इंद्राणी मुखर्जी शुक्रवार की शाम भायखला महिला जेल से बाहर निकल गईं. वे बेटी शीना बोरा की हत्या के मामले में छह साल से ज्यादा समय से जेल में बंद थीं. सुप्रीम कोर्ट ने मुखर्जी को इस मामले में बुधवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. जेल से बाहर आने के बाद इंद्राणी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं अभी खुले में सांस लेने के लिए आई हूं, क्योंकि मैं पिछले सात सालों से ऐसा नहीं कर पाई हूं.
'न्यायपालिका में मेरा विश्वास बढ़ा'
इंद्राणी ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका में मेरा विश्वास बढ़ा है. न्यायपालिका पर सभी का विश्वास होना चाहिए, यह एक निष्पक्ष व्यवस्था है. उन्होंने कहा, वह एक किताब लिख रही हैं, लेकिन यह जेल के जीवन पर नहीं है. मुखर्जी ने कहा, जब यह छपने के लिए तैयार होगी तो आपको पता चल जाएगा कि यह किस बारे में लिखा गया है. मुखर्जी ने कहा कि मैं बहुत बदल गई हूं. मैं और अधिक धैर्यवान हो गई हूं. मैंने क्षमा करना शुरू कर दिया है. क्षमा हमें मुक्त कर देगी.
'जेल में बहुत कुछ सीखा है'
इंद्राणी मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने जेल में बहुत कुछ सीखा है. उन्हों कहा, जेल में कुछ कट्टर अपराधियों की तरह लग रहे थे, लेकिन उनमें भी कुछ अच्छाई थी. हर बुरे व्यक्ति में कुछ न कुछ अच्छाई जरूर होती है. इंद्राणी ने कहा कि अभी वह अपने वकील सना रईस खान और एडिथ डे के साथ एक कप कॉफी पीने जा रही हैं. शीना के जिंदा होने वाले मसले पर इंद्राणी ने बोलने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर बात नहीं करेगी. यह विचाराधीन है. इस मामले पर बात करने के लिए कुछ भी हो तो उनके वकील बात करेंगे.
इंद्राणी शाम साढ़े पांच बजे जेल से बाहर आई और वहां से एक कार में बैठकर चली गईं. जेल के बाहर इंद्राणी के वकील मौजूद थे. बाहर निकल कर इंद्राणी ने मीडियाकर्मियों को देखा और मुस्कुरा दीं. निचली अदालत ने गुरुवार को इंद्राणी को दो लाख रुपये का अस्थायी नकद बांड भरने को कहा था.
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