Himani Narwal Murder Case: इस बार हरियाणा में एक बैग से एक लाश बाहर आई. वो लाश कांग्रेस कार्यकर्ता और कानूनी पढ़ाई की छात्रा हिमानी नरवाल की थी. हिमानी उस वक्त चर्चाओं में आई थी, जब वो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ नजर आई थी. अब हरियाणा पुलिस ने हिमानी के कातिल को पकड़ने का दावा तो किया है, लेकिन अभी तक कत्ल की वजह और मोटिव बताने को पुलिस तैयार नहीं है. चलिए आपको बताते हैं कि इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस की पूरी कहानी.
दो अलग-अलग तस्वीरें, पर बैग एक
एक मामले की दो तस्वीरें हैं. पहली तस्वीर में रोहतक के सांपला इलाके में मौजूद पुलिस वालों ने दिन के उजाले में एक बैग को खोला. दूसरी तस्वीर में एक शख्स रात के अंधेरे में एक बैग लिए बेफिक्र चलता दिखाई दिया. दोनों ही तस्वीरों में जो बैग है, वो एक ही है. पहली तस्वीर उस वक्त की थी, जब कातिल लाश को बैग में डाल कर उसे ठिकाने लगाने जा रहा था. जबकि दूसरी तस्वीर तब की थी, जब पुलिस वाले उसी बैग को खोल कर उसमें से लाश बाहर निकाल रहे थे.
आराम से बैग लेकर जा रहा था कातिल
तस्वीरों की बात ये समझाने और समझने के लिए बहुत ज़रूरी है कि जब एक क़ातिल क़त्ल के बाद लाश को किसी बैग में ठूंस कर उसे ठिकाने लगाने निकलता है, तब उसकी चाल, उसकी बॉडी लैंग्वेज कैसी होती है? कम से कम इस मामले के आरोपी कातिल की चाल-ढाल को देख कर ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा कि इस वक्त वो किसी लाश को बैग में ढो रहा है. ऐसा लग रहा मानो सचमुच बैग में जरूरत के सामान रख कर ये किसी सफ़र पर जा रहा है. खैर चलिए अब इसके इस सफर की पूरी कहानी जान लेते हैं.
1 मार्च 2025, सुबह 11 बजे, सांपला बस स्टैंड
रोहतक दिल्ली हाईवे के करीब चौधरी छोटूराम चौक है. फ्लाईओवर के ठीक नीचे आसपास कुछ खुला इलाका और झाड़ियां हैं. सुबह एक राहगीर जब वहां से गुजरा तो उसकी नजरें झाड़ी के पीछे लावारिश पड़ी काले रंग के एक बड़े से बैग पर पड़ी. वैसे भी आजकल लावारिस बैग जो अच्छा खासा बड़ा हो, उसे देखकर लोगों को फौरन शक होने लगता है. वजह ये है कि इधर कुछ वक्त से बैग में लाश को ठिकाने लगाने का सिलसिला पूरे देश में एक जैसा हो चला है. लिहाजा, उस राहगीर ने भी फौरन पुलिस कंट्रोल रूम को इस बैग की खबर दी.
बैग से निकली लड़की की लाश
खबर मिलते ही मौका-ए-वारदात से कुछ ही दूरी पर मौजदू सांपला पुलिस स्टेशन की एक टीम फौरन मौके पर पहुंची. साथ में फॉरेंसिक टीम भी थी. मौके पर सचमुच एक काला बैग पड़ा था. बैग और बैग के वजन को देख कर पुलिस को भी अंदाजा हो चुका था कि अंदर क्या हो सकता है. लिहाजा, पुलिस की टीम ने मौके पर ही बैग को खोला. बैग में सबसे ऊपर रजाई का एक कवर था. कवर बाहर निकाला जाता है और उसे वही जमीन पर बिछा दिया जाता है. रजाई के कवर के नीचे बैग में ठूंसी हुई एक लाश थी. एक लड़की की लाश.
लोकल MLA ने की लाश की शिनाख्त
पुलिस बैग और मौका-ए-वारदात पर बाकी चीजों को खंगालती है, लेकिन ऐसा एक भी कोई सबूत नहीं मिलता जिससे लाश की शिनाख्त हो सके. लिहाजा, पंचनामा कर पुलिस लाश को सरकारी के अस्पताल के मुर्दाघर में भेज देती है. कई घंटे बीत जाते हैं लेकिन मरने वाली की शिनाख्त नहीं होती. दोपहर से अब शाम हो चुकी थी. इलाके की विधायक तक भी बैग में बंद इस लाश की बरमादगी की खबर पहुंची. जब उन्होंने लाश की तस्वीर देखी तो वो फौरन पहचान गईं. उन्होंने बताया कि मरने वाली हरियाणा के रोहतक कांग्रेस की एक कार्यकर्ता हिमानी नरवाल है.
ऐसे मिली थी परिवार को खबर
इतना पता चलते ही पुलिस अब रोहतक के उस विजय नगर कॉलोनी में मौजूद हिमानी के घर का पता निकाल लेती है, जहां वो पिछले कुछ वक्त से किराए के घर में अकेली रहती थी. पुलिस की एक टीम फौरन उस पते पर पहुंचती है. लेकिन घर के बाहर ताला लगा था. अब हिमानी के जानकारों की मदद से दिल्ली में रहने वाली हिमानी की मां को खबर दी जाती है. खबर मिलते ही रविवार सुबह सुबह हिमानी की मां उस अस्पताल के मुर्दा घर में पहुंच जाती है, जहां हिमानी की लाश रखी थी.
मां से हुई थी हिमानी की आखिरी बातबीत
हिमानी की मां के पहुंचते ही पुलिस उनसे हिमानी के बारे में पूछताछ करती है. इस पूछताछ के बाद हिमानी की मां ने ये बताया कि वो 27 फरवरी की शाम तक हिमानी के साथ रोहतक में ही थी. फिर वापस दिल्ली लौट गई जहां वो अपने बेटे जतिन के साथ रहती हैं. दिल्ली लौटने के बाद 27 फरवरी की रात भी हिमानी से उनकी बात हुई थी. तब उसने अपनी मां को बताया था कि 28 फरवरी को पार्टी के एक रोड शो में जाएगी, जहां वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी मौजूद होंगे. हिमानी से ये उनकी आखिरी बातचीत थी. इसके बाद हिमानी का मोबाइल बंद हो गया, जो कि अमूमन कभी होता नहीं था.
हिमानी ने क्यों बोला था झूठ?
हालाकि बाद में पता चला कि 28 फरवरी को ऐसा कोई रोड शो नहीं था, जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल होने वाले थे. तो फिर क्या हिमानी ने अपनी मां से झूठ बोला था? अगर हां, तो क्यों? खैर, लाश की शिनाख्त होते ही अब पुलिस मामले की जांच शुरु कर देती है. सबसे पहले पुलिस की टीम हिमानी के विजय नगर कॉलोनी के इस घर में पहुंचती है. हिमानी का मोबाइल कहीं नहीं मिलता.
CCTV और CDR से मिला सुराग
अब पुलिस सीसीटीवी कैमरों की मदद से कातिल तक पहुंचने की कोशिश शुरु करती है. इसी कड़ी में पुलिस को पहली कामयाबी मिलती है. हिमानी के घर और रोहतक दिल्ली हाईवे के करीब जहां से बैग बरामद हुआ था, वहां के कैमरों में पुलिस को कातिल की झलक नजर आ चुकी थी. हिमानी की मां सविता की मदद से हिमानी का मोबाइल नंबर भी अब पुलिस के पास था. हिमानी के मोबाइल के कॉल डीटेल में उस कातिल का नंबर भी था. और इत्तेफाक से वो नंबर 27 फरवरी की रात से लेकर 1 मार्च की सुबह तक हिमानी के घर का ही लोकेशन बता रहा था.
दिल्ली से पकड़ा गया कातिल दरिंदा सचिन
36 घंटे बीतते बीतते रोहतक पुलिस इस लड़के तक पहुंच चुकी थी. जिसका नाम सचिन है. वो हरियाणा के ही झज्जर का ही रहने वाला है. झज्जर में इसकी मोबाइल की एक दुकान है. लेकिन इसकी गिरफ्तारी झज्जर नहीं बल्कि दिल्ली से हुई. रोहतक पुलिस के मुताबिक, जब सचिन से पूछताछ हुई तो 27 फरवरी की शाम से लेकर 1 मार्च की सुबह तक की पूरी कहानी कुछ यूं सामने आई.
वारदात की रात हिमानी के साथ रुका था सचिन
27 फरवरी को हिमानी की मां सविता अपनी बेटी से मिलकर दिल्ली लौट चुकी थी. असल में हिमानी की मां अपने बेटे जतिन के साथ दिल्ली में ही रहती है. हिमानी भी पहले दिल्ली में ही रहती थी. लेकिन करीब डेढ़ साल पहले उसने रोहतक के विजयनगर कॉलोनी में किराए पर एक घर लिया था. जहां वो अकेली रहा करती थी. चूंकि वो रोहतक कांग्रेस की कार्यकर्ता थी, इसीलिए उसका ज्यादातर वक्त रोहतक में ही बीतता था. 27 फरवरी की शाम 4 बजे सविता हिमानी के घर से निकल चुकी थी, उनके जाने के ठीक एक घंटे बाद सचिन हिमानी के घर पहुंचा. असल में सचिन और हिमानी लगभग डेढ़ साल पुराने दोस्त हैं. सचिन अक्सर हिमानी के घर भी रुकता था. 27 फरवरी की रात भी वो हिमानी के साथ ही था.
मोबाइल चार्जर की वायर से मर्डर
27 फरवरी की रात तक सब कुछ ठीक था. अगले दिन यानि 28 फरवरी को भी सचिन हिमानी के साथ इसी घर में था. लेकिन शाम 5 बजे के आसपास किसी बात को लेकर उसका हिमानी से झगड़ा हो गया. इसी झगड़े के दौरान गुस्से में उसने मोबाइल के चार्जर से हिमानी का गला घोंट दिया. इस झगड़े के दौरान दोनों के बीच हाथापाई भी हुई थी. इसमें सचिन के हाथ भी जख्मी हुए थे. कुछ खून के छींटे रजाई पर भी पड़े थे. चूंकि कत्ल अचानक हुआ था, लिहाजा सचिन को समझ नहीं आया कि अब वो क्या करे?
ऐसे ठिकाने लगाई थी हिमानी की लाश
कुछ वक्त कमरे में गुजारने के बाद उसने हिमानी के हाथों की अंगूठी और बाकी के जवर उतारे, उसका फोन और लैपटॉप लिया और हिमानी की स्कूटी से ही 34 किलोमीटर दूर झज्जर में अपनी मोबाइल शॉप पर पहुंच गया. रात को सचिन वापस हिमानी के घर लौटा, लाश अब भी कमरे में पड़ी थी. इत्तेफाक से हिमानी के कमरे में ही एक बड़ा से बैग भी पड़ा था, जिसे खुद हिमानी ने खरीदा था. सचिन ने उसी बैग में किसी तरह हिमानी की लाश ठूंस दी. इसके बाद खून लगे रजाई के कवर को भी उतार कर उसी बैग में डाल दिया. इसके बाद उसने एक ऑटो किया. उस ऑटो में बैग रखा और रोहतक दिल्ली हाईवे के करीब बस स्टॉप पर उतर गया. उसे पता था कि हाईवे के करीब अमूमन लोग बैग लेकर सफर करते हैं. इसीलिए कोई शक भी नहीं करेगा. फिर ऑटो वाले के जाने के बाद वो पैदल ही हाईवे के करीब, फ्लाईओवर के नीचे एक सुनसान जगह पर पहुंचा और वहां झाड़ियों में बैग रखकर निकल गया.
कत्ल की वजह पर अब भी खामोश है पुलिस
अब यहां तक की कहानी तो पुलिस ने बता दी. पर एक सवाल अब भी रह गया था और वो ये कि आखिर हिमानी और सचिन के बीच किस बात पर ऐसा झगड़ा हुआ कि डेढ़ साल की दोस्ती को भुलाकर उसने हिमानी का खून कर दिया. सोमवार को रोहतक रेंज के एडीजी कृष्ण कुमार राव इसी मर्डर केस को लेकर प्रेस कॉंफ्रेस की. इस दौरान अलग अलग तरीके से कई बार घुमा फिरा कर रिपोर्टर ने उनसे कत्ल के मकसद यानि मोटिव को लेकर सवाल पूछा. लेकिन उन्होंने हर ऐसे सवाल को अपने हिसाब से घुमा दिया.
क्यों हुआ हिमानी का मर्डर?
हिमानी नरवाल एक पॉलिटिकल पार्टी से जुड़ी थी. तो क्या इस कत्ल के पीछे कोई राजनीति वजह थी? क्या पॉलिटिकल राइवलरी ने हिमानी की जान ली? या फिर इस कत्ल की वजह कुछ और ही है? एक ऐसी वजह जिसे खुद हरियाणा पुलिस भी बिना पुख्ता किए, बिना किसी सबूत के इस वक्त आम करना नहीं चाहती.
(रोहतक से सुरेंद्र सिंह के साथ अरविंद ओझा का इनपुट)