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तालिबान और इस्लामिक स्टेट जैसा ना हो जाए हिंदुस्तान?

क्या हम हिंदुस्तानियों का सब्र खत्म हो गया है? क्या हम हिंदुस्तानियों की सहनशीलता जाती रही? फैसला, इंसाफ, सजा सब हाथ के हाथ? अगर यही आलम रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हर हाथ कानून होगा और हर हाथ इंसाफ. इसलिए अगर अभी इसे नहीं रोका गया तो फिर हम में और तालिबान या आईएआईएस जैसे जंगली और जल्लाद लोगों में ज्यादा फर्क नहीं रह जाएगा.

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लोगों की हिफाजत को लेकर बड़ा सवाल
लोगों की हिफाजत को लेकर बड़ा सवाल

क्या हम हिंदुस्तानियों का सब्र खत्म हो गया है? क्या हम हिंदुस्तानियों की सहनशीलता जाती रही? फैसला, इंसाफ, सजा सब हाथ के हाथ? अगर यही आलम रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हर हाथ कानून होगा और हर हाथ इंसाफ. इसलिए अगर अभी इसे नहीं रोका गया तो फिर हम में और तालिबान या आईएआईएस जैसे जंगली और जल्लाद लोगों में ज्यादा फर्क नहीं रह जाएगा.

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दिल्ली की तीस हजारी अदालत में जहां लोग इंसाफ के लिए पहुंचते वहां कुछ लोगों ने कानून और अदालत के इंसाफ से पहले ही अपने हाथों से इंसाफ कर डाला. इस गैर इंसानी इंसाफ का शिकार बनने वाला कोई और नहीं, बल्कि एक वकील था. रात के अंधेरे में एक नौजवान वकील को कुछ लोगों ने धारदार हथियार से काट कर मौत के घाट उतार दिया.

चार दिन पहले दिल्ली के नजदीक नोएडा में तो एक और चौंकाने वाली वारदात हुई. एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को कातिलों ने बीच शहर में पूरे 15 किलोमीटर तक पीछा करने के बाद सरेआम अपनी गोलियों का निशाना बनाया और फरार हो गये. इसके अलावा बाहरी दिल्ली बवाना में 7 अप्रैल को लोगों ने चार चोरों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया. इंसाफ की मांग करने के बजाय पुलिस ने खुद ही फैसला कर लिया. पुलिस ने चोरों को कुछ ही देर बाद 2 हजार रुपये रिश्वत ले कर छोड़ दिया. साथ ही ये ताकीद भी की थी कि अगर वो आइंदा चोरी करने जाएं, तो जरूर उन्हें इत्तिला देकर जाएं.

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पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में भीड़ ने दो लड़कों को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया क्योंकि भीड़ को इन लड़कों पर चोरी का शक था. इससे पहले कि गुनाह साबित होता भीड़ ने खुद ही सजा देने का फैसला कर लिया. इंसाफ के नाम पर जल्लाद बनने की कहानी हर जगह देखने को मिलती है. जो लॉ एंड आर्डर की हालत बयान करती है और लोगों की हिफाजत को लेकर एक बड़ा सवाल है.

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