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अंबानी को अब फोन पर धमकी... तब एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने से सन्न रह गया था देश!

पिछले साल फरवरी में उस वक्त पूरा देश हैरान रह गया था, जब अंबानी परिवार के आलीशान बहुमंजिला आवास एंटीलिया के करीब विस्फोटक भरी एक संदिग्ध कार बरामद हुई थी. धमकी के हालिया मामले ने एक बार फिर पिछले साल की उस घटना की यादें ताजा कर दी.

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एंटीलिया मामले की साजिश खुद एक पुलिस अफसर ने रची थी
एंटीलिया मामले की साजिश खुद एक पुलिस अफसर ने रची थी

उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को अफजल बनकर धमकी देने वाला शातिर आरोपी विष्णु विभु भौमिक (Vishnu Vibhu Bhowmik) पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है. इस शातिर ने धमकी देने के लिए एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि 9 बार फोन किया था. देश के सबसे बड़े उद्योगपति को धमकी दिए जाने का यह पहला मामला नहीं है. पिछले साल फरवरी में उस वक्त पूरा देश हैरान रह गया था, जब अंबानी परिवार के आलीशान बहुमंजिला आवास एंटीलिया के बाहर विस्फोटक भरी एक संदिग्ध कार बरामद हुई थी और उस कार से एक धमकीभरा खत भी मिला था. अब धमकी के इस हालिया मामले ने एक बार फिर पिछले साल की उस घटना की यादें ताजा कर दी.    

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25 फरवरी 2021, एंटीलिया, मुंबई 
उस दिन भी हमेशा की तरह मुंबई के पेडर रोड स्थित एंटीलिया की सुरक्षा चाक चौबंद थी. क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का वो आलीशान घर 24 घंटे दुनिया के बेहतरीन सुरक्षा गार्ड और आधुनिक सुरक्षा उपकरणों की निगरानी में रहता है. लेकिन गुरुवार को एंटीलिया के सुरक्षाकर्मियों की नजर एक संदिग्ध स्कॉर्पियो कार पर पड़ी. जिसकी सूचना फौरन मुंबई पुलिस के कंट्रोल रूम और स्थानीय थाना पुलिस को दी गई. इसके बाद मुंबई पुलिस की टीम मौके पर जा पहुंची. मुंबई डॉग स्क्वायड और बम निरोधक दस्ते के अलावा एटीएस की टीम को भी बुलाया गया. क्राइम ब्रांच के अधिकारी भी मौके पर आ गए थे. 

संदिग्ध कार में विस्फोटक
कार की जांच के लिए बम निरोधक दस्ते ने शुरुआत की. जांच के दौरान गाड़ी के अंदर से जिलेटिन की कई छड़ें मिलीं और साथ ही एसयूवी के अंदर कुछ नंबर प्लेट्स भी मिली. पुलिस के लिए हैरानी और परेशानी की बात ये थी कि गाड़ी के अंदर मिली कुछ नंबर प्लेट्स कारोबारी मुकेश अंबानी की सुरक्षा में तैनात गाड़ियों की नंबर प्लेट से मैच हो रही थीं. इस बात ने मुंबई पुलिस के होश उड़ा दिए. स्कॉर्पियो की ड्राइविंग सीट की बगल वाली सीट पर आईपीएल की टीम मुंबई इंडियन्स की ब्रांडिंग वाला एक बैग भी था. पुलिस इस साजिश के पीछे आतंकी कनेक्शन पर भी छानबीन करने लगी. डॉग स्क्वायड ने घटनास्थल के आस-पास चप्पा-चप्पा छान मारा. सूबतों और सुरागों की तलाश की जा रही थी.

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पुलिस और सरकार एक्शन में
मामला चूंकि देश के सबसे अमीर कारोबारी से जुड़ा था, लिहाजा महाराष्ट्र पुलिस और सरकार दोनों ही हरकत में आ गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख खुद मीडिया से कहा कि मुंबई में एंटीलिया के पास एक जिलेटिन से भरी कार मिली है. मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच इस पूरे मामले की जांच कर रही है. बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वॉड (बीडीडीएस) ने कार से बरामद विस्फोटक कब्जे में ले लिया. यह ख़बर पूरे देश में आग की तरह फैल चुकी थी. हर कोई जानना चाहता था कि आखिर इतने सुरक्षित स्थान पर इतनी बड़ी साजिश कौन कर सकता है?

विस्फोटक के साथ धमकीभरा खत
संदिग्ध बरामदगी के बाद एंटीलिया के बाहर भारी संख्या में कमांडो तैनात किए जा चुके थे. कार की छानबीन चल रही थी, इसी दौरान उस सुरमई रंग की स्कॉर्पियो कार से महाराष्ट्र नंबर की पांच नंबर प्लेटस्, सफेद रंग की पन्नी में लिपटी ज़िलेटिन की 20 छड़ें और एक धमकीभरा खत बरामद हुआ. जिसे एक बैग में रखा गया था. उस खत में लिखा था 'ये तो सिर्फ ट्रेलर है, नीता भाभी, मुकेश भैया, ये तो सिर्फ एक झलक है. अगली बार सामान पूरा होकर वापस आएगा और इंतजाम पूरा हो गया है.' एंटीलिया के बाहर मिली स्कॉर्पियो में मिला खत इशारा कर रहा था कि ये साज़िश बड़ी है. जिसने भी ये साज़िश रची थी, उसने बिना डेटोनेटर के जिलेटिन की 20 छड़ें कार में रखी थीं, क्योंकि वो यहां धमाका नहीं धमकाना चाहता था.

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पुलिस के सामने थे कई सवाल
धमकीभरा खत मिलने के बाद पुलिस के सामने कई सवाल थे. मसलन क्या देश के सबसे बड़े कारोबारी के खिलाफ कोई बड़ी साजिश रच रहा था? क्या वाकई कोई अंबानी या उनके परिवार के सदस्यों और उनके घर तक पहुंचना चाहता था? और अगर नहीं तो ये कोशिश किसकी थी? बिना डेटोनेटर के विस्फोटक रखने के पीछे क्या मकसद था? क्या इस साजिश में किसी विदेशी ताकत के शामिल होने की गुंजाइश थी? कहीं ऐसा तो नहीं कि जिन लोगों ने वो गाड़ी एंटीलिया के बाहर खड़ी की थी. वो सिर्फ मोहरा हों? सीसीटीवी फुटेज में दिखने वाला शख्स कौन था? दूसरी इनोवा कार का इस केस से क्या कनेक्शन था? ये तमाम सवाल जांच अधिकारियों के सामने थे. जिनका जवाब ढूंढना ज़रूरी था.

चोरी की थी स्कॉर्पियो कार
इस मामले में पहला सुराग तो वो कार ही खुद थी, जिसमें विस्फोटक मिला था. मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जब संदिग्ध स्कॉर्पियो की पड़ताल शुरू करते हुए चेचिस नंबर चेक किया तो देखा कि उसे खुरच दिया गया था ताकि गाड़ी के मालिक का पता ना चल सके. लेकिन पुलिस ने दूसरे तरीकों से कार की डिटेल निकाल ली और कार मालिक तक जा पहुंची. तब पुलिस को पता चला कि वो संदिग्ध कार तो असल में चोरी की थी. जिसे 17 फरवरी 2021 को मुंबई के नज़दीक विक्रोली से चोरी किया गया था. 

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कार मालिक ने पुलिस को बताया कि 17 फरवरी की रात आठ बजे वो ठाणे से मुंबई आ रहा था. तभी विक्रोली में कार खराब होने की वजह से वो इसे सड़क किनारे ही छोड़कर चला गया था. लेकिन अगले रोज जब वो वहां पहुंचा तो कार वहां नहीं थी. इसके बाग उसने थाने में रिपोर्ट भी लिखाई थी. तो अब सवाल ये कि इस मामले के आरोपियों तक पहुंचने का दूसरी तरीका क्या हो सकता है. तो वो दूसरा तरीका है घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे. 

सीसीटीवी फुटेज में दिखा था संदिग्ध
पुलिस और जांच टीम ने एंटीलिया और उसके आस-पास लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो पता चला कि वो संदिग्ध कार बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी रात करीब 1 बजे एंटीलिया से करीब पांच सौ मीटर दूर एक स्कॉर्पियो आकर रुकती है. उसके पीछे सफेद रंग की एक इनोवा कार भी है. करीब सत्रह सेकेंड तक दोनों गाड़ी अपनी जगह खड़ी रहती हैं और फिर स्कॉर्पियों की हेड लाइट बंद कर दी जाती. इसके ठीक ग्यारह सेकेंड के बाद इनोवा कार अपनी जगह से रेंगना शुरु करती है. जबकि स्कॉर्पियो अपनी जगह पर ही खड़ी रहती है. इनोवा स्क़ॉर्पियो के नज़दीक आती है. और तब स्क़ॉर्पियो में बैठा शख्स इनोवा कार में बैठकर निकल जाता है. सीसीटीवी कैमरे से बचने के लिए ड्राइवर कार के दूसरे साइड से उतरता है. स्कॉर्पियो और इनोवा में बैठे शख्स ने मास्क लगा रखा था, जिससे उसकी पहचान मुश्किल हो रही थी.

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जांच एनआईए के हवाले
उधर, एक इस मामले में एक कथित संगठन ने विस्फोटक भरी कार एंटीलिया के पास खड़ी करने का दावा भी किया था. लेकिन जांच में उस दावे की हवा निकल गई. ना तो कोई वैसा संगठन था और ना ही दावा करने वालों का इस मामले से कुछ सरोकार था. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) से जांच करवाने की मांग की थी. पहले महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि मुंबई पुलिस इस तरह की जांच के लिए बिल्कुल मुफीद है, लेकिन बाद में जांच एनआईए के हवाले कर दी गई.

कार मालिक की संदिग्ध मौत
5 मार्च 2021 को एंटीलिया के बाहर मिली संदिग्ध स्कॉर्पियो कार के मालिक मनसुख हिरेन की लाश ठाणे के पास मुंब्रा क्रीक में मिली. कार मालिक की संदिग्ध मौत ने इस पूरे मामले को और उलझा दिया. मनसुख के परिवार ने उनकी हत्या का आरोप लगाया. मामले को बढ़ता देख महाराष्ट्र सरकार ने फौरन मनसुख की मौत के मामले की जांच एटीएस से कराने का ऐलान कर दिया. अब सवाल ये था कि धमकीभरे खत और मनसुख हिरेन की मौत के बीच क्या कोई कनेक्शन है? एनआईए और एटीएस दोनों ही इस बिंदु पर काम कर रहे थे. मनसुख हिरेन उसी दिन से लापता थे, जब से उनकी कार चोरी का मामला सामने आया था और उन्होंने पुलिस को कार चोरी की बात बताई थी.

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मनसुख की लाश पर चोट के निशान
मनसुख की पत्नी विमला की शिकायत पर एटीएस ने धारा 302 यानी क़त्ल, 201 यानी सबूतों के साथ छेड़छाड़, धारा 34 यानी एक ही मकसद के लिए कई लोगों की साज़िश और 120बी के तहत मामला दर्ज किया था. शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनसुख के चेहरे और पीठ पर चोट के भी निशान मिले थे. वैसे पुलिस केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट का इंतज़ार था, ताकि पता चले कि मनसुख को मुंब्रा क्रीक में मार कर फेंका गया या फिर डूबने से उनकी मौत हुई थी. मनसुख के फ़ोन का आखिरी लोकेशन वसई में पाया गया. कमाल ये है कि मनसुख का फ़ोन पांच मार्च को करीब साढ़े दस बजे बंद हो गया था. जिस जगह ये मोबाइल स्विच्ड ऑफ़ हुआ वो मीरा रोड के आस-पास का इलाक़ा था. जबकि करीब दो घंटे बाद उनके फ़ोन का लोकेशन आखिरी बार वसई दिखा रहा था. यानी साढ़े बारह के आस-पास ये मोबाइल फिर से ऑन हुआ था. अब ये फोन खुद मनसुख ने ऑन किया था या किसी और ने, ये भी राज था.

कत्ल के पीछे सोची समझी साजिश
मनसुख के परिवार ने पुलिस को बयान दर्ज कराते हुए बताया था कि पांच मार्च की रात करीब आठ बजे मनसुख के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. तब मनसुख का बेटा मीत दुकान पर था. मनसुख ने जाने से पहले अपने बेटे और बीवी को ये बताया था कि क्राइम ब्रांच से किसी तावड़े साहब नाम के पुलिस अफसर का फोन आया है और उन्होंने कार के मामले में जांच के लिए अभी पुलिस स्टेशन बुलाया है. इसके बाद वो सवा आठ बजे घर से ऑटो में निकल थे और फिर कभी लौट कर नहीं आए. एक चीज़ साफ थी, अगर मनसुख का कत्ल हुआ था, तो फिर इस कत्ल के तार सीधे एंटीलिया के बाहर खड़ी उस स्कॉर्पियो कार से जुड़ रहे थे. अगर मनसुख का कातिल हाथ आ जाता, तो एंटीलिया की साज़िश पूरी तरह बेनकाब हो जाती. इस केस में एनआईए ने यही किया भी.

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एनआईए ने खोले सारे राज़
दरअसल, इस हाई प्रोफाइल मामले में क्राइम ब्रांच को वो अफसर जो 25 फरवरी को सबसे पहले एंटीलिया पहुंचा था. वो था एपीआई सचिन वाज़े, जो खुद क्राइम ब्रांच की सीआईयू का इंचार्ज था. एनआईए की पूरी जांच उसके ईर्दगिर्द जाकर रुक गई थी. जब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ तो पूरा पुलिस महकमा सन्न रह गया. विस्फोटकभरी कार से लेकर मनसुख हिरेन की हत्या तक सारी साजिश का सूत्रधार वही पुलिस अफसर था. उसने ये सारी साजिश एक खास मकसद से रची थी. एनआईए की टीम पहले लगातार उससे पूछताछ करती रही. फिर जैसे-जैसे ये पूछताछ आगे बढ़ी, सचिन वाजे बेनकाब होता गया. आखिरकार एनआईए ने लंबी पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद सारे राज बाहर आते गए.

पुलिसवाले ने रची थी पूरी साजिश
एंटीलिया के बाहर पूरी साजिश सचिन वाज़े ने सिर्फ और सिर्फ पब्लिसिटी पाने और ये साबित करने के लिए रची कि वो अब भी एक बेहतरीन पुलिस अफसर है और आतंक से जुड़ी साजिश की जांच वो बखूबी कर सकता है. एनआईए  के मुताबिक सचिन वाज़े से अब तक की पूछताछ और जांच के बाद ये बात सामने आई है कि इस साज़िश में सचिन वाज़े के बेहद करीबी कुछ पुलिस अफसर शामिल थे. एनआईए के मुताबिक 24 और 25 फरवरी 2021 की दरम्यानी रात सचिन वाज़े खुद स्कॉर्पियो चला रहा था. स्कॉर्पियो के पीछे भी एक इनोवा चल रही थी. वो इनोवा मुंबई पुलिस की ही थी. एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियो पार्क करने के बाद सचिन वाज़े स्कॉर्पियो से उतर कर इनोवा में बैठ गया था. इसके बाद वे वहां से निकल गए थे. 

कुर्ता, इनोवा और ड्राइवर
एनआईए सूत्रों के मुताबिक सीसीटीवी फुटेज में पीपीई सूट जैसा पहने जो शख्स दिख रहा था. वो कोई और नहीं सचिन वाज़े ही था. उसने पीपीई किट नहीं बल्कि ओवर साइज़ कुर्ता पहना था और मुंह पर रूमाल बांधा था. साज़िश को अंजाम देने के लिए सचिन वाज़े ने दो बड़े कुर्ते खरीदे थे. सचिन वाजे स्कॉर्पियो से उतर कर जिस इनोवा में बैठा था, उस इनोवा का ड्राइवर भी पुलिसवाला था, जो पकड़ा गया. वो इनोवा मुंबई पुलिस ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के नागपाड़ा के रिपेयर डिपो में खड़ी थी. 

वाजे ने ही मनसुख से मांगी थी स्कॉर्पियो कार
सचिन वाजे ने वारदात से करीब हफ्तेभर पहले मनसुख से उसकी स्कॉर्पियो कार मांगी थी. 17 फरवरी को स्कॉर्पियो कब्जे में लेने के बाद सचिन वाज़े ने ही मनसुख हिरेन को अगले दिन यानी 18 फरवरी को विक्रोली थाने में स्कॉर्पियो चोरी की रिपोर्ट लिखाने को कहा था. एनआईए सूत्रों के मुताबिक मनसुख हिरेन ने जिस ईस्टर्न एक्सप्रेस हाई वे पर स्कॉर्पियो के खराब होने और चोरी होने की बात कही थी, वो असली लोकेशन नहीं है. ये गाड़ी कहीं और दी गई थी.

सचिन वाजे को ही मिली थी एंटीलिया केस की जांच
सूत्रों के मुताबिक चूंकि सचिन वाज़े क्राइम ब्रांच सीआईयू यूनिट में तैनात था, लिहाज़ा उसे पक्का यकीन था कि एंटीलिया के बाहर ऐसी कोई संदिग्ध कार मिलती है, तो ऐसे हाई प्रोफाइल केस की जांच उसे ही मिलेगी. शायद ये भरोसा उसे पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के साथ नज़दीकी को लेकर भी था. यही वजह है कि 25 फरवरी को जब एंटीलिया के बाहर संदिग्ध कार मिलने की ख़बर फैली, तो एटीएस की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी. एटीएस के एक डीसीपी भी मौके पर आ गए थे. तब सचिन वाज़े पहले ही मौके पर मौजूद था. उसने एटीएस के उस डीसीपी से पूछा कि आप या आपकी टीम यहां क्या कर रही है, ये मामला हमारी टीम संभाल लेगी. 

जांच में गलतियां करता रहा सचिन वाजे
इस पर एटीएस के डीसीपी ने जब सचिन वाज़े से पूछा कि आप कौन हैं. दरअसल, एटीएस के वो डीसीपी हाल ही में डेपुटेशन पर मुंबई पुलिस में आए थे, सचिन वाज़े सादे कपड़ों में था, लिहाज़ा वो उन्हें पहचान भी नहीं पाए, इस पर सचिन वाज़े ने डीसीपी को पलट कर जवाब दिया कि मेरा नाम सचिन वाज़े है. फिर सुबह होते-होते एंटीलिया केस की जांच सचमुच सचिन वाज़े के ही हाथ में आ गई और वही इस केस के जांच अधिकारी के तौर पर तैनात किया गया. अब तक सारी साज़िश वाजे की प्लानिंग के तहत ही चल रही थी. उसे यकीन था कि इस केस को सुलझा कर वो लाइम लाइट में आ जाएगा. लेकिन सचिन वाज़े से कुछ गलतियां हो गईं और इन गलतियों की वजह से केस की जांच सीधे एनआईए के हाथों में चली गई. 

एनआईए ने खोला वाजे की साजिश का हर राज
सचिन वाज़े को ज़रा भी यकीन नहीं था कि मामला यूं हाथ से निकलेगा. एनआईए को जांच सौंपे जाने के फौरन बाद सचिन वाज़े सबूत मिटाने के काम में जुट गया था. इसी के बाद बाद वो गलतियां करता चला गया. और एनआईए के जाल में फंस गया. मनसुख हिरेन का कत्ल भी उसी ने किया था, यह बात भी एनआईए ने बेपर्दा कर दी थी. इसके बाद एनआईए ने इस साज़िश में शामिल सचिन वाज़े के बाक़ी मददगारों को भी पकड़ लिया. जिसमें क्राइम ब्रांच से ही जुड़े पांच पुलिसवाले भी शामिल हैं. गिरफ्तारी के बाद एपीआई सचिन वाजे को महाराष्ट्र पुलिस ने बर्खास्त कर दिया था. इसी मामले की शुरुआती जांच के बाद ही मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को भी हटा दिया गया था. उनकी जगह 1987 बैच के आईपीएस अफसर हेमंत नागराले को मुंबई पुलिस का नया कमिश्नर बनाया गया था.

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