इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शनिवार को एक विमान उड़ान भरता है. उस विमान में क्रू मेंबर्स समेत कुल 62 मुसाफिर सवार थे. लेकिन उड़ान भरने के महज कुछ मिनट बाद ही इस फ्लाइट का संपर्क एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से टूट जाता है. इसके बाद विमान की कोई खबर नहीं मिलती. फिर पता चला कि विमान समंदर के ऊपर क्रैश हो गया. अब उस विमान का मलवा किस्तों में मिल रहा है. विमान का ब्लैकबॉक्स भी बरामद हो चुका है. लेकिन ये विमान हादसे का शिकार कैसे हुआ, ये फिलहाल एक राज बना हुआ है.
शनिवार 9 जनवरी 2021 का दिन, 2 बजकर 36 मिनट का वक्त. इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता. सुकर्णो-हाट्टा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से श्रीविजया एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या एसजे-182 अपने 50 मुसाफ़िरों और 12 क्रू मेंबर्स के साथ उड़ान भरती है. 26 साल पुराने बोइंग 737-500 मेक के इस विमान को करीब 90 मिनट का समय तय कर चार बजे पोंतिअनोक पहुंचना था. लेकिन उड़ान भरने के महज़ कुछ मिनट के अंदर इस फ्लाइट का संपर्क एयर ट्रैफिक कंट्रोल से टूट जाता है और एयरपोर्ट से करीब 20 किलोमीटर दूर ये हवाई जहाज़ समंदर के बीच ही कहीं गुम हो जाता है.
उधर, एटीसी से हवाई जहाज़ के गायब होते ही एयरपोर्ट से लेकर पूरे इंडोनेशिया में भूचाल आ जाता है. सवाल 62 लोगों की ज़िंदगी का था. लिहाज़ा, एयरपोर्ट अथॉरिटी से लेकर, फ्लाइट ऑपरेटर और यहां तक कि इंडोनेशिया सरकार के भी हाथ-पांव फूल जाते हैं. आनन-फ़ानन में हवाई जहाज़ की तलाश शुरू कर दी जाती है. सबसे बड़ी घबराहट की बात ये है कि आख़िरी बार जब एटीसी ने इस हवाई जहाज़ को फ्लाइट रडार पर कैच किया था, तब इस फ्लाइट को महज़ एक मिनट में 10 हजार फीट नीचे आते हुए ट्रैक किया गया था.
ऐसा आम तौर पर तभी होता है, जब कोई विमान क्रैश हो रहा होता है. ऐसे में सबसे ज़्यादा संभावना इसी बात की थी कि ये विमान क्रैश हो चुका है. लेकिन ऐसी किसी भी ख़बर की पूरी तरह तस्दीक किए बग़ैर कभी भी उस पर ऐतबार करना ठीक नहीं होता, लिहाज़ा, जकार्ता का पूरा सरकारी अमला इस गायब प्लेन की तलाश में जुट जाता है.
छानबीन के दौरान जकार्ता के समंदर में विमान के गायब होने के दौरान मौजूद कुछ मछुआरे भी जांच टीम के हाथ लगते हैं. और वो जो कहानी सुनाते हैं, वो तो और भी डरावनी है. मछुआरे बताते हैं, जिस दौरान ये हवाई जहाज़ आसमान में गायब हुआ, उन्होंने अपने ऊपर आसमान में बिजली कौंधने जैसी एक तेज़ रोशनी देखी और एक ज़ोरदार धमाके की आवाज़ सुनी. इसके बाद हवाई जहाज़ का मलबा, तेल और इंसानी जिस्म के टुकड़े आसमान से नीचे गिरने लगे. ये सबकुछ उनकी नावों के इर्द-गिर्द भी गिरे, लेकिन चूंकि उस दौरान भारी बारिश हो रही थी वो इससे ज़्यादा कुछ साफ-साफ़ नहीं देख सके. कुछ मछुआरों ने जांच दल को बताया कि धमाके की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि खुद उन्हें अपनी जान का ख़तरा नज़र आ रहा था.
ये सारे संकेत, ये सारी गवाहियां इस बात का सबूत थी कि हवाई जहाज के साथ वही अनहोनी हो चुकी है, जिसका डर था. सोमवार होते-होते आख़िरकार वही बात साबित हो गई. इंडोनेशिया सरकार से लेकर हर किसी ने ये मान लिया कि श्रीविजया एयरलाइंस का ये विमान हादसे का शिकार हो चुका है. जांच दल ने समंदर में लाकी द्वीप के क़रीब उस जगह भी पहचान कर ली, जहां ये हवाई जहाज हादसे का शिकार हुआ. इसी के साथ समंदर के एक खास इलाक़े में दुर्घटनाग्रस्त विमान के लिए गहन तलाशी अभियान की शुरुआत कर दी गई.
अधिकारियों ने हादसे की बात तो मानी, लेकिन हादसे में हुई मौतों के बारे में पक्के तौर पर भी कुछ भी कहने से मना कर दिया. लेकिन जांच में जिस तरह के संकेत मिले, उन्हें देख कर जानकारों को लगता है कि इस हादसे में शायद ही किसी की ज़िंदगी बची होगी. यानी हवाई जहाज में सवार सभी 50 के 50 मुसाफ़िर और 12 क्रू मेंबर इस हादसे में मारे गए होंगे.
अब तक की खबरों के मुताबिक ये बोइंग 737-500 प्लेन 26 साल पुराना था. हालांकि श्रीविजया एयरलाइंस के सीईओ जेफ़र्सन इरविन जौवेना ने दावा किया प्लेन ठीक स्थिति में था. और हादसे के रोज़ यानी शनिवार को भी एक उड़ान पूरी कर लौटा था. भारी बारिश की वजह से इस बार फ्लाइट करीब 30 मिनट की देरी से उड़ी. श्रीविजया एयरलाइंस की शुरुआत 2003 में हुई थी. इसे इंडोनेशिया के बजट एयरलाइंस के तौर पर जाना जाता है. जिसकी उड़ानें इंडोनेशिया और दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों तक हैं.
जकार्ता से करीब 20 किलोमीटर उत्तर में जहां इस प्लेन का एटीसी से संपर्क टूटा वो जगह, उस ठिकाने से ज़्यादा दूर नहीं है, जहां 2018 के अक्तूबर महीने में प्लेन क्रैश हुआ था. तब इंडोनेशियाई लायन एयर फ्लाइट उड़ान भरने के 12 मिनट बाद समंदर में गिर गई थी और कुल 189 लोगों की मौत हुई थी. आख़िरकार दो दिन बाद यानी सोमवार को ही छानबीन के दौरान इस प्लेन का ब्लैकबॉक्स अधिकारियों के हाथ लग गया. जिससे अब पता लगा सकेगा कि आखिर ये जेट किन हालात में क्रैश हुआ.
अब तक की छानबीन के बाद अधिकारियों का दावा है कि ये प्ले क्रैश होने के साथ जावा के समंदर में सीधे 75 फीट तक गहराई तक चला गया. बाद में जांच दल को समंदर में ही लोगों के सामान, बैग्स, इंसानी जिस्म के टुकड़े जैसी चीज़ें मिलने लगीं. अब सवाल ये है कि आख़िर ये प्लेन कैसे हादसे का शिकार हुआ. कोई इंसानी लापरवाही या गलती, तेज़ बारिश या फिर कोई और तकनीकी ख़राबी करीब 62 लोगों की मौत की वजह बनी? ब्लैक बॉक्स से अभी कई सवालों का जवाब मिलना बाकी हैं.