हरियाणा और पंजाब की धड़कनें तेज हैं. पुलिस, पैरा मिलिट्री फोर्सेज, खुफिया विभाग, सरकार, प्रशासन हर कोई चौकन्ना और जागा हुआ है. पुलिस वालों की तो छुट्टी तक कैंसिल कर दी गई है. बस अड्डे से लेकर रेलवे स्टेशन तक पर कड़ी निगरानी है. ना जाने कितनी ही जगहों पर धारा 144 लगा दी गई है. ताकि घर के बाहर 4 लोग इकट्ठा ना खड़े हो जाएं. और ये सब कुछ बस एक फैसला और उस फैसले के अंजाम को लेकर हो रहा है. 25 अगस्त को यौन शोषण के एक मामले में डेरा सच्चा सौदा के मुखिया बाबा गुरमीत राम रहीम इंसा पर अदालत का फैसला आना है.
ये सारे इंतजाम 25 अगस्त के लिए किए गए हैं. क्योंकि यौन शोषण के एक मामले को डेरा सच्चा सौदा के मुखिया बाबा राम रहीम के भक्तों ने आस्था का मामला बना दिया है. हजारों भक्त मरने-मारने पर उतारू हैं. अगर फैसला बाबा राम रहीम इंसा के हक में आया तो ठीक वरना पता नहीं क्या होगा?
बाबा गुरमीत राम रहीम पर एक साध्वी के साथ यौन शोषण के मामले में 25 अगस्त को अदालत का फैसला आना है. मगर फैसले के पहले ही पंजाब और हरियाणा में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. समर्थकों का जोश और भीड़ देखकर पुलिस प्रशासन सतर्क तो है मगर उसे घबराहट सी भी होने लगी है.
डेरा के समर्थक बड़ी तादाद में पंचकुला पहुंच रहे हैं.. लिहाज़ा रेलवे स्टेशन पर पंचकूला पुलिस के साथ-साथ जीआरपी की अतिरिक्त पुलिस टुकड़ियां भी तैनात कर दी गई हैं.. शहर में सुरक्षाकर्मी फ्लैगमार्च कर रहे हैं। जगह-जगह धारा 144 लगा दी गई है। ताकि अमन कायम रहे.
ये लाव-लश्कर सड़क पर इसलिए है क्योंकि प्रशासन को अंदेशा है कि फरीदकोट के चर्चा घरों में पेट्रोल डीज़ल और तेज़धार हथियारों का जखीरा जमा किया गया है. छतों पर पत्थर-ईंटें जमा की गईं हैं. इसलिए इन जगहों पर लॉ एंड ऑर्डर को बिगड़ने से बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई है. पुलिसवालों की छुट्टियां 30 अगस्त तक के लिए रद्द कर दी गई हैं.
हालात ऐसे बन गए कि डीजीपी लॉ एंड ऑर्डर पंजाब को सर्कुलर जारी करना पड़ा है. इस सर्कुलर में लिखा है कि सूबे के तमाम एसपी, एसएसपी, आईजी, डीआईजी को ये आगाह किया जाता है कि डेरा सच्चा सौदा ने फरीदकोट के नाम चर्चा घरों में पेट्रोल डीज़ल के ड्रम जमा करने शुरू कर दिए हैं.. साथ ही नाम चर्चा घरों की छतों पर नुकीले हथियार और पत्थर जमा किए जा रहे हैं.
25 अगस्त 2017 को अगर माननीय कोर्ट सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के लिए खिलाफ फैसला सुनाती है तो समर्थक पब्लिक और सरकारी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए पेट्रोल और हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसलिए आपको निर्देश दिए जाते हैं कि लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त कर्मियों की तैनाती करें और शांति बनाए रखने के लिए तमाम ज़रूरी कदम उठाएं.
मामले की संजीदगी को इसी से समझिए कि सरकार ने डीजीपी को संवेदनशील इलाकों का सर्वे करने के लिए हेलीकॉप्टर भी दिया है. बठिंडा और मानसा में हेलीपैड बनाए गए हैं. जिसका इस्तेमाल आपात हालात से निपटने के लिए किया जाएगा. इतना ही नहीं खुफिया तंत्र को मालवा और बठिंडा के ज़्यादातर इलाकों पर नज़र रखने की हिदायत दी गई है. क्योंकि यहां के कई इलाके डेरा अनुयायी बहुल माने जाते हैं.
बवाल के अंदेशे में हरियाणा के 21 जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, कई जिलों में धारा 144 लगा दी गई है. प्रदेश की सीमाएं सील कर दी गई हैं. मुख्यमंत्री खट्टर किसी भी तरह के खतरे से निपटने का भरोसा दिला रहे हैं. मगर उन समर्थकों का क्या जो देश के अलग अलग हिस्सों से हरियाणा और पंजाब में दाखिल हो रहे हैं.
खबर तो ये भी है कि विदेशी समर्थक भी पंचकूला के लिए निकल चुके हैं. पैरा-मिलिट्री फोर्स की 75 कंपनियों को हरियाणा में तैनात किए जाने के बाद प्रदेश सरकार ने केंद्र से 115 अतिरिक्त कंपनियां मांगी हैं.
उधर पंजाब के डीजीपी ने प्रदेश के सभी डीआईजी, आईजी और एसएसपी को अलर्ट जारी कर बताया है कि फैसला खिलाफ में आने के हालात में उत्पाद मचा सकते हैं. लिहाज़ा दोनों सूबों को छावनी में तब्दील किया जा रहा है. मगर फिर भी चिंता की लकीरें पंजाब के मुख्यमंत्री के माथे पर भी हैं.
सवाल ये कि आखिर फैसले से पहले ही ये डर क्यों है. असल में ये डर बाबा के उन लाखों अनुयायियों की वजह से है जो अपने बाबा के लिए मरने मारने को तैयार रहते है. मगर जिस डर का अंदेशा दोनों राज्यों में फैला है उसकी वजह को भी देख लीजिए.
हरियाणा के पंचकुला में सीबीआई की विशेष अदालत दुष्कर्म के मामले में 25 अगस्त को फैसला सुनाएगी. जिसमें डेरा सच्चा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह आरोपी हैं. इस मामले की सुनवाई 2007 से चल रही है. राम रहीम पर अपनी महिला अनुयायी के साथ डेरा शिविर में कई बार रेप किए जाने का आरोप है. ये डेरा शिविर हरियाणा के सिरसा के बाहरी इलाके में है. जिसकी दूरी राजधानी चंडीगढ़ से 260 किमी है.
खुफिया सूत्रों के मुताबिक फैसले के दिन तक करीब दस लाख डेरा अनुयायी चंडीगढ़ में जमा हो सकते हैं. ऐसे में किसी अनहोनी के हालात में पुलिस के लिए इतनी बड़ी तादाद में लोगों को लॉक-अप में रखना मुमकिन नहीं. इसलिए स्टेडियम और दूसरी बड़ी इमारतों को जेल में तब्दील किया जा रहा है. पुलिस दबाव में है. मगर न्यायपालिका पर दबाव किसी का नहीं चलता. वहां तो सिर्फ हक़ चलता है.