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इंदौर में बदमाशों को सबक सिखाने के‍ लिए पुलिस ने तोड़े कानून

इंदौर स्थित छतरीपुरा थाना के प्रभारी उमराव सिंह ने कहा, 'ये बदमाश हैं, इनको पकड़ा है. इनका रिपेयर किया गया है.' रिपेयर का मतलब होता है पीट-पीटकर ठीक करना.

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इंदौर में पुलिस का कारनामा
इंदौर में पुलिस का कारनामा

'गुंडागर्दी पाप है...
पुलिस हमारी बाप है...
गुंडागर्दी करने से ऐसा ही होता है...
गुंडा ज़िंदगी भर रोता है...
रात भर नहीं सोता है...
जो हमारी ज़मानत करवाएगा...
वो अपनी ****...'

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बिलकुल यही बोल रहे थे तीन बदमाश. इन बदमाशों के साथ पुलिस थी और इन्हें लेकर पूरे शहर के चक्कर लगावाए गए. लोग देख रहे थे आखिर ये हो क्या रहा है. यह मामला इंदौर का है. यहां कानून के रखवालों ने ही कानून अपने हाथ में लिया.

सोमवार शाम इंदौर की सड़कों पर जिसने भी देखा, बस देखता रह गया. छतरीपुरा थाने की पुलिस अचानक शहर के गंगवार बस स्टैंड पर तीन बदमाशों के साथ नमूदार हुई और फिर उन्हें कुछ इस तरह लेकर शहर के चक्कर काटने निकल पड़ी.

पुलिस ने तीन बदमाशों को दो घंटे तक डेढ़ किलोमीटर और पांच मोहल्लों के चक्कर लगवाए. इस दौरान पुलिसवालों ने इनकी पिटाई भी की. कभी लात, कभी जूते, कभी थप्पड़, कभी धक्के दिए गए. गालियों की तो गिनती ही नहीं.

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पुलिस ने बदमाशों की कुछ यूं पिटाई की
मुल्ज़िम आगे-आगे, वर्दीवाले साथ-साथ और तमाशबीन पीछे-पीछे. हर बढ़ते कदम के साथ पुलिस की गुंडागर्दी जारी रहती है. पुलिस कभी इन मुल्ज़िमों को बीच सड़क पर उठक-बैठक करने को कहती, तो कभी तेज़ कदमों से चलने का फरमान सुनाती और कभी उठक-बैठक करते हुए ही चलने को मजबूर कर देती.

हद ये कि जिस कानून का तमाशा बनाकर ये पुलिसवाले गैरकानूनी ढंग से तीन लोगों का जुलूस निकाला, उनके मुंह से खुद उनके और उनके घर वालों के लिए ही डायलॉग के तौर पर वो-वो गालियां देने को कह रहे थे, जिनके तहत खुद इन पुलिसवालों पर भी केस बनता है.

उमराव सिंह छतरीपुरा थाना प्रभारी हैं. उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'ये बदमाश हैं, इनको पकड़ा है. इनका रिपेयर किया गया है.' उमराव सिंह पर पूरे इलाके में लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने की अहम ज़िम्मेदारी है, लेकिन इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए इन जनाब ने जो तरीक़ा चुना है, वो यकीनन चौंकाने वाला है.

क्या किया था इन बदमाशों ने...
इंदौर पुलिस को इन बदमाशों की गुंडागर्दी और अड़ीबाज़ी यानी जबरन वसूली की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थीं. पुलिस ने इनमें से एक नीलेश परिवार को कई बार ऐसे ही इल्ज़ामों में गिरफ्तार भी किया था, लेकिन नीलेश हर बार ज़मानत पर छूटकर फिर से इसी काम में लग जाता. लेकिन इस बार ज़मानत पर बाहर निकलने के बाद जब नीलेश ने फिर से समाजवादी इंदिरानगर इलाके के कुछ दुकानदारों से वसूली करने की कोशिश की, तो पुलिस ने उसे सबक सिखाने का फ़ैसला कर लिया. पुलिस ने रिपोर्ट मिलते ही नीलेश को उसके दो साथियों को धर-दबोचा और फिर जुलूस निकालने थाने से सीधे बाज़ार ले आई.

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छतरीपुरा थाना इलाके में निकला जुलूस ख़ासकर उन मुहल्लों से गुज़रा, जहां इन बदमाशों के खौफ और आतंक से आम लोगों का जीना मुहाल हो चुका था. और इत्तेफ़ाक से इन्हीं मोहल्लों की एक गली में गिरफ्तार किए गए इन तीन मुल्ज़िमों से एक का घर भी था. और पुलिस ने इस सिलसिले में उस मुल्ज़िम को घरवालों के सामने ज़लील करने में भी कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी.

पहले तो पुलिस तीनों को ज़ंजीरों से बांधकर उसके घर तक लेकर आई और घर के सामने तुकबंदी करते हुए फिर से उठक-बैठक लगाने का हुक्म सुनाया.


पुलिस की मानें तो हर बार की तरह नीलेश इस बार भी बिल्कुल बेख़ौफ़ था और पकड़े जाने के बाद भी वो शराब के नशे में पुलिस को धमका रहा था. लेकिन इस बार नीलेश की इस हरक़त के बदले पुलिस ने जो काम किया, उसके बारे में कोई भी सोच भी नहीं सकता था.

भरे बाज़ार के बीच पुलिस ने ना सिर्फ़ मारपीट कर नीलेश और उसके साथियों का जुलूस निकाला, बल्कि उन्हीं दुकानों के सामने लेकर जाकर शिकायत करने वालों से माफ़ी भी मंगवाई और उठक-बैठक भी करवाए. यहां तक कि जेल जाने के बाद नीलेश और उसके साथी मुकदमा कमज़ोर करने के लिए शिकायत करने वाले को ना डराएं धमकाएं, बीच सड़क पर ही उनसे इसके लिए वायदा ले लिया, लेकिन वो भी अपने ही अंदाज़ में-

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'जोर से बोल... और करोगे?
नहीं करेंगे...
जनता को आराम से शांति से रहने दोगे?
हां, रहने देंगे...
शिकायत लिखवाने वाले और गवाही देने वाले को डराओगे?
नहीं, नहीं डराएंगे...'

लात-घूंसों के साथ बदमाशों का जुलूस निकालने वाली पुलिस ना सिर्फ़ उनके दिलों-दिमाग़ में कानून का खौफ बिठाना चाहती थी, बल्कि उन्हें एक बार जेल भिजवाने के बाद उन्हें लंबे वक्त तक लिए बाहर भी नहीं आने देना चाहती थी, लेकिन इसके लिए भी इंदौर पुलिस ने अनोखा तरीका ढूंढ़ निकाला.

ये बदमाश बोल रहे थे-
'जो हमारी ज़मानत करवाएगा...
वो अपनी ****...'

अंकिता स्थानीय निवासी हैं और उनका कहना है कि जो हुआ अच्छा हुआ. मतलब लोग भी चाहते हैं कि पुलिस बदमाशों से इसी तरह निपटे. पर कानूनन ऐसा करना कतई सही नहीं है.

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