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MP हनी ट्रैपः पार्टी से बेडरूम तक, ऐसे अश्लील वीडियो बनाती थीं हसीनाएं

अक्सर शनिवार की रात को हाईवे पार्टी के नाम से ये हसीनाएं पिकनिक मनाती थीं. इसके अलावा सीहोर बायपास के रिजॉर्ट और बड़े होटलों या फार्म हाउस में ऐसी पार्टियों को रखा जाता था.

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हनीट्रैप कांड का खुलासा होने के बाद एमपी के नेताओं और अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है
हनीट्रैप कांड का खुलासा होने के बाद एमपी के नेताओं और अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है

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  • लिपस्टिक और चश्में में लगाते थे खुफिया कैमरे
  • अंतरंग पलों को कर लेती थीं कैद
  • करोड़ों रुपये वसूले

मध्य प्रदेश हनी ट्रैप कांड ने कई नेताओं और अफसरों की नींद उड़ा दी है. ब्लैकमेलर हसीनाओं ने एमपी के जिन नेताओं-मंत्रियों और अफसरों के अश्लील वीडियो बनाए, उनसे इसके बदले में बड़ी कीमत वसूली गई. एसआईटी को जांच के दौरान पता चला कि ये शिकारी हसीनाएं अपने शिकारों से अब तक करीब 15 करोड़ से भी ज़्यादा की रकम वसूल कर चुकी हैं. इनमें शिकार की हैसियत के हिसाब से 50 लाख रुपये से लेकर 3 करोड़ तक की रकम वसूली गई थी. मास हनी ट्रैप और ब्लैकमेलिंग का ये सिलसिला काफी वक्त से चल रहा था.

खूबसूरती के जाल में फंसे रसूखदार

अपनी खूबसूरती के जाल में रसूखदार लोगों को फंसाकर उनसे पैसे ऐंठने वाले इस गैंग ने एक इंजीनियर को फंसाया. वह इंजीनियर इंदौर नगर निगम में तैनात हैं. इन हसीनाओं के पास उस अधिकारी का वीडियो भी था. हरभजन सिंह नामक उस इंजीनियर से आरती दयाल ने तीन करोड़ रुपये की मांगी थी. इतनी बड़ी रकम का लेन-देन वे शातिर महिलाएं एनजीओ की आड़ में करती थीं.

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इंजीनियर ने दर्ज कराई पहली FIR

खबरों के मुताबिक एक तो ATS को पहले से इस बात की जानकारी थी. दूसरा हरभजन सिंह के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो आरती दयाल का मुंह बंद कर पाते. लिहाज़ा इंजीनियर ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज करवा दी. उसके बाद पुलिस ने प्लान बनाकर पहले उस ब्लैकमेलर महिला को इंदौर बुलाया और फिर उसे धर दबोचा. उस महिला की निशानदेही पर ही पुलिस ने एक बाद एक तीन और आरोपी महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया.

महंगी गाड़ियों और संपत्ति की मालकिन है आरती

जिस आरती दयाल को पुलिस ने पकड़ा उसके पास लैंड रोवर, मर्सिडीज और ऑडी जैसी महंगी लग्जरी गाड़ियां हैं. अकेले आरती दयाल के पास कई प्रॉपर्टी हैं और भोपाल नगर निगम की तरफ से उसके पति को आठ करोड़ का काम दिया गया था. अब सवाल ये कि आखिर इतने बड़े लोग इस हनी ट्रैप का शिकार बने कैसे.

हाई प्रोफाइल पार्टियों में तलाशे जाते थे शिकार

पुलिस की पड़ताल में पता चला है कि क्लब में क्लाइंट फंसाने के अलावा ये शातिर हसीनाएं अपने शिकार को साधने के लिए हाई प्रोफाइल पार्टियों में भी आया जाया करती थीं. हनी ट्रैप में पकड़ी जाने वाली महिलाएं लेट नाइट पार्टियों की शौकीन थीं. इनके मोबाइल फोन में शराब पार्टियों के कई वीडियो मिले हैं. अक्सर शनिवार की रात को हाईवे पार्टी के नाम से ये पिकनिक मनाती थीं. ये हाईवे पार्टी भोपाल-इंदौर फोरलेन रोड पर होती थीं. इसके अलावा सीहोर बायपास के रिजॉर्ट में और बड़े होटलों या फार्म हाउस में ऐसी पार्टियों को रखा जाता था. इन पार्टियों में नेताओं और मंत्रियों से लेकर आईएएस और आईपीएस अफसरों तक को बुलाया जाता था.

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ऐसे फंसाती थीं अपना शिकार

इन पांच हसीनाओं ने अपने हुस्न का ऐसा काला जादू चलाया कि नेता, अफसर, कारोबारी और इंजीनियर सब के सब शिकार बन गए. मगर सवाल ये कि आखिर क्यों और कैसे इन हसीनाओं ने इन्हें अपना शिकार बनाया. दरअसल, रसूखदार हस्तियों पर कॉल गर्ल बनकर इन हसीनाओं ने पहले डोरे डाले. उन्हें अपने जाल में फंसाया और फिर उनके साथ होटल के कमरे तक पहुंचीं. उनकी रंगीन मिजाजी का फायदा उठाया. उनका अश्लील वीडियो बनाया और फिर शुरू हुआ ब्लैकमेलिंग का खेल. वीडियो बनाने के लिए ये शातिर महिलाएं अपनी लिपस्टिक कवर या फिर चश्में और बैग में खुफिया कैमरा लगाकर वीडियो बनाती थीं.

12 जिलों में चल रहा था सेक्स रैकेट

ये अपने शिकार से सिर्फ पैसे ही नहीं वसूलती थीं बल्कि उसके रसूख का फायदा उठाकर ये उनसे ठेके और दूसरे सरकारी काम भी निकलवाती थीं. पुलिस के मुताबिक ये हसीनाएं मध्य प्रदेश के करीब 12 जिलों में अपना सेक्स रैकेट चला रही थीं. और गिरोह में कुल 18 महिलाएं शामिल हैं. जो एक एनजीओ की आड़ में अपना धंधा करती रही हैं. गिरफ्तार की गई इस गैंग की पांचों महिलाओं का बीजेपी और कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के साथ उठना-बैठना था. इनके अधिकारियों से भी अच्छे संबंध थे. जिसकी वजह से इनका सचिवालय में भी आना-जाना रहता था.

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पुलिस ने माना संगठित अपराध

इनमें महिलाओं में आरती दयाल के अलावा श्वेता जैन, श्वेता स्वप्निल, बरखा भटनागर और मोनिका यादव के नाम प्रमुख हैं. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार की गई इन महिलाओं के पास से 14 लाख रुपये कैश भी बरामद हुआ था. खास बात ये है कि इन ब्लैकमेलर महिलाओं के जाल में फंसे 20 रसूखदार लोगों में से सात-आठ ऐसे भी थे, जिन्हें इनके मकसद के बारे में पूरी जानकारी थी.

इसकी जानकारी इन महिलाओं से मिले मोबाइल फोन पर हुई बातचीत और मैसेजेज से मिली है. यही वजह है कि पुलिस इसे संगठित अपराध मानते हुए बेहद गोपनीय तरीके से पूछताछ कर रही है और पुलिस प्रशासन के बड़े अफसरों को भी आरोपियों से मिलने की इजाजत नहीं है.

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