आईपीएल में फिक्सिंग की फांस में फंसे खिलाड़ियों के बारे में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. अय्याशी और ग्लैमर के चमक दमक में डूबा श्रीसंत ये भूल गया कि मुजरिम कितना भी शातिर क्यों ना हो वो अपने गुनाह के निशान कहीं ना कहीं जरूर छोड़ देता है.
और जब कानून के मुहाफिज श्रीसंत को गिरफ्तार कर रहे थे तब वो उनको अपने रसूख और पहुंच की धमकी दे रहा था. श्रीसंत ने गिरफ्तारी से पहले पुलिस टीम को मुख्यमंत्री के करीबी होने का रौब भी झाड़ने की कोशिश की थी.
ये आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सबसे बड़ा खुलासा है. सूत्रों के मुताबिक मुंबी के कार्टर रोड़ पर जब पुलिस टीम ने श्रीसंत की कार को रोक कर जब उसे हिरासत में लिया था, तब श्रीसंत ने कार से उतरने से मना कर दिया था. लेकिन जब पुलिस टीम ने उसे कार से बाहर निकाला तो वो उनसे बहस करने लगा था. श्रीसंत ने पुलिस टीम की अगुआई कर रहे पुलिस अफसर को अपना मोबाइल देकर कहा था कि तुम लोग महाराष्ट्र और केरल के चीफ मिनिस्टर से बात कर सकते हो और तुम मुझे ऐसे गिरफ्तार नहीं कर सकते.
सूत्रों के मुताबिक श्रीसंत को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को ये हिदायत दी गई थी कि उसे गिरफ्तार करते वक्त उसे ये नहीं बताया जाएगा कि पुलिस उसे क्यों हिरासत में ले रही है. जिस वक्त पुलिस टीम ने श्रीसंत को गिरफ्तार किया था ठीक उसी वक्त पुलिस की कई दूसरी टीमें मुंबई की कई और जगहों पर स्पॉट फिक्सिंग में शामिल 10 और लोगों को पकड़ने में लगी थीं. इन सभी लोगों को पकड़ कर मैरीन ड्राइव लाना था.
और मैरीन ड्राइव आने के बाद जब उसे पता चला कि पुलिस ने उसे क्यों गिरफ्तार किया है तो उसके होश उड़ गए. उसकी चेहरे की रंगत बदल चुकी थी. और जब उसने अजीत चंदीला, अंकित चौहान और जीजू जनार्दन को अपने सामने देखा तो उसके होश उड़ गए. पुलिस सूत्रों के मुताबिक उस वक्त सभी बेहद घबराए हुए थे.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मोहाली में राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच होने वाले मैच में स्पॉट फिक्सिंग करने के लिए सट्टोरियों ने श्रीसंत को जीजू जनार्दन के मार्फत दस लाख रुपए दिए थे और पूछताछ के दौरान जीजू ये बात कबूल चुका है.
दरअसल पैसा मिलने के बाद श्रीशांत ने महंगे मोबाइल खरीदे थे और इस रकम का एक बड़ा हिस्सा लड़कियों और अपनी अय्याशियों पर उड़ाया था. और शायद यही वजह थी कि जब पुलिस ने श्रीशांत को जीजू और सट्टेबाज़ अमित सिंह के सामने बिठा कर पूछताछ की तो वो पुलिस टीम के चुभते सवालों के जवाब नहीं दे पाया.
पुलिस सूत्रों की मानें तो श्रीसंत पहले ही पूछताछ में अपनी ग़लती कबूल चुका है. हालांकि इसके लिए उसने जीजू पर उसे लालच देकर फंसाने का आरोप लगाया है. लेकिन पुलिस का कहना है कि उसके पास श्रीशांत पर स्पॉट फिक्सिंग के आरोप साबित करने के लिए काफी पुक्ता सबूत मौजूद हैं.
क्या कोई ढाई लाख में 2 जींस खरीद सकता है. सोचकर हैरानी होती है लेकिन स्पॉट फिक्सिंग में फंसे क्रिकेटर अजीत चंदीला ने इतनी ही महंगी जींस की खरीदारी की थी. इतना ही नहीं एक लाख की घड़ी भी उसने स्पॉट फिक्सिंग के ही पैसे से खरीदी थी. दरअसल अय्याशी ने उसके शौक को और भी महंगा बना दिया था.
हजारों-लाखों के महंगे तोहफे, बेहिसाब पैसा, खिलाड़ियों को फंसाने के लिए हसीनाओं का जाल और स्पॉट फिक्सिंग का वादा पूरा नहीं करने पर खिलाड़ियों को अंडरवर्ल्ड और बुकीज की धमकी. आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में हर दिन चौकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं.
अजीत चंदीला, राजस्थान रॉयल्स का एक ऐसा खिलाड़ी जिसपर फिक्सिंग का फंदा बड़ी तेजी से कसता जा रहा है. ताजा जानकारी में खुलासा हुआ है कि जीत चंदीला ने एक मौके पर मुंबई से ढाई लाख में अपने लिए 2 जींस खरीदी थी. इसके अलावा उसने एक लाख की कीमत की विदेशी कंपनी की एक घड़ी भी खरीदी थी और इन तमाम खरीदारी का पेमेंट किया था क्रिकेटर से सट्टेबाज बने अमित सिंह ने.
रविवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अफसरों ने फिक्सिंग की फांस में फंसे अजीत चंदीला सहित तीनों खिलाड़ियों से घंटो पूछताछ की और फिर से नए और चौकाने वाली जानकारी सामने आई है. पुलिस सूत्रों की माने तो कभी कभार जब आरोपी खिलाड़ी मैच के दौरान सट्टेबाजों को सिग्नल देना भूल जाते थे तो बाद में उन्हें अंडरवर्ल्ड की धमकी भी मिलती थी. 5 मई को ऐसे ही एक मैच में अजीत चंदीला अपनी टी शर्ट उठा कर सिग्नल देना भूल गया था जिसके बाद अंडरवर्ल्ड की ओर से उसे जबरदस्त फटकार मिली थी. मैच से पहले ही चंदीला को स्पॉट फिक्सिंग के लिए 20 लाख रुपए मिल चुके थे लेकिन वादा पूरा न करने पर सट्टेबाजों ने उससे 20 लाख रुपए धमकी देकर वापस ले लिए.
चंदीला से जानकारी में ये बात भी सामने आई है कि सट्टेबाज और खिलाड़ी कई बार एक ही फ्लाइट में सफर करते थे और एक ही होटल में रुकते भी थे. सूत्र ये भी बता रहे हैं कि दाऊद इब्राहीम की डी कंपनी इस पूरे गैरकानूनी क्रिकेट सट्टा बाजार पर कब्जा जमाए हुए हैं और कोशिश में है कि आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के दलदल में नए खिलाड़ियों को धकेला जाए.
अभी तक का जानकारी में ये हकीकत सामने आ चुकी है कि अजीत चंदीला स्पॉट फिक्सिंग का माहिर खिलाड़ी था, जिसके तार अंडरवर्ल्ड से जुड़े थे
आईपीएल में फिक्सिंग मामले में अगर रोज़ नए नए खुलासे हो रहे हैं तो हर रोज किसी ना किसी शख्स की गिरफ्तारी भी हो रही है, पुलिस ने इस बीच तीन और सटोरियों को गिरफ्तार किया है और इसके साथ ये भी खुलासा हुआ है कि डी कंपनी आईपीएल के कुछ और खिलाड़ियों को डरा-धमका कर स्पॉट फिक्सिंग के मायाजाल में उलझाना चाहता था.
दिल्ली पुलिस ने स्पॉट फिक्सिंग में शामिल लोगों को पकडने के लिए कुछ और जगह भी छापे मारे है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद से तीन और सटोरियों को गिरफ्तार किया गया है . तीनों ही नागपुर के रहने वाले हैं.
इनमें से 44 साल का सुनील भाटिया बुकी और खिलाड़ियों के बीच की कड़ी था. 42 साल का किरण डोले बुकी भी था और फिक्सर भी. जबकि 32 साल का मनीष गुडेवा, अजित चंदीला का साथी था, 2004 तक वो फरीदाबाद में रहा, और चंदीला के साथ ही प्रैक्टिस किया करता था. 2003 से 2005 के बीच वो विदर्भ के लिए रणजी मैच भी खेल चुका है.
दिल्ली पुलिस की जांच में एक और अहम खुलासा हुआ है. फिक्सिंग के इस खेल को चला रहे डी कंपनी के गैंगस्टर, और टीमों के नए खिलाड़ियों को भी फिक्सिंग की फांस में घसीटना चाहते थे.
गैंगस्टर और बुकीज के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग से ये भी पता चला है कि डी कंपनी ने बुकीज को नए खिलाड़ियों को दाऊद के नाम पर धमकी देने को भी कहा था . जो खिलाड़ी पैसों पर फिक्सिंग के लिए नहीं मान रहे थे उन्हें धमका कर इसमें शामिल करने की कोशिश कर रहे थे.
दरअसल स्पॉट फिक्सिंग में शामिल खिलाड़ियों और बुकीज़ पर अपना शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने 5, 9 और 15 मई को हुए मैचों की रॉ टीवी फुटेज भी मंगवाई है. इसके अलावा इन मैचों के दौरान ब्रेक टाइम और खिलाड़ियों के ड्रेसिंग रुम की भी फुटेज मंगवाई जा रही है. ताकि उसे देखने के बाद श्रीशांत, अजीत चंदेला और अंकित चव्हाण की हर मूवमेंट की जानकारी उसे मिल सके. इसके साथ ही पुलिस ने फिक्सिंग को कोर्ट में साबित करने के लिए खिलाड़ियों और बुकीज़ के वॉयस सैंपल भी लिए गए हैं. इसके ज़रिए पुलिस ये साबित करना चाहती है कि बुकीज और खिलाड़ियों के बीच हुई बातचीत की जो रिकॉर्डिंग उसके पास है वो इन्हीं खिलाड़ियों की आवाज़ें हैं.
पूछताछ में बुकीज़ ने यहां तक माना है कि वो खिलाड़ियों के संपर्क में रहने के लिए उसी विमान से यात्रा किया करते थे जिसमें खिलाड़ी होते थे. इतना ही नहीं वो ठहरते भी उसी होटल में थे जहां खिलाड़ी रहते थे. यानी क्रिकेट के इस खेल में सटोरियों ने ऐसी जाल फैलायी थी कि फिक्सिंग के इस खेल में फंसे खिलाड़ी उनकी नजरों से बच न पाएं.
आखिर क्रिकेट में फिक्सिंग के लिए बुकी लड़कियों का इस्तेमाल क्यों करते हैं? दरअसल बेटिंग सिंडिकेट सबसे पहले ऐसे खिलाड़ियों को चुनता है जिनके बारे में उसे पता है कि वो बिक सकता है. इसके बाद पार्टी के नाम पर चुपचाप लड़कियों को उनके करीब भेज दिया जाता है. अब एक बार खिलाड़ी लड़कियों के झांसे में आया नहीं कि फिर वो गया काम से.
4 मिनट में 6 गेंद और 60 लाख. सिर्फ एक ओवर में किस्मत बदल लो. कमाई की ऐसी तेज रफ्तार भी अगर खिलाड़ियों को लुभा न पाए तो.. दूसरे हथकंडे भी थे सट्टोरियों के पास- लड़कियों की पेशकश .
तरीका बेहद शातिराना था. सट्टोरिये लड़कियों को क्रिकेटरों की पार्टियों में भेजा करते थे. ये लड़कियां खिलाड़ियों से दोस्ती बनाने की कोशिश करतीं. कामयाब होने पर लड़कियों के जरिए सट्टोरिये खिलाड़ियों तक पहुंच बनाते. लड़कियां भेजने का फायदा ये होता कि खिलाड़ी सट्टोरियों के साथ खुल जाते. फिर न तो फिक्सिंग की पेशकश मुश्किल होती और ना ही इसके लिए उन्हें राजी करने का.
दिल्ली पुलिस का दावा है कि भारत से लड़कियों की सप्लाई का जिम्मा देश के अंदर बैठे बुकी का होता था, जबकि विदेशी लड़कियां दुबई के बुकी सप्लाई किया करते थे.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक डील होने के बाद अमूमन लड़कियों को टीम होटल से अलग दूसरे होटलों में ठहराया जाता था. मगर कई बार ऐसा भी हुआ जब लड़कियां उसी होटल में भेजी गईं जहां खिलाड़ी ठहरे थे. 15 मई को मुंबई में राजस्थान रॉयल्स की टीम होटल इंटरकॉंटिनेंटल में ठहरी थी. लेकिन श्रीसंत और चंदेला दोनों सुबह पांच बजे तक होटल से बाहर थे. लड़कियों के साथ. जाहिर है दोनों के लिए बुकी ने अलग जगह इंतजाम किए थे.
स्पॉट फिक्सिंग को लेकर चेन्नई में बीसीसीआई ने बैठक की. लेकिन मीटिंग का जो सच निकलकर बाहर आया. वो यही कह रहा है कि बीसीसीआई लाचार है, मजबूर है, सुस्त है और कलंकित खिलाड़ियों के खिलाफ फैसले लेने में नाकाबिल है.
हर ओर हाय हाय होने के बाद लगा कि बीसीसीआई अपनी ओर से आईपीएल क्रिकेट पर लगे कलंक के दाग को धुंधला करने के लिए कारगर कदम उठाएगी. वही बीसीसीआई जो भारत में क्रिकेट को कंट्रोल करती है. वही बीसीसीआई जो दुनिया की सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है लेकिन बीसीसीआई की चेन्नई की मीटिंग के बाद ये साबित हो गया कि बीसीसीआई लाचार है, बीसीसीआई कमजोर है, बीसीसीआई मजबूर है, बीसीसीआई सुस्त है या यूं कहें कि बीसीसीआई नाकाबिल है.
बोर्ड मीटिंग के बाद बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने साफ कह दिया कि उनके हाथ बंधे हैं और वो स्पॉट फिक्सिंग या मैच फिक्सिंग की कालिख को पोछने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते.
बेचारगी और लापरवाही की बात यहीं खत्म नहीं होती. मीटिंग में आरोपी खिलाड़ियों और सट्टेबाजों के खिलाफ किसी ठोस कार्रवाई की बात भी सामने नहीं आई. अलबत्ता बीसीसीआई ने कहा कि महज 3 खिलाड़ियों से आईपीएल बदनाम नहीं हो सकता है. सट्टेबाजों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है. हमारे पास पुलिस जैसे अधिकार नहीं हैं. हम दिल्ली पुलिस को हर संभव मदद करेंगे. हम पुलिस की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. आईपीएल फ्रेंचाइजी ही आरोपी खिलाड़ियों के खिलाफ कदम उठा सकती है. बीसीसीआई एक निजी संस्था है जिसपर आरटीआई लागू नहीं होता है और न ही आरटीआई से फिक्सिंग रुकने वाली है. हमारी आंतरिक जांच भी जारी है.
बीसीसीआई स्पॉट फिक्सिंग के मामले को खिलाड़ियों के निजी लालच और आचरण के नाम पर थोपकर अपना पल्ला कतई नहीं झाड़ सकती है. आईपीएल बीसीसीआई की सोच है. उसकी खोज है और उसी के नियंत्रण में होता है. लिहाजा उसे पाक साफ रखना भी बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया का ही काम है. क्या बीसीसीआई आईपीएल में फल फूल रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए पुलिस का मुंह ही निहारती रहेगी. क्या बीसीसीआई हर अपनी लाचारी का रोना ही रोते रहेगी. क्यों नहीं बीसीसीआई ने चेन्नई की अपनी मीटिंग में आरोपी खिलाड़ियों के खिलाफ किसी ठोस कार्रवाई की बात कही.
और तो और चेन्नई में बोर्ड की बैठक शुरू हुई लेकिन मीटिंग से आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला और बीसीसीआई के उपाध्यक्ष अरुण जेटली ही गायब थे. क्या फिक्सिंग जैसे गंभीर मसले को देखते हुए उन्हें खुद चेन्नई में मौजूद नहीं होना चाहिए था. आखिर क्यों बीसीसीआई ने बैठक के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की.