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सुलेमानी की मौत का बदलाः ऐसा था ईरान का पलटवार, इराक में लगाया निशाना

अमेरिकी सैनिक अड्डों पर ये हमला मेजर सुलेमानी की मौत के बदले के तौर पर देखा जा रहा है. ईरान के इस पलटवार के बाद अब दुनिया की निगाहें इस बात पर हैं कि आगे क्या होगा?

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अमेरिका और ईरान के बीच काफी समय से तनाव के हालात है
अमेरिका और ईरान के बीच काफी समय से तनाव के हालात है

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  • ईरान ने लिया मेजर जनरल सुलेमानी की मौत का बदला
  • अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला
  • हमले के बाद दी चेतावनी

मेजर जनरल सुलेमानी की मौत के बाद सबसे पहले ईरानी संसद ने अमेरिकी सेना को आतंकवादी और पेंटागन को आतंकवादी संगठन घोषित करार दिया. ये ईरान के पलटवार का पहला चरण था. इसके बाद दूसरे चरण के तहत 8 जनवरी की आधी रात को ईरानी सेना ने इराक में मौजूद अमेरिका के दो सैनिक अड्डों पर बमबारी कर दी. अमेरिकी सैनिक अड्डों पर ये हमला मेजर सुलेमानी की मौत के बदले के तौर पर देखा जा रहा है. ईरान के इस पलटवार के बाद अब दुनिया की निगाहें इस बात पर हैं कि आगे क्या होगा?

सुलेमानी की मौत का बदला

मध्य-पूर्व के देशों के साथ-साथ पूरी दुनिया दम साधे पिछले चार दिनों से इस बात का इंतजार कर रही थी कि अपने मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ईरान क्या करने वाला है. और इसका जवाब आठ जनवरी की देर रात ईरान ने आखिरकार दे दिया. इराक में मौजूद दो अमेरिकी सैनिक बेस पर हमला कर. ये वादा था ईरान का अमेरिका से, दुनिया से, ईरानी अवाम से और खुद अमेरिकी हमले में मारे गए जनरल कासिम सुलेमानी की बेटी ज़ैनब से जो खुद ईरानी राष्ट्रपति ने किया था.

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8 जनवरी 2020, देर रात 1.20 बजे, ईरान

करमैन में जनरल कासिम सुलेमानी के दफ्नाए जाने से बस कुछ देर पहले ईरान के सरहदी इलाके में हलचल तेज हो चुकी थी. ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स खास मिशन पर थी. बस तय वक्त का इंतजार था. वक्त ठीक वही चुना गया था जिस वक्त 3 जनवरी को अमेरिका ने ड्रोन अटैक में ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी, डिप्टी कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस और उनके साथियों पर मिसाइल दागी थीं. ईरान ठीक उसी वक्त मेजर सुलेमानी का बदला लेना चाहता था और तय वक्त आते ही 8 जनवरी की रात 1.20 मिनट पर मिसाइल दाग दी जाती है. इसके बाद अगले 55 मिनट तक मिसाइलों के दागे जाने का सिलसिला जारी रहता है.

अल-असद अमेरिकी एयरबेस, अल अनबरा प्रांत, इराक

ईरान से दागी गईं 17 मिसाइल का पहला निशाना इराकी शहर अल असद में अमेरिकी एयरबेस था. इस अमेरिकी एयरबेस को बनाने में लाखों डॉलर का खर्च आया था. यहां अमेरिकी एयरक्राफ्ट के अलावा गठबंधन, इराकी सेना और अमेरिकी सैनिकों की अच्छी खासी तादाद है. हालांकि इस अमेरिकी बेस पर कितनी ईरानी मिसाइलें सही निशाने पर गिरीं और उससे कितना जानी-मालीनुकसान हुआ अमेरिका अभी उसका हिसाब-किताब कर रहा है.

8 जनवरी 2020, इरबिल अमेरिकी एयरबेस, कुर्दिस्तान रीजन, इराक

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हमले के लिए ईरान ने दो टारगेट रखे थे. पहला टारगेट पूरा हो चुका था. अब बारी दूसरे टारगेट की थी और ये दूसरा टारगेट था एक और इराकी शहर इरबिल में मौजूद एक दूसरा अमेरिकी एयर बेस. यहां भी अमेरिकी एयरक्राफ्ट और ड्रोन के अलावा काफी तादाद में अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. ईरानी मीडिया के मुताबिक इस अमेरिकी बेस पर 5 मिसाइलें दागी गईं.

साल 2003 में इराक पर चढ़ाई करने के बाद से ही अमेरिकी सेना ने इराक में अपना मिलिट्री बेस बना रखा है. 2014 में जब से इस इराक में आईएस के आतंकियों का दबदबा बढ़ा तब से यहां अमेरिकी सेना की सक्रियता और बढ़ गई थी. 2 और 3 की दरमियानी रात को अमेरिका के जिस ड्रोन ने ईरानी कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को निशाना बनाया था. उसने भी इन्हीं अमेरिकी एयरबेस से उड़ान भरी थी.

8 जनवरी 2020, देर रात 3.45 बजे, पेंटागन, अमेरिका

ईरानी हमला ख़त्म होने के करीब डेढ घंटे बाद अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की तरफ से इन हमलों की पुष्टि की गई. पेंटागन ने माना कि ईरान की तरफ से उसके दो मिलिट्री एयर बेस पर दर्जनों की तादाद में मिसाइलें दागी गईं हैं. हालांकि पेंटागन ने इन हमलों में जान-माल के नुकसान का कोई ब्योरा नहीं दिया.

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8 जनवरी 2020, तड़के सुबह 4.30 बजे, वॉशिंगटन

भारतीय समय के मुताबिक सुबह साढ़े 4 बजे उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने कांग्रेस यानी वहां की संसद को इस हमले के बारे में इत्तेला दी. उन्होंने बताया कि इन हमलों के बाद के हालात पर सरकार नज़र बनाए हुए है.

8 जनवरी 2020, सुबह 8.15 बजे, अमेरिका

अमेरिकी बेस पर ये ईरानी हमला अमेरिकी वक्त के मुताबिक रात करीब 9 बजे के आसपास हुआ. लिहाज़ा इसके जवाब में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट करते हुए इस टेंशन को कल तक के लिए टाल दिया कि फिलहाल सबकुछ ठीक है और वो बुधवार सुबह इस पर बयान जारी करेंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ट्वीट में लिखा "सब ठीक है, ईरान ने इराक़ में दो सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं. हताहत और नुक़सानी की समीक्षा की जा रही है. अभी तक सब अच्छा है. हमारे पास दुनिया की सबसे ताक़तवर सेना है. मैं सुबह एक बयान जारी करुंगा."

8 जनवरी 2020, सुबह 6.05 बजे, तेहरान

इराक में अमेरिकी बेस पर हुए इन ईरानी हमलों के बाद अब पूरी दुनिया में हलचल मच चुकी थी. ईरानी विदेश मंत्री ने एक ट्वीट कर के इन हमलों की ज़िम्मेदारी ली. और अमेरिका को चेतावनी दी कि अगर उसकी तरफ से पलटवार हुआ तो नतीजे और भी ज्यादा भीषण हो सकते हैं.

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ईरानी विदेशमंत्री जावेद ज़रीफ ने ट्विटर पर लिखा "ईरान ने यूएन चार्टर के आर्टिकल 51 के तहत आत्मरक्षा के तौर पर ये कदम उठाया है और उसके साथ ही सुलेमानी की मौत का बदला पूरा हो गया. हम तनाव बढ़ाना या युद्ध नहीं चाहते लेकिन किसी भी आक्रामकता से खुद की रक्षा करेंगे."

8 जनवरी 2020, सुबह 8.15 बजे, तेहरान

ईरानी मीडिया ने दावा किया कि ईरान के इस मिसाइल अटैक में करीब 80 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई. ईरानी मीडिया ने इन अमेरिकी सैनिकों को सैनिक नहीं बल्कि अमेरिकी आतंकी बताते हुए संबोधित किया. क्योंकि ईरानी संसद ने अमेरिका की सभी सेनाओं को आतंकी घोषित कर दिया है. ईरान स्टेट टीवी ने रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स के हवाले से दावा किया कि हमले में अमेरिकी हथियारों और हेलिकॉप्टरों को भी भारी नुकसान पहुंचा है. ईरान के निशाने पर अभी 100 अमेरिकी ठिकाने और हैं. अगर अमेरिका ने पलटवार की कोशिश की, तो वह इन ठिकानों पर भी हमला करेगा.

8 जनवरी 2020, सुबह 12 बजे, तेहरान

इराक में अमेरिकी बेस पर हमले के करीब 10 घंटे बाद तेहरान में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खेमनई सामने आए और उन्होंने कहा कि ईरान का ये हमला अमेरिका के मुंह पर तमाचा है. अंदेशा है कि ईरान के इस हमले के बाद अब अमेरिका भी पलटवार करेगा. यानी कुल मिला कर लगता है कि खाड़ी एक बार फिर खौलने जा रही है.

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