एक सनकी कातिल की खूनी शपथ से राजधानी दिल्ली के करीब एक गांव दहशत से थर्रा उठा है. उस सनकी कातिल ने ऐलान किया कि पूरा गांव खत्म कर दूंगा. इसके बाद उसने एक-एक करके तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया. अब पुलिस उस सनकी कातिल के सुराग तलाश कर रही है पूरा गांव हर पल दहशत में जी रहा है.
दिल्ली के बेहद करीब हरियाणा के एक गांव में मातम है. इस मातम में मौत का सन्नाटा है, तो एक सिरफिरे कातिल का खौफ भी है. जी हां, हरियाणा के सोनीपत का गांव करेवड़ी में लोग घर से निकलने में भी खौफ खाते हैं. क्योंकि एक सिरफिरे ने पूरे गांव को खत्म करने की मुनादी कर रखी है. ये सिरफिरा सीरियल किलर अजय उर्फ कन्नू है.
हर वारदात के बाद पुलिस कन्नू पर ईनाम बढ़ाती जाती है. लंबी चौड़ी फौज उसके पीछे लगाने का दम भरती है. लेकिन 5 लाख रुपये का इनामी सीरियल किलर कन्नू पुलिस को खुलेआम चुनौती देता है. कत्ल की खुलेआम धमकी देता है. ऐलानिया मर्डर करता है. लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे देखती रह जाती है. वह जुर्म को अंजाम दे जाता है.
साइको किलर बन चुके कन्नू ने 8 मई को गांव के सरपंच को गोली मारी. किसी तरह वो बच गया. इसके बाद 9 मई को उसने जाहरी गांव में वीरेंदर और सुनील नाम के दोस्तों को गोलियां मारी. इस हमले में वीरेंद्र की मौत हो गई. 12 मई को उसने जगबीर और उसके बेटे अनिल की गोली मारकर हत्या कर दी. मृतक जगबीर का एक बेटा सुशील आर्मी में मेजर है.
मेजर का आरोप है कि पुलिस ने साइको किलर की धमकी के हल्के में लिया. इसी वजह से जान का खतरा जताने के बावजूद पुलिस ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए. फौज के आला अफसर की आशंका के बावजूद उनके परिवार को सुरक्षा नहीं देने वाली पुलिस के बीच उस गांव के हर घर की दहशत का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.
गांववालों के मुताबिक, कन्नू ने सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर गोलियां मारीं और जब बाइक पर सवार मेजर के पिता और भाई बचने के लिए खेतों में भागे, तो वहां भी खून-खून कर दिया. इस तरह पुलिस को खुलेआम चुनौती देता कन्नू डंके की चोट पर गांव में खूनी खेल खेल रहा है. उसकी साजिश उसने इस साल के शुरुआत में ही तैयार कर ली थी.
गांव में हुए पंचायत चुनाव के बाद कन्नू ने पूरे गांव को खत्म करने की खूनी सौगंध खाई थी. सोनीपत के इस गांव में पुलिस के रवैये पर भी गहरी नाराज़गी है. अपना पिता और भाई खो चुके फौज के मेजर का दर्द भी उनकी जुबां से छलक उठा. उनका कहना है कि यदि घर में उनका परिवार तक महफूज नहीं तो वो सरहद पर देश की हिफाजत कैसे कर पाएंगे.