क्या ईरानी कुर्द फोर्स के चीफ जनरल इस्माइल कानी मोसाद के एजेंट हैं? क्या हाल में हुई सबसे बड़ी 6 मौतों की साजिश के पीछे जनरल कानी का हाथ है? क्या हिज्बुल्लाह के चीफ नसरल्लाह के ठिकाने की ख़बर जनरल कानी ने ही मोसाद को दी थी? क्या हमास चीफ की तेहरान के गेस्ट हाउस में बम धमाके से हुई मौत का जिम्मेदार भी जनरल कानी ही था? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि जनरल कानी फिलहाल तेहरान में हाउस अरेस्ट है और उस पर मोसाद का जासूस होने का शक है. चलिए जान लेते हैं, इस शक के पीछे की इनसाइड स्टोरी.
3 जनवरी 2020 बग़दाद, इराक़ की राजधानी
ईरानी रिवोलूशनरी गार्ड्स के कुर्द फोर्स के चीफ जनरल क़ासिम सोलेमानी की बग़दाद में ड्रोन अटैक करके हत्या कर दी गई.
27 नवंबर 2020 तेहरान, ईरान की राजधानी
ईरान के टॉप न्यूकलियर साइंटिस्ट मोहसिन फ़ख़रेज़ादा की कंप्यूटर गाइडेड मिजाइल से तेहरान में बीच सड़़क पर हमला करके हत्या कर दी गई.
19 मई 2024 उज़ी, ईस्ट आज़रबाईज़ान, ईरान
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉ़प्टर दुर्घटना में संदिग्ध मौत हो गई.
31 जुलाई 2024 तेहरान, ईरान की राजधानी
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद नए राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने आए हमास के पॉलिटिकिल विंग के चीफ़ इस्माइल हानिया की तेहरान के एक गेस्ट हाउस में हुए बम धमाके में मौत हो गई.
28 सितंबर 2024 बैरूत, लेबनान की राजधानी
बैरूत के दाहिया इलाके में एक बंकर के अंदर इज़राइली एयर स्ट्राइक में हिज्बुल्लाह चीफ़ हसन नसरल्ला की मौत हो गई.
4 अक्तूबर 2024 बैरूत, लेबनान की राजधानी
हसन नसरल्ला की जगह हिज़बुल्लाह के अगले चीफ़ बनने जा रहे हाशिम सैफेद्दीन को बैरूत में एक बंकर में पर इज़राइली सेना ने एयर स्ट्राइक करके मौत के घाट उतार दिया.
ईरान के कुछ और न्यूक्लियर साइंटिस्ट, हिज्बुल्लाह और हमास के कुछ और कमांडर को छोड़ दें तो पिछले चार सालों में हुई इन छह मौतों ने ईरान को हिला कर रख दिया है. वजह ये है कि ये छह की छह मौतें मामूली नहीं हैं. बल्कि ये वो छह लोग थे जिनका रुटीन, जिनकी मीटिंग, जिनके ठिकाने, जिनकी मूवमेंट इतने गुप्त रखे जाते थे कि खुद इनके अंदर के बड़े कमांडर और सरकारी हुक्मरानों तक को इनकी खबर नहीं होती थी.
तो फिर सवाल ये है कि आखिर इजराइली सेना या इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद को इन सबके ठिकानों के बारे में इतनी सटीक जानकारी कहां से मिली?किसने दी? क्या खुद ईरान के अंदर ईरान का कोई ग़द्दार और मोसाद का कोई बड़ा जासूस है? अगर हां तो वो कौन है? ईरानी रिवोलूशनरी गार्ड्स के कुर्द फोर्स को ईरान की सबसे एलीट फोर्स माना जाता है. इसके ओवरसीज़ मिलिट्री इंटेलिजेंस सर्विस के चीफ़ ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल क़ानी हैं, जिन्हें साल 2020 में क़ासिम सोलेमानी की मौत के बाद क़ुर्द फोर्स का चीफ़ बनाया गया था.
ख़बर ये है कि इस वक्त ये तेहरान में नज़रबंद हैं. जानते हैं क्यों? क्योंकि उन पर इल्ज़ाम है कि यही ईरान में मोसाद के सबसे बड़े जासूस हैं. यानी ईरान के सबसे बड़े ग़द्दार. और हाल के वक्त में इज़राइल के हाथों हुई सभी हाई प्रोफाईल किलिंग के असली मास्टरमाइंड. ईरानी, खाड़ी देशों और अमेरिकी मीडिया से जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक, जनरल इस्माइल क़ानी से तेहरान में ही एक गुप्त ठिकाने पर पिछले हफ्ते भर से पूछताछ हो रही है. ईरानी मीडिया की खबरों के मुताबिक 4 अक्तूबर के बाद से जनरल इस्माइल क़ानी को सार्वजनिक तौर पर कहीं नहीं देखा गया है.
जबकि इस वक्त इजराइल और इजराइली हमलों को लेकर ईरान में सबसे ज्यादा हलचल है. अब सवाल ये है कि इस्माइल क़ानी पर मोसाद का जासूस होने का शक क्यों कर हुआ? तो इसकी दो वजह बताई जा रही हैं. पहली वजह ये हैं कि ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में कहा था कि ईरान ने मोसाद के जासूसों से लड़ने के लिए जो एक खास यूनिट बनाई थी, खुद उस यूनिट का चीफ़ ही मोसाद का एजेंट है. अहमदीनेजाद का इशारा विदेशी ताकतों की जासूसी के लिए बनाए गए ओवरसीज़ मिलिट्री इंटेलिजेंस सर्विस और उसके चीफ की तरफ था. और इस यूनिट के चीफ कोई और नहीं बल्कि इस्माइल क़ानी हैं.
अहमदीनेजाद ने ये इंटरव्यू में ये भी कहा था कि चीफ के अलावा यूनिट के कम से कम 20 और लोग भी मोसाद के लिए काम कर रहे हैं. पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के इस बयान ने ईरान में खलबली मचा दी थी. उनके इसी बयान के बाद उन्हें ईरान के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दे दिया गया है. यहां तक कि इसी साल 19 मई को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की हेलीकॉ़प्टर दुर्घटना में मौत के बाद भी अहमदीनेजाद राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन लड़ नहीं पाए.
अहमदीनेजाद के इस बयान के अलावा जो दूसरी वजह है, बैरूत में इस्माइल क़ानी का इसी महीने अचानक गायब हो जाना. दरअसल 28 सितंबर को जब बैरूत में हिज्बुल्लाह चीफ की इजराइली एयर स्ट्रीइक में मौत हुई, तब उसके बाद हालात का जाय़ज़ा लेने के लिए ईरान के सुप्रीम कमांडर आयतुल्लाह खामेनई ने इस्माइल क़ानी को बैरूत भेजा था. बैरूत में इस्माइल क़ानी और हिज्बुल्लाह के अगले चीफ बनने जा रहे हाशिम सैफिद्दीन के साथ एक मीटिंग होनी थी. इस मीटिंग में हिज्बुल्लाह और ईरान की अगली रणनीति तय होनी थी.
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद हाशिम सैफिद्दीन ने इस मीटिंग को बेहद गुप्त रखा था. चार अक्तूबर की शाम ये मीटिंग बैरूत के दाहिया इलाके में तय थी. जहां मीटिंग होनी थी, उस जगह के बारे में सिर्फ गिने-चुने लोगों को पता था. लेकिन मोसाद को इस मीटिंग और उसके तय ठिकाने की भी जानकारी मिल चुकी थी. इसी के बाद इजराइल ने चार अक्तूबर को दाहिया में फिर से एयर स्ट्राइक किया और इस हमले में हाशिम सैफिद्दीन की मौत हो गई. हमला इतना ताकतवर था कि चार बड़ी इमारतें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थीं. इसी हमले के बाद अगले दो दिनों तक इस्माइल क़ानी से ईरान का कोई संपर्क नहीं हो पाया था. संपर्क ना हो पाने की वजह से ही ईरान, इजराइल, मिडिल ईस्ट और अमेरिकी मीडिया में ये खबरें चलने लगीं कि हमले में हाशिम सैफिद्दीन के साथ-साथ इस्माईसल क़ानी भी मारे गए.
लेकिन फिर तभी 7 अक्तूबर को अचानक इस्माइल क़ानी अपनी फोर्स के सामने आते हैं. वो वापस ईरान लौटते हैं. तब पता चलता है कि हिज्बुल्लाह के जिस अगले चीफ हाशिम सैफिद्दीन के साथ चार अक्तूबर की मीटिंग के लिए उन्हें बैरूत भेजा गया था, वो उस मीटिंग में कभी पहुंचे ही नहीं. ऐसा क्यों हुआ ये किसी को नहीं पता? क़ानी के बारे में तब कुर्द फोर्स के डिप्टी कमांडर और इराक में पूर्व ईरानी राजदूत इराज मस्जिदी ने बस इतना ही कहा कि कानी ठीक हैं और वो अपनी रुटीन ड्यूटी भी कर रहे हैं.
लेकिन बाद में खबर आई कि इस्माइल कानी को हाउस अरेस्ट कर लिया गया है और पूरे मामले की निगरानी और जांच सुप्रीम लीडर आयतुल्ला खामेनेई खुद कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक क़ानी को तेहरान में नजरबंद कर दिया गया और जिस जगह उन्हें रखा गया है, वहां भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है. ख़बरों के मुताबिक, इस्माइल कानी से पिछले कई दिनों से लगातार पूछताछ की जा रही है. खबर तो उन्हें टॉर्चर किए जाने की भी है. यहां तक कहा जा रहा है कि इस दौरान कानी को दिल का दौरा भी पड़ चुका है.
खुद ईरान के अंदर कुर्द फोर्स के चीफ को लेकर तमाम तरह की ख़बरें मीडिया में आने के बाद अभी तक ईरान ने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है. इस्माइल क़ानी ईरान के मशद इलाके में पैदा हुए हैं. वो शुरू से ही ईरानी रिवोलूशनी गार्ड का हिस्सा रहे हैं. ईरान-इराक जंग में भी कानी ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. कानी की सेवा को देखते हुए 1997 में उन्हें क़ुर्द फोर्स का डिप्टी कमांडर बना दिया गया था. क़ानी ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में काम किया है. साल 2020 में कासिम सोलेमानी की बगदाद में मौत के बाद इस्माइल क़ानी को कुर्द फोर्स का चीफ बनाया गया था.
हालांकि कहते हैं कि जो रुतबा या फिर ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनई के साथ जो रिश्ता सुलेमानी का था वो इस्माइल क़ानी का नहीं है. सूत्रों के मुताबिक कानी से पूछताछ के साथ-साथ अब उनके पिछले तमाम विदेशी दौरों, नेटवर्क, फोन कॉल, सोर्सेज और कुर्द फोर्स में उनके खास अफसरों के बूारे में हर छोटी-छोटी जानकारी जुटाई जा रही है.
हमास चीफ इस्माइल हानिया इसी साल 31 जुलाई को जब ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने तेहरान आए थे और तब वो तेहरान में जिस बेहद सुरक्षित गेस्ट हाउस में ठहरे थे, उस गेस्ट हाउस की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इस्माइल क़ानी के कुर्द फोर्स के हवाले थी. जिस बम धमाके में हानिया मारे गए वो बम गेस्ट हाउस के कमरे में पहले से रखा हुआ था. ज़ाहिर है ये काम किसी अंदुरूनी का ही था और बिना कुर्द फोर्स के मिलीभगत के ऐसा मुमकिन नहीं था. इस मामले में कुर्द फोर्स और ईरानी इंटेलिजेंस के करीब 22 लोग अब भी हिरासत में हैं और उनसे लगातार पूछताछ हो रही थी. ख़बरों के मुताबिक इस पूछताछ के बाद ही इस्माइल क़ानी शक के घेरे में आ गए थे.