमान हैं जबकि ईरान के पास 551 हैं. इजराइल के पास 241 फाइटर क्राफ्ट और ईरान के पास 186 हैं. इजराइल के पास 23 स्पेशल मिशन एयरक्राफ्ट हैं तो ईरान के पास सिर्फ 10 हैं. 155 ट्रेनर एयरक्राफ्ट इजराइल के पास हैं जबकि ईरान में इसकी संख्या 102 है. 14 टैंकर फ्लीट इजराइल के पास और ईरान के पास 7 हैं. 146 हेलीकॉप्टर इजराइल के पास हैं. ईरान के पास इसकी संख्या 129 है. इजराइल के पास 48 लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं तो ईरान के पास 13 हैं. --
समंदर में मजूबत दिखता है ईरान
अब बात समंदर में दोनों देशों के ताकत की. ईरान के पास 7 फिग्रेट्स हैं जबकि इजराइल के पास एक भी नहीं है. इजराइल के पास 7 कारवेट्स हैं जबकि ईरान के पास इसकी संख्या 3 है. ईरान के पास 19 पनडुब्बी हैं जबकि इजराइल के पास इसकी संख्या 5 है. इजराइल के पास 45 पेट्रोल वेसेल्स हैं तो ईरान के पास इनकी संख्या 21 है. ईरान के पास एक मरीन वारफेयर है तो इजराइल के पास एक भी नहीं है.
इजरायल के पास परमाणु बम
माना जाता है कि इजराइल के पास परमाणु हथियार भी हैं. वाशिंगटन के न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव का अनुमान है कि इजराइल के पास लगभग 90 परमाणु हथियार हैं. जबकि ईरान के पास अब तक परमाणु बम होने की कोई ख़बर नहीं है. हालांकि ईरान लगातार परमाणु बम बनाने की कोशिश जरूर करता रहा है.
इस लिहाज़ से देखें, तो दोनों देशों की सैन्य ताकत लगभग बराबर है. कोई किसी मामले में आगे है, तो दूसरा किसी और मामले में. लेकिन इजरायल के 90 परमाणु बमों का ईरान के पास कोई जवाब नहीं है. ऐसे में अगर सिर्फ ताकत की बात की जाए तो इजरायल आगे निकल जाता है. लेकिन उम्मीद है कि ये जंग इतनी नहीं बढ़ेगी कि बात वहां तक जा पहुंचे.